मेरे लाड़लो मेरी किरपा जो चाहो भजन

मेरे लाड़लो मेरी किरपा जो चाहो भजन


मेरे लाड़लो! मेरी कृपा जो चाहो,
बुरी आदतें सारी,
बुरी आदतें सारी मुझको दे जाओ,
मेरे लाड़लो! मेरी कृपा जो चाहो।।

गुटखा बुरा है, तंबाखू को त्यागो,
सोए पड़े क्यों? अरे! अब तो जागो,
मेवे न चाहूँ मैं,
मेवे न चाहूँ मैं — बुराई चढ़ाओ,
मेरे लाड़लो! मेरी कृपा जो चाहो।।

मदिरा ने लाखों जीवन बिगाड़े,
बुरी लत ने कितने घर हैं उजाड़े,
नशा मुक्त होके,
नशा मुक्त होके मुझे तुम दिखाओ,
मेरे लाड़लो! मेरी कृपा जो चाहो।।

कभी क्या ये सोचा, विष तूने गटका?
परिवार तेरा तुझसे ही पलता,
उनके लिए खुद को,
उनके लिए खुद को जीना सिखाओ,
मेरे लाड़लो! मेरी कृपा जो चाहो।।

बुराई को छोड़ो, तभी मैं मिलूंगा,
तेरे वास्ते मैं सब कुछ करूँगा,
अरे ‘हर्ष’ लायक,
अरे ‘हर्ष’ लायक बनकर तो आओ,
मेरे लाड़लो! मेरी कृपा जो चाहो।।

मेरे लाड़लो! मेरी कृपा जो चाहो,
बुरी आदतें सारी,
बुरी आदतें सारी मुझको दे जाओ,
मेरे लाड़लो! मेरी कृपा जो चाहो।।


इस भजन को सुनने से आप पर कृपा होगी ~ Mere Ladlo ~ Atul Krishna ( Vrindavan )

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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