चित्रक के फायदे, चित्रक के उपयोग plumbago zeylanica (Chitrak) Benefits Chitrak Ayurvedic Herb

चित्रक के फायदे, चित्रक के उपयोग plumbago zeylanica (Chitrak) Benefits Chitrak Ayurvedic Herb

चित्रक क्या है

चित्रक का वानस्पतिक नाम (plumbago zeylanica) -(प्लम्बेगो जेलेनिका) होता है। यह एक झाड़ीदार हर्ब होती है जिसके पत्ते ज्यादा लम्बे नहीं होते हैं और इसके फूल सफ़ेद, लाल और नीले होते हैं। यह हर्ब घास की तरह स्वंय उग जाती है और जहाँ खेती नहीं की जाती है, पायी जाती है। आयुर्वेदा में चित्रक के बारे में विस्तार से वर्णन प्राप्त होता है।
 
 चित्रक के फायदे, चित्रक के उपयोग plumbago zeylanica (Chitrak) Benefits Chitrak Ayurvedic Herb
 
इसे हिंदी में अनेकों नामों से जाना जाता है यथा चीत, चीता, चित्रक, चित्ता, चितरक, चितउर आदि। चित्रक का गुण लघु -रुक्ष , तीक्ष्ण, रस -कटु वीर्य -उष्ण विपाक-कटु होता है। चित्रक की मुख्यतया तीन प्रजाति होती हैं सफ़ेद, नील और लाल चित्रक। चित्रक के सेवन से कब्ज, गैस, अजीर्ण, आफरा, कच्चा मल, सर दर्द, दाँतों के रोग, गले की खरांस, मोटापा, बवासीर, प्रसव, गठिया रोगों में चित्रक से बनी ओषधियों से लाभ प्राप्त होता है। यह त्रिदोष नाशक होता है। पाचन को बढ़ाने, भूख को जाग्रत करने पेट के कीड़े समाप्त करने के लिए इसका उपयोग अन्य ओषधियों के मेल से किया जाता है। प्रधान रूप से इसकी मूल का उपयोग किया जाता है। आमवात, संधिषूल में चित्रक से सिद्ध तैल के प्रयोग मालिश के रूप में करने से लाभ प्राप्त होता है । इसके अतिरिक्त चित्रक का प्रयोग यकृत विकार, पाण्डु, सफेद दाग आदि रोग में लाभप्रद है। चित्रक की तासीर गर्म होती है। वैद्य के परामर्श के अतिरिक्त इसका सेवन हानिकारक हो सकता है।

चित्रक के लाभ

चित्रक को कई अन्य हर्ब के साथ मिलाकर आयुर्वेदि दवा बनायी जाती हैं। चित्रक के गुणों को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है।

  • बवासीर रोग में चित्रक के लाभ लेने के लिए इसकी छाल के चूर्ण को छाछ के साथ लेने से लाभ मिलता है।
  • सफेद चित्रक के 2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से नाक से खून आने (नकसीर) में लाभ मिलता। है इसके चूर्ण का लेप करने से गठिया रोग में आराम मिलता है।
  • यह संग्रहणी, कोढ़, सूजन, बवासीर, कृमि (आंतों के कीडे़), खांसी और गैस को समाप्त करता है।
  • इसके जड़ का चूर्ण सिरका व दूध के साथ मिला कर लेप करने से चर्म रोगों में लाभ मिलता है।
  • यह त्रिदोष नाशक होता है और वात, कफ और पित्त को शांत करता है।
  • चित्रक के सेवन से खाँसी, कष्टसाध्य क्षय रोग, बैक्टीरिया और गांठों के रोगों में आराम मिलता है । वैद्य की सलाह से चित्रकादि लेह को सुबह और शाम सेवन करने से खाँसी, दम फूलना, हृदय रोग में लाभ होता है।
  • यह आमपाचन है तथा आंतों से मल को निकालकर बाद में स्तम्भन करता है।
  • इसकी जड़ की छाल का काढ़ा प्रतिदिन प्रयोग करने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है।
  • चित्रक के सेवन से स्तनों की शुद्धि होती है और रक्तशोधक होता है।
  • नीले चित्रक की जड़ के चूर्ण को नाक से लेने से सिर दर्द में लाभ होता है।
  • यह कफ नाशक होता है और शरीर में जमा कफ को बाहर निकलता है इसके अतिरिक्त यह ज्वर समाप्त करता है।
  • नीले चित्रक की जड़ तथा बीज के चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को दाँतों पर मलें। ऐसा करने से पायरिया रोग में लांघ मिलता है और दांतों का क्षय नहीं होता है।
  • चित्रक, अजमोदा, हल्दी, आंवला, यवक्षार को बराबर मात्रा में चूर्ण बना कर इसे चाटने से गले की खरांस दूर होती है।
  • पाचन को सुधारने के लिए सैन्धव लवण, हरीतकी, पिप्पली तथा चित्रक को सामान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। चुटकी भर चूर्ण को चाटने से भूख बढ़ती है और भोजन पचने में भी सहायता मिलती है।
  • चित्रक के क्वाथ से पुराने कब्ज में सुधार होता है।
  • प्रसव के दौरान 10 ग्राम चित्रक (chitraka) की जड़ के चूर्ण में दो चम्मच मधु मिलाकरचाटने से प्रसव पीड़ा कम होती है।
  • वात रोगों को समाप्त करने के लिए चित्रक की जड़, इन्द्रजौ, कुटकी, अतीस और हरड़ की समान मात्रा लेकर इसका चूर्ण बना लें। सुबह और शाम ३ ग्राम चूर्ण के सेवन से सभी वातजनित व्याधियां शांत होती हैं।
  • इसके मूल का चूर्ण एक दो ग्राम दिन में तीन बार प्रयोग करने से दस्त और अतिसार में लाभ मिलता है।
  • इसकी जड़ का चूर्ण घी, शहद, दूध या पानी के साथ प्रतिदिन सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
  • यह गैस की समस्या , पेट में आने वाली आंव और पेट को साफ करने में उत्तम होती है।
 

चित्रक की कितनी मात्रा लेनी चाहिए

सामान्य रूप में इसकी ३ ग्राम की मात्रा ली जा सकती है। इस विषय पर वैद्य से सलाह लेवे।

क्या चित्रक की अधिक मात्रा हानिकारक होती है

हाँ, चित्रक को वैद्य की सलाह के उपरांत ही लिया जाना चाहिए। इसका अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक होता है।

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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
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