कवि तो कोटि कोटि हैं सिर के मूड़े कोट हिंदी मीनिंग Kavi to Koti Koti Hain Meaning

कवि तो कोटि कोटि हैं सिर के मूड़े कोट हिंदी मीनिंग Kavi to Koti Koti Hain Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit

कवि तो कोटि कोटि हैं, सिर के मूड़े कोट |
मन के मूड़े देखि करि, ता संग लिजै ओट ||
 
Kavi To Koti Koti Hain, Sir Ke Munde Kot,
Man Ke Monde Dekhi Kari, Ta Sang Lije Out.
 
कवि तो कोटि कोटि हैं सिर के मूड़े कोट हिंदी मीनिंग Kavi to Koti Koti Hain Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस जगत में करोड़ों व्यक्ति कविता, पद्य लिखने वाले हैं। करोड़ों ही लोग सर को मूंड कर साधू होने का भाव प्रदर्शित करते हैं। सर को मूँडने को त्यागकर ज्ञान की प्राप्ति की अग्रसर होता है, ऐसे संत जन की ओट में साधक को जाना चाहिए और भक्ति में अपने जीवन को लगाना चाहिए। इस दोहे में संत कबीर दास जी ने कविता करने वालों और सिर मुड़ाकर घूमने वालों की आलोचना करते हुए कहा है कि ये सब केवल बाह्य दिखावे मात्र हैं। 
 
सच्चा ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति केवल उसी व्यक्ति के द्वारा सम्भव है जो अपने मन को वश में कर ले। इस दोहे में, "कवि तो कोटि कोटि हैं, सिर के मूड़े कोट" का अर्थ है कि इस दुनिया में कविता करने वाले और सिर मुड़ाकर घूमने वाले वेषधारी बहुतायत में हैं। ये लोग अपने बाहरी आचरण से भक्ति और ज्ञान का दिखावा करते हैं, लेकिन वास्तव में वे अपने मन को वश में नहीं कर पाते हैं।

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