राहु स्तोत्रम् स्तोत्र Rahu Stotram Benefits

लंबे जीवन का वरदान, राहु स्तोत्र का पाठ करें और सुखी जीवन पाएं

राहु स्तोत्रम् स्तोत्र लिरिक्स हिन्दी Rahu Stotram in Hindi What is Rahu Strotam
 
अस्य श्रीराहुस्तोत्रस्य वामदेव ऋषिः ।
गायत्री छन्दः । राहुर्देवता ।
राहुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥
राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः ।
अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥ १ ॥
रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः ।
ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ॥ २ ॥
कालदृष्टिः कालरुपः श्रीकष्ठह्रदयाश्रयः ।
विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररुपो महाबलः ॥ ३ ॥
ग्रहपीडाकरो द्रंष्टी रक्तनेत्रो महोदरः ।
पञ्चविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदा नरः ॥ ४ ॥
यः पठेन्महती पीडा तस्य नश्यति केवलम् ।
विरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ॥ ५ ॥
ददाति राहुस्तस्मै यः पठते स्तोत्रमुत्तमम् ।
सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नरः ॥ ६ ॥ ॥
इति श्रीस्कन्दपुराणे राहुस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

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राहु स्तोत्र एक संस्कृत स्तोत्र है जो राहु देव की स्तुति में गाया जाता है। राहु एक छाया ग्रह है और वह ऋषि कश्यप और एक राक्षसी सिंहिमुखी का पुत्र है। उसका जन्म सर्प के सिर के साथ हुआ था। जब मोहिनी (भगवान विष्णु का स्त्री रूप) देवताओं को अमृत वितरित कर रही थी, तब राहु देवों की पंक्ति में शामिल हो गए और अमृत पी लिया। सूर्य और चंद्रमा ने यह देखा और भगवान विष्णु को सूचित किया। भगवान विष्णु ने उन्हें दो भागों में काट दिया। जिस भाग में सिर था उसे राहु और जिस भाग में सिर नहीं था उसे केतु कहा जाता है। दोनों भाग जीवित रहे और पृथ्वी के चारों ओर वामावर्त दिशा में परिक्रमा करने लगे। राहु शनि ग्रह द्वारा उत्पन्न सभी समस्याओं को उत्पन्न करता है।

राहु स्तोत्र स्कंद पुराण से लिया गया है। इस स्तोत्र के ऋषि वामदेव हैं। छंद गायत्री है। राहु स्तोत्र के देवता राहु हैं। राहु स्तोत्र को प्रसन्न करने के लिए इसका पाठ करना चाहिए। राहु स्तोत्र में राहु के 25 नाम समाहित हैं। वामदेव ऋषि ने राहु की स्तुति करने के लिए और लोगों के लाभ के लिए राहु स्तोत्र लिखा है। यदि हमारी राशि में राहु मंगल, शनि, सूर्य, चंद्रमा या हर्षल के साथ है तो हमें पारिवारिक जीवन, सेवा में उच्च पद, व्यवसाय, पेशा, शक्ति, शिक्षा, संतान और स्वास्थ्य जैसे कई क्षेत्रों में बहुत कष्ट हो सकता है। इन कठिनाइयों को दूर करें और सुखी बनें।

एक अनुकूल राहु किसी को भी सफलता प्राप्त करने और बहुत तेजी से पैसा कमाने में मदद करता है। मित्रवत हों, यह बीमारी और शारीरिक विकारों के दौरान बहुत फायदेमंद हो सकता है। स्मरण आपको तुरंत आपकी गरीबी की स्थिति से उभरने में मदद करता है और किसी भी भौतिक इच्छा जैसे चलना, वाहन खरीदना, आभूषण और अन्य संपत्ति के रूप में मदद करता है।
 

राहु मंत्र का जाप कब करना चाहिए ? Rajhu Ka Jaap Kab Karana Chahiye

राहु को दृढ करने के लिए जातक को राहु बीज मन्त्र का जाप करना श्रेष्ठ होता है। राहु का बीज मन्त्र निचे दिया गया है जिसका १०८ बार जाप करना लाभकारी होता है।

राहु बीज मंत्र -
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।

राहु बीज मन्त्र का जाप कैसे करें ? Rahu Beej Mantra Ka Jaap Kaise Karen ?

राहु बीज मन्त्र का जाप शुद्ध अवस्था में नित्य रात्रि के समय 108 बार जाप करना लाभकारी होता है। 
 
जानिए क्या है राहु स्त्रोतम और इसके जाप के फायदे :

जो भी उपरोक्त स्तोत्र का पाठ करता है उसे हमेशा सौ वर्ष का लंबा जीवन प्राप्त होता है। राहु को प्रसन्न करने के लिए इस स्तोत्र का पाठ किसी को भी करना होता है। हालाँकि व्यक्ति को उपरोक्त वर्णित लाभों को पुनः प्राप्त करने के लिए विश्वास, एकाग्रता और भक्ति के साथ प्रतिदिन इस स्तोत्र का पाठ करना होता है। राहु को नौ ग्रहों में से एक स्थान दिया गया है
ज्योतिष की दुनिया पर राज करने वाले नौ ग्रहों में से राहु को एक स्थान दिया गया है। राहु की विशेषताओं में अनियंत्रित वृद्धि, ज्ञान की कमी, घमंड और उग्र भौतिकवाद शामिल हैं।
राहु को सांप के सिर और राक्षसी शरीर के साथ दर्शाया गया है। उनके बारे में कहा जाता है कि वह एक शेरनी से पैदा हुए थे और उनके दुश्मनों के खिलाफ योजना बनाने और साजिश करने की असाधारण शक्तियां थीं। वास्तव में, यह कहा जाता है कि वह सूर्य और चंद्रमा को समय-समय पर ग्रहण के दौरान निगलता है और उन्हें एक बार फिर से जारी करता है। राहु को एक आक्रामक चेहरे, विशाल मूंछों और गुस्से में लाल लाल आंखों के साथ दिखाया गया है
राहु स्तोत्र को स्कन्द पुराणा के अन्तर्गतम् से लिया गया हैं ! जब किसी भी जातक की कुंडली में राहू ग्रह नीच का होकर या गोचर में बुरा प्रभाव दे रहा हो या राहू ग्रह की दशा और अन्तर्दशा में बुरा फ़ल दे तो दिए गये राहू स्तोत्र का रोजाना जाप करने से राहू सम्बन्धित हो रही परेशानी से निजात मिलेगा ! राहू स्तोत्र का रोजाना पाठ करने से राहू ग्रह अपना बुरा प्रभाव छोड़कर अच्छा फ़ल देने लग जाता हैं
राहु एक असुर (अन्य ग्रहों के विपरीत) और ऋषि कश्यप के पुत्र और सिम्हिका नामक एक औगर है। उनका जन्म सर्प सिर के साथ हुआ था। जब मोहिनी (भगवान विष्णु का स्त्री रूप) देवताओं को अमृत वितरित कर रही थी, तो राहु ने पंक्ति में प्रवेश किया और अमृत खाया। इसे देखने वाले सूर्य और चंद्रमा ने भगवान विष्णु को इस बारे में सूचित किया। भगवान विष्णु ने उसे दो टुकड़ों में काट दिया। जिस टुकड़े में सिर था उसे राहु के नाम से जाना जाता है। बिना सिर वाला टुकड़ा केथू के नाम से जाना जाता है। दोनों टुकड़ों ने पृथ्वी को एक-दूसरे के विपरीत तरीके से जीना और घेरना जारी रखा। राहु ग्रह शनि द्वारा बनाई गई सभी समस्याओं को पैदा करता है। 
 
राहु स्तोत्र/Rahu Stotra
राहुर्दानवमंत्री च सिंहिकाचित्तनन्दन:। अर्धकाय: सदा क्रोधी चन्द्रादित्य विमर्दन: ।।1।।
रौद्रो रूद्रप्रियो दैत्य: स्वर्भानु र्भानुभीतिद:। ग्रहराज सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुक: ।।2।।
कालदृष्टि: कालरूप: श्री कण्ठह्रदयाश्रय:। बिधुंतुद: सैंहिकेयो घोररूपो महाबल: ।।3।।
ग्रहपीड़ाकरो दंष्टो रक्तनेत्रो महोदर:। पंचविंशति नामानि स्म्रत्वा राहुं सदानर: ।।4।।
य: पठेन्महती पीड़ा तस्य नश्यति केवलम्। आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ।।5।।
ददाति राहुस्तस्मै य: पठेत स्तोत्र मुत्तमम्। सततं पठेत यस्तु जीवेद्वर्षशतं नर: ।।6।।
राहु एक छाया ग्रह है, जिसका अर्थ है कि यह वास्तविक ग्रह नहीं है, बल्कि सूर्य और चंद्र के परिक्रमा पथों के चौराहे पर एक बिंदु है। राहु को अक्सर एक सर्प के सिर के रूप में चित्रित किया जाता है, जो एक रथ पर सवार है और आठ कुत्तों द्वारा खींचा जा रहा है।

राहु को नवग्रह में से एक माना जाता है, जो ज्योतिष में नौ महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक है। राहु को अक्सर एक अशुभ ग्रह माना जाता है, क्योंकि यह ग्रहण का कारण बनता है। हालांकि, राहु को एक शक्तिशाली ग्रह भी माना जाता है, जो अप्रत्याशित घटनाओं और अवसरों को ला सकता है।

राहु के बारे में एक लोकप्रिय कथा है कि वह एक राक्षस था जिसने देवताओं से अमृत चुराने का प्रयास किया था। भगवान विष्णु ने उसे सुदर्शन चक्र से काट दिया, लेकिन उसका सिर बच गया और राहु बन गया। राहु अब सूर्य और चंद्रमा से घृणा करता है, और वह उन्हें ग्रहण करके बदला लेना चाहता है।

राहु का ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण स्थान है। राहु की स्थिति किसी व्यक्ति के जीवन में कई कारकों को प्रभावित कर सकती है, जिनमें शामिल हैं:
  • भाग्य और नियति
  • अचानक घटनाएं और अवसर
  • छाया व्यक्तित्व
  • गुप्त ज्ञान और रहस्य
राहु एक शक्तिशाली ग्रह है जिसे समझना और उसका उपयोग करना महत्वपूर्ण है।

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राहु स्तोत्र: सरल व्याख्या, लाभ और पाठ विधि

राहु स्तोत्र एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जिसे पढ़ने से राहु के अशुभ प्रभाव शांत हो जाते हैं। राहु, ज्योतिष शास्त्र में एक छाया ग्रह है, जो जीवन में समस्याएं, मानसिक तनाव और असफलता का कारण बन सकता है। राहु स्तोत्र का पाठ न केवल इन समस्याओं को दूर करता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख और समृद्धि भी लाता है।

आइए, इस लेख में राहु स्तोत्र का सरल अर्थ, इसके पाठ के लाभ और विधि को विस्तार से समझते हैं।

राहु स्तोत्र का महत्व

राहु को हिंदू धर्म और ज्योतिष में ग्रहों के राजा के रूप में जाना जाता है। इसका प्रभाव जीवन के हर पहलू पर पड़ता है, जैसे स्वास्थ्य, धन, रिश्ते और करियर। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु अशुभ स्थिति में हो, तो यह जीवन में कई बाधाएं पैदा कर सकता है। ऐसे में राहु स्तोत्र का पाठ इन समस्याओं से बचाव का उपाय है।

राहु स्तोत्र का सरल अर्थ

श्लोक 1:
“राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः।
अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः॥”

अर्थ:
राहु को दानवों का मंत्री कहा गया है और वह अपनी माता सिंहिका का प्रिय है। राहु का शरीर आधा है, और वह हमेशा क्रोधित रहता है। वह चंद्रमा और सूर्य को ग्रहण करने की शक्ति रखता है।

श्लोक 2:
“रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः।
ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः॥”

अर्थ:
राहु का स्वभाव उग्र है, और वह भगवान शिव (रुद्र) को प्रिय है। वह ग्रहों का राजा है और अमृत पान कर अमर हो गया है। राहु की इच्छा है कि वह सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण करे।

श्लोक 3:
“कालदृष्टिः कालरुपः श्रीकष्ठह्रदयाश्रयः।
विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररुपो महाबलः॥”

अर्थ:
राहु समय का प्रतीक है और उसे कालरूप कहा गया है। वह सिंहिका का पुत्र है, जिसका स्वरूप भयावह है और शक्ति अपार है।

श्लोक 4:
“ग्रहपीडाकरो द्रंष्टी रक्तनेत्रो महोदरः।
पञ्चविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदा नरः॥”

अर्थ:
राहु ग्रहों में अशांति उत्पन्न करने वाला है। उसके नेत्र लाल हैं और शरीर विशाल है। जो व्यक्ति राहु के 25 नामों का स्मरण करता है, उसे इसके बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

श्लोक 5:
“यः पठेन्महती पीडा तस्य नश्यति केवलम्।
विरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा॥”

अर्थ:
जो व्यक्ति राहु स्तोत्र का पाठ करता है, उसकी सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। उसे स्वास्थ्य, श्रेष्ठ संतान, धन, अनाज और पशुधन का आशीर्वाद मिलता है।

श्लोक 6:
“ददाति राहुस्तस्मै यः पठते स्तोत्रमुत्तमम्।
सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नरः॥”

अर्थ:
राहु स्तोत्र का नियमित पाठ करने से राहु प्रसन्न होते हैं। यह स्तोत्र व्यक्ति की आयु बढ़ाता है और उसे लंबा और सुखमय जीवन प्रदान करता है।

राहु स्तोत्र पाठ के लाभ

नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति: राहु के कारण होने वाली परेशानियां, जैसे मानसिक तनाव, करियर में बाधा और स्वास्थ्य समस्याएं, कम हो जाती हैं।
धन और समृद्धि: राहु स्तोत्र का पाठ व्यक्ति के जीवन में आर्थिक स्थिरता और संपन्नता लाता है।
रिश्तों में सुधार: यह स्तोत्र पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को मजबूत करता है।
संतान सुख: इसका पाठ करने से उत्तम और गुणवान संतान की प्राप्ति होती है।
ग्रहण के समय सुरक्षा: ग्रहण के दौरान राहु स्तोत्र का पाठ मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करता है।
आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से उन्नत करता है और उसे आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।

राहु स्तोत्र पाठ विधि

  • पाठ का समय: राहु स्तोत्र का पाठ बुधवार या शनिवार को करना शुभ माना जाता है।
  • स्नान और स्वच्छता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • दीप प्रज्वलन: राहु के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं।
  • शांति और ध्यान: शांत मन से पाठ करें और राहु से कृपा की प्रार्थना करें।
  • नियमितता: रोजाना या कम से कम सप्ताह में एक बार इसका पाठ करना अधिक लाभकारी है।
राहु के 25 नामों का स्मरण करना भी राहु के अशुभ प्रभावों को कम करता है- राहुः, सैंहिकेयः, ग्रहपीडाकरः, रक्तनेत्रः, महोदरः, कालदृष्टिः, कालरुपः, रौद्रः, रुद्रप्रियः, दानवमंत्री, चंद्रादित्यविमर्दक, ग्रहराजः, सुधापायी, राकातिथ्यभिलाषुक, श्रीकष्ठह्रदयाश्रय, विधुंतुद, महाबलः, घोररूपः, स्वर्भानु, भानुमीतिदः।

राहु स्तोत्र एक शक्तिशाली उपाय है, जो राहु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक है। इसे सच्चे मन और नियमितता के साथ पढ़ने से मनुष्य के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। राहु स्तोत्र का पाठ हर व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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