स्वागत है इस लेख में, इस लेख में हम महात्मा बुद्ध से जुड़ी एक और प्रेरणादायक कहानी के बारे में जानेंगे, जिसका नाम है "कठोर वचन"। आप जानेंगे की कैसे महात्मा बुद्ध की शिक्षा और उनके विचार हमेशा दूसरों के कल्याण और करुणा पर आधारित हैं। मृदु शब्दों का प्रयोग कितना महत्वपूर्ण है और दूसरों के प्रति सच्चे प्रेम और संवेदना से कैसे संवाद करना चाहिए। आइए इस प्रेरणादायक कहानी के जरिए महात्मा बुद्ध के दृष्टिकोण और उनके द्वारा बताई मृदु शब्दों की शक्ति को समझें।
कठोर वचन महात्मा बुद्धा की कहानी Mahatma Buddha Kahani Kathor Vachan
एक बार राजकुमार अभय ने महात्मा बुद्ध से प्रश्न किया, "क्या श्रमण गौतम कभी कठोर वचन का प्रयोग करते हैं?" राजकुमार ने मन में सोच रखा था कि अगर बुद्ध नहीं कहें, तो वह उदाहरण देंगे कि एक बार उन्होंने देवदत्त को नरकगामी कहा था, और यदि बुद्ध हां कहें, तो वह पूछेंगे कि जब आप स्वयं कठोर शब्दों से बच नहीं पाते, तो दूसरों को कैसे ऐसा उपदेश दे सकते हैं?महात्मा बुद्ध ने तुरंत अभय के प्रश्न का मर्म समझ लिया और उसे एक उदाहरण के माध्यम से उत्तर देने का निश्चय किया। उन्होंने अभय की गोद में बैठे छोटे बालक की ओर इशारा करते हुए पूछा, "राजकुमार, अगर गलती से यह बच्चा अपने मुख में लकड़ी का टुकड़ा डाल ले, तो तुम क्या करोगे?"
अभय ने उत्तर दिया, "मैं उसे बाहर निकालने का पूरा प्रयास करूंगा।"
बुद्ध ने फिर पूछा, "यदि वह आसानी से न निकले, तो?"
अभय ने कहा, "तब मैं उसके सिर को सावधानी से पकड़ूंगा और अपनी उंगली को टेढ़ा कर लकड़ी के टुकड़े को निकालने की कोशिश करूंगा।"
बुद्ध ने फिर से प्रश्न किया, "अगर इससे बच्चे के मुख से खून भी निकलने लगे तो?"
अभय ने दृढ़ता से जवाब दिया, "फिर भी मैं उसे बाहर निकालने का हर संभव प्रयास करूंगा, क्योंकि मेरे मन में इस बच्चे के प्रति करुणा है।"
बुद्ध मुस्कुराए और बोले, "ठीक इसी प्रकार, जब तथागत को किसी वचन का पता होता है कि वह गलत है और इससे किसी का दिल दुख सकता है, तब हम ऐसे शब्दों का प्रयोग कभी नहीं करते। परंतु जब हमें किसी वचन का अनुभव होता है कि वह सत्य है और दूसरों के लिए लाभकारी है, तो उसे हम अवश्य बोलते हैं। यही कारण है कि तथागत के मन में सभी जीवों के प्रति अपार करुणा और स्नेह है।"
महात्मा बुद्ध के इन शब्दों से राजकुमार अभय को गहरी समझ मिली। उन्हें एहसास हुआ कि बुद्ध की वाणी कभी कठोर नहीं होती, बल्कि वह तो सदा दया और करुणा से परिपूर्ण होती है।
इस प्रकार से महात्मा बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी 'कठोर वचन' में, राजकुमार अभय के एक प्रश्न के जवाब में बुद्ध ने हमें सही शब्दों और करुणा के महत्व को सिखाया। जब अभय ने बुद्ध से पूछा कि क्या वह कभी कठोर वचन कहते हैं, तो बुद्ध ने एक छोटे बालक का उदाहरण देते हुए समझाया कि करुणा से भरे हृदय से निकले शब्द कठोर नहीं होते, वे केवल दूसरों का हित सोचते हैं।
अभय ने उत्तर दिया, "मैं उसे बाहर निकालने का पूरा प्रयास करूंगा।"
बुद्ध ने फिर पूछा, "यदि वह आसानी से न निकले, तो?"
अभय ने कहा, "तब मैं उसके सिर को सावधानी से पकड़ूंगा और अपनी उंगली को टेढ़ा कर लकड़ी के टुकड़े को निकालने की कोशिश करूंगा।"
बुद्ध ने फिर से प्रश्न किया, "अगर इससे बच्चे के मुख से खून भी निकलने लगे तो?"
अभय ने दृढ़ता से जवाब दिया, "फिर भी मैं उसे बाहर निकालने का हर संभव प्रयास करूंगा, क्योंकि मेरे मन में इस बच्चे के प्रति करुणा है।"
बुद्ध मुस्कुराए और बोले, "ठीक इसी प्रकार, जब तथागत को किसी वचन का पता होता है कि वह गलत है और इससे किसी का दिल दुख सकता है, तब हम ऐसे शब्दों का प्रयोग कभी नहीं करते। परंतु जब हमें किसी वचन का अनुभव होता है कि वह सत्य है और दूसरों के लिए लाभकारी है, तो उसे हम अवश्य बोलते हैं। यही कारण है कि तथागत के मन में सभी जीवों के प्रति अपार करुणा और स्नेह है।"
महात्मा बुद्ध के इन शब्दों से राजकुमार अभय को गहरी समझ मिली। उन्हें एहसास हुआ कि बुद्ध की वाणी कभी कठोर नहीं होती, बल्कि वह तो सदा दया और करुणा से परिपूर्ण होती है।
इस प्रकार से महात्मा बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी 'कठोर वचन' में, राजकुमार अभय के एक प्रश्न के जवाब में बुद्ध ने हमें सही शब्दों और करुणा के महत्व को सिखाया। जब अभय ने बुद्ध से पूछा कि क्या वह कभी कठोर वचन कहते हैं, तो बुद्ध ने एक छोटे बालक का उदाहरण देते हुए समझाया कि करुणा से भरे हृदय से निकले शब्द कठोर नहीं होते, वे केवल दूसरों का हित सोचते हैं।
कहानी का सन्देश
प्रेम और संवेदना के साथ बोलना दूसरों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालता है। मृदु वचन और मानवीय गुणों पर आधारित वाणी सभी को सुखद लगती है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |