कबीरदास जी के भजन "सत्य नाम" में, वे अपने भक्तों को सत्य नाम का सुमिरन करने के लिए कहते हैं। सत्य नाम ईश्वर का नाम है। कबीरदास जी कहते हैं कि हमें अपने सांसारिक जीवन में व्यस्त होने के बजाय, सत्य नाम का सुमिरन करना चाहिए। भजन के पहले दो लाइन में, कबीरदास जी कहते हैं कि हमें सत्य नाम का सुमिरन करना चाहिए क्योंकि कल हमें नहीं पता कि क्या होगा। जीवन अनिश्चित है, और हम कभी भी इस दुनिया से जा सकते हैं। इसलिए, हमें अपने जीवन का उपयोग सत्य नाम का सुमिरन करने के लिए करना चाहिए।
सत्य नाम, सत्य नाम,
सत्य नाम बोलो सत्य नाम,
सत्य नाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होय
जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय
सत्य नाम का सुमिरन कर ले रे।
जेहि कारन तू जग में आया,
वो नहिं तूने कर्म कमाया,
मन मैला का मैला तेरा,
काया मल मल धोये,
जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय
सत्य नाम का सुमिरन कर ले रे।
दो दिन का है रैन बसेरा,
कौन है मेरा कौन है तेरा,
हुवा सवेरा चले मुसाफिर,
अब क्या नयन भिगोय
जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय
सत्य नाम का सुमिरन कर ले रे।
गुरू का शबद जगा ले मनमें
चौरासी से छूटे क्षन में
ये तन बार बार नहिं पावे
शुभ अवसर क्यों खोय
जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय
सत्य नाम का सुमिरन कर ले रे।
ये दुनिया है एक तमाशा
कर नहिं बंदे इसकी आशा
कहै कबीर, सुनो भाई साधो
सांई भजे सुख होय
सत्य नाम बोलो सत्य नाम,
सत्य नाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होय
जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय
सत्य नाम का सुमिरन कर ले रे।
जेहि कारन तू जग में आया,
वो नहिं तूने कर्म कमाया,
मन मैला का मैला तेरा,
काया मल मल धोये,
जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय
सत्य नाम का सुमिरन कर ले रे।
दो दिन का है रैन बसेरा,
कौन है मेरा कौन है तेरा,
हुवा सवेरा चले मुसाफिर,
अब क्या नयन भिगोय
जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय
सत्य नाम का सुमिरन कर ले रे।
गुरू का शबद जगा ले मनमें
चौरासी से छूटे क्षन में
ये तन बार बार नहिं पावे
शुभ अवसर क्यों खोय
जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय
सत्य नाम का सुमिरन कर ले रे।
ये दुनिया है एक तमाशा
कर नहिं बंदे इसकी आशा
कहै कबीर, सुनो भाई साधो
सांई भजे सुख होय
सत्य नाम, सत्य नाम,
सत्य नाम बोलो सत्य नाम,
सत्य नाम का सुमिरन कर ले,
कल जाने क्या होय
जाग जाग नर निज आश्रम में,
काहे बिरथा सोय
सत्य नाम का सुमिरन कर ले रे।
Satya nam ka sumiran karle सत्यनाम का सुमिरन करले स्वर- दिलीपदास मानिकपुरी
- थारा रंग महल में अजब शहर में Thara Rang Mahal Me Ajab Shahar Me
- मैं केही समझांऊं सब जग अंधा Main Kehi Samjhaau Sab Jag Andha Hindi Meaning
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Author - Saroj Jangir
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