तेरी इन मतवारी आँखों में डले काजल के डोरे
तेरी इन मतवारी आँखों में डले काजल के डोरे
तेरी इन मतवारी आँखों में,
डले काजल के डोरे,
अरे घनश्याम।
मुखड़े पे चंदन की शोभा,
मन को भा गई मोरे,
अरे घनश्याम।।
मोर मुकुट सिर में साजे,
गाल में तिल प्यारा लागे,
आँख में काजल, होंठ में लाली,
भाग मुरलिया के जागे।
कानों में कुंडल की शोभा,
तन-मन को झकझोरे,
अरे घनश्याम।।
कंठ में वैजयंती माला,
कांधे पीतांबर डाले,
चक्र, सुदर्शन, हाथ मुरलिया,
पायल है घुंघरू वाला।
श्रृंगार तेरा प्यारा लागे,
अरे ओ ब्रज के छोरे,
सुनो घनश्याम।।
साथ में राधा रानी है,
जिसका न कोई सानी है,
श्याम है राधा का दीवाना,
राधा श्याम दीवानी है।
राधा रानी के चरणों में,
खड़े ‘राजेन्द्र’ कर जोरे,
अरे घनश्याम।।
तेरी इन मतवारी आँखों में,
डले काजल के डोरे,
अरे घनश्याम।
मुखड़े पे चंदन की शोभा,
मन को भा गई मोरे,
अरे घनश्याम।।
डले काजल के डोरे,
अरे घनश्याम।
मुखड़े पे चंदन की शोभा,
मन को भा गई मोरे,
अरे घनश्याम।।
मोर मुकुट सिर में साजे,
गाल में तिल प्यारा लागे,
आँख में काजल, होंठ में लाली,
भाग मुरलिया के जागे।
कानों में कुंडल की शोभा,
तन-मन को झकझोरे,
अरे घनश्याम।।
कंठ में वैजयंती माला,
कांधे पीतांबर डाले,
चक्र, सुदर्शन, हाथ मुरलिया,
पायल है घुंघरू वाला।
श्रृंगार तेरा प्यारा लागे,
अरे ओ ब्रज के छोरे,
सुनो घनश्याम।।
साथ में राधा रानी है,
जिसका न कोई सानी है,
श्याम है राधा का दीवाना,
राधा श्याम दीवानी है।
राधा रानी के चरणों में,
खड़े ‘राजेन्द्र’ कर जोरे,
अरे घनश्याम।।
तेरी इन मतवारी आँखों में,
डले काजल के डोरे,
अरे घनश्याम।
मुखड़े पे चंदन की शोभा,
मन को भा गई मोरे,
अरे घनश्याम।।
तेरी इन मतवारी आँखों में
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Author - Saroj Jangir
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