स्वागत है मेरी पोस्ट में, इस पोस्ट में हम एक प्रेरणादायक कहानी "दो सांपों की कहानी" के बारे में जानेंगे। यह कहानी हमें सिखाती है कि किसी के साथ बुरा करने की सोच रखना अंत में हमारे लिए ही हानिकारक हो सकता है। इस कहानी में राजा, राजकुमार, राजकुमारी, और दो सांपों के माध्यम से हमें यह समझाया गया है कि अच्छाई और सहनशीलता का रास्ता अपनाना ही सच्ची सफलता की कुंजी है। तो चलिए, इस दिलचस्प कहानी को पढ़ते हैं और इससे मिलने वाली सीख को समझते हैं।
दो सांपों की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक नगर में शक्तिसिंह नाम के राजा का शासन था। उनके पुत्र के पेट में एक सांप ने अपना बसेरा बना लिया था, जिसके कारण राजकुमार का स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा था। राजा शक्तिसिंह ने कई वैद्यों से राजकुमार का इलाज कराया, लेकिन राजकुमार की सेहत में कोई सुधार नहीं आया। अपने पुत्र की बिगड़ती हालत से राजा बहुत परेशान थे।
राजकुमार अपने पिता की चिंता देखकर चुपचाप राज्य छोड़कर दूसरे राज्य में चला गया और एक मंदिर में भिखारी की तरह रहने लगा। उस राज्य में शेरसिंह नामक राजा का शासन था, जिसकी दो सुंदर बेटियां थीं। हर सुबह वे अपने पिता का आशीर्वाद लेने के लिए उनके पास जाती थीं। एक दिन, एक बेटी ने राजा से कहा, “महाराज की जय हो, आपकी कृपा से संसार में सभी सुखी हैं।” वहीं दूसरी बेटी ने कहा, “महाराज, ईश्वर आपको आपके कर्मों का फल दे।”
दूसरी बेटी के यह शब्द राजा शेर सिंह को बुरी तरह खटक गए और उन्होंने गुस्से में आदेश दिया कि इस कठोर शब्द बोलने वाली बेटी की शादी किसी गरीब व्यक्ति से करवा दी जाए। राजा के आदेश पर मंत्रियों ने उस बेटी की शादी मंदिर में बैठे भिखारी से करवा दी, जो असल में वही राजकुमार था, जिसके पेट में सांप ने घर बना लिया था। राजकुमारी ने अपने पति को स्वीकार कर सेवा करना शुरू कर दिया।
कुछ समय बाद, दोनों ने मंदिर छोड़कर यात्रा पर निकलने का निश्चय किया। यात्रा के दौरान राजकुमार एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा और राजकुमारी भोजन लाने के लिए पास के गांव चली गई। जब वह वापस लौटी तो उसने देखा कि उसके सोए हुए पति के मुंह से एक सांप बाहर निकल रहा है और साथ ही पास के बिल से भी एक सांप बाहर आया। दोनों सांप बातें करने लगे, जिसे छिपकर राजकुमारी सुनने लगी।
पहला सांप बोला, “तुम इस राजकुमार के पेट में रहकर उसे तकलीफ क्यों दे रहे हो? तुम खुद को खतरे में डाल रहे हो। अगर किसी ने राजकुमार को जीरा और सरसों का सूप पिला दिया, तो तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।” दूसरा सांप बोला, “तुम इस बिल में रखे सोने के घड़ों की रक्षा क्यों कर रहे हो? यह सोना तुम्हारे किसी काम का नहीं। अगर किसी को इन घड़ों का पता चल गया, तो वो बिल में गर्म पानी या तेल डालकर तुम्हें मार डालेगा।”
सांपों की बातें सुनकर राजकुमारी ने एक योजना बनाई। उसने अपने पति को भोजन के साथ जीरा और सरसों का सूप पिला दिया। कुछ समय बाद, राजकुमार की तबीयत में सुधार आ गया और पेट का सांप मर गया। इसके बाद राजकुमारी ने बिल में गर्म पानी डालकर दूसरे सांप को भी मार डाला। फिर उसने बिल में रखे सोने के घड़े निकाले और दोनों अपने राज्य लौट आए।
जब राजा शक्तिसिंह ने अपने पुत्र को स्वस्थ देखा, और साथ में पुत्रवधू को भी देखा तो खुशी से उनका स्वागत किया और धूमधाम से उनका अभिनंदन किया। जब राजा शक्तिसिंह ने देखा कि राजकुमार की तबीयत अब सुधर गई है तथा साथ ही उन्हें पुत्रवधू के रूप में एक राजकुमारी मिली थी। यह सब जानकर राजा बहुत खुश हुआ। राजा ने धूमधाम से उनका स्वागत किया गया तथा पूरे राज्य में उत्सव का माहौल हो गया।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि यदि हम किसी का बुरा सोचते हैं, तो अंत में उसका नुकसान हमें ही झेलना पड़ता है। सदैव भलाई का मार्ग अपनाना ही सही रास्ता है। इसके साथ ही हमें हमेशा हमारे कर्म पर ध्यान देना चाहिए। हमें हमेशा अच्छे कर्म करते रहना चाहिए जिससे हमें अच्छे फल की प्राप्ति हो।
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Author - Saroj Jangir
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