What is Patanjali Trikatu Churna पतंजलि त्रिकटु चूर्ण क्या होता है
पतंजलि त्रिकटु चूर्ण को काली मिर्च Black pepper (Piper nigrum), सौंठ (Ginger - Zingiber officinale) और पिप्पली ( Long pepper -Piper longum ) के योग से बनाया जाता है। त्रिकटु चूर्ण में तीनों घटकों की मात्रा सम ही रहती है। त्रिकटु चूर्ण के तीनों घटक ही आम पाचक होते हैं जो आम दोष को दूर करने में सहायक होते हैं। आम दोष से अभिप्राय है की जब पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है तो शरीर में विषैले प्रदार्थों का जमाव होने लगता जो कई प्रकार के रोगों का कारक होता है।प्रधान रूप से त्रिकटु चूर्ण पाचन सुधारता है और स्वसन विकारों को दूर करता है। घटक द्रव्यों के गुणों की यदि बात की जाय तो सौंठ जहाँ कोशिकाओं के जीर्णोद्धार का कार्य करती है वहीँ पिप्पली फेफडों के विकारों को दूर करती है। पिप्पली पाचन को सुधार कर कफ को दूर करती है। काली मिर्च शरीर से अतिरिक्त वायु को दूर कर पाचन को दुरुस्त करती है। मुख्य रूप से यह शरीर में पाचन विकारों को दूर कर स्वसन विकारोंको दूर करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है और शरीर को पोषण देने में महत्वपूर्ण है। इस चूर्ण को आयुर्वेदिक मल्टीविटामिन्स की खुराक के रूप में भी पहचाना जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का यह एक सर्वोत्तम आयुर्वेदिक तरीका है। त्रिकटु चूर्ण अग्निमाघ (भूख का कम लगना), पीनस (सर्दी-जुखाम), गुल्म (वायु के कारण पेट में गांठ), मेह ,त्वकरोग (त्वचा के रोग) ,कास (खांसी) ,कुष्ठ ,आमदोष ,श्लीपद (हाथी पांव रोग) गलरोग आदि विकारों के लिए उपयोग में लाया जाता है। इस चूर्ण के विषय में भावप्रकाश से विस्तार में सूचनाएं प्राप्त होती हैं।
त्र्यूषणं दीपनं हन्ति श्वास-कास त्वगामयान् ।
गुल्म मेह कफ स्थौल्य मेदः श्लीपदपीनसान् ॥
आम दोष :- आयुर्वेद में आम, आम विष पाचन तंत्र की कमजोरी के कारण से पैदा होता है। पाचन तंत्र की कमजोरी के कारण भोजन का समुचित पाचन नहीं हो पाता है और वह शरीर में सड़न पैदा करता है, जिसके कारण से विषाक्त प्रदार्थों का उत्पाद होता है जो शरीर में विभिन्न विकारो का कारण बनते हैं। भोजन जब बिना पचे ही रह जाता है तो उसे ही "आम" कहा जाता है। आहार नली में यही आम "आम विष" का कारण बनता है। रक्त लसिकाओं में यही आम विष विषाक्त प्रदार्थों का निर्माण करता है। आम विष आगे चलकर कोशिकाओं और उत्तकों में भी विकार पैदा करता है। स्पष्ट है की शरीर में भोजन का पचना बहुत महत्वपूर्ण है जिसके अभाव में विभिन्न विकार पैदा होते हैं। हमें स्वस्थ शरीर के लिए चाहिए की हम अपने भोजन के पाचन पर विशेष रूप से ध्यान दें।
त्रिकटु चूर्ण की तासीर : त्रिकटु चूर्ण की तासीर गर्म होती है। वस्तुतः यदि इसे सर्दियों में लिया जाय तो उत्तम होता है।
कफ्फ को दूर करने के अतरिक्त त्रिकटु चूर्ण गले के संक्रमण को भी दुरुस्त करता है और साथ ही गले में जमा होने वाले कफ्फ को भी आसानी से शरीर के बाहर निकालने में मददगार होता है। यह स्लेश्मा को हटाता है जिससे फेफड़ों में जमा कफ्फ बाहर निकल आता है। साइनस संक्रमण में भी लाभदाई है त्रिकटु चूर्ण।
स्पष्ट है की त्रिकटू चूर्ण में रोगों से लड़ने के शक्ति है। अतः वैद्य की सलाह के उपरान्त इसकी निश्चित मात्रा का सेवन अत्यंत ही लाभकारी होता है। त्रिकटु चूर्ण रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने के लिए अत्यंत ही लाभकारी ओषधि है। जब किसी भी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है तो स्वाभाविक रूप से रोगों से लड़ने में और उपचार में मदद मिलती है। यदि आप स्वस्थ भी हैं तो भी वैद्य की सलाह से इसका सेवन करें आपको भी आश्चर्यजनक रूप से शरीर में उर्जा का संचार महसूस होने लगेगा।
भूख जाग्रत करने में उपयोगी है पतंजलि त्रिकटु चूर्ण त्रिकटु चूर्ण पाचन को सुधारता है और भूख को जाग्रत करता है। छाती में जलन, अपच, कब्ज, अफारा आदि को दूर करने के अतरिक्त त्रिकटु चूर्ण से भूख जाग्रत होती है। इस चूर्ण के सेवन से पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार होता है और चयापचय प्रक्रिया में भी सुधार आता है।
पतंजलि आयुर्वेदा वेबसाइट का लिंक
https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/churna/trikatu-churna/197
पतंजलि त्रिकटु चूर्ण का मूल्य Price of Patanjali Trikatu Churna पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के १० ग्राम पेकेट का मूल्य रुपये १४ है। नवीनतम जानकारी के लिए आप पतंजलि की अधिकृत वेबसाईट पर विजिट करें।
त्रिकटु चूर्ण के सेवन में सावधानियाँ Precaution of Trikatu Churna यद्यपि यह एक आयुर्वेदिक ओषधि है जिसके सामान्य रूप से कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं, फिर भी इस चूर्ण के सेवन से पूर्व आप वैद्य की सलाह अवश्य प्राप्त कर लें। यहाँ यह गौरतलब है की किसी भी व्यक्ति के रोग के प्रकार, रोग की जटिलता, रोगी की उम्र, यदि पूर्व से कोई अन्य दवा ली जा रही हो, दवाओं के योग और विकार की क्लिष्टता को ध्यान में रखकर वैद्य आपको इस चूर्ण के सेवन की विधि, मात्र और परहेज बतायेगा जो की अत्यंत ही महत्वपूर्ण होते हैं। इस चूर्ण का सेवन सामान्य रूप से निम्न परिस्थितियों में नहीं किया जाना चाहिए -
यदि किसी का पित्त पहले से बढा हुआ हो तो इस चूर्ण के सेवन से परहेज किया जाना चाहिए क्योंकि एक तो यह शरीर में गर्मी को बढाता है और पित्त को भी बढ़ा सकता है।
यदि पहले से ही कोई अन्य ओषधि चल रही हो।
गर्भावस्था और शिशु को इसका सेवन करने से परहेज करना चाहिए।
अधिक मात्रा में इसका सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
त्र्यूषणं दीपनं हन्ति श्वास-कास त्वगामयान् ।
गुल्म मेह कफ स्थौल्य मेदः श्लीपदपीनसान् ॥
आम दोष :- आयुर्वेद में आम, आम विष पाचन तंत्र की कमजोरी के कारण से पैदा होता है। पाचन तंत्र की कमजोरी के कारण भोजन का समुचित पाचन नहीं हो पाता है और वह शरीर में सड़न पैदा करता है, जिसके कारण से विषाक्त प्रदार्थों का उत्पाद होता है जो शरीर में विभिन्न विकारो का कारण बनते हैं। भोजन जब बिना पचे ही रह जाता है तो उसे ही "आम" कहा जाता है। आहार नली में यही आम "आम विष" का कारण बनता है। रक्त लसिकाओं में यही आम विष विषाक्त प्रदार्थों का निर्माण करता है। आम विष आगे चलकर कोशिकाओं और उत्तकों में भी विकार पैदा करता है। स्पष्ट है की शरीर में भोजन का पचना बहुत महत्वपूर्ण है जिसके अभाव में विभिन्न विकार पैदा होते हैं। हमें स्वस्थ शरीर के लिए चाहिए की हम अपने भोजन के पाचन पर विशेष रूप से ध्यान दें।
त्रिकटु चूर्ण की तासीर : त्रिकटु चूर्ण की तासीर गर्म होती है। वस्तुतः यदि इसे सर्दियों में लिया जाय तो उत्तम होता है।
पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के ओषधीय गुण Patanjali Trikatu Churn 'Guna'
- त्रिकटु चूर्ण एंटी इंफ्लेमेंटरी होता है जो कोशिकाओं की सूजन को दूर कर शरीर से दर्द को कम करता है।
- त्रिकटु चूर्ण एंटी वायरल होता है जो शरीर में वायरल संक्रमण को दूर करता है।
- त्रिकटु चूर्ण कफ हर (Help to clear excess kapha or mucous from the body) होता है, शरीर में निर्मित हानिकारक कफ को दूर कर फेफड़ों और गले में जमा कफ को दूर करता है।
- त्रिकटु चूर्ण वातहर होता है जो शरीर में वायु दोष को दूर करता है।
- त्रिकटु चूर्ण एंटीहाइपरग्लैसिमिक Anti hyperglycemic होता है जो रक्त में ग्लूकोज को नियंत्रित करता है।
- त्रिकटु चूर्ण वमनरोधी Anti emetic और एंटीहिस्टामिन Anti histamine होता है।
- पतंजली त्रिकटु चूर्ण के फायदे Benefits of Patanjali Trikatu Churna Patanjali Trikatu Churn Ke Fayde Hindi:
- पतंजलि त्रिकटु चूर्ण जहाँ पाचन प्रणाली को दुरुस्त करता है वहीँ शरीर से विषाक्त प्रदार्थों को दूर कर फेफड़ों की कार्य प्रणाली को भी सुधारता है। आईये जान लेते हैं की त्रिकटु चूर्ण के शरीर में क्या लाभ/फायदे होते हैं।
- पतंजलि त्रिकटु चूर्ण पाचन तंत्र में सुधार करता है Trikatu Churna Helps to rekindle Agni, the digestive fire
- पतंजलि त्रिकटु चूर्ण शरीर में सभी प्रकार के पाचन विकारों में लाभकारी होता है। त्रिकटु चूर्ण पाचन को दुरुस्त करता है, भूख को जाग्रत करता है। त्रिकटु चूर्ण अजीर्ण, कब्ज , अतिसार, अफारा, अग्निमांद्य आदि विकारों को दूर करता है। पाचन के खराब होने पर भूख में कमी हो जाती है जिसके कारण छाती में जलन, अफ़ारा, गैस, कब्ज आदि विकार पैदा हो जाते हैं। भोजन से पूर्व इस चूर्ण का सेवन करने से भूख जाग्रत होती है और आहार समुचित रूप से पचता है। त्रिकटु चूर्ण पाचन अग्नि को बढ़ाता है जिससे भोजन का पाचन बेहतर होता है। स्वाभाविक रूप से जब पाचन तंत्र मजबूत बनता है तो शरीर को पोषण मिलता है और भूख की कमी, पेट का फूलना, गैस और डकारों में राहत मिलती है।
पतंजलि त्रिकटु चूर्ण करे कफ को दूर Trikatu churna to clear excess kapha or mucous from the body
त्रिकटु चूर्ण में विशेष रूप से पिप्पली और काली मिर्च अतिरिक्त कफ को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती हैं। जीर्ण कफ को दूर करने की यह एक उत्तम ओषधि है।कफ्फ को दूर करने के अतरिक्त त्रिकटु चूर्ण गले के संक्रमण को भी दुरुस्त करता है और साथ ही गले में जमा होने वाले कफ्फ को भी आसानी से शरीर के बाहर निकालने में मददगार होता है। यह स्लेश्मा को हटाता है जिससे फेफड़ों में जमा कफ्फ बाहर निकल आता है। साइनस संक्रमण में भी लाभदाई है त्रिकटु चूर्ण।
वायरस संक्रमण जनित रोगों को दूर करने के लिए उपयोगी पतंजलि त्रिकटु चूर्ण Patanjali Trikatu Churna for Viral infection Diseases
त्रिकटु चूर्ण विभिन्न वायरस जनित रोगों को समाप्त करने के लिए भी उत्तम ओषधि है। शरीर में बाह्य संक्रमण के कारण उत्पन्न रोगों से लड़ने में त्रिकटु चूर्ण उपयोगी होता है। वायरल संक्रमण से लड़ने की इन्ही क्षमताओं के कारण मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कोरोना महामारी (Covid-19) संक्रमण बचने के त्रिकटू चूर्ण के क्वाथ को लोगों में वितरित किया गया है। लगभग एक करोड़ लोगों को त्रिकटु चूर्ण के क्वाथ मुफ्त में वितरित किये गए हैं।स्पष्ट है की त्रिकटू चूर्ण में रोगों से लड़ने के शक्ति है। अतः वैद्य की सलाह के उपरान्त इसकी निश्चित मात्रा का सेवन अत्यंत ही लाभकारी होता है। त्रिकटु चूर्ण रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने के लिए अत्यंत ही लाभकारी ओषधि है। जब किसी भी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है तो स्वाभाविक रूप से रोगों से लड़ने में और उपचार में मदद मिलती है। यदि आप स्वस्थ भी हैं तो भी वैद्य की सलाह से इसका सेवन करें आपको भी आश्चर्यजनक रूप से शरीर में उर्जा का संचार महसूस होने लगेगा।
पतंजलि त्रिकटु चूर्ण स्वांस विकारों में लाभदाई Patanjali Trikatu Churna Support respiratory functions
त्रिकटु चूर्ण फेफड़ों के लिए उत्तम ओषधि है। यह फेफड़ों के संकुचन को बढाता है और बेहतर स्वांस को उत्पन्न करता है। फेफड़ों में जमा कफ्फ को भी दूर करता है।भूख जाग्रत करने में उपयोगी है पतंजलि त्रिकटु चूर्ण त्रिकटु चूर्ण पाचन को सुधारता है और भूख को जाग्रत करता है। छाती में जलन, अपच, कब्ज, अफारा आदि को दूर करने के अतरिक्त त्रिकटु चूर्ण से भूख जाग्रत होती है। इस चूर्ण के सेवन से पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार होता है और चयापचय प्रक्रिया में भी सुधार आता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए पतंजलि त्रिकटु चूर्ण Patanjali Trikatu Churna to boost up immune power
त्रिकटु चूर्ण ना केवल पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है अपितु यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास करने में सहायक है। यह चूर्ण बाह्य संक्रमण से व्यक्ति की रक्षा करता है और मौसमी बीमारियों से भी व्यक्ति को सुरक्षित रखने में सक्षम है। शरीर में उत्पन्न विषैले तत्वों को बाहर निकालने में यह बहुत उपयोगी होता है।पतंजलि त्रिकटु के फायदे करें पाचन में सुधार - Trikatu for Digestion System in Hindi
पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के सेवन से भोजन के पाचन में सहायता मिलती है और पाचन अग्नि में बढ़ोत्तरी होती है। पाचन विकार वाले व्यक्तियों को त्रिकटु चूर्ण का नियमित रूप से वैद्य की सलाह से इसका सेवन करना चाहिए। जहाँ यह भूख में बढ़ोत्तरी करता है वहीँ पर भोजन के पाचन में भी सहायता करता है।पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के लाभ रखें इम्युनिटी को मजबूत - Patanjali Trikatu Churna Benefits for immunity in Hindi
त्रिकटु चूर्ण के घटक स्वतंत्र रूप से ऐसे तत्वों के साथ होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करते हैं। अक्सर बात बात पर बीमार हो जाने वाले व्यक्तियों को त्रिकटु चूर्ण के सेवन से लाभ मिलता है।पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के फायदे वजन कम करने के लिए - Patanjali Trikatu Churna for Weight Loss in Hindi
पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के सेंवन से शरीर की अतिरिक्त चर्बी दूर होती है और वजन कम करने में यह चूर्ण सहायक होता है। भोजन के उपरान्त इस चूर्ण का सेवन करने से लाभ मिलता है।पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के गुण है अस्थमा में लाभकारी - Patanjali Trikatu Churna for Asthma in Hindi
पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के सेवन से अस्थमा/खाँसी आदि विकारों में लाभ मिलता है। जिन लोगों को एलर्जी होकर खांसी चलती है उनके लिए त्रिकटु चूर्ण बहुत लाभ कारी होता है। यह फेफड़ों में जमा कफ को दूर करने के लिए भी हितकर होता है। गले में खराश, साइनस संक्रमण में भी इसका सेवन अच्छा रहता है।पतंजलि त्रिकटु पाउडर है इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम में लाभकारी - Patanjali Trikatu Churna for IBS in Hindi
पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के सेवन से अतिसार/संग्रहणी आदि विकारों में लाभ मिलता है। यह चूर्ण बार बार मरोड़ उठने और पेट दर्द में हितकर होता है। यदि त्रिकटु चूर्ण को भोजन के उपरान्त बिल्वादि चूर्ण के साथ सेवन किया जाए तो संग्रहणी विकार में शीघ्र लाभ मिलता है।त्रिकटु चूर्ण के फायदे शरीर के दर्द में उपयोगी - Trikatu for Body Aches in Hindi
त्रिकटु चूर्ण के सभी घटक शरीर में जमा अतिरिक्त वायु को दूर करती हैं जो विभिन्न दर्द का कारण बनते हैं। त्रिकटु चूर्ण की तासीर भी गर्म होती है जिसके कारण शरीर के विभिन्न हिस्सों में आई सूजन भी दूर होती है और शारीरिक दर्द में लाभ मिलता है।पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के नुकसान - Patanjali Trikatu Churna Side Effects in Hindi
यद्यपि यह एक आयुर्वेदिक ओषधि है फिर भी आप अपने विकार/रोग के मुताबिक़ वैद्य की सलाह से इस चूर्ण का सेवन करें। कई बार अकेली कोई ओषधि इतना गुण नहीं करती है बजाय अन्य ओषधियों के योग के साथ। इस चूर्ण की तासीर गर्म होती है जो अधिक मात्रा में सेवन करने पर पेट में जलन और गैस का कारण बन सकती है। आप इस चूर्ण के सेवन से पूर्व वैद्य से सलाह अवश्य ही प्राप्त कर लेंवे। अपनी मर्जी से इस चूर्ण का सेवन नहीं करें।पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के अन्य फायदे / लाभ Other Benefits of Patanjali Trikatu Churna
- त्रिकटु लीवर / यकृत को उत्तेजित करके बाइल का स्राव बढाता है जिससे पाचनमें सुधार होता है।
- अजीर्ण, कब्ज , अतिसार, अफारा, अग्निमांद्य को दूर कर भूख को जाग्रत करता है।
- त्रिकटु चूर्ण मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करता है जिससे अतरिक्त वसा का दहन होता है और वजन को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है।
- त्रिकटु चूर्ण के सेवन से कब्ज को दूर किया जा सकता है।
- त्रिकटु चूर्ण के सेवन से शरीर में अग्नि तत्व जाग्रत करने में मदद मिलती है और पाचन सुधरता है जिससे शरीर में नव शक्ति का संचार होता है। इसे आप भोजन से एक घंटे पूर्व में ले तो जल्दी आराम मिलता है।
- त्रिकटु चूर्ण के नियमित सेवन से कोलेस्ट्राल के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।
- अपच, पेट का फुलना, अफारा, खट्टी डकार आदि विकारों में भी यह चूर्ण लाभदाई होता है।
- त्रिकटु चूर्ण के सेवन से आमाशय में अम्ल और पाचक रसों का स्राव पर्याप्त मात्रा में होता है जिससे उदर रोगों में सुधार होता है।
- श्वास-कास में भी त्रिकटु चूर्ण बहुत ही फायदेमंद होता है।
- कफ दोष के कारण बढे उच्च रक्तचाप को भी त्रिकटु चूर्ण के सेवन से दूर किया जा सकता है।
- खाँसी आने पर इस चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने पर लाभ मिलता है।
- यह गर्म प्रवृति / उष्ण प्रवृति का होने के कारण फेफड़ों के रोगों में लाभ देता है।
- त्रिकटु चूर्ण शरीर के आम दोषों को दूर करने में सहायक होता है।
- त्रिकटु चूर्ण लिपिड लेवल को नियंत्रित करता है।
- त्रिकटु चूर्ण हानिकारक अतिरिक्त वसा को दूर करता है।
- त्रिकटु चूर्ण हिस्टामिन के निर्माण को रोकता है जिससे एलर्जी जैसे विकारों में लाभ मिलता है।
- यदि ज्यादा कफ्फ बन गया है और बार बार खांसी हो तो इसका क्वाथ (काढ़ा) बनाकर दिन में दो से तीन बार पीने पर शीघ्र लाभ मिलता है।
- बढती उम्र में शरीर में दर्द होने की शिकायत रहती है, ऐसे में आप इस चूर्ण का सेवन शहद के साथ करें तो दर्द में लाभ मिलता है। इसे गुनगुने पानी के साथ लेने पर जोड़ों के दर्दों में भी लाभ मिलता है।
- त्रिकटु चूर्ण का गोदंती भस्म के साथ सेवन करने पर थाईराइड में भी लाभ मिलता है।
- गले में किसी भी प्रकार के संक्रमण के लिए आप इसे धीरे धीरे शहद के साथ चाटे तो लाभ मिलता है।
- त्रिकटु चूर्ण की तासीर गर्म होने के कारण यह कफ्फ को दूर करता है।
- वमन, जी मिचलाना , भूख का न लगना आदि विकारों में त्रिकटु चूर्ण को सेंधा नमक के साथ लेने पर लाभ मिलता है।
- गले के सूखे रहने पर आप त्रिकटु चूर्ण का क्वाथ बनाकर पिए, तुरंत ही लाभ मिलता है। इस विषय में ध्यान रखें की निर्धारित मात्र से ज्यादा त्रिकटु चूर्ण का क्वाथ ना पियें यह हानिकारक हो सकता है क्योंकि यह शरीर में गर्मी पैदा करता है। यदि आप इसके काढ़े को सीधे रूप से नहीं पी सकते हैं तो गुनगुने काढ़े में शहद को मिला लें। ध्यान रखें की शहद को भूल कर भी उबालें नहीं, काढ़े के बन जाने और ठन्डे होने के उपरान्त ही आप उसमे शहद को मिलाएं।
- यदि शरीर में पहले से ही गर्मी बढ़ी हुई है तो आप इस चूर्ण को छाछ के साथ सेवन करें लाभ मिलेगा। लोध्र रोग में भी आप इस चूर्ण को मट्ठे के साथ सेवन करें।
- हरीतकी ,गुड और तिल के तेल के साथ त्रिकटु चूर्ण के सेवन से त्वचा सबंधी विकारों में लाभ मिलता है।
- त्रिकटु चूर्ण आम दोष को दूर करता है (Trikatu Churna helps to take out excess impurities or ama from the body)
- त्रिकटु चूर्ण शरीर से अतरिक्त वसा को दूर करता है जिससे वजन के नियंत्रण में सुधार होता है (Trikatu Churna works like scraping action on excess fat tissue. So helps in weight management )
- सर्दियों में आप त्रिकटु चूर्ण का सेवन चाय के रूप में करे और सर्दी खाँसी से दूर रहें। नाक का बहना, सामान्य सर्दी जुकाम में बहुत ही उपयोगी होता है।
पतंजलि आयुर्वेदा वेबसाइट का लिंक
https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/churna/trikatu-churna/197
पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के विषय में पतंजलि आयुर्वेदा का कथन-
Divya Trikatu Churna is an ayurvedic product useful in indigestion, dyspepsia, cough and other jugular diseases. Different herbs and other materials of ayurveda importance are refined to form powder. Base, salt and acid mixed powder is warm in nature, digestible, tasteful and ignites hunger. Sugar or candy mixed powders are rich in purgation quality, cool and bile suppressive while powders formed of bitter items treat fever and phlegm.पतंजलि त्रिकटु चूर्ण का मूल्य Price of Patanjali Trikatu Churna पतंजलि त्रिकटु चूर्ण के १० ग्राम पेकेट का मूल्य रुपये १४ है। नवीनतम जानकारी के लिए आप पतंजलि की अधिकृत वेबसाईट पर विजिट करें।
त्रिकटु चूर्ण के सेवन में सावधानियाँ Precaution of Trikatu Churna यद्यपि यह एक आयुर्वेदिक ओषधि है जिसके सामान्य रूप से कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं, फिर भी इस चूर्ण के सेवन से पूर्व आप वैद्य की सलाह अवश्य प्राप्त कर लें। यहाँ यह गौरतलब है की किसी भी व्यक्ति के रोग के प्रकार, रोग की जटिलता, रोगी की उम्र, यदि पूर्व से कोई अन्य दवा ली जा रही हो, दवाओं के योग और विकार की क्लिष्टता को ध्यान में रखकर वैद्य आपको इस चूर्ण के सेवन की विधि, मात्र और परहेज बतायेगा जो की अत्यंत ही महत्वपूर्ण होते हैं। इस चूर्ण का सेवन सामान्य रूप से निम्न परिस्थितियों में नहीं किया जाना चाहिए -
यदि किसी का पित्त पहले से बढा हुआ हो तो इस चूर्ण के सेवन से परहेज किया जाना चाहिए क्योंकि एक तो यह शरीर में गर्मी को बढाता है और पित्त को भी बढ़ा सकता है।
यदि पहले से ही कोई अन्य ओषधि चल रही हो।
गर्भावस्था और शिशु को इसका सेवन करने से परहेज करना चाहिए।
अधिक मात्रा में इसका सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
त्रिकटु चूर्ण का सेवन कैसे करें Doses of Trikatu Churna
त्रिकटु चूर्ण का सेवन विकार और शरीर की तासीर के मुताबिक शहद, गर्म पानी अथवा छाछ के साथ किया जाता है। इस चूर्ण की एक से दो ग्राम मात्रा का सेवन चिकित्सक के परामर्श के उपरान्त किया जा सकता है।त्रिकटु चूर्ण के साइड इफेक्ट्स Patanjali Trikatu Churna Side Effects.
यद्यपि यह एक आयुर्वेदिक ओषधि है फिर भी आप इसके सेवन से पूर्व वैद्य के सलाह अवश्य प्राप्त कर लेंवें। विशेष है इसकी तासीर गर्म होती है और यह पित्त को बढ़ाती है, इसलिए पित्त प्रकृति के व्यक्ति इसका सेवन सावधानी के साथ करें। वैद्य के द्वारा बताई गई मात्रा से अधिक का सेवन नहीं करें अन्यथा यह पेट में जलन और गैस पैदा कर देती है। शरीर में गर्मी के बढे हुए होने, पित्त का बढ़ जाना, मुंह में छाले आदि हों तो इस चूर्ण का सेवन ठीक नहीं होता है क्योंकि यह गर्मी को बढ़ा कर लक्षणों में इजाफा कर सकता है।त्रिकटु चूर्ण के घटक Composition of Trikatu Churna
त्रिकटु चूर्ण में महीन पीसी हुई सौंठ, पिप्पली और काली मिर्च होती हैं, जो की समान मात्र में होती हैं, जिनका संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार से है .सोंठ (Zingiber officinale Roscoe, Zingiberacae)
अदरक ( जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale ) को पूर्णतया पकने के बाद इसे सुखाकर सोंठ बनायी जाती है। ताजा अदरक को सुखाकर सौंठ बनायी जाती है जिसका पाउडर करके उपयोग में लिया जाता है। अदरक मूल रूप से इलायची और हल्दी के परिवार का ही सदस्य है। अदरक संस्कृत के एक शब्द " सृन्ग्वेरम" से आया है जिसका शाब्दिक अर्थ सींगों वाली जड़ है (Sanskrit word srngaveram, meaning “horn root,”) ऐसा माना जाता रहा है की अदरक का उपयोग आयुर्वेद और चीनी चिकित्सा पद्धति में 5000 साल से अधिक समय तक एक टॉनिक रूट के रूप में किया जाता रहा है।सौंठ का स्वाद तीखा होता है और यह महकदार होती है। अदरक गुण सौंठ के रूप में अधिक बढ़ जाते हैं। अदरक जिंजीबरेसी कुल का पौधा है। अदरक का उपयोग सामान्य रूप से हमारे रसोई में मसाले के रूप में किया जाता है। चाय और सब्जी में इसका उपयोग सर्दियों ज्यादा किया जाता है। अदरक के यदि औषधीय गुणों की बात की जाय तो यह शरीर से गैस को कम करने में सहायता करता है, इसीलिए सौंठ का पानी पिने से गठिया आदि रोगों में लाभ मिलता है। सामान्य रूप से सौंठ का उपयोग करने से सर्दी खांसी में आराम मिलता है। अन्य ओषधियों के साथ इसका उपयोग करने से कई अन्य बिमारियों में भी लाभ मिलता है। नवीनतम शोध के अनुसार अदरक में एंटीऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं जो शरीर से विषाक्त प्रदार्थ को बाहर निकालने में हमारी मदद करते हैं और कुछ विशेष परिस्थितियों में कैंसर जैसे रोग से भी लड़ने में सहयोगी हो सकते हैं। पाचन तंत्र के विकार, जोड़ों के दर्द, पसलियों के दर्द, मांपेशियों में दर्द, सर्दी झुकाम आदि में सौंठ का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है। सौंठ के पानी के सेवन से वजन नियंत्रण होता है और साथ ही यूरिन इन्फेक्शन में भी राहत मिलती है। सौंठ से हाइपरटेंशन दूर होती है और हृदय सबंधी विकारों में भी लाभदायी होती है। करक्यूमिन और कैप्साइसिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट के कारन सौंठ अधिक उपयोगी होता है। सौंठ गुण धर्म में उष्णवीर्य, कटु, तीक्ष्ण, अग्निदीपक, रुचिवर्द्धक पाचक, कब्जनिवारक तथा हृदय के लिए हितकारी होती है। सौंठ वातविकार, उदरवात, संधिशूल (जोड़ों का दर्द), सूजन आदि आदि विकारों में हितकारी होती है। सौंठ की तासीर कुछ गर्म होती है इसलिए विशेष रूप से सर्दियों में इसका सेवन लाभकारी होता है
सौंठ के प्रमुख फायदे :
सर्दी जुकाम में सौंठ का उपयोग बहुत ही लाभकारी होता है। सर्दियों में अक्सर नाक बहना, छींके आना आदि विकारों में सौंठ का उपयोग करने से तुरंत लाभ मिलता है। शोध के अनुसार बुखार, मलेरिया के बुखार आदि में सौंठ चूर्ण का उपयोग लाभ देता है (1)
सौंठ / अदरक में लिपिड लेवल को कम करने की क्षमता पाई गई है जिससे यह वजन कम करने में भी सहयोगी होती है। एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी सौंठ को पाया गया है। अदरक में लसिका स्तर को रोकने के बिना या बिलीरुबिन सांद्रता को प्रभावित किए बिना शरीर के वजन को कम करने की एक शानदार क्षमता है, जिससे पेरोक्सिसोमल कटैलस लेवल और एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। (2)
सौंठ के प्रमुख फायदे :
सर्दी जुकाम में सौंठ का उपयोग बहुत ही लाभकारी होता है। सर्दियों में अक्सर नाक बहना, छींके आना आदि विकारों में सौंठ का उपयोग करने से तुरंत लाभ मिलता है। शोध के अनुसार बुखार, मलेरिया के बुखार आदि में सौंठ चूर्ण का उपयोग लाभ देता है (1)
सौंठ / अदरक में लिपिड लेवल को कम करने की क्षमता पाई गई है जिससे यह वजन कम करने में भी सहयोगी होती है। एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी सौंठ को पाया गया है। अदरक में लसिका स्तर को रोकने के बिना या बिलीरुबिन सांद्रता को प्रभावित किए बिना शरीर के वजन को कम करने की एक शानदार क्षमता है, जिससे पेरोक्सिसोमल कटैलस लेवल और एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। (2)
सौंठ के सेवन से पेट में पैदा होने वाली जलन को भी दूर करने में मदद मिलती है। पेट में गैस का बनाना, अफारा, कब्ज, अजीर्ण, खट्टी डकारों जैसे विकारों को दूर करने में भी सौंठ बहुत ही लाभकारी होती है। (3) मतली और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों में भी अदरक का चूर्ण लाभ पहुचाता है।
कई शोधों से यह स्पष्ट हो चुका है की अदरक में एंटी ट्यूमर के गुण होते हैं और साथ ही यह एक प्रबल एंटीओक्सिडेंट भी होता है।
Premenstrual syndrome (PMS) मतली आना और सर में दर्द रहने जैसे विकारों में भी सौंठ का उपयोग लाभ पंहुचाता है। माइग्रेन में भी सौंठ का उपयोग हितकर सिद्ध हुआ है (4)
सौंठ का उपयोग छाती के दर्द में भी हितकर होता है। सौंठ जैसे मसाले एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, और वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि वे ऊतक क्षति और रक्त शर्करा के उच्च स्तर और परिसंचारी लिपिड के कारण सूजन के प्रबल अवरोधक भी हैं। अदरक (Zingiber officinale Roscoe, Zingiberacae) एक औषधीय पौधा है जिसका व्यापक रूप से प्राचीन काल से ही चीनी, आयुर्वेदिक और तिब्बत-यूनानी हर्बल दवाओं में उपयोग किया जाता रहा है और यह गठिया, मोच शामिल हैं आदि विकारों में भी उपयोग में लिया जाता रहा है। अदरक में विभिन्न औषधीय गुण हैं। अदरक एक ऐसा यौगिक जो रक्त वाहिकाओं को आराम देन, रक्त प्रवाह को प्रोत्साहित करने और शरीर दर्द से राहत देने के लिए उपयोगी है। (5)
सौंठ में एंटीइन्फ्लामेंटरीप्रॉपर्टीज होती हैं जो शरीर के विभिन्न भागों की सुजन को कम करती हैं और सुजन के कारण उत्पन्न दर्दों को दूर करती हैं। गठिया जैसे विकारों में भी सोंठ बहुत उपयोगी होती है। (6)
चयापचय संबंधी विकारों में भी अदरक बहुत ही उपयोगी होती है। (७)
क्रोनिक सरदर्द, माइग्रेन जैसे विकारों में भी सोंठ का उपयोग लाभकारी रहता है। शोध के अनुसार अदरक / सौंठ का सेवन करने से माइग्रेन जैसे विकारों में बहुत ही लाभ पंहुचता है। (८)
सौंठ में एंटी ओक्सिडेंट होते हैं जो शरीर से विषाक्त प्रदार्थों / मुक्त कणों को बाहर निकालने में मदद करता है। सौंठ के सेवन से फेफड़े, यकृत, स्तन, पेट, कोलोरेक्टम, गर्भाशय ग्रीवा और प्रोस्टेट कैंसर आदि विकारों की रोकथाम की जा सकती है। (9)
पाचन सबंधी विकारों को दूर करने के लिए भी सौंठ बहुत ही लाभकारी होती है। अजीर्ण, खट्टी डकारें, मतली आना आदि विकारों में भी सौंठ लाभकारी होती है। क्रोनिक कब्ज को दूर करने के लिए भी सौंठ का उपयोग हितकारी होता है। (10)
अदरक से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए भी यह बेहतर होती है।अदरक में प्रयाप्त एंटी ओक्सिदेंट्स, एंटी इन्फ्लामेंटरी प्रोपर्टीज होती हैं।
अदरक में अपक्षयी विकारों (गठिया ), पाचन स्वास्थ्य (अपच, कब्ज और अल्सर), हृदय संबंधी विकार (एथेरोस्क्लेरोसिस और उच्च रक्तचाप), उल्टी, मधुमेह मेलेटस और कैंसर सहित कई बीमारियों के इलाज की अद्भुद क्षमता है। (11)
अदरक में पाए जाने वाले एंटी इन्फ्लामेंटरी गुणों के कारण यह दांत दर्द में भी बहुत ही उपयोगी हो सकती है। (12)
पिप्पली Piper longum
पीपली / पीपलामूल या बड़ी पेपर को Piper longum (पाइपर लोंगम)के नाम से भी जाना जाता है। संस्कृत में इसे कई नाम दिए गए हैं यथा पिप्पली, मागधी, कृष्णा, वैदही, चपला, कणा, ऊषण, शौण्डी, कोला, तीक्ष्णतण्डुला, चञ्चला, कोल्या, उष्णा, तिक्त, तण्डुला, मगधा, ऊषणा आदि। बारिस की ऋतू में इसके पुष्प लगते हैं और शरद ऋतु में इसके फल लगते हैं। इसके फल बाहर से खुरदुरे होते हैं और स्वाद में तीखे होते हैं। आयुर्वेद में इसको अनेकों रोगों के उपचार हेतु प्रयोग में लिया जाता है। अनिंद्रा, चोट दर्द, दांत दर्द, मोटापा कम करने के लिए, पेट की समस्याओं के लिए इसका उपयोग होता है। पिप्पली की तासीर गर्म होती है, इसलिए गर्मियों में इसका उपयोग ज्यादा नहीं करना चाहिए।
काली मिर्च Black pepper (Piper nigrum)
काली मिर्च का पौधा Black pepper (Piper nigrum) पिप्पली कुल (Piperaceae) के मरिचपिप्पली (Piper nigrum) लता पादप होता है और इसके लगने वाले फल को ही काली मिर्च कहा जाता है।
कालीमिर्च का वानस्पतिक नाम पाइपर निग्राम (Piper nigrum) है। काली मिर्च के कई औषधीय गुण हैं। काली मिर्च मैंगनीज, लोहा, जस्ता, कैल्शियम, पोटेशियम, विटामिन ए, विटामिन के, विटामिन सी, फाइबर और कई अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं । इसका प्रमुख गुण जो गैस हर चूर्ण में इस्तेमाल किया जाता है वह है की काली मिर्च गैस और एसिडिटी को समाप्त करती है और पाचन तंत्र सुधरता है। कालीमिर्च के सेवन से हमारे शरीर में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्राव बढ़ जाता है और पाचन में सहायता मिलती है। इसके अतिरिक्त ये पेशाब के साथ विषाक्त प्रदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में सहयोगी होती है। कालीमिर्च में विटामिन सी, विटामिन ए, फ्लेवोनॉयड्स, कारोटेन्स और अन्य एंटी -ऑक्सीडेंट होता है, जिससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है।
काली मिर्च के प्रमुख फायदे
- काली मिर्च शरीर में पोषण को बढ़ावा देती है। काली मिर्च में निहित पिपेरीने, विटामिन ए और विटामिन सी, सेलेनियम, बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्व होते हैं।
- काली मिर्च पाचन तंत्र के सुधार में सहायता करता है।
- काली मिर्च के सेवन से भूख जाग्रत होती है।
- सर्दी खांसी में काली मिर्च उपयोगी है।
- शरीर में जोड़ों के दर्द में काली मिर्च लाभदाई होती है।
- काली मिर्च गर्म तासीर की होती है जो कफ्फ निसारक होती है।
- काली मिर्च शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए बेहतर विकल्प है। यह शरीर से विषाक्त कणों को बाहर निकालने में मदद करती है।
त्रिकटु चूर्ण को घर पर कैसे बनाएं How to Make Trikatu Churna at Home
देखिये घूम फिर कर सारी दुनियाँ को आना तो आयुर्वेद पर ही है, यह स्पष्ट होता जा रहा है और आगे अधिक स्पष्ट हो जाएगा। पहले हर घर में सौंठ, काली मिर्च और खड़े मसालों के रूप में पिप्पली अनिवार्य रूप से रसोई में होती थी। अब इनका उपयोग सिद्ध होता जा रहा है। आप भी अपनी रसोई में खड़े मसालों को स्थान दें और उनके सामान्य स्वास्थ्य लाभ के विषय में जाने और उन्हें अपने आहार में शामिल करें। यदि आप इस चूर्ण को अपने घर पर बनाना चाहते हैं तो बस एक विषय का ध्यान रखें की तीनों की मात्र समान रखें। जैसे सौ ग्राम सौंठ लें तो सो ग्राम ही पिप्पली और सौ ग्राम ही काली मिर्च लें और इन्हें मिक्सी में पीस कर कपड छान कर लें। हवाबंद डिब्बे में रखें और इसे स्टोर करें। अपच, सर दर्द, अजीर्ण, और रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए इसका उपयोग करें, और स्वस्थ रहें। आप इस विषय में ध्यान रखें की पिप्पली खरीदते वक़्त किसी विश्वास के पंसारी से खरीदें।सन्दर्भ : (NCBI)The National Center for Biotechnology Information (NCBI) is part of the United States National Library of Medicine (NLM), a branch of the National Institutes of Health (NIH).
- Trikatu, an herbal compound as immunomodulatory and anti-inflammatory agent in the treatment of rheumatoid arthritis--an experimental study.
- Effect of an indigenous herbal compound preparation 'Trikatu' on the lipid profiles of atherogenic diet and standard diet fed Rattus norvegicus.
- Anti-inflammatory activity of two varieties of Pippali (Piper longum Linn.)
- Effect of Trikatu, an Ayurvedic Prescription, on the Pharmacokinetic Profile of Rifampicin in Rabbits
- Levels of essential and non-essential metals in ginger (Zingiber officinale) cultivated in Ethiopia
- Comparative Evaluation of the Efficacy of Ginger and Orlistat on Obesity Management, Pancreatic Lipase and Liver Peroxisomal Catalase Enzyme in Male Albino Rats
- Ginger in gastrointestinal disorders: A systematic review of clinical trials
- Effect of Treatment with Ginger on the Severity of Premenstrual Syndrome Symptoms
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- Herbal Medicine: Biomolecular and Clinical Aspects. 2nd edition, The Amazing and Mighty Ginger
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नोट : कृपया इस बात का ध्यान रखें की यदि आप इस ओषधि का सेवन करना चाहते हैं तो इस विषय में वैद्य से संपर्क करें और उसकी बतायी गई मात्रा के अनुसार ही परहेज के साथ इसका सेवन करें। किसी भी व्यक्ति के शरीर की तासीर भिन्न होती है और रोग के प्रकार, जटिलता उम्र आदि को ध्यान में रखते हुए ओषधि का चयन और उसकी मात्रा का निर्धारण होता है। आप इस ओषधि का वैद्य के सलाह के अनुसार ही सेवन करे।
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has
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