सबसे ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट्स किसमे होते हैं Richest Food Source in Antioxidants
रोग प्रतिरोधक क्षमता एक जटिल तंत्र है जो शरीर को संक्रमण से बचाता है। यह शरीर की रक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हानिकारक जीवों और पदार्थों से लड़ने के लिए काम करती है। एक स्वस्थ आहार जिसमें भरपूर फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन शामिल हों, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है। इन खाद्य पदार्थों में विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। नींद रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए आवश्यक है। जब आप पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, तो आपका शरीर संक्रमण से लड़ने में कम सक्षम होता है। नियमित व्यायाम रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है। व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखने और संक्रमण से लड़ने के लिए आवश्यक एंटीबॉडी और सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने में मदद करता है। आइये जान लेते हैं की किन खाद्य प्रदार्थों में सबसे ज्यादा एंटी ओक्सिडेंट्स होते हैं.
एंटीऑक्सीडेंट्स क्या होता है और हमारे शरीर में इसकी क्या उपयोगिता होती है
एंटी ऑक्सीडेंट्स के बारे में हम रोज सुनते हैं की इनका हमारे शरीर में बहुत सकारात्मक योगदान होता है। आइये जानते हैं की एंटीऑक्सीडेंट्स क्या होते हैं और विशेषज्ञ क्यों बताते हैं हमारे शरीर में इनकी उपयोगिता।
एंटी ऑक्सीडेंट्स : हमारे शरीर में रोज ऑक्सीकरण की प्रक्रिया होती है। हमारे शरीर में पाचन, स्वसन जैसी क्रियाओं में ऑक्सीकरण होता है। ऑक्सीकरण के दौरान कई ऐसे प्रदार्थों का निर्माण होता है जो हमारे शरीर के लिए हानि कारक होते हैं।
इस हानिकारक प्रदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के लिए एंटी ऑक्सीडेंट्स की आवश्यकता होती है। मानव शरीर में कुछ एंटी ऑक्सीडेंट्स तो स्वंय ही बनते हैं जैसे सेल्युलर एंटीऑक्सीडेंट ग्लूथाथियॉन आदि जबकि ज्यादातर एंटीऑक्सीडेंट्स हमें वनस्पतियों से ही लेने पड़ते हैं। बात अगर जानवरों और पेड़ पौधों की होती है तो वे स्वंय अपने शरीर में एंटीऑक्सीडेंट्स का निर्माण करने में सक्षम होते हैं लेकिन हमें वनस्पति और जानवरों पर निर्भर रहना पड़ता है। ज्यादातर एंटी ऑक्सीडेंट्स हमें वानस्पतिक खाद्य प्रदार्थों से प्राप्त हो जाते हैं लेकिन कुछ विशेष एंटी ऑक्सीडेंट्स के लिए हमें जानवरों पर भी निर्भर होता पड़ता है जैसे, मछली, अंडे, मांस आदि। एंटी ऑक्सीडेंट्स ही हमें फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं।
शरीर की क्रियाओं के अतिरिक्त हमारे शरीर में अन्य माध्यमों से भी विषाक्त कण आ जाते हैं जैसे, धूम्रपान, खान पान की आदतें, प्रदुषण आदि। एंटी ऑक्सीडेंट्स मानव शरीर की कोशिकाओं की चैन रिएक्शन को बंद करने में सहायता करता है जो की आख़िरकार में कोशिकाओं को क्षति पहुंचाता है। एंटी ऑक्सीडेंट्स को आप मिनरल्स, विटामिन्स और पोषक तत्वों का एक समूह के रूप में समझ सकते हैं जो की शरीर को विषाक्त कणों से लड़ने की क्षमता देता है। बीटा कैरोटिन, ल्यूटिन लाइकोपिन, फ्लैवोनाइड, लीगनान जैसे एंटीओक्सीडेंट हमारे लिए बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण है। बीटा कैरोटिन, ल्यूटिन लाइकोपिन, फ्लैवोनाइड, लीगनान जैसे एंटीओक्सीडेंट हमारे लिए बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण है। एंटी ऑक्सीडेंट्स हमें कई प्रकार के रोगों से बचाते हैं जैसे कैंसर आदि। ये बढ़ती उम्र के लक्षणों को भी कम करने में सक्षम होते हैं। एंटी ओक्सेंट्स मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं एक तो जिन्हे हमारा शरीर स्वंय बनाता है और दूसरा जिन्हे हम बाह्य प्रदार्थों से प्राप्त करते हैं। हमारा शरीर मुख्यतया रेस्वेराट्रोल ग्लूटेथिओन (Glutathione), अल्फा-लिपोइक (Aplha-lipoic acid) और कोक्यू आदि एंटी ऑक्सीडेंट्स का निर्माण करता है इसके अलावा (Reveratrol), कैरोटीनॉयड (Carotnoids), एस्टैक्सैंटीन (Astaxanthin), विटामिन सी, विटामिन ई, सेलेनियम आदि एन्टिऑक्सेंट्स हमें वनस्पतियों और अन्य माध्यमों से ग्रहण करने पड़ते हैं।
शरीर की क्रियाओं के अतिरिक्त हमारे शरीर में अन्य माध्यमों से भी विषाक्त कण आ जाते हैं जैसे, धूम्रपान, खान पान की आदतें, प्रदुषण आदि। एंटी ऑक्सीडेंट्स मानव शरीर की कोशिकाओं की चैन रिएक्शन को बंद करने में सहायता करता है जो की आख़िरकार में कोशिकाओं को क्षति पहुंचाता है। एंटी ऑक्सीडेंट्स को आप मिनरल्स, विटामिन्स और पोषक तत्वों का एक समूह के रूप में समझ सकते हैं जो की शरीर को विषाक्त कणों से लड़ने की क्षमता देता है। बीटा कैरोटिन, ल्यूटिन लाइकोपिन, फ्लैवोनाइड, लीगनान जैसे एंटीओक्सीडेंट हमारे लिए बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण है। बीटा कैरोटिन, ल्यूटिन लाइकोपिन, फ्लैवोनाइड, लीगनान जैसे एंटीओक्सीडेंट हमारे लिए बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण है। एंटी ऑक्सीडेंट्स हमें कई प्रकार के रोगों से बचाते हैं जैसे कैंसर आदि। ये बढ़ती उम्र के लक्षणों को भी कम करने में सक्षम होते हैं। एंटी ओक्सेंट्स मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं एक तो जिन्हे हमारा शरीर स्वंय बनाता है और दूसरा जिन्हे हम बाह्य प्रदार्थों से प्राप्त करते हैं। हमारा शरीर मुख्यतया रेस्वेराट्रोल ग्लूटेथिओन (Glutathione), अल्फा-लिपोइक (Aplha-lipoic acid) और कोक्यू आदि एंटी ऑक्सीडेंट्स का निर्माण करता है इसके अलावा (Reveratrol), कैरोटीनॉयड (Carotnoids), एस्टैक्सैंटीन (Astaxanthin), विटामिन सी, विटामिन ई, सेलेनियम आदि एन्टिऑक्सेंट्स हमें वनस्पतियों और अन्य माध्यमों से ग्रहण करने पड़ते हैं।
हमारे शरीर में एंटी ऑक्सीडेंट्स के कमी के लक्षण
यदि हमारा भोजन 'बैलेंस्ड' नहीं है तो शरीर में एंटीऑक्सीडेंट्स की कमी होना तय बात है क्योंकि ज्यादातर उपयोगी एंटीऑक्सीडेंट्स हमें ताज़ी सब्जियों, फलों और अन्य खाद्य प्रदार्थों से ही प्राप्त होते हैं, हमारा शरीर को कुछ विशेष प्रकार के ही एंटी ओक्सेंट्स का निर्माण कर पाता है। यदि खान पान का ध्यान नहीं रखा जाता है तो एन्टिऑक्सेंट्स की कमी हो जाती है और जिसके लक्षण है जैसे अकारण थकान और सुस्ती, किसी काम में मन नहीं लगना, चिड़चिड़ा स्वभाव, त्वचा का रंग बदलना, स्मृति का विलोप, बार बार बीमार पड़ना आदि।
एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य प्रदार्थ
आप ने यह तो जान लिया की एंटी ऑक्सिडेंटन्स क्या होते हैं और कैसे ये हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवशयक होते हैं। आइये अब जानते हैं की हमारे आस पास के खाद्य प्रदार्थों ( उपलब्ध खाद्य प्रदार्थों ) में कौनसे एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं जिन्हे हम आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ अमेरिका या ब्रिटेन की बात नहीं करेंगे क्यों की उन खाद्य प्रदार्थों की पहुंच आम आदमी से बाहर है। यहाँ उन्ही खाद्य प्रदार्थों की बात करेंगे जो भारत में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
तुलसी प्रयोग आप निम्न प्रकार से अपने रोज मर्रा के जीवन में कर सकते हैं।
तुलसी
तुलसी की पवित्रता के बारे में हम सब जानते हैं। इसके गुणों के कारण हमारे धर्म में इसे पूजनीय माना जाता है। धार्मिक महत्त्व के अलावा इसके अन्य स्वास्थ्य से जुड़े हुए लाभ भी हैं। तुलसी में एंटी ऑक्सीडेंट्स, एंटी बेक्टेरियल और एंटी वायरल के गुण होते हैं। मलेरिया बुखार और ज्वर में तुलसी के सिद्ध उपयोग बताये गए हैं। वायरस और फ्लू में इसके अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। दमा, फेफड़ों की बिमारियों, दिल की बिमारियों, मुंह से सबंधित बिमारियों, किडनी की देखभाल, त्वचा के संक्रमण और कैंसर जैसी बिमारियों में भी तुलसी के उपयोग से लाभ प्राप्त होता है। तुलसी में मुख्यतया पायरिडाक्सिन, राइबोफ्लेविन, विटामिन A , C , K, E के अलावा सोडियम, पोटेसियम, कैल्शियम, कॉपर, आयरन आदि खनिज भी पाए जाते हैं।
तुलसी प्रयोग आप निम्न प्रकार से अपने रोज मर्रा के जीवन में कर सकते हैं।
- तुलसी के दो से चार पत्ते चाय में डालकर सेवन करें।
- स्वाद के अनुसार सब्जी और खाद्य प्रदार्थों में इसे डाल सकते हैं।
- तुलसी के अर्क का सेवन करें।
- तुलसी, नीम और गिलोय के एन्टीऑक्सडेंटस गुणों से भरपूर "आरोग्य वटी" का प्रयोग करें।
- तुलसी की दो से चार पत्तियों को रोज मुंह में रखकर सीधे चबाकर खाएं। तुलसी को ज्यादा देर तक मुंह में नहीं रखे क्योंकि इसमें पाया जाने वाला पारा दांतों के लिए हानिकारक होता है। मुंह में तुलसी चबाकर खाने से मुंह के संक्रमण और बेक्टेरिया से निजाद मिलती है। इसीलिए कुछ निर्माता इसका प्रयोग दन्त मंजन में भी करने लगे हैं।
- लॉन्ग, अदरक और तुलसी के पत्तों को उबालकर काढ़ा बनाकर पिने से सर्दी जुकाम, सरदर्द और कफ के विकारों में लाभ होता है।
- तुलसी के पत्तों को हल्दी में पीसकर घाव पर लगाने से इन्फेक्शन नहीं होता है।
- नारियल के तेल के साथ तुलसी को बालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं।
- तुलसी के पत्तों के सेवन से दिल से सबंधित बिमारियों से बचा जा सकता है। तुलसी रक्त शुगर को नियंत्रित करता है।
- तुलसी के पत्तों को चबाने से पाचन क्रिया सुधरती है।
- वायरल संक्रमण जैसे स्वाइन फ्लू में तुलसी का उपयोग लाभदायी होता है।
- तुलसी के नियमित प्रयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
निम्बू
निम्बू भी एन्टिऑक्सेंट्स और विटामिन C का बेहतरीन स्त्रोत है। यह खून को साफ़ करता है और विषाक्त कणों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। निम्बू में विटामिन C के अलावा विटामिन बी, विटामिन ए, विटामिन ई, फोलेट, नियासिन थाइमिन, राइबोफ़्लिविन, पैंटोथेनिक एसिड, तांबे, कैल्शियम, लोहा, मैग्नीशियम, पोटेशियम, जस्ता, फास्फोरस और प्रोटीन जैसे कई पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। निम्बू रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ाता ही है साथ ही शरीर को डिहाईडरेड होने से भी पचाता है इसके अलावा निम्बू के अन्य गुण निम्न हैं।
- त्वचा विकारों के लिए निम्बू का उपयोग लाभदायक होता है।
- निम्बू खून की कमी को दूर करता है।
- निम्बू से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और जल्दी से व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता है।
- निम्बू के रस में शहद मिलाकर चाटने से खांसी और कफ में फायदा मिलता है।
- निम्बू पानी से हैजा दूर होता है।
- निम्बू के पानी पीने से कब्ज दूर होता है।
- लहसुन के रस को निम्बू के रस में मिलाकर पीने से कमरदर्द में आराम मिलता है।
- निम्बू का रस सर पर लगाने से खुश्की दूर होती है और जुएं दूर होती है। बाल झड़ना भी बंद होते हैं।
- काले नमक में निम्बू का रस मिलाकर पिने से पथरी कटती है।
- नहाते वक्त निम्बू का रस चेहरे पर लगाएं और निम्बू के छिलके को मुंह पर रगड़ने से कील मुहासे दूर होते हैं।
- शहद को गर्म पानी और निम्बू में मिलाकर पिने से पाचन सुधरता है।
- अजीर्ण और खट्टी डकारों, उल्टी होने पर निम्बू को काटकर गर्मकरके उसपर सेंधा नमक डाल कर चाटने से लाभ मिलता है।
- निम्बू के रस को नारियल तेल में मिलाकर मालिश करने पर त्वचा के विकार दूर होते हैं।
- रक्त की कमी होने पर निम्बू के सेवन से लाभ मिलता है।
- आखों की रौशनी के लिए निम्बू का रस पीने से लाभ मिलता है।
- धूम्रपान छोड़ने के लिए निम्बू को नमक लगाकर बार बार चूसने पर धूम्रपान की आदत छूट जाती है।
- नाखूनों पर निम्बू के छिलके को रगड़ने से नाखूनों के रोग दूर हो जाते हैं।
- करेले के ज्यूस में निम्बू का रस मिलाकर पिने से रक्त साफ़ होता है।
- निम्बू में घुलनशील पोटेशियम होता है इसलिए हृदय रोगों में निम्बू का सेवन लाभदायक माना जाता है।
पका हुआ केला (मूसा पैराडिसिका)
पका हुआ केला एंटी ऑक्सीडेंट्स का एक बेहतरीन जरिया है। कच्चे केलों की तुलना में पके हुए केले में ज्यादा मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं। इसलिए केले के छिलके पर दाग देखकर उसे सड़ा हुआ समझने की गलतफहमी मत रखिये। पके हए केले में ज्यादा एंटी ऑक्सीडेंट्स तो होते ही हैं साथ ही ये वाइट ब्लड सेल्स को भी बढ़ाने में योगदान देते हैं। विशेषज्ञों का मानना है की पके हुए केले में कैंसर सेल्स से भी लड़ने की ताकता होती है। मोटे रूप में केले में शर्करा, प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक, कॉपर, आदि अनेक रासायनिक पदार्थ पाये जाते है। केले में थाइमिन, रिबोफ्लेविन, नियासिन, फॉलिक एसिड, विटामिन ए और विटामिन बी भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है। इनके अलावा केले में पानी की मात्रा 64.3 प्रतिशत, प्रोटीन 1.3 प्रतिशत, कार्बोहाईड्रेट 24.7 प्रतिशत तथा चिकनाई 8.3 प्रतिशत होती है जो हमारे शरीर के लिए किसी वरदान से कम नहीं होती है। केले में पाए जाने वाला सीरेटोनिन रसायन हमें तनाव और चिंता से भी दूर रखता है।
अन्य खाद्य प्रदार्थों की तुलना में केला ब्लड में शुगर कम बढ़ाता है। केले में पाए जाने वाले रिच फाइबर पाचन को भी मजबूत बनाते हैं। केले में पोटेशियम की मात्रा होती है जो हृदय रोगों से हमको दूर रखता है। पोटेशियम के अलावा केले में मैग्नीशियम भी पाया जाता है और यह भी हृदय को स्वस्थ रखता है और ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित रखते हैं। केले के सेवन से आयरन भी बढ़ता है। केले में विटामिन C भी पाया जाता है जो की एक अच्छा एंटी ऑक्सीडेंट होता है।
अन्य खाद्य प्रदार्थों की तुलना में केला ब्लड में शुगर कम बढ़ाता है। केले में पाए जाने वाले रिच फाइबर पाचन को भी मजबूत बनाते हैं। केले में पोटेशियम की मात्रा होती है जो हृदय रोगों से हमको दूर रखता है। पोटेशियम के अलावा केले में मैग्नीशियम भी पाया जाता है और यह भी हृदय को स्वस्थ रखता है और ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित रखते हैं। केले के सेवन से आयरन भी बढ़ता है। केले में विटामिन C भी पाया जाता है जो की एक अच्छा एंटी ऑक्सीडेंट होता है।
तरबूज
तजबूज जितना स्वादिस्ट होता है उतना ही पोषक भी होता है। तरबूज में लगभग ९२ प्रतिशत पानी होता है और बाकी इसमें शुगर होता है। तरबूज में ग्लूटेथियॉन (Glutathione) होता है जो एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट्स होता है। इसके अलावा तरबूज में विटामिन ए, सी और बी6 भी होते हैं जो हमारे शरीर को पोषण देते हैं। तरबूज में बीटा कैरोटीन भी पाया जाता है जो की टिश्यू रिपेयर करने का काम करता है। गर्मियों में तरबूज के सेवन से पोषण भी मिलता है और हमारे शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता भी मिलती है। तरबूज में लाइकोपीन पाया जाता है जो की कैंसर से भी लड़ने में सक्षम होता है।
तरबूज के अन्य गुण हैं हृदय रोगों में लाभदायक, पाचन तंत्र के लिए उपयोगी, रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है , हृदय को मजबूत बनाता है, रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहयोगी होता है, आखों के लिए लाभदायी, मधुमेह उपयोगी, मसूड़ों और दाँतों के लिए लाभदायक है। तरबूज में पाए जाने वाले पोटेशियम से मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है।
तरबूज के अन्य गुण हैं हृदय रोगों में लाभदायक, पाचन तंत्र के लिए उपयोगी, रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है , हृदय को मजबूत बनाता है, रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहयोगी होता है, आखों के लिए लाभदायी, मधुमेह उपयोगी, मसूड़ों और दाँतों के लिए लाभदायक है। तरबूज में पाए जाने वाले पोटेशियम से मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है।
हल्दी
हल्दी एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर होती है। हल्दी एंटी इफ्लेमेट्री, एंटी बैक्ट्रियल होती है। सुखी हल्दी तो हम सब्जी में डाल कर खाते ही हैं लेकिन सर्दियों में अगर कच्ची हल्दी की देसी गाय के घी में सब्जी बनाकर खायी जाय तो यह शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। आयुर्वेद में हल्दी को वातनाशक बताया गया है। करक्यूमिन नामक तत्व हल्दी को और अधिक लाभदायी बना देता है। हल्दी में उड़नशील तेल 5.8%, प्रोटीन 6.3%, द्रव्य 5.1%, खनिज द्रव्य 3.5%, और करबोहाईड्रेट 68.4% के अतिरिक्त कुर्कुमिन नामक पीत रंजक द्रव्य, विटमिन A पाए जाते हैं। हल्दी पाचन तन्त्र की समस्याओं, गठिया, रक्त-प्रवाह की समस्याओं, कैंसर, जीवाणुओं (बेक्टीरिया) के संक्रमण, उच्च रक्तचाप और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की समस्या और शरीर की कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत में लाभकारी है। हल्दी कफ़-वात शामक, पित्त रेचक व पित्त शामक है।
रोज सुबह हल्दी का पानी पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और शरीर को अनेकों रोगों से लड़ने क्षमता प्राप्त होती है। हल्दी का पानी रक्त शोधन का भी कार्य करता है। हल्दी डाइबिटीज़ को भी पनपने से रोकने में सक्षम है। आमा हल्दी का उपयोग कमर दर्द और जोड़ों के दर्द के लिए लाभदायक होती है। हल्दी हमारे शरीर से विषाक्त कणों को बाहर निकालती है। सूजन कम करने में भी हल्दी काम में ली जाती है। कैंसर जैसी बिमारियों की रोक थाम में भी हल्दी का महत्त्व होता है। हल्दी को त्वचा पर लगाने से त्वचा का संक्रमण दूर होता है।
रोज सुबह हल्दी का पानी पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और शरीर को अनेकों रोगों से लड़ने क्षमता प्राप्त होती है। हल्दी का पानी रक्त शोधन का भी कार्य करता है। हल्दी डाइबिटीज़ को भी पनपने से रोकने में सक्षम है। आमा हल्दी का उपयोग कमर दर्द और जोड़ों के दर्द के लिए लाभदायक होती है। हल्दी हमारे शरीर से विषाक्त कणों को बाहर निकालती है। सूजन कम करने में भी हल्दी काम में ली जाती है। कैंसर जैसी बिमारियों की रोक थाम में भी हल्दी का महत्त्व होता है। हल्दी को त्वचा पर लगाने से त्वचा का संक्रमण दूर होता है।
लहसुन
लहसुन हमारी सब्जियों के जायके को तो बढ़ाता ही है साथ में लहसुन के कई औषधीय गुण भी होते हैं जैसे की लहसुन में एलिकिन नामक औषधीय तत्व पाया जाता है जो जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सिडेंट होता है। लहसुन में विटामिन B1, B6 और C के साथ-साथ मैगनीज़ कैल्शिम, तांबा, सेलेनियम और पोषक तत्व पाए जाते हैं। कई शोध में यह माना जाता है की लहसुन में वायरल संक्रमण से लड़ने की ताकत तो होती ही है और यह कैंसर जैसे भयंकर रोग से भी बचाता है। नियमित रूप से लहसुन के सेवन से ब्लैडर, ब्रेस्ट और स्टमक यानी पेट के कैंसर से बचा जा सकता है। लहसुन में पाए जाने वाले ऐंटी-बैक्टीरियल, ऐंटी-वायरल और ऐंटी-फ़ंगल गुणों के कारन यह संक्रमण से भी बचाने में सक्षम होता है। लहसुन के नियमित उपयोग से कई लाभ होते हैं जैसे अतिरिक्त वजन घटाने में जरुरी, हाई ब्लड प्रेशर को कण्ट्रोल करने में सहायक, डायबिटीज रोग में लाभदायक, कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम, हृदय रोग, गठिया रोग, और लिवर के लिए फायदेमंद है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के अलावा लहसुन के कई अन्य लाभ भी होते हैं यथा इसके प्रयोग से पेट साफ़ रहता है, नसों की झनझनाहट कम होती है, उच्च रक्तचाप और हृदय की बिमारियों से सुरक्षा मिलती है। प्रदुषण और खाने पीने से उत्पन्न नाइट्रोसेमाइन को रोकने में भी मदद करता है।
इस लेख में माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं की टमाटर की औषधीय गुण कौनसे हैं और यह किस प्रकार से सेहत के लिए उपयोगी होता है।
कैंसर से बचाये टमाटर : टमाटर के औषधीय गुण कैंसर से लड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। टमाटर में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट शरीर में किसी कारण उत्पन्न फ्री रेडिकल्स (मुक्त कण ) से लड़ते हैं और उन्हें समाप्त करते हैं। प्रॉस्टेट कैंसर, गला का कैंसर, पेट, स्तन कैंसर, कोलन आदि कैंसर की खतरे को कम कर देता हैं। टमाटर में मौजूद लाइकोपिन कैंसर की रोकथाम में अहम् भूमिका अदा करता है। डॉ. मृदुला चोपड़ा और उनके सहयोगियों ने (यूनिवर्सिटी ऑफ पोट्समाउथ) प्रयोगशाला में लाइकोपिन के प्रभावों को जांचा। लाइकोपिन से ही टमाटर को लाल रंग प्राप्त होता है। लाइकोपीन के अलावा टमाटर में टमाटर में नियासिन, विटामिन बी6 पोटैशियम और फॉलेट आदि विटामिन्स भी होते हैं।
जर्नल ऑफ सेलुलर फिजियोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, पेट के कैंसर के इलाज के दौरान जब टमाटर के पूरे अर्क को इस्तेमाल किया गया तो देखा गया की कैंसर सेल्स की मुख्य प्रक्रिया बहुत अधिक प्रभावित हुयी। टमाटर कैंसर सेल्स की क्लोनिंग को रोकता है और उन्हें बढ़ने नहीं देता है।
शोध में यह भी सामने आया की टमाटर के नियमित सेवन से सेल्स ट्रांसफर कम हो जाता है जो की कैंसर का कारन माना गया है।
यदि टमाटर का नियमित सेवन किया जाय तो कैंसर की रोकथाम हो सकती है। टमाटर में मौजूद लाइकोपीन नामक एक एंटी-ऑक्सीडेंट फेफड़े, पेट, ग्रीवा, मुँह, ग्रसनी, गले, अन्नप्रणाली, कोलन, गुदा और डिम्बग्रंथि के कैंसर जैसे अन्य कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकता है।
टमाटर से भरपूर गुणों को प्राप्त करने के लिए २ से तीन टमाटर को अच्छे से धो कर मिक्सी में उसका ज्यूस बना लें और रोज एक गिलास टमाटर का ज्यूस पियें।
ब्लड शुगर को करें कम : टमाटर के सेवन से ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में भी सहायता मिलती है। इसके सेवन से ब्लड सर्क्युलेशन दुरुस्त होता है और रक्त संचरण भी सुधरता है। टमाटर में पाया जाने वाला क्रोमियम ब्लड शुगर को कण्ट्रोल करता है।
आँखों की रौशनी के लिए उपयोगी : रोज टमाटर के सेवन से आँखों की रौशनी बढ़ती है। इससे आखों की रौशनी बढ़ने के साथ साथ आँखों की चमक भी बढ़ती है तथा साथ ही रतोंधी और मोतियाबिंद का खतरा भी कम होता है। टमाटर में विटामिन A और C होता है जो आँखों के लिए लाभकारी होते हैं। टमाटर का ज्यूस बनाकर उसमे निम्बू मिलाकर आँखों के निचे डार्क सर्किल के निचे लगाने से कुछ ही रोज में डार्क सर्किल कम होने लगते हैं।
बालों के लिए टमाटर : नियमित टमाटर के सेवन से आपके बाल चमकदार और स्वस्थ बने रहते हैं। टमाटर में मौजूद विटामिन्स के कारण बाल कम झड़ते हैं। बालों का प्राकृतिक रंग बनाये रखने में टमाटर के सेवन लाभदायक होता है। रुसी को दूर करने के लिए बालों में टमाटर का पेस्ट बना कर लगाना लाभदायक होता है और बालों को नया जीवन मिलता है। टमाटर के बालों का ph बैलेंस रहता है। बालों में लगातार टमाटर का लेप नहीं लगाए क्यों की टमाटर में पाए जाने वाले अम्ल से बाल रूखे हो सकते हैं।
उच्च रक्तचाप को करें कम : टमाटर में ब्लड प्रेशर नियन्त्रिक करने के भी गुण विद्यमान रहते हैं। टमाटर में पाए जाने वाले पोटेशियम के कारण रक्तचाप नियंत्रित रहता है। टमाटर का ज्यूस बनाकर पिने से पोटेशियम की कमी दूर होती है जिससे हृदय सबंधी रोग दूर होते हैं।
छोटे बच्चों के विकास के लिए : टमाटर बच्चों को खिलाये जिससे उनका शारीरिक विकास हो सके। बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए टमाटर बहुत उपयोगी होता है। टमाटर के ज्यूस में काली मिर्च मिलाकर बच्चों को देने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं। यदि बच्चों को सूखा रोग हो जाए तो टमाटर का ज्यूस लाभदायद होता है। टमाटर के सूप या ज्यूस में गाजर का रस मिलाने से इसके गुण और अधिक बढ़ जाते हैं।
वजन घटाने के लिए टमाटर का उपयोग : टमाटर में वसा और कोलेस्ट्रॉल बहुत कम होते हैं जिससे इसके सेवन के कारन से वजन नहीं बढ़ता है और साथ जी इसमें पानी की मात्रा अधिक है जिससे इसके सेवन के बाद भूख कम लगती है। टमाटर में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और विटमिंस होते हैं जो अतिरिक्त वसा को कम करने में लाभदायक होते हैं। टमाटर में कम कैलोरी होती है जिससे वजन में कमी आनी शुरू हो जाती है। टमाटर में विटामिन सी, बीटाकेरोटीन, लाइकोपीन, विटामिन ए व पोटेशियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम हो जाता है। अधिक फाइबर होने से भी वजन कम करने में सहायता मिलती है। लाइकोपीन, प्रोइन्फ्लमेटरी बायोमॉलीक्युल्स से सूजन कम होती है।
मुंह के छाले : टमाटर के सेवन से मुँह के छाले भी दूर होते हैं। टमाटर की तासीर ठंडी होती है जिससे पेट की गर्मी कम होती है। टमाटर के रस से दिन में दो से तीन बार कुल्ला करने पर मुँह के छालों में आराम मिलता है। टमाटर सर्दियों में खूब सस्ता मिलता है तो इसे सलाद में खाएं, ज्यूस बनाकर पिए, खूब खाएं और स्वस्थ रहे।
रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के अलावा लहसुन के कई अन्य लाभ भी होते हैं यथा इसके प्रयोग से पेट साफ़ रहता है, नसों की झनझनाहट कम होती है, उच्च रक्तचाप और हृदय की बिमारियों से सुरक्षा मिलती है। प्रदुषण और खाने पीने से उत्पन्न नाइट्रोसेमाइन को रोकने में भी मदद करता है।
टमाटर के औषधीय गुण, टमाटर खाने के फायदे
मान्यता है की पूर्ण में टमाटर को एक विषैली सब्जी माना जाता था लेकिन आज टमाटर हर रसोई में पाया जाता है, क्योंकि वर्तमान में टमाटर पर विभिन्न शोध हुए हैं और इसके गुणों के बारे में पता चला है। टमाटर (सोलेनम लाइको पोर्सिकान) को विश्व में सबसे ज्यादा खाद्य प्रदार्थ के रूप में उपयोग में लिया जाता है। विदेशों में इसे टॉपिंग और सलाद के साथ में और भारत में मुख्यतया सलाद और सब्जी में उपयोग में लिया जाता है। भारतीय रसोई सही मायने में टमाटर के बगैर अधूरी है। टमाटर हर सब्जी में डाला जाता है और उसके स्वाद को बढ़ा देता है तथा साथ ही टमाटर को सब्जी में पकाने के बाद भी इसके विटामिन नष्ट नहीं होते हैं। टमाटर में मुख्यतया विटामिन A रेटिनॉल, विटामिन B3 नियासिन, B5 पेंटोथेनिक अम्ल, विटामिन C एस्कार्बिक एसिड और विटामिन K फिलोक्विनोन पाए जाते हैं। टमाटर में मुख्य रूप से सिट्रिक अम्ल (Citric acid) पाया जाता है। इसके अलावा टमाटर में 10 अन्य अम्ल भी पाये जाते हैं। टमाटर में कई प्रकार के खनिज तत्व उपस्थित होते हैं पर इसमें मुख्य रूप से भरपूर मात्रा में कैल्शियम, फास्फोरस व विटामिन सी पाया जाता हैं। एक चम्मच टमाटर में लगभग २ ग्राम फाइबर होता है और आप जानते ही हैं की फाइबर शरीर के लिए कितना महत्वपूर्ण होता है।
इस लेख में माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं की टमाटर की औषधीय गुण कौनसे हैं और यह किस प्रकार से सेहत के लिए उपयोगी होता है।
कैंसर से बचाये टमाटर : टमाटर के औषधीय गुण कैंसर से लड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। टमाटर में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट शरीर में किसी कारण उत्पन्न फ्री रेडिकल्स (मुक्त कण ) से लड़ते हैं और उन्हें समाप्त करते हैं। प्रॉस्टेट कैंसर, गला का कैंसर, पेट, स्तन कैंसर, कोलन आदि कैंसर की खतरे को कम कर देता हैं। टमाटर में मौजूद लाइकोपिन कैंसर की रोकथाम में अहम् भूमिका अदा करता है। डॉ. मृदुला चोपड़ा और उनके सहयोगियों ने (यूनिवर्सिटी ऑफ पोट्समाउथ) प्रयोगशाला में लाइकोपिन के प्रभावों को जांचा। लाइकोपिन से ही टमाटर को लाल रंग प्राप्त होता है। लाइकोपीन के अलावा टमाटर में टमाटर में नियासिन, विटामिन बी6 पोटैशियम और फॉलेट आदि विटामिन्स भी होते हैं।
जर्नल ऑफ सेलुलर फिजियोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, पेट के कैंसर के इलाज के दौरान जब टमाटर के पूरे अर्क को इस्तेमाल किया गया तो देखा गया की कैंसर सेल्स की मुख्य प्रक्रिया बहुत अधिक प्रभावित हुयी। टमाटर कैंसर सेल्स की क्लोनिंग को रोकता है और उन्हें बढ़ने नहीं देता है।
शोध में यह भी सामने आया की टमाटर के नियमित सेवन से सेल्स ट्रांसफर कम हो जाता है जो की कैंसर का कारन माना गया है।
यदि टमाटर का नियमित सेवन किया जाय तो कैंसर की रोकथाम हो सकती है। टमाटर में मौजूद लाइकोपीन नामक एक एंटी-ऑक्सीडेंट फेफड़े, पेट, ग्रीवा, मुँह, ग्रसनी, गले, अन्नप्रणाली, कोलन, गुदा और डिम्बग्रंथि के कैंसर जैसे अन्य कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकता है।
टमाटर से भरपूर गुणों को प्राप्त करने के लिए २ से तीन टमाटर को अच्छे से धो कर मिक्सी में उसका ज्यूस बना लें और रोज एक गिलास टमाटर का ज्यूस पियें।
ब्लड शुगर को करें कम : टमाटर के सेवन से ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में भी सहायता मिलती है। इसके सेवन से ब्लड सर्क्युलेशन दुरुस्त होता है और रक्त संचरण भी सुधरता है। टमाटर में पाया जाने वाला क्रोमियम ब्लड शुगर को कण्ट्रोल करता है।
आँखों की रौशनी के लिए उपयोगी : रोज टमाटर के सेवन से आँखों की रौशनी बढ़ती है। इससे आखों की रौशनी बढ़ने के साथ साथ आँखों की चमक भी बढ़ती है तथा साथ ही रतोंधी और मोतियाबिंद का खतरा भी कम होता है। टमाटर में विटामिन A और C होता है जो आँखों के लिए लाभकारी होते हैं। टमाटर का ज्यूस बनाकर उसमे निम्बू मिलाकर आँखों के निचे डार्क सर्किल के निचे लगाने से कुछ ही रोज में डार्क सर्किल कम होने लगते हैं।
बालों के लिए टमाटर : नियमित टमाटर के सेवन से आपके बाल चमकदार और स्वस्थ बने रहते हैं। टमाटर में मौजूद विटामिन्स के कारण बाल कम झड़ते हैं। बालों का प्राकृतिक रंग बनाये रखने में टमाटर के सेवन लाभदायक होता है। रुसी को दूर करने के लिए बालों में टमाटर का पेस्ट बना कर लगाना लाभदायक होता है और बालों को नया जीवन मिलता है। टमाटर के बालों का ph बैलेंस रहता है। बालों में लगातार टमाटर का लेप नहीं लगाए क्यों की टमाटर में पाए जाने वाले अम्ल से बाल रूखे हो सकते हैं।
उच्च रक्तचाप को करें कम : टमाटर में ब्लड प्रेशर नियन्त्रिक करने के भी गुण विद्यमान रहते हैं। टमाटर में पाए जाने वाले पोटेशियम के कारण रक्तचाप नियंत्रित रहता है। टमाटर का ज्यूस बनाकर पिने से पोटेशियम की कमी दूर होती है जिससे हृदय सबंधी रोग दूर होते हैं।
छोटे बच्चों के विकास के लिए : टमाटर बच्चों को खिलाये जिससे उनका शारीरिक विकास हो सके। बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए टमाटर बहुत उपयोगी होता है। टमाटर के ज्यूस में काली मिर्च मिलाकर बच्चों को देने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं। यदि बच्चों को सूखा रोग हो जाए तो टमाटर का ज्यूस लाभदायद होता है। टमाटर के सूप या ज्यूस में गाजर का रस मिलाने से इसके गुण और अधिक बढ़ जाते हैं।
वजन घटाने के लिए टमाटर का उपयोग : टमाटर में वसा और कोलेस्ट्रॉल बहुत कम होते हैं जिससे इसके सेवन के कारन से वजन नहीं बढ़ता है और साथ जी इसमें पानी की मात्रा अधिक है जिससे इसके सेवन के बाद भूख कम लगती है। टमाटर में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और विटमिंस होते हैं जो अतिरिक्त वसा को कम करने में लाभदायक होते हैं। टमाटर में कम कैलोरी होती है जिससे वजन में कमी आनी शुरू हो जाती है। टमाटर में विटामिन सी, बीटाकेरोटीन, लाइकोपीन, विटामिन ए व पोटेशियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम हो जाता है। अधिक फाइबर होने से भी वजन कम करने में सहायता मिलती है। लाइकोपीन, प्रोइन्फ्लमेटरी बायोमॉलीक्युल्स से सूजन कम होती है।
मुंह के छाले : टमाटर के सेवन से मुँह के छाले भी दूर होते हैं। टमाटर की तासीर ठंडी होती है जिससे पेट की गर्मी कम होती है। टमाटर के रस से दिन में दो से तीन बार कुल्ला करने पर मुँह के छालों में आराम मिलता है। टमाटर सर्दियों में खूब सस्ता मिलता है तो इसे सलाद में खाएं, ज्यूस बनाकर पिए, खूब खाएं और स्वस्थ रहे।
आँवला
सामान्य रूप से आंवले के गुणों को पहचानकर हमारे घरों में ऋतू में इसकी सब्जी बनायीं जाती है और आंवले का मुरब्बा भी सेहत के लिए काम में लिया जाता है। आंवला भोजन भी है और आयुर्वेदिक दवा भी। इसका वनस्पति नाम एम्बलोका ऑफिजिनालिस या फ़िलेंथस इम्ब्लिका है। आंवला एक शक्तिशाली एंटी ऑक्सीडेंट हैं। आंवला विटामिन C का सबसे उत्तम स्त्रोत माना जाता है और आंवले का उपयोग विटामिन c के लिए प्रमुखता से उपयोग में लिया जाता है। आंवले का उपयोग मुख्यतया एंटी-एजिंग को रोकने, संक्रमण की रोकथाम के लिए, आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए, बालों को सेहतमंद करने के लिए, और पाचन तंत्र को सुधारने के लिए किया जाता है।
आंवले से लिवर भी मजबूत होता है। आयुर्वेद में आंवले को अमृत के समान माना जाता है और इसे दुर्बलता को समाप्त करने वाला, यौवन को बनाये रखने वाला, बढ़ती उम्र के प्रभावों को दूर रखने वाला, हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने वाला, रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने वाला बताया गया है। आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है. इसके साथ ही इसमें कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है
वर्तमान में आंवले के कैंसर से लड़ने सबंधी विषय पर भी शोध चल रहे हैं। एक शोध के अनुसार, आंवला कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है और कैंसर से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ताजे आंवले का ज्यूस बनाकर और सब्जी बनाकर इसका उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा आप सूखे हुए आंवले को मुंह में रखें और ढीले होने पर धीरे धीरे चूंसे। ऐसा करने से दातों सबंधी विकार दूर होते हैं और शरीर को विटामिन C की कमी भी नहीं होती है। आंवला चूसने की आदत डाले इससे जर्दा, गुटखा और धूम्रपान छोड़ने में भी मदद मिलती है।
आंवले से लिवर भी मजबूत होता है। आयुर्वेद में आंवले को अमृत के समान माना जाता है और इसे दुर्बलता को समाप्त करने वाला, यौवन को बनाये रखने वाला, बढ़ती उम्र के प्रभावों को दूर रखने वाला, हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने वाला, रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने वाला बताया गया है। आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है. इसके साथ ही इसमें कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है
वर्तमान में आंवले के कैंसर से लड़ने सबंधी विषय पर भी शोध चल रहे हैं। एक शोध के अनुसार, आंवला कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है और कैंसर से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ताजे आंवले का ज्यूस बनाकर और सब्जी बनाकर इसका उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा आप सूखे हुए आंवले को मुंह में रखें और ढीले होने पर धीरे धीरे चूंसे। ऐसा करने से दातों सबंधी विकार दूर होते हैं और शरीर को विटामिन C की कमी भी नहीं होती है। आंवला चूसने की आदत डाले इससे जर्दा, गुटखा और धूम्रपान छोड़ने में भी मदद मिलती है।
पालक
वैसे तो सभी प्रकार की हरी सब्जियां स्वास्थ्य के लिए लाभदायी होती है फिर भी पालक अपने गुणों के कारन विशेष स्थान रखती है। पालक की सब्जी खाएं या इसका ज्यूस पिए दोनों ही लाभदायी होते हैं। पालक के सेवन से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जो की इसमें पाए जाने वाले विटामिन A, विटामिन C, केल्सियम, सोडियम, आयरन, मैग्निसियम के कारण होता है। पालक के मिनरल्स शरीर के PH लेवल को भी नियंत्रण में रखते हैं। कच्चे पालक के एक गिलास ज्यूस से भरपूर मात्रा में विटामिन A प्राप्त होता है। पालक में फ्लेवोनोइड पाया जाता है और यह एंटी कैंसर गुणों के साथ फिओनैट्रिएन्ट भी होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के अलावा पालक के सेवन से वजन नियंत्रण में रहता है, पाचन तंत्र सुधरता है, अनीमिया से बचाव होता है, बाल स्वस्थ बनते हैं, हाई ब्लड प्रेशर सुधरता है, आँखों की रौशनी सुधरती है। पालक की सब्जी खाएं या फिर ज्यूस पिए लेकिन इसका सेवन अवश्य करें।
अखरोट के गुणों में शामिल हैं बेहतर नींद के लिए आवशयक, तनाव से मुक्ति, कब्ज दूर करने और पाचन को सुधारने में सहयोगी, एंटी एजिंग, त्वचा रोगों के लिए लाभदायी। अखरोट को अगर रात को भिगो कर खाया जाय तो इसके गुण और अधिक बढ़ जाते हैं।
कीवी के सेवन से न केवल आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा बल्कि कई अन्य प्रत्यक्ष लाभ भी मिलता है जैसे की अनिंद्रा की समस्या को दूर करने के लिए कीवी लाभदायक होता है, वजन को नियंत्रित करता है, पाचन को सुधारता है, रक्त चाप को नियंत्रित करता है, आखों के लिए कीवी लाभदायक होता है, ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक, त्वचा रोगों में लाभदायक, इंफ्लेमेंटरी गुणों के कारन सूजन को कम करने में सहायक है।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
मशरूम
अपनी खुराक में मशरूम को शामिल करें। मशरूम एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है और मशरूम में कई प्रकार के प्रोटीन होते हैं जो कोशिकाओं की मरम्मत के लिए आवश्यक होते हैं। मशरूम में जो एंटीऑक्सीडेंट होते हैं उनसे कैंसर जैसे गंभीर रोग से लड़ने की क्षमता होती है। इन गुणों के आलावा मशरूम के सेवन से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है, मधुमेह में उपयोगी, मोटापा कम करे, मैटाबॉलिज्म करे मजबूत, हड्डियों को मिलेगी मजबूती, हीमोग्लोबिन रखे ठीक, सर्दी-जुकाम से बचाएं, कुपोषण से बचाए इनके अलावे ये बालों एवं त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है।
अखरोट
अखरोट ड्राई फ्रूट भी आपको रोगो से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। अखरोट में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस, कॉपर, सेलेनियम और प्रोटीन होते हैं जो हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। अखरोट में पाए जाने वाले मौजूद ओमेगा 3 फैट एसिड शरीर को अस्थमा, आर्थराइटिस, स्किन प्रॉब्लम, एक्जिमा और सोरायसिस जैसी बीमारी हमें लड़ने की शक्ति देता हैं। अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च की शोध के मुताबिकक, रोजाना कुछ अखरोट का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। अखरोट में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड होता है जिससे हमारी हड्डियां मजबूत बनती हैं। अखरोट में प्रचूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो हमारे शरीर को रोगो से मुक्त रखते हैं।
अखरोट के गुणों में शामिल हैं बेहतर नींद के लिए आवशयक, तनाव से मुक्ति, कब्ज दूर करने और पाचन को सुधारने में सहयोगी, एंटी एजिंग, त्वचा रोगों के लिए लाभदायी। अखरोट को अगर रात को भिगो कर खाया जाय तो इसके गुण और अधिक बढ़ जाते हैं।
कीवी
कीवी फल आपके लिए लाभदायी है। वैसे तो ज्यादातर कीवी दूसरे देशों से आयात की जाती थी लेकिन वर्तमान में यह फल भारत में भी पैदा किया जाने लगा है। कीवी आपके शरीर को पोषण देता है क्यों की यह विटामिन सी, विटामिन इ और पोटैशियम, फोलेट से भरा होता है। कीवी आपके शरीर के लिए आवश्यक है क्यों की यह एंटी ऑक्सीडेंट्स का एक अच्छा स्त्रोत होता है। कीवी आपको अनेकों प्रकार के रोगों से मुक्त रखने में सक्षम है। कीवी में लगभग 70 ग्राम फ्रेश कीवी फ्रूट में विटामिन सी 50%, विटामिन K की मात्रा 1%, कैल्शियम 10%, फाइबर आठ प्रतिशत, विटामिन E की मात्रा 60%, पोटैशियम की मात्रा 6% होती है, इसलिए इसे सुपर फ़ूड कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। किवी में प्रचुर एल्कलाइन तत्व होते हैं, जो मिनिरल्स को बढ़ाकर अतिरिक्त एसिड को शरीर में कम करता है।
कीवी के सेवन से न केवल आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा बल्कि कई अन्य प्रत्यक्ष लाभ भी मिलता है जैसे की अनिंद्रा की समस्या को दूर करने के लिए कीवी लाभदायक होता है, वजन को नियंत्रित करता है, पाचन को सुधारता है, रक्त चाप को नियंत्रित करता है, आखों के लिए कीवी लाभदायक होता है, ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक, त्वचा रोगों में लाभदायक, इंफ्लेमेंटरी गुणों के कारन सूजन को कम करने में सहायक है।
जौ Barley
जो में विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैगनीज, सेलेनियम, जिंक, कॉपर, प्रोटीन, अमीनो एसिड, डायट्री फाइबर्स और कई तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। जौ को आप अपनी डाइट प्लान में शामिल करे और इसे औषधीय रूप में भी उपयोग में लें। जौ को हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी पवित्र मान कर इसे यज्ञ के आहुति में भी शामिल किया गया है। जो से बनने सत्तू के लाभ से तो आप परिचित होंगे ही। आप चाहे तो जो का पानी का भी सेवन कर सकते हैं। जो की पानी से मूत्र विकार दूर होते हैं और पाचन तंत्र मजबूत बनता है।
जामुन
जामुन के सेवन से भी आपका शरीर स्वस्थ रहता है और इसमें भी एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो आपको रोग मुक्त रखते। जामुन में विटामिन A , विटामिन C और विटामिन B समूह भरपूर मात्रा में होते है। जामुन में कैल्शियम , मैग्नेशियम , फॉस्फोरस , आयरन और सोडियम होते हैं जो शरीर के लिए उपयोगी होते हैं। जामुन में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो की कई विकारों को दूर करते हैं यथा पाचन तंत्र के लिए, बवासीर के लिए और त्वचा के संक्रमण। जामुन में विटामिन C और आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिसकी वजह से जामुन खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है। जामुन के सेवन से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।
संतरा
संतरा भी पोषक तत्वों से भरपूर होता है। संतरा पोटैशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, बी और सी, फाइबर, फोलिक एसिड आदि कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें जिंक, आयरन और कई तरह के खनिज पदार्थ मौजूद होते हैं जो हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं। इसके सेवन से बाल चमकदार और मजबूत बनते हैं, आँखों की ज्योति सुधरती है, त्वचा के विकार दूर होते हैं और पाचन तंत्र को ठीक होता है।
चकुंदर
चकुंदर भी एंटीऑक्सिडेंट्स का एक अच्छा स्त्रोत माना जाता है। चुकंदर में नाइट्रेट, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, आयोडीन, विटामिन बी1, बी2 और विटामिन सी पाया जाता है। वॉशिंगटन की हावर्ड विश्वविद्यालय में किए गए एक अन्य अध्ययन में फेफड़े और त्वचा के कैंसर को रोकने के लिए चुकंदर को प्रभावी माना गया है। चकुंदर से खून के कमी दूर होती हैं साथ ही इसका नियमित रूप से उपयोग करने पर शरीर से विषाक्त प्रदार्थ दूर होते हैं।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
- कब्ज का घरेलु इलाज home remedies to relieve constipation naturally
- मुंह के छालों का घरेलु इलाज Mouth ulcers Types causes symptomsand home remedies
- त्रिफला चूर्ण कैसे बनाये फायदे उपयोग How To Make Trifala Churna at Home Hindi
- त्रिफला चूर्ण के फायदे Benefits of Trifla Churna Ayurvedic Medicine Hindi
- आखों की रौशनी बढाए त्रिफला चूर्ण Improve Eye Sight with Trifala Churna
- पाचन को बनाये मजबूत इस घरेलु चूर्ण से Home Made Churn for Better Digestion Hindi
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |