भक्त मरे क्या रोइये जो अपने घर जाय मीनिंग कबीर के दोहे

भक्त मरे क्या रोइये जो अपने घर जाय मीनिंग Bhakt Mare Kya Roiye Meaning : Kabir Ke Dohe Meaning

भक्त मरे क्या रोइये, जो अपने घर जाय,
रोइये साकट बपुरे, हाटों हाट बिकाय।

Bhakt Mare Kya Roiye, Jo Apne Ghar Jay,
Roiye Sakat Bapure, Hato Haat Bikay.
 
भक्त मरे क्या रोइये जो अपने घर जाय मीनिंग Bhakt Mare Kya Roiye Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी अर्थ/भावार्थ (Kabir Doha Hindi Meaning)

कबीर साहेब ने अपने कल्याणरूप को प्राप्त कर लिया है. भक्त के मरने पर किस बात का रुदन करें, वह तो अपने घर (परमात्मा) के पास जाता है, रोना तो दुष्टों का होता है जो पुनः किसी हाट में बिकने के लिए पंहुच जाते हैं, उनकी मुक्ति नहीं होती है. साकट से आशय दुर्जनों से है जो इश्वर की भक्ति नहीं करते हैं और माया के जंजाल में ही अटके रहते हैं. भक्त का घर तो हरी का द्वार है, उसके रोने पर किसी तरह का विलाप नहीं करना चाहिए. 

आपने कबीर साहेब की उपदेशना को साझा किया है जो उनके भक्तिमय दृष्टिकोण को प्रकट करती है। कबीर साहेब के विचारों में मुख्यता से उनका ईश्वर-भक्ति, आत्मा के मोक्ष की प्राप्ति, और जीवन के अर्थ की महत्वपूर्णता पर जोर दिया गया है। उनके विचार में, भक्त की मृत्यु को एक ऐसे परिवर्तन के रूप में देखा जाता है जिससे वह आत्मा परमात्मा के पास पहुँचता है, जिससे वह मुक्ति प्राप्त करता है। उनके अनुसार, भक्त का घर हरी का द्वार होता है और वह अपने रोने के बजाय आनंद में इश्वर की भक्ति में लीन होना चाहिए।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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