नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए एक और प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं, जिसका शीर्षक है, "वृक्ष का सम्मान" यह कहानी हमें शिक्षा देती है कि किस प्रकार हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए और उसमें भी जीवन को पहचानना चाहिए। यह कथा हमें महात्मा बुद्ध और उनके एक शिष्य के बीच हुई एक रोचक वार्ता के माध्यम से सिखाती है कि कैसे हमारे आस-पास की प्रकृति और जीव-जंतु भी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं और हमारे प्रति अपने अनोखे तरीके से प्रेम एवं सहयोग व्यक्त करते हैं। तो चलिए, इस प्रेरणादायक कहानी के साथ हम भी इस संदेश को गहराई से समझते हैं।
वृक्ष के प्रति महात्मा बुद्ध की कृतज्ञता का भाव कहानी
महात्मा बुद्ध एक पेड़ के सामने बड़े ही आदरभाव से झुके हुए थे, मानो वह कोई पूजनीय गुरु हो। दूर खड़ा उनका एक शिष्य यह देख हैरान हो रहा था। आखिरकार, उसने बुद्ध के पास जाकर विनम्रता से प्रश्न किया, "भगवन्! आपने इस साधारण पेड़ को नमन क्यों किया?"बुद्ध ने मुस्कराते हुए उत्तर दिया, "वत्स, इस पेड़ को साधारण मत समझो। यह पेड़ भी एक जीव है। इसके पत्तों, शाखाओं, और तनों में भी जीवन है, जो प्रकृति की अपनी अनोखी भाषा में हमसे संवाद कर रहा है। मैंने इसी पेड़ की शीतल छांव में वर्षों तक ध्यान साधना की है। इसने चिलचिलाती धूप और बरसात में मेरी रक्षा की, मुझे सुकून और शांति दी। इसका धन्यवाद करना मेरा परम कर्तव्य है।"
महात्मा बुद्ध ने शिष्य को समझाया, "यह वृक्ष मेरे धन्यवाद का जवाब बड़ी ही खूबसूरती से दे रहा है। इसके हिलते हुए पत्ते और टहनियाँ मानो मेरे आभार का स्वागत कर रही हैं। प्रकृति अपनी भाषा में हमसे बात करती है, और हमें बस उस भाषा को समझने की आवश्यकता है। प्रत्येक जीव और वृक्ष इस संसार का अभिन्न हिस्सा हैं, और हमें उनके प्रति भी कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए।"
बुद्ध की इस बात से शिष्य को वृक्ष के प्रति एक नया दृष्टिकोण मिला। उसने भी वृक्ष की टहनियों और पत्तों की ओर देखा और महसूस किया कि वे भी मानो जीवित होकर उससे कुछ कहने की कोशिश कर रहे हैं। इस अनुभव से शिष्य को भी वृक्ष के प्रति गहरी कृतज्ञता का अहसास हुआ, और वह भी बुद्ध के समान उस वृक्ष के सामने श्रद्धा से झुक गया।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए। पेड़, पौधे, जल, वायु – ये सभी हमारे जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और हमें जीवन में शांति एवं सुकून प्रदान करते हैं। हमें इनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए क्योंकि यही हमारे जीवन को संतुलन और स्थिरता देते हैं।आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
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Author - Saroj Jangir
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