गाय के घी को नाक में डालने के फायदे Gaay Ke Ghee Ke Fayde
जब बात गाय की और उसके घी की होती है तो उल्लेखनीय है की गाय से तात्पर्य देसी गाय से है। देसी गाय या नस्ल मतलब जिस गाय के गले में लटकन होती है, उसके घी के फायदे अनगिनत होते हैं। सबसे पहले तो आप यह अच्छे से जान लीजिये की देसी गाय के विषय पर भी घाल मेल हो रहा है। बाजार में उपलब्ध "देसी गाय का घी" वास्तव में देसी गाय का है या नहीं, ये एक बहुत ही गंभीर विषय है। पहले आप यह समझ लीजिये की देसी गाय के घी की मांग के मुताबिक देसी गाय / देसी गाय का घी क्या उपलब्ध है ?
जब हम यह सुनते हैं की विदेशों से गायों के दूध का पाउडर आयात करके उसे भारत में दुबारा प्रोसेस करके उससे घी बनाया जाता है तो यह विषय विचार करने योग्य है। भारत में ऐसा कोई कानून मेरी समझ में नहीं है जो यह घोषित करे की बाजार में बिकने वाले देसी गाय के घी को सुनिचित करे की उसमे १०० प्रतिशत भारत की गाय और उसकी नस्लों की गायों के ही दूध का उपयोग किया गया है ना की जर्सी गाय के दूध का। यदि गुण प्राप्त करने हैं, लाभ लेने हैं तो देसी गाय का ही घी सबसे उपयोगी है बाकी आप स्वंय समझदार हैं की ये नस्लों का क्या घालमेल हैं। आयुर्वेद में देसी गाय के घी को अमृत के समान बताया गया है। अब जान लेते हैं की देसी गाय होती कौनसी है उसके लक्षण क्या हैं। घी जितना पुराना होता है उतना ही लाभदायक होता है इसलिए आप भी घी स्टोर कीजिये। चरक ऋषि के अनुसार उधार लेकर भी घी का सेवन करना चाहिए, ये घी की महिमा ही है।
देसी गाय की पहचान : देसी गाय की पहचान बहुत ही सरल है।
- जिस गाय के हंप है, कूबड़, थुआ, खान्दा हो वह देसी गाय है।
- जिस देसी गाय के गले में लटकन हो, कामल, गलकामल, झालर है वो श्रेष्ठ देसी नस्ल की गाय है।
- देसी गाय की सभी नस्लों के सींग का आकर अलग अलग होता है।
- देसी गाय की आंत बड़ी होती है बनिस्पत जर्सी गाय के।
- देसी गाय शुद्ध और साफ़ जगह पर ही बैठती है, अशुद्ध जगह पर नहीं बैठती है जबकि जर्सी गाय कहीं भी बैठ जाती है।
- जर्सी गाय अपने बछड़े की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देती है जबकि देसी गाय का पूरा ध्यान अपने बछड़े पर रहता है। जर्सी गाय का ध्यान अपने बछड़े पर कम रहता है।
- देसी गाय की आँखों में आपको ममता दिखाई देगी.
- बढे हुए तापमान पर देसी गायों की सांस नहीं फूलती है जबकि विदेशी नस्ल की गायें हांफने लग जाती हैं।
- देसी गाय का सबसे बड़ा गुण है वात्सल्य, वह अपने बच्चे को बहुत प्रेम करती है। अपने बच्चे को खतरे में देख कर आक्रामक हो जाती है जबकि जर्सी गाय का अपने बच्चे से लगाव नहीं करती है।
- देसी गाय ऊंचाई पर चढ़ जाती है जबकि जर्सी चढ़ाई पर चढ़ नहीं पाती है, सही मायने में उसे चलना भी किसी आफत से कम नहीं लगता है चढ़ाई तो दूर की बात है।
- सूर्यास्त होने के बाद देसी गाय खाना खाती है जबकि जर्सी कभी भी खा सकती है। देसी गाय का भोजन ग्रहण करने का नियत वक़्त होता है जबकि जर्सी गाय को रात दिन कभी भी खाने को दो खाने लग जायेगी।
- स्वदेशी देसी गाय का बछड़ा अपनी माँ को पहचानता है जबकि जर्सी गाय का बछड़ा अपनी माँ को नहीं पहचान सकता है या कम पहचान कर पाता है।
- देसी गाय जर्सी के मुकाबले ज्यादा बार माँ बन सकती है।
घी खाने का सही तरीका और घी के फायदे | A Yogic Superfood for Better Digestion | Sadhguru Hindi
नस्य क्या है : आयुर्वेद में नाक के माध्यम से जो भी इलाज किया जाता है उसे नस्य कहा जाता है।
गाय के घी फायदे Benefits of Cow's Ghee
गाय के घी को नाक में डालने से लाभ : वैसे तो गाय के घी के बहुत सारे लाभ होते हैं लेकिन यहाँ हम जानेंगे की गाय के घी को नाक में डालने के क्या लाभ हैं और उसका तरीका क्या है। गाय के देसी घी के कई लाभ हमारे बड़े बुजुर्गों ने बताये हैं। आयुर्वेद में घी की प्रकृति ठंडी बताई गयी है और इसे 'विष नाशक' बताया गया है। विष कैसे भी हों जैसे आजकल पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान में भी गंगानगर, हनुमानगढ़ आदि इलाकों में यूरिआ, स्प्रे आदि का इस्तेमाल अधिक फसल प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है। यही हाल सब्जियों का भी है। शहर के गंदे पानी से उपजी सब्जियां कहाँ तक लाभ देंगी आप स्वंय सोच सकते हैं। घी से इनके विष को कुछ हद तक दूर किया जा सकता है और इसके अलावा यह ब्रेन को भी मजबूत बनाता है। आयुर्वेद में घी को अमृत का दर्जा दिया गया है। चरक ऋषि ने उन्माद और अपस्माद के लिए घी के प्रयोग को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। गले से ऊपर के हिस्से के सभी विकार हम घी के माध्यम से दूर कर सकते हैं।
आइये जानते हैं की दो बून्द गाय के घी आपके स्वास्थ्य में क्या बदलाव कर सकता है।
'नासा ही सिरसों द्वारम' अर्थात नाक ही शरीर का द्वार है। ब्रेन तक पहुंचने का द्वार नाक ही है। कॉलर बोन की सभी बिमारियों को नाक में घी डाल कर इसका उपयोग किया जा सकता है। आयुर्वेद के पंचकर्म में नश्य कहा जाता है। नाक में डाले गए घी का सीधा लाभ मस्तिष्क को प्राप्त होता है।
गाय के घी का प्रयोग जब नाक के माध्यम से होता है तो चिंता और तनाव का भी इलाज होता है। आयुर्वेद में गाय के घी का नाक के माध्यम से प्रयोग को श्रेष्ठ बताया गया है। यह मस्तिष्क का पोषण करता है और उसे शांत करता है। जिनके सर दर्द और माइग्रेन की समस्या रहती है उन्हें रात को सोने से पहले नाक में दो बून्द डालने से पुराने सरदर्द और माइग्रेन में आराम मिलता है।
- मस्तिष्क की ताकत बढ़ाने के लिए : इससे आचर्यजनक रूप से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- अनिंद्रा और तनाव घटता है।
- बाल झड़ना, असमय सफ़ेद होना जैसे रोगों के लिए नाक में घी डालना फायदेमंद रहता है।
- बढ़ती उम्र के साथ स्मरण शक्ति का ह्रास को यह रोकता है।
- थाइराइड में इसके सकारात्मक लाभ मिलते हैं।
- नस्य से वात रोगों में लाभ मिलता है।
- दांत दर्द, ढीले मसूड़ों के समस्या में लाभदायी।
- टॉन्सिल्स में फायदेमंद होता है।
- गर्दन के दर्द में प्रभावी होता है।
- आखों से सबंधित विकारो में लाभदायक।
- हकलाहट में लाभदायी होता है।
- कानों की समस्या में प्रभावी।
- गले में खरांस, सूखे गले की समस्या में लाभदायक।
- कैल्शियम के शरीर में अवशोषण में प्रभावी।
- नस्य करने से सीधे मस्तिष्क पर इसका लाभदायक असर होता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
- पागलपन और मिर्गी जैसे रोगों में नाक से घी डालने का परिणाम बहुत अच्छा होता है।
- लकवा रोगों में भी नाक से घी डालने का सकारात्मक परिणाम होता है।
- भांग, शराब और अन्य रोगों से मुक्ति के लिए नाक से घी डालने से लाभ मिलता है।
- एसिडिटी और कब्ज की समस्या दूर होती है।
- कैंसर जैसी भयंकर बिमारी में भी नस्य के सकारात्मक लाभ मिलते हैं।
- एलर्जी और संक्रमण में लाभ मिलता है।
- शारीरिक शक्ति का विकास होता है।
- घी की प्रकृति ठंडी होती है लेकिन शरीर की तेरह प्रकार की अग्नि को जाग्रत करता है।
- नकसीर रोकने में सहायक।
- छींक आने बार बार नाक से पानी आने को रोकता है।
- खर्राटे रोकने में लाभदायी होता है।
- ब्रेन स्ट्रोक, लकवा आदि रोगों में लाभदायी।
नाक में घी कैसे डालें : यदि आपको नाक में घी डालने में असुविधा हो रही हो तो पहले आप अंगुली से नाक में घी लगाना शुरु करे और फिर धीरे धीरे ड्रॉपर की सहायता से नाक में दो बून्द देसी घी डालने की आदत डालें।
Nasya is a therapeutic procedure in Ayurveda that involves the application of medicated oils or herbal preparations through the nasal passages. The nasal passages are considered as the gateway to the head and brain in Ayurveda, and therefore, nasya is believed to have numerous benefits for the entire body.
Some of the benefits of nasya in Ayurveda are:
Some of the benefits of nasya in Ayurveda are:
- Relieves congestion: Nasya is often used to relieve nasal congestion, allergies, and sinusitis by clearing the nasal passages and allowing for better breathing.
- Improves brain function: Nasya is believed to stimulate the brain and improve mental clarity, focus, and concentration.
- Reduces stress and anxiety: Nasya is thought to have a calming effect on the nervous system and can help to reduce stress, anxiety, and tension.
- Improves vision and hearing: Nasya is believed to improve vision and hearing by promoting the health of the eyes, ears, and sinuses.
- Boosts immunity: Nasya is thought to strengthen the immune system and help the body fight off infections and diseases.
- Helps with hair and scalp health: Nasya is believed to nourish and strengthen the hair and scalp, preventing hair loss and promoting healthy hair growth.
- Treats certain neurological disorders: Nasya is also used to treat certain neurological disorders such as paralysis, facial palsy, and tremors.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |