कब्ज दूर करने की आयुर्वेदक ओषधियाँ Ayurvedic Medicine to Treat Constipation Hindi

कब्ज दूर करने की आयुर्वेदक ओषधियाँ Ayurvedic Medicine to Treat Constipation, Patanjali Medicine to Cure Constipation

हमारे शरीर की सभी गतिविधियां बिगड़ जाती हैं यदि पाचन ठीक नहीं है और इसलिए हमें सबसे पहले हमारे पेट पर ध्यान देना चाहिए। पाचन तंत्र के सुदृढ़ होने पर पोषक तत्वों का शरीर में संग्रह होता है और व्यक्ति कई प्रकार की अन्य बिमारियों से बचा हुआ रहता है। हम कुछ तो हमारे खाने पिने की आदतों में बदलाव करके और कुछ आयुर्वेदा की शरण में जाकर अपने पाचन को मजबूत बना सकते हैं। कोशिश तो हमें ही करनी होगी। 
 
कब्ज दूर करने की आयुर्वेदक ओषधियाँ Ayurvedic Medicine to Treat Constipation Hindi

आप गौर कीजिये की पित्त के ख़राब होने पर कितने रोग लग जाते हैं और पित्त का सबंध सीधे सीधे हमारे पेट से है, तो पाचन पर ध्यान देना जरुरी है। सर्वप्रथम तो आप वैद्य से संपर्क करें जो आपके शरीर की प्रकृति के अनुसार आपको दवाओं का सुझाव देगा। यहाँ हम पतंजलि आयुर्वेदा के द्वारा निर्मित पाचन को सुधारने सबंधी दवाओं के बारे में आपको बता रहे हैं जो की एक सामान्य जानकारी है।

कब्ज क्या होता है

कब्ज सूक्ष्म भी होता है और वृहद भी। वृहद कब्ज को आप ऐसे समझिये की समय पर मल का नहीं लगना, मल का अधिक ठोस या तरल होना, गैस, अजीर्ण, बदहजमी आदि। सूक्ष्म कब्ज से अभिप्राय है की मल त्याग तो हो रहा है लेकिन पूर्णतया नहीं। मल का कुछ भाग आँतों में पड़ा रह जाता है और गैस पैदा करता है। मल का कम आना और अनियमित आना भी कब्ज ही कहा जायेगा।

कब्ज के कारण

कब्ज सामान्यतया हमारे शरीर की प्रकृति के विरुद्ध खान पान की वजह से होता है। कब्ज के निम्न प्रमुख कारण होते हैं।
  • आहार में फाइबर की कमी का होना।
  • शारीरिक मेहनत का अभाव होना।
  • बढ़ती उम्र के कारन कब्ज का होना।
  • ज्यादा मसालेदार और तैलीय प्रदार्थों का सेवन करना।
  • अनियमित दिनचर्या और समय पर शौच न जाना।
  • दवाओं का अत्यधिक सेवन करना।
  • प्रयाप्त मात्रा में पानी न पीना।
  • गर्भावस्था के दौरान कब्ज का होना।
  • मानसिक तनाव और चिंता करना।
  • प्रयाप्त नींद की कमी।
  • अस्त व्यस्त जीवन शैली का होना
कब्ज के कारण
  • कम फाइबर का सेवन: फाइबर मल को नरम और आसानी से गुजरने में मदद करता है। फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और नट्स शामिल हैं।
  • पर्याप्त पानी न पीना: पानी मल को नरम करने में भी मदद करता है।
  • पर्याप्त व्यायाम न करना: व्यायाम आंतों को मल को आगे बढ़ाने में मदद करता है।
  • दवाएं: कुछ दवाएं, जैसे दर्द निवारक और एंटीडिपेंटेंट्स, कब्ज का कारण बन सकती हैं।
  • अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियां: कब्ज कुछ अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों का लक्षण हो सकता है, जैसे कि हाइपोथायरायडिज्म, पार्किंसंस रोग और मल्टीपल स्केलेरोसिस।

कब्ज के कारण अन्य विकारों का जोखिम

कब्ज के कुछ जोखिम निम्नलिखित हैं:
  1. बवासीर: कब्ज के कारण मल त्याग के दौरान जोर लगाने की आवश्यकता होती है, जिससे बवासीर हो सकती है। बवासीर गुदा या मलाशय के आसपास सूजन या उभरे हुए मांस के टुकड़े होते हैं।
  2. एनल फिशर: एनल फिशर एक छोटा आंसू होता है जो गुदा में होता है। कब्ज के कारण मल त्याग के दौरान दबाव पड़ने से एनल फिशर हो सकता है।
  3. मलाशय की दीवारों का उभार: कब्ज के कारण मलाशय की दीवारें बाहर निकल सकती हैं। यह स्थिति मलाशय की दीवारों को नुकसान पहुंचा सकती है और संक्रमण का कारण बन सकती है।
  4. गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं: कब्ज कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है, जैसे कि पाचन तंत्र में रुकावट, गुदा कैंसर, और हार्मोनल असंतुलन।
कब्ज के जोखिम को कम करने के लिए, स्वस्थ आहार खाना और नियमित रूप से व्यायाम करना महत्वपूर्ण है। पर्याप्त फाइबर और पानी का सेवन करने से मल नरम हो जाता है और इसे आसानी से बाहर निकाला जा सकता है।

कब्ज के लिए आयुर्वेद जड़ी-बूटियाँ

  • स्वर्णपत्री (सेन्ना): यह एक रेचक है जो आंतों को उत्तेजित करके मल त्याग को प्रोत्साहित करता है।
  • अरग्वधा (प्यूर्जिंग कैसिया): यह एक हल्की रेचक है जो पित्त को बढ़ावा देता है और पाचन में सहायता करता है।
  • मेथी: यह फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, जो मल को नरम और आसानी से निकलने में मदद करता है।
  • आंवला: यह विटामिन सी और फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, जो पाचन में सुधार करने और कब्ज को रोकने में मदद कर सकता है।
  • अदरक: यह पाचन में सहायता करता है और कब्ज से राहत देता है।
  • इसबगोल: यह एक प्रकार का फाइबर है जो मल में मात्रा बढ़ाता है और मल त्याग को प्रोत्साहित करता है।
  • गंधर्वहस्ता (अरंडी): यह एक शक्तिशाली रेचक है जो बृहदान्त्र को उत्तेजित करता है।
  • हरीतकी: यह वात को संतुलित करता है और पाचन में सहायता करता है।
  • अजवाइन: यह पाचक रसों के उत्पादन को उत्तेजित करता है और कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है।
  • त्रिवृत: यह एक विरेचक है जो बवासीर के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करता है।

कब्ज के लक्षण एवं संकेत

कब्ज एक ऐसी स्थिति है जिसमें मल त्यागने में कठिनाई होती है। यह एक सामान्य समस्या है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है।
  • सप्ताह में तीन बार से कम मल त्याग करना
  • सूखा, कठोर मल आना
  • मल त्यागने के लिए जोर लगाना
  • ऐसा महसूस होना मानो आपने अपनी आंतें पूरी तरह से खाली नहीं की हैं
  • ऐसा महसूस होना जैसे आपके मलाशय में कोई रुकावट है
  • अपने मलाशय को खाली करने के लिए सहायता की आवश्यकता है - जैसे पेट पर दबाव डालना

कब्ज को कैसे दूर करें

कब्ज से सबंधित आयुर्वेदि ओषधियों के बारे में जानने से पहले आप स्वंय क्या कर सकते हैं इसके बारे में जानना अधिक श्रेयकर होता है। आइये जानते हैं की आप ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे कब्ज की समस्या में सुधार हो पाए।
  • भोजन में हरी सब्जियों का प्रयोग ज्यादा करें।
  • फाइबर युक्त आहार लें। मैदा और महीन पीसे हुए अनाज के सेवन में सतर्क रहे।
  • खाना खाने के थोड़ी देर बाद टहलें।
  • दिन में प्रयाप्त मात्रा में पानी पिए।
  • शारीरिक मेहनत करें।
  • स्ट्रेस मैनेजमेंट करें और खुश रहें।
  • समय पर शौच जाएँ और मूत्र / मल को कभी रोकें नहीं।
  • खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पिए।
  • ताजे फल और सब्जियों का उपयोग अधिक करें।
  • डिब्बाबंद भोजन से दूर रहें। 

कब्ज दूर करने के लिए आयुर्वेदिक दवा

यहाँ कुछ सामान्य दवाओं का परिचय दिया जा रहा है जिनमे आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर तत्वों को सम्मिलित किया गया है और इनका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है। यदि आपको कब्ज /पुराना कब्ज है तो वैद्य की सलाह में उपरान्त आप इन दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।

त्रिफला चूर्ण

त्रिफला वात, कफ्फ, और पित्त को शांत करके उन्हें स्थिर अनुपात में रखता है। त्रिफला चूर्ण के अनेकों विधियों से सेवन क्या जाता है। जिस विधि से इसे लिया जाता है उसी के अनुसार इसके परिणाम प्राप्त होते हैं। त्रिफला के चूर्ण को रात को खाना खाने के बात आधे घंटे के बाद गुनगुने पानी के साथ (एक चम्मच-5 ग्राम) लिया जाय तो यह गैस, अपच, खट्टी डकार, कब्ज का अंत करता है। सुबह पेट सही से साफ़ हो जाता है। कब्ज स्वंय कई बिमारियों का जनक होता है। कब्ज के कारण मुंह में छाले, स्वाद का बेस्वाद होना, अल्सर आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं। फाइबर के कारण मल त्यागने में आसानी होती है और मल ढीला लगता है। आँतों के अंदरूनी सतहों को साफ़ करता है और वर्षों से चिपके कचरे को शरीर से बाहर निकालता है। सामान्यतयः हम समझते हैं की हमें मल सही से लग रहा है लेकिन वर्तमान में प्रचलित खाद्य प्रदार्थों के कारण आँतों की सही से सफाई नहीं हो पाती है। आँतों की सतहों पर चिपके अपशिष्ट के कारण भोजन से पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा पहुचती है, त्रिफला चूर्ण सतह पर जमे मल को साफ़ कर देता है। (अधिक जाने : त्रिफला चूर्ण क्या है, त्रिफला के लाभ और सेवन विधि )

त्रिफला चूर्ण कैसे लें
रात को खाना खाने के बाद इसका सेवन गुनगुने पानी के साथ करें। इसकी मात्रा या अन्य सेवन विधि के लिए वैद्य से संपर्क करें।

बहेड़ा चूर्ण

बहेड़ा कब्ज दूर करता है और पाचक रस स्त्रावित करता है। यह गैस एसिडिटी, अजीर्ण, खट्टी डकारों को भी शांत करता है। बहेड़ा के उपयोग से आतों की सूजन भी दूर होती है। इनके अलावा बहेड़ा के सेवन से हाथ पैरों की जलन शांत होती है, आखों की रोशनी में सुधार होता है, दमा और गुर्दे के रोगों में लाभदायक, खांसी दस्त, पेशाब की जलन, शारीरिक सूजन को कम करता है। भरड में कई तरह के जैविक योगिक होते हैं जैसे की ग्‍लूकोसाइड, टैनिन, गैलिक एसिड, इथाइल गैलेट आदि जो की बहुत लाभदायी होते हैं। (अधिक जाने : बहेड़ा चूर्ण के लाभ और उपयोग )

शुद्धि चूर्ण

शुद्धि चूर्ण या पतंजलि दिव्य शुध्दि चूर्ण एक आयुर्वेदिक दवा (चूर्ण ) है जो पेट के विकारों के लिए उपयोगी है। यह पाचन से सबंधित विकारों को दूर करता है यथा गैस, अजीर्ण, खट्टी डकार, क्रोनिक कब्ज आदि। यह आँतों की सफाई करने का श्रेष्ठ चूर्ण है। इसमें मिलाई गयी सामग्री आयुर्वेदिक हर्ब है जो कब्ज जनित व्याधियों को दूर करने का असरदार माध्यम हैं। (अधिक जाने : शुद्धि चूर्ण क्या है, शुध्दि चूर्ण के घटक, लाभ और उपयोग )

गैस हर चूर्ण

गैस की समस्या किसी स्वास्थ्य के कारण से भी हो सकती है और हमारी लापरवाह और गलत जीवन शैली के कारण से भी हो सकती है। शारीरिक गतिविधियों का अभाव, खान पान की लापरवाही, आदि कई करण है जिनकी वजह से पेट के विकार पैदा होते हैं। ओषधि अपनी जगह है लेकिन किसी से ग्रस्त व्यक्ति को अपनी जीवन शैली में बदलाव करने चाहिए, सुबह शाम के सैर, भोजन का चयन आदि कई ऐसे तरीके हैं जिनसे हम अपनी

आदतों में सुधार करके इस व्याधि से छुटकारा पा सकते हैं। पतंजलि चिकित्सालय में आप अपनी जांच करवा सकते हैं और यह जाने की आपका शरीर की प्रवृति का है। उसके उपरांत निर्णय लें की आपके खाने पीने में किन चीजों को जोड़ना है और किनका सेवन नहीं करना है। (अधिक जाने : गैस हर चूर्ण क्या है, लाभ और उपयोग )

विशेष : आप अपनी प्रकृति के अनुसार इन दवाओं का सेवन करें जो आपको वैद्य ही बता सकता है। कब्ज की बीमारी के लिए आप पतंजलि के स्टोर पर बैठने वाले वैद्य से इस बारे में दिशा निर्देश प्राप्त करें।

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Disclaimer : इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी https://lyricspandits.blogspot.com की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है। अस्वीकरण सबंधी विस्तार से सूचना के लिए यहाँ क्लिक करे।
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
 
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