कलयुग के तुम अवतारी हो भक्तों के संकट हारी हो

कलयुग के तुम अवतारी हो भक्तों के संकट हारी हो

कलयुग के तुम अवतारी हो,
भक्तों के संकट हारी हो,
कहलाते तीन बाणधारी,
करते लीला की सवारी हो।।

महाभारत में बाबा तुमने,
ये खेल गजब दिखलाया था,
दिए भेद वृक्ष के सब पत्ते,
तूने एक ही बाण चलाया था,
हारे के सहारे श्यामधणी,
तुम कहलाते बलशाली हो,
कलयुग के तुम अवतारी हो,
भक्तों के संकट हारी हो।।

मेरा बाबा है फूल बहारों का,
मेरा बाबा है नूर नज़ारों का,
मेरे बाबा के जैसा कोई बाबा नहीं,
बिना इसके कहीं भी मुझे रहना नहीं,
जैसे है चांद सितारों में,
मेरा बाबा है एक हज़ारों में,
हम जैसे भोले~भाले की,
ये दुनिया है श्याम निराले की,
ये दुनिया है श्याम निराले की,
ये दुनिया है खाटू वाले की,
कलयुग के तुम अवतारी हो,
भक्तों के संकट हारी हो,
कहलाते तीन बाणधारी,
करते लीला की सवारी हो।।

जिसका ना कोई सहारा हो,
उसके हैं धणी खाटू वाले,
तेरी नाव अगर डगमगाए,
सब छोड़ तू बाबा को ध्याले,
लहराए ऐसी मोरछड़ी,
मिट जाए हरेक बीमारी हो,
कलयुग के तुम अवतारी हो,
भक्तों के संकट हारी हो।।

कलयुग के तुम अवतारी हो,
भक्तों के संकट हारी हो,
कहलाते तीन बाणधारी,
करते लीला की सवारी हो।।


कलयुग के तुम अवतारी हो भक्तों के संकट हारी हो। खाटू श्याम भजन

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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