लालची मिठाई वाला पंचतंत्र की कहानी Lalchi Mithai Wala Panchtantra Story

स्वागत है मेरी पोस्ट में। इस पोस्ट में हम जानेंगे एक दिलचस्प और प्रेरणादायक कहानी "लालची मिठाई वाला" के बारे में। यह कहानी हमें सिखाती है कि कैसे ईमानदारी और सच्चाई जीवन में सफलता के रास्ते खोलती है, जबकि धोखा और लालच केवल अस्थाई लाभ दिलाते हैं। यह पंचतंत्र की कहानी आपके दिल को छू जाएगी और आपको एक महत्वपूर्ण सबक सिखाएगी। आइए इस कहानी के माध्यम से समझते हैं कि अपने कार्यों में ईमानदारी और सच्चाई का महत्व क्या है।
 
लालची मिठाई वाला पंचतंत्र की कहानी Lalchi Mithai Wala Panchtantra Story

पंचतंत्र की कहानी- लालची मिठाई वाला

एक गांव में मोहन नाम का एक मशहूर हलवाई था, जो अपनी स्वादिष्ट मिठाइयों के लिए जाना जाता था। वह और उसकी पत्नी मिलकर शुद्ध देसी घी में मिठाइयां बनाते थे, जिस वजह से उनकी मिठाइयां पूरे गांव में पसंद की जाती थीं। शाम तक उसकी दुकान की सारी मिठाइयां बिक जातीं, और वह हर दिन अच्छा मुनाफा कमा लेता था।

मुनाफा बढ़ता देख मोहन के मन में अधिक पैसे कमाने की चाह जागी। उसके मन में लालच ने घर कर लिया और उसने एक चालाकी भरी तरकीब सोची। वह शहर से चुम्बक के टुकड़े खरीद कर लाया और उन्हें अपने तराजू के नीचे चिपका दिया। इससे तराजू में वजन थोड़ा ज्यादा दिखने लगा, और वह कम मिठाई में भी ज्यादा कमाई करने लगा।

मोहन ने अपनी इस चालाकी के बारे में अपनी पत्नी को भी बताया, लेकिन उसकी पत्नी को यह गलत तरीका पसंद नहीं आया। उसने मोहन को समझाने की कोशिश की कि ईमानदारी ही सबसे बड़ा गुण है, लेकिन मोहन ने उसकी बात अनसुनी कर दी और रोज तराजू के नीचे चुम्बक लगाकर अपने ग्राहकों को धोखा देने लगा। मोहन की पत्नी ने मोहन को बार-बार समझाने की कोशिश की, लेकिन अधिक फायदा होने की वजह से मोहन ने उसकी एक ना सुनी।

एक दिन एक नया ग्राहक सुरजीत मोहन की दुकान पर आया और उसने दो किलो जलेबी खरीदी। सुरजीत को जलेबी का वजन कुछ कम महसूस हुआ, तो उसने मोहन से दोबारा तोलने के लिए कहा। मोहन नाराज होते हुए बोला, "मेरे पास बार-बार जलेबी तौलने का समय नहीं है।"सुरजीत बिना कुछ कहे वहां से चला गया।

सुरजीत को संदेह हुआ, तो वह एक दूसरी दुकान पर गया और वहां जलेबी का वजन कराया। उसे पता चला कि मोहन ने डेढ़ किलो जलेबी ही तोली थी। तब उसने गांव वालों के सामने मोहन की असलियत लाने की योजना बनाई।

वह एक नया तराजू खरीद कर मोहन की दुकान के पास ही खड़ा हो गया और गांव के लोगों से बोला कि वे मोहन की दुकान से खरीदी गई मिठाइयों का वजन इस नए तराजू पर भी कराएं। गांव वालों को पहले से ही मोहन पर शक था, लेकिन अब तक वे इस बात को नजरअंदाज कर रहे थे। जब सुरजीत द्वारा यह बात कही गई तो सभी ने अपने शक को यकीन में बदलने के लिए सुरजीत के तराजू पर अपनी मिठाई तोलना शुरू कर दिया।

धीरे धीरे लोग मिठाई लेकर सुरजीत के पास पहुंचे और जैसे ही वजन किया, मिठाइयों का वजन कम निकला। मोहन की असलियत सभी के सामने उजागर हो गई। मोहन इस बात से क्रोधित हो गया और सुरजीत पर आरोप लगाने लगा, लेकिन सुरजीत ने मोहन का चुम्बक लगा तराजू सबके सामने लाकर सच को सामने ला दिया।

गांव वाले मोहन की इस धोखाधड़ी से बहुत नाराज हुए और उन्होंने उसे खूब फटकार लगाई। मोहन को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने सबके सामने माफी मांगी। उसने वादा किया कि भविष्य में वह कभी भी किसी के साथ धोखा नहीं करेगा। लेकिन उसकी इस धोखाधड़ी ने उसका सम्मान घटा दिया और लोगों ने उसकी दुकान में आना बंद कर दिया।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि लालच इंसान को कुछ समय तक लाभ तो दिला सकता है, लेकिन लंबे समय में इससे केवल नुकसान ही होता है। ईमानदारी से काम करने में ही सच्चा आनंद है, और इससे ही समाज में सम्मान और विश्वास कायम रहता है।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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