कागा काको धन हरै कोयल काको देत मीनिंग Kaga Kako Dhan Hare Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
कागा काको धन हरै, कोयल काको देत |मीठा शब्द सुनाय को, जग अपनो करि लेत ||
Kaga Kako Dhan Hare, Koyal Kako Det,
Meetha Shabad Sunaay Ko, Jag Apno Kari Let.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब कहते हैं की कोवा और कोयल में क्या फर्क होता है, दोनों का रंग काला है लेकिन उनके गुणों में बहुत अंतर है। कौआ और कोयल दोनों ही काले होते हैं लेकिन कौआ अपनी कर्कश आवाज से सभी को दूर भगाता है और कोयल का रंग काला होने पर भी वह मधुर वाणी बोलती है जिससे वह सभी को अच्छी लगती है। आशय है की ना तो कोयल किसी को धन देती है और ना ही कौवा किसी का धन लेता है लेकिन फिर भी वह सभी को अपनी आवाज से दूर भगाता है। आशय है की साधक को मृदु भाषा का उपयोग करना चाहिए। साधक को अपनी भाषा में अहंकार का त्याग कर देना चाहिए।
Kabir Sahib highlights the difference between the crow and the nightingale. Both are black in color, but the crow repels everyone with its harsh voice, while the nightingale, despite being black, sings sweetly, pleasing everyone. The implication is that neither the nightingale gives anyone wealth nor does the crow take anyone's wealth, yet the crow repels everyone with its voice.
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