अंतर जोति सब्द एक नारी हिंदी मीनिंग Antar Joti Shabad Ek Nari Meaning

अंतर जोति सब्द एक नारी हिंदी मीनिंग Antar Joti Shabad Ek Nari Meaning : Kabir Ke Dohe

 अंतर जोति सब्द एक नारी । हरि ब्रह्मा ताके त्रिपुरारी ॥ 
ते तिरिये भग लिंग अनंता । तेउ न जाने आदिउ अंता ॥
 
Antar Joti Sabad Ek Nari, Hari Brahma Take Tripurari,
Te Tiriye Bhag Ling Ananta, Teu Na Jane Aadiu Anta.
 
 
अंतर जोति सब्द एक नारी हिंदी मीनिंग Antar Joti Shabad Ek Nari Meaning

कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Word Meaning

  • अंतर-भीतर, अन्तःपुर, हृदय स्थान
  • जोति - प्रकाश, ज्योति, आत्मतत्त्व
  • सब्द - ध्वनि, स्पंदन, स्फोट, प्रणव, ओम्
  • एक वह अद्वितीय तत्त्व
  • नारी - माया, प्रकृति, 'नृ' धातु से नारी शब्द की उत्पत्ति हुई है जो गर्भ को धारण करे वह नारी
  • हरि - विष्णु, ईश्वर
  • ब्रह्मा - विधाता, लोक पितामह, हिन्दू धर्म के अनुसार सृष्टि का आदिपुरुष
  • त्रिपुरारी - दैत्यों की पुरियों को नाश करने वाला, त्रिपुरा नामक दैत्य का भंजन करने वाला, महादेव, शंकर
  • ते - वे सब
  • तिरिये - तीनों भाई
  • भग - स्त्री का गुप्तांग, स्त्री
  • लिंग - पुरुष का गुप्तांग, पुरुष
  • अनंता - अनेक, बहुत
  • तेउ - वे भी
  • जाने - ज्ञात
  • आदिउ प्रारम्भ
  • अंता - अन्त, अवसान, सीमा, परिधि

Meaning in Hindi

कबीर साहेब इस दोहे में समस्त ब्रह्मांड में दो आदिकाल से चल रही शक्तियों का वर्णन करते हैं की उन्होंने इन शक्तियों को प्रथम रूप में "ज्ञानस्वरूप चैतन्य सत्ता" कहा, जिसे उन्होंने परमात्मा की शक्ति के रूप में समझा। यह शक्ति ध्वन्यात्मक कला से परिपूर्ण है और ज्योतियों की ज्योति भी उसे ही कहते हैं। कबीर ने एक "नारी रूपा माया प्रकृति" का वर्णन किया। इसमें प्रथम शक्ति यानी ज्ञानस्वरूप चैतन्य सत्ता छिपी होती है, जिसे उन्होंने चिति स्वरूप से जाना। यह सभी के भीतर होती है और इसे "अमृत उपनिषद्" में शब्द के रूप में "ओंकार" नाम से जाना जाता है। यही चैतन्य सत्ता अखिल ब्रह्मांड का संचालन करने वाली परम सत्ता है।

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं

इन दो शक्तियों के बीच, कबीर ने चित-अचिति अन्तर ज्योति के संयोग से तीन प्राथमिक देवताओं, ब्रह्मा, विष्णु और महेश, का उत्पन्न होने का वर्णन किया। इन तीनों देवताओं ने समस्त विश्व में अनेक स्त्री-पुरुषों की रचना की, लेकिन उन्होंने उस परमपुरुष का आदि और अन्त नहीं जान सके। इसलिए वे वेदों में उस परम सत्ता को सीमातीत बताने में असमर्थ रहे।

कबीर के शिक्षाओं में दैवीय प्रेम, आध्यात्मिक साक्षात्कार, और समस्त सृष्टि के एकत्व के सिद्धांत पर जोर दिया गया है। उन्होंने अपने दुर्दांत और विचारशील कविताओं के माध्यम से अपने दर्शकों को आत्मिक उन्नति के मार्ग पर प्रेरित किया, जो आज भी लोगों को उनके आध्यात्मिक सफलता की दिशा में प्रेरित करता है।
 
Meaning in English: In the entire universe, there are two eternal forces that have always existed. The first force is all about knowledge and consciousness, like a powerful energy of the Supreme Being. It's also like the brightest light. The second force is like a feminine energy called Maya or Prakriti. Inside this force, there's the first force, which is known as consciousness, present in everyone. In some scriptures, it's called "Om."

From the combination of this inner light and nature, three main deities were born: Brahma, Vishnu, and Mahesh (Shiva). They are like the creators of everything. They also created many other beings, both males and females, but even after all that, they couldn't fully understand the origin and end of the inner light, which is like a conscious entity. It's because this conscious entity is limitless and beyond human understanding. So, no one, whether humans or gods, can fully know this infinite power. You can only experience it; it's not something you can touch or see like ordinary things. This powerful entity covers everything and goes beyond everything.

The creators like Brahma are just a small part of this entity, so they can't completely grasp it. That's why they are unable to know the beginning and end of this supreme power, and the Vedas describe it as boundless.

Kabir, the wise saint and poet, taught about divine love and understanding ourselves better. His simple and beautiful words still inspire people to find inner peace and harmony. His teachings encourage us to be kind and loving towards others and to discover the unity that connects all of us.
+

एक टिप्पणी भेजें