नान्हा कातौ चित्त दे महँगे मोल बिकाइ हिंदी मीनिंग Nanha Kato Chitt De Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
नान्हा कातौ चित्त दे, महँगे मोल बिकाइ।
गाहक राजा राम है, और न नेड़ा आइ॥
Nanha Kato Chitt De, Mahange Mol Bikai,
Gahak Raja Ram hai, Aur Na Neda Aai.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब सूक्ष्म ध्याम / भक्ति पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं की हमें नन्हा/ सूक्ष्म कातने (सूत काटने का उदाहरण) पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए. सूक्ष्म ज्ञान पर हमें हृदय से भक्ति करनी चाहिए, सूक्ष्म का मोल अधिक है. सूक्ष्म और आत्मिक भक्ति का महत्त्व अधिक है और इसके ग्राहक स्वंय इश्वर हैं. चित्त लगाकर सूक्ष्म भक्ति करने से ही साधक को लाभ मिलता है.
कबीर का दोहा हमें यह उपदेश देता है कि हमें ईश्वर की भक्ति में लगना चाहिए। यह भक्ति ही हमें मोक्ष की प्राप्ति दिलाने में सहायक है। साहेब की वाणी हमें यह याद दिलाती है कि ईश्वर की भक्ति ही हमारा एकमात्र उद्देश्य होनी चाहिए। इस दोहे में कबीर साहेब हमें ईश्वर भक्ति के महत्व का संदेश दे रहे हैं। वे कहते हैं कि ईश्वर भक्ति ही एकमात्र मार्ग है जो हमें इस जीवन में सफलता दिला सकता है और हमें मृत्यु के बाद मोक्ष भी दिला सकता है।
शारीरिक भक्ति महज प्रदर्शन है, जप तप का कोई महत्त्व नहीं है. भक्ति के मायने हैं हृदय से हरी के नाम का सुमिरन. जब व्यक्ति शुद्ध हृदय से इश्वर के नाम का सुमिरन करता है तो अवश्य ही उसे इश्वर की प्राप्ति होती है क्योंकि उसकी भक्ति में कोई दिखावा और आडम्बर नहीं होते हैं. अतः साहेब सन्देश देते हैं की अपने हृदय से भक्ति करो और हरी के नाम का सुमिरन करो.