सब छोड़ शरण में आ तू श्याम की भजन

सब छोड़ शरण में आ तू श्याम की भजन


जग में हार मिले तुझको,
वक्त की मार पड़े तुझको,
सब छोड़ शरण में आ तू श्याम की।
गर तेरी लाज बचानी हो,
या बिगड़ा काज बचाना हो,
सब छोड़ शरण में आ तू श्याम की।।

हो जब चारों ओर अँधेरा,
कोई ना मिले साथी तेरा,
विश्वास श्याम पे रखना,
ना फिरना डेरा-डेरा।
रोशन हो जाएगा,
फ़ौरन हो जाएगा,
सब छोड़ शरण में आ तू श्याम की।।

राहों में जो हो उलझन,
पल में सुलझ जाएगी,
श्याम के चरणों में तुझको,
तेरी मंज़िल मिल जाएगी।
तक़दीर बदलनी हो,
तदबीर बदलनी हो,
सब छोड़ शरण में आ तू श्याम की।।

खाटू से बैठे-बैठे,
सरकार चलाता है,
‘बिट्टू’ तू फ़िकर ना करना,
वो परिवार चलाता है।
तुझको सँभालेगा,
जीवन सँवारेगा,
सब छोड़ शरण में आ तू श्याम की।।

जग में हार मिले तुझको,
वक्त की मार पड़े तुझको,
सब छोड़ शरण में आ तू श्याम की।
गर तेरी लाज बचानी हो,
या बिगड़ा काज बचाना हो,
सब छोड़ शरण में आ तू श्याम की।।


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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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