अविपत्तिकर चूर्ण क्या है ? What is Avipattikar Churna in Hindi
अविपत्तिकर चूर्ण एक आयुर्वेदिक दवा है जो चूर्ण रूप में उपलब्ध है और यह पेट से संबंधित समस्याओं यथा पाचन, खट्टी डकार, अपच, पेट का फूलना आदि विकारों में गुणकारी होती है। इस चूर्ण के सामान्य घटक की जानकारी निचे दी गई है। अग्निमंद्य को आयुर्वेद में अपच नाम से जाना जाता है। यह पित्त दोष के असंतुलन के कारण होता है। जब खाया गया भोजन मंद अग्नि (अल्प जठराग्नि) के कारण अवशोषित होने से शेष रह जाता है, तो अपच के नतीजे में आम (अवशोषित भोजन के कारण शरीर में जमा होने वाले विषाक्त अवशेष) का निर्माण होता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो, खाए गए भोजन के अधूरे पाचन की स्थिति, अपच है। अविपत्तिकर चूर्ण को अपच के लिए सबसे प्रभावी आयुर्वेदिक चूर्ण माना जाता है। अविपत्तिकर चूर्ण दीपन (भूख उत्तेजक) और पाचन (पाचन शक्ति बढ़ाने वाला) गुण होते हैं। बाजार में हमें डाबर, पतंजलि, झंडू एंव अन्य निर्माताओं के अविपत्तिकर चूर्ण मिल जाते हैं, हालांकि इसे आप घर पर भी तैयार कर सकते हैं।
अविपत्तिकर चूर्ण के घटक Avipattikar Churna ingredients Hindi. Best Ayurvedic Medicine for Acidity.
सामान्य रूप से अविपत्तिकर चूर्ण के घटक Ingredients निम्न प्रकार से होते हैं :-आयुर्वेदिक ग्रंथों के यथा रस तंत्र सार / रसेन्द्र चिंतामणि के अनुसार अविपत्तिकर चूर्ण के निम्न घटक होते हैं -
- Sounth सौंठ जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale
- Kali Mirch काली मिर्च (Piper nigrum)
- Pippal पिप्पल Piper longum
- Harad हरड़ Haritaki Terminalia chebula
- Baheda भरड़ Bibhitaka Terminalia bellirica
- Amla आँवलाAmalaki Phyllanthus emblica
- Nagarmotha नागरमोथा Musta Cyperus rotundus
- Vid Namak विडनमक/नौसादर
- VaiVidang बाय विडंग Embelia Ribes
- Laghu Ela छोटी एला (Sukshmaila API) Eletteria cardamomum
- Tej Patra तेजपत्र Cinnamomum tamala, Indian bay leaf
- Lavang लौंगLavang (Syzgium aromaticum)
- Nisoth निशोथ
- Mishri मिश्री
अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे (Avipattikar Churna Benefits)
अविपत्तिकर चूर्ण हमारे पेट से संबंधित समस्याओं के लिए एक आयुर्वेदिक ओषधि है। इस चूर्ण के उपयोग से पाचन सुधरता है और पाचन जनित विकार दूर होते हैं। अविपत्तिकर चूर्ण विभिन्न जड़ी-बूटियों से तैयार किया जाने वाला एक हर्बल दवा है। इसके उपयोग से एसिडिटी और कब्ज आदि विकार दूर होते हैं। इसके अलावा, यह पाचन एंजाइमों के निर्माण में मददगार होता है जो पाचन संबंधी बीमारियों में लाभ मिलता है। अविपत्तिकर चूर्ण आमतौर पर बिना किसी तरह के दुष्प्रभाव के उपयोग किया जा सकता है और इसका सेवन आम लोगों के लिए भी सुरक्षित होता है। अविपत्तिकर चूर्ण के लाभ/फायदों को निचे विस्तृत रूप से दिया गया है।एसिडिटी दूर करने में अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे
अविपत्तिकर चूर्ण एक प्राकृतिक उपाय है जो एसिडिटी और पेट की गैस को दूर करने में मदद करता है। इसका उपयोग खाने के बाद पेट में जलन और अन्य पेट संबंधी समस्याओं को कम करने में किया जाता है।
अविपत्तिकर चूर्ण का उपयोग करने से पेट में पाचन तंत्र मजबूत होता है और भोजन को अच्छी तरह से पचा जाता है। इसके अलावा, यह एसिडिटी के कारण होने वाली असहजता को कम करता है जिससे आप अपने दिन को स्वस्थ और सक्रिय रह सकते हैं।
अविपत्तिकर चूर्ण का उपयोग करने के लिए, आपको एक छोटी मात्रा को सामान्य तापमान के पानी में मिलाकर पीना होगा। आमतौर पर, इसे भोजन के बाद या जब आपको एसिडिटी या पेट की गैस में तकलीफ होती है, लिया जाता है। अम्लता, जो कि आयुर्वेद में अम्ल पित्त के नाम से जानी जाती है, एक सामान्य समस्या है जो मुंह में खट्टा स्वाद और छाती में जलन का कारण बनती है। अगर आप इस समस्या से पीड़ित हैं, तो आप अविपत्तिकर चूर्ण का सेवन करके राहत पा सकते हैं। यह चूर्ण एंटासिड के रूप में काम करता है जो अम्लता की समस्या को दूर करने में सहायक होता है। यह सेवन गैस, अम्लता और अपच से पीड़ित पेट को आराम प्रदान करने में मदद करता है।
अविपत्तिकर चूर्ण का उपयोग करने से पेट में पाचन तंत्र मजबूत होता है और भोजन को अच्छी तरह से पचा जाता है। इसके अलावा, यह एसिडिटी के कारण होने वाली असहजता को कम करता है जिससे आप अपने दिन को स्वस्थ और सक्रिय रह सकते हैं।
अविपत्तिकर चूर्ण का उपयोग करने के लिए, आपको एक छोटी मात्रा को सामान्य तापमान के पानी में मिलाकर पीना होगा। आमतौर पर, इसे भोजन के बाद या जब आपको एसिडिटी या पेट की गैस में तकलीफ होती है, लिया जाता है। अम्लता, जो कि आयुर्वेद में अम्ल पित्त के नाम से जानी जाती है, एक सामान्य समस्या है जो मुंह में खट्टा स्वाद और छाती में जलन का कारण बनती है। अगर आप इस समस्या से पीड़ित हैं, तो आप अविपत्तिकर चूर्ण का सेवन करके राहत पा सकते हैं। यह चूर्ण एंटासिड के रूप में काम करता है जो अम्लता की समस्या को दूर करने में सहायक होता है। यह सेवन गैस, अम्लता और अपच से पीड़ित पेट को आराम प्रदान करने में मदद करता है।
कब्ज की समस्या दूर करने सबंधी अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे
कब्ज एक आम समस्या है जो अक्सर ही निष्क्रिय खान पान, सुस्त जीवन शैली, अधिक चटपटा खाना, मैदा और तैलीय प्रदार्थों के अधिक सेवन से उत्पन्न होती है। अविपत्तिकर चूर्ण कब्ज को दूर करने में मदद करता है। यह अपच, गैस, एसिडिटी और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं को भी दूर करता है। अविपत्तिकर चूर्ण पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है। इसके सेवन से आपके शरीर के अतिरिक्त वसा को भी कम किया जा सकता है। अविपत्तिकर चूर्ण आपके वजन कम करने में भी मदद कर सकता है। यह आपके शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और आपको स्वस्थ रखता है। अविपत्तिकर चर्ण आंतों को स्वस्थ रखने के लिए बेहद लाभदायक होता है। इसे आयुर्वेद में कब्ज के लिए उपयोगी माना जाता है। इस चर्ण का सेवन करने से पेट साफ होता है और पाचन तंत्र बल मिलता है।
टॉक्सिंस बाहर निकालने में फायदेमंद है अविपत्तिकर चूर्ण
यह चूर्ण पाचन क्रिया को बढ़ाने और आंतों के स्वस्थ फंक्शन को सुधारने में मदद करता है। अविपत्तिकर चूर्ण के बहुत सारे फायदे होते हैं जैसे कि यह आमतौर पर बवासीर के इलाज में उपयोग किया जाता है। यह चूर्ण भी अपच, गैस, एसिडिटी, उल्टी, कब्ज और अन्य आम स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपयोग किया जा सकता है।
अविपत्तिकर चूर्ण के उपयोग से शरीर में जमा हुए टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह शरीर के अन्य अंगों के लिए भी फायदेमंद होता है जैसे कि कुछ संक्रमणों या आमशय में विषाक्तता के लिए। अविपत्तिकर चूर्ण में एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा होती है। इसलिए इसका सेवन करने से शरीर से सभी हानिकारक या विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इससे आंतों की सफाई होती है। आयुर्वेद में बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए अक्सर इस चूर्ण का सेवन किया जाता है।
अविपत्तिकर चूर्ण के उपयोग से शरीर में जमा हुए टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह शरीर के अन्य अंगों के लिए भी फायदेमंद होता है जैसे कि कुछ संक्रमणों या आमशय में विषाक्तता के लिए। अविपत्तिकर चूर्ण में एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा होती है। इसलिए इसका सेवन करने से शरीर से सभी हानिकारक या विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इससे आंतों की सफाई होती है। आयुर्वेद में बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए अक्सर इस चूर्ण का सेवन किया जाता है।
पेशाब की रुकावट दूर करने में अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे
अविपत्तिकर चूर्ण एक प्राकृतिक आयुर्वेदिक दवा है जो पेट संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। इसका उपयोग पेशाब की रुकावट को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। जब शरीर में भोजन का पाचन नहीं होता है तो आमतौर पर पेशाब में रुकावट होती है। अविपत्तिकर चूर्ण का उपयोग पेशाब में रुकावट को दूर करने के लिए किया जाता है। यह दवा पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है जो अपच और पेशाब संबंधी समस्याओं को ठीक करता है। अविपत्तिकर चूर्ण का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लें। यह दवा शुद्धिकरण और पाचन के लिए उपयोगी होती है इसलिए इसका नियमित उपयोग सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है। अविपत्तिकर चूर्ण के सेवन से पेशाब में रुकावट की समस्या दूर हो सकती है। यह चूर्ण डायूरेटिक गुणों से भरपूर होता है जो इस समस्या से राहत दिलाते हैं। इससे शरीर में मौजूद गंदगी को भी पेशाब के जरिए बाहर निकाला जा सकता है।
भूख बढाने में अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे
अविपत्तिकर चूर्ण एक प्राकृतिक आयुर्वेदिक दवा है जो पेट संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। इसका उपयोग भूख बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। यह दवा पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है जो अपच और पेट संबंधी समस्याओं को ठीक करता है जो फिर से भूख को बढ़ाता है। अविपत्तिकर चूर्ण आपकी भूख बढ़ाने में मदद कर सकता है। यदि आपको भूख नहीं लगती है, तो आप इसका सेवन कर सकते हैं। इससे आपका पाचन तंत्र ठीक से काम करेगा और आपको समुचित भूख लगेगी। इसके अलावा, यह आपके खाने को पचाने में मदद करता है और आपकी भूख भी बढ़ाता है। अविपत्तिकर चूर्ण में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही, यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में भी मदद करता है जो आपकी भूख को बढ़ाने में मदद करता है।
इसके लिए सभी सामग्री को अलग-अलग पीस लें और मिश्रण करें। इसमें निशोथ और मिश्री को छोड़कर बाकी सभी सामग्री को एक साथ पीसना होगा। अब इसमें निशोथ और मिश्री मिलाएं और फिर से अच्छी तरह मिश्रित करें। इस तैयार मिश्रण को एक सुखी जगह पर एक जार में भर कर रख दें। इसे रोजाना एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ दो बार खाने के बाद सेवन करें।
अविपत्तिकर चूर्ण शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, पाचन क्रिया को सुधारता है, स्वस्थ पेट की समस्याओं को दूर करता है और आपको स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसके सेवन से पेट सम्बंधित समस्याओं जैसे कब्ज, अम्लता, जलन और उल्टी से राहत मिलती है। इसका सेवन डॉक्टर की सलाह उपरान्त निश्चित मात्रा में करें।
अविपत्तिकर चूर्ण बनाने का तरीका (How to Make Avipattikar Churna)
अविपत्तिकर चूर्ण तैयार करने के लिए सामग्री जैसे सोंठ, छोटी पिप्पली, काली मिर्च, हरड़, बहेड़ा, आंवला, नागरमोथा, छोटी इलायची, तेजपत्ता, लौंग, विड नमक, बायबिड़ग और निशोथ की आवश्यकता होती है।इसके लिए सभी सामग्री को अलग-अलग पीस लें और मिश्रण करें। इसमें निशोथ और मिश्री को छोड़कर बाकी सभी सामग्री को एक साथ पीसना होगा। अब इसमें निशोथ और मिश्री मिलाएं और फिर से अच्छी तरह मिश्रित करें। इस तैयार मिश्रण को एक सुखी जगह पर एक जार में भर कर रख दें। इसे रोजाना एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ दो बार खाने के बाद सेवन करें।
अविपत्तिकर चूर्ण शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, पाचन क्रिया को सुधारता है, स्वस्थ पेट की समस्याओं को दूर करता है और आपको स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसके सेवन से पेट सम्बंधित समस्याओं जैसे कब्ज, अम्लता, जलन और उल्टी से राहत मिलती है। इसका सेवन डॉक्टर की सलाह उपरान्त निश्चित मात्रा में करें।
More Recommendations to explore
- पतंजलि दिव्य शुद्धि चूर्ण और झंडू नित्यम चूर्ण में कौन सा चूर्ण अच्छा है ?
- एलोवेरा (घृतकुमारी) तेल के फायदे लंबे और घने बाल Aloe Vera Oil for Healthy Hair Hindi
- ब्रोकली के फायदे, उपयोग के तरीके Broccoli Benefits, Uses in Hindi
- एलोवेरा (घृतकुमारी) के फायदे, उपयोग और नुकसान Benefits, Uses of Aloe Vera in Hindi
- Constipation Sign Causes Ayurvedic Medicines & Home Remedies
- हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे Benefits of Hingwashtak Churna
- अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे घटक उपयोग Avipattikar Churna Benefits Ayurvedic Medicine for Acidity
- पतंजलि उदरकल्प चूर्ण फायदे घटक सेवन विधि Patanjali Udarkalp Churna ke Fayade Benefits
- पतंजलि बिल्वादि चूर्ण के फायदे घटक सेवन विधि Benefits of Patanjali Bilwadi Churna Bilwadi Churn Ke Fayade in Hindi
- पतंजलि पंचकोल चूर्ण के फायदे और घटक Patanjali Panchkol Churna Benefits Composition Usages
अविपत्तिकर चूर्ण के घटक और उनके आयुर्वेदिक लाभ
Sounth सौंठ जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale
Sounth सौंठ जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale: सौंठ (जिंजिबर ऑफ़िसिनेल), अदरक का सूखा रूप है जिसके कई औषधीय फायदे होते हैं । सौंठ को मसालों और दवाओं के रूप में उपयोग किया जाता है। यह भोजन में भी उपयोग किया जाता है और इसके औषधीय गुणों के कारण यह पाचन को सुधारता है और सर्दी और जुखाम जैसी समस्याओं का इलाज करता है।
शूलं पित्तघ्नं रुक्षं च तिक्तं कफकृच्छ्रवात्तृद्विषं श्लेष्मलं च।
विशेषतो विद्यते निःश्वासकासश्वासशुले वातपित्तकफवृत्तिश्च॥
सौंठ के विभिन्न रोगों में उपयोग के बारे में बताया गया है कि सौंठ शूल, पित्त, रुक्षता, तीखापन, कफकृच्छ्रता, वातपित्तकफ वृत्ति, निःश्वास, कास और श्वासशूल जैसी बीमारियों में उपयोगी होता है।
विष्वादिवीटः सौवीरवः कृमिनाश्नो वयःपुषा।
पाचयत्यनिलं वातं चिरोदधि सुखाय च।।
सौंठ विष, कीटों को मारने वाली औषधि, वयस्कों को बल प्रदान करती है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है और वात को शांत करने में मदद करता है।
शूलांतको ज्वरघ्नश्च श्रमघ्नोऽग्निस्तु वातघ्नः।
पाचनं बलवर्धनं च तृष्णाक्षयकरं तथा।।
सौंठ के पाचन और दीपन गुणों का उल्लेख है। सौंठ शूल, ज्वर, श्रम, वात और तृष्णा को दूर करने में मदद करता है और पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
वातपित्तकफानाशं शूलहरं श्रमापहम्।
अग्निसंधानशक्तिश्च पाचनं सौविरं भवेत्।।
सौंठ के विभिन्न गुणों का उल्लेख है। यह वात, पित्त और कफ को नष्ट करने में मदद करता है, शूल, श्रम और कब्ज को दूर करता है और पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
विशेषतो विद्यते निःश्वासकासश्वासशुले वातपित्तकफवृत्तिश्च॥
सौंठ के विभिन्न रोगों में उपयोग के बारे में बताया गया है कि सौंठ शूल, पित्त, रुक्षता, तीखापन, कफकृच्छ्रता, वातपित्तकफ वृत्ति, निःश्वास, कास और श्वासशूल जैसी बीमारियों में उपयोगी होता है।
विष्वादिवीटः सौवीरवः कृमिनाश्नो वयःपुषा।
पाचयत्यनिलं वातं चिरोदधि सुखाय च।।
सौंठ विष, कीटों को मारने वाली औषधि, वयस्कों को बल प्रदान करती है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है और वात को शांत करने में मदद करता है।
शूलांतको ज्वरघ्नश्च श्रमघ्नोऽग्निस्तु वातघ्नः।
पाचनं बलवर्धनं च तृष्णाक्षयकरं तथा।।
सौंठ के पाचन और दीपन गुणों का उल्लेख है। सौंठ शूल, ज्वर, श्रम, वात और तृष्णा को दूर करने में मदद करता है और पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
वातपित्तकफानाशं शूलहरं श्रमापहम्।
अग्निसंधानशक्तिश्च पाचनं सौविरं भवेत्।।
सौंठ के विभिन्न गुणों का उल्लेख है। यह वात, पित्त और कफ को नष्ट करने में मदद करता है, शूल, श्रम और कब्ज को दूर करता है और पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
Kali Mirch काली मिर्च (Piper nigrum)
विदग्धपाचनार्थं तु त्यक्त्वा शुष्कां प्रमार्जयेत्।
शूलं वातं ज्वरं चापि चिरेण नश्यति क्षणात्।।
काली मिर्च के दीपन और पाचन गुणों का उल्लेख है। यह शूल, वात और ज्वर को दूर करने में मदद करता है और दीपन और पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
शूलं वातं ज्वरं चापि चिरेण नश्यति क्षणात्।।
काली मिर्च के दीपन और पाचन गुणों का उल्लेख है। यह शूल, वात और ज्वर को दूर करने में मदद करता है और दीपन और पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
वातं पित्तं कफं हरति त्रिदोषं चापि नाशयेत्।
तृष्णां शोणितपित्तादीन् बाधते दीपनं स्मृतम्।।
काली मिर्च के विभिन्न गुणों का उल्लेख है की यह वात, पित्त और कफ को नष्ट करने में मदद करता है और तृष्णा, रक्त और पित्तादि विकारों को दूर करता है।
तृष्णां शोणितपित्तादीन् बाधते दीपनं स्मृतम्।।
काली मिर्च के विभिन्न गुणों का उल्लेख है की यह वात, पित्त और कफ को नष्ट करने में मदद करता है और तृष्णा, रक्त और पित्तादि विकारों को दूर करता है।
Pippal पिप्पल Piper longum
शोफज्वरक्षयण्निघ्नन् पिप्पली शरीरवृद्धिकृत्।।
पिप्पल के उपयोग से ज्वर, उदररोग, अस्थि शूल, ज्वर, शोफ और क्षय जैसी बीमारियों को ठीक करने का उल्लेख है।
तृष्णादाहश्वासश्रूतवातपित्तघ्नोऽमलप्रदः।
कृमिबिषग्रहण्दोषैर्व्याधिसंशमनश्च सः।।
पिप्पल के विभिन्न गुणों का उल्लेख है। यह तृष्णा, दाह, श्वास, श्रोतव्याधि, वात और पित्त को दूर करता है, अम्ल बनाता है और कृमि, बिषग्रहण और विभिन्न रोगों का इलाज करता है।
कृमिबिषग्रहण्दोषैर्व्याधिसंशमनश्च सः।।
पिप्पल के विभिन्न गुणों का उल्लेख है। यह तृष्णा, दाह, श्वास, श्रोतव्याधि, वात और पित्त को दूर करता है, अम्ल बनाता है और कृमि, बिषग्रहण और विभिन्न रोगों का इलाज करता है।
Harad हरड़ Haritaki Terminalia chebula
त्रिदोषबलहृत् स्वराज्यकारणो जीवन्यपायस्थापनो रसायनः।
शिरोव्रणापहः सकृदुद्गीतः कासहृत् क्षयविनाशनो विभूतिः।।
हरीतकी के विभिन्न गुणों का उल्लेख है। इसका उपयोग त्रिदोषों के बल को बढ़ाने, स्वस्थ जीवन के लिए उपाय स्थापित करने, रसायन के रूप में, शिरोरोगों को दूर करने, कफ और क्षय को नष्ट करने और विभूति बनाने के लिए किया जाता है।
शिरोव्रणापहः सकृदुद्गीतः कासहृत् क्षयविनाशनो विभूतिः।।
हरीतकी के विभिन्न गुणों का उल्लेख है। इसका उपयोग त्रिदोषों के बल को बढ़ाने, स्वस्थ जीवन के लिए उपाय स्थापित करने, रसायन के रूप में, शिरोरोगों को दूर करने, कफ और क्षय को नष्ट करने और विभूति बनाने के लिए किया जाता है।
हरीतकी पित्तशमको रोचनी च।
श्लेष्मलघ्नी तिक्ता दाहप्रशमानी च॥
श्लेष्मलघ्नी तिक्ता दाहप्रशमानी च॥
भावप्रकाश
हरीतकी पित्त को शांत करने वाली, रोचनी और श्लेष्मलघ्नी होती है। यह दाह और जलन को शांत करने में भी मददगार होती है।
हरीतकी पित्त को शांत करने वाली, रोचनी और श्लेष्मलघ्नी होती है। यह दाह और जलन को शांत करने में भी मददगार होती है।
हरीतकी विपाके तिक्तस्वादु लघुः कफवातजित्।
पाचनीयः श्लेष्महरो दीपनो बल्यः स्थैर्यदो वृष्यः॥
हरीतकी विपाक में तिक्त और स्वाद में लघु होती है। यह कफ और वात को शांत करती है। यह पाचन करने वाली होती है और श्लेष्म को हटाती है। यह दीपन, बल्य, स्थैर्यदायक और वृष्य होती है।
पाचनीयः श्लेष्महरो दीपनो बल्यः स्थैर्यदो वृष्यः॥
हरीतकी विपाक में तिक्त और स्वाद में लघु होती है। यह कफ और वात को शांत करती है। यह पाचन करने वाली होती है और श्लेष्म को हटाती है। यह दीपन, बल्य, स्थैर्यदायक और वृष्य होती है।
सर्वदोषहरो हृद्यो दीपनः पाचनं लघु।
चक्षुर्मेहाकृमिरोघजित् सुधावृष्याक्षिकारकः॥
हरीतकी सभी दोषों को हटाने वाली होती है और हृदय के लिए लाभदायक होती है। यह दीपन करने वाली और पाचन करने वाली होती है। यह चक्षु, मूत्र और कीट-रोग को नष्ट करने में मददगार होती है। यह सुधा को बढ़ाने, वृष्य करने और अक्षिका रोग को दूर करने में भी मददगार होती है।
चक्षुर्मेहाकृमिरोघजित् सुधावृष्याक्षिकारकः॥
हरीतकी सभी दोषों को हटाने वाली होती है और हृदय के लिए लाभदायक होती है। यह दीपन करने वाली और पाचन करने वाली होती है। यह चक्षु, मूत्र और कीट-रोग को नष्ट करने में मददगार होती है। यह सुधा को बढ़ाने, वृष्य करने और अक्षिका रोग को दूर करने में भी मददगार होती है।
Baheda भरड़ Bibhitaka Terminalia bellirica
त्रिदोषघ्नं तु बहलं वातपित्तकफवात्।
कफज्वरार्शशूलानामस्थिलोमानिदानतः॥
बहेड़ा तीनों दोषों को शांत करने में मदद करता है और कफज्वर, अर्श, शूल और स्थूलीमान आदि रोगों को ठीक करने में उपयोगी होता है।
कफज्वरार्शशूलानामस्थिलोमानिदानतः॥
बहेड़ा तीनों दोषों को शांत करने में मदद करता है और कफज्वर, अर्श, शूल और स्थूलीमान आदि रोगों को ठीक करने में उपयोगी होता है।
विभीतकी त्रिदोषघ्नी, कफपित्तशमनी।
उष्णवीर्या तिक्तरसा कटुष्णा तिक्तविर्यजा॥
(भावप्रकाश निघण्टु, )
त्रिदोषहरी बल्या च रुक्षा लघुशीतला।
स्वादुरसा तिक्तरसा कटु शीतविर्यजा॥
(भावप्रकाश निघण्टु, )
कफपित्तशमनी चैव त्रिदोषहरिणी तथा।
सर्वास्थानकृशाहृद्या कुष्ठघ्नी मूत्रविषहा॥
(भावप्रकाश निघण्टु, )
ये श्लोक विभीतकी के गुणों का वर्णन करते हैं। इनमें विभीतकी को त्रिदोषघ्नी, कफ और पित्त को शांत करने वाली, उष्णवीर्य, तिक्त रस, कटु शीत वीर्य और स्वादु रस से युक्त बताया गया है।
पाचनं विशुद्धं वातपित्तश्लेष्मलघुशीतलं।
कृशं तिक्तं लघु वीर्यं दीपनं बहुफलं शुभम्॥
(भावप्रकाश निघण्टु, )
विभीतकी के पाचन और दीपन गुणों का वर्णन करते हैं। इसमें विभीतकी को पाचन शुद्ध करने वाली, वात, पित्त और कफ को शांत करने वाली, लघु शीतल, कृश, तिक्त, लघु वीर्य और दीपन के लिए बहुत फायदेमंद बताया गया है।
उष्णवीर्या तिक्तरसा कटुष्णा तिक्तविर्यजा॥
(भावप्रकाश निघण्टु, )
त्रिदोषहरी बल्या च रुक्षा लघुशीतला।
स्वादुरसा तिक्तरसा कटु शीतविर्यजा॥
(भावप्रकाश निघण्टु, )
कफपित्तशमनी चैव त्रिदोषहरिणी तथा।
सर्वास्थानकृशाहृद्या कुष्ठघ्नी मूत्रविषहा॥
(भावप्रकाश निघण्टु, )
ये श्लोक विभीतकी के गुणों का वर्णन करते हैं। इनमें विभीतकी को त्रिदोषघ्नी, कफ और पित्त को शांत करने वाली, उष्णवीर्य, तिक्त रस, कटु शीत वीर्य और स्वादु रस से युक्त बताया गया है।
पाचनं विशुद्धं वातपित्तश्लेष्मलघुशीतलं।
कृशं तिक्तं लघु वीर्यं दीपनं बहुफलं शुभम्॥
(भावप्रकाश निघण्टु, )
विभीतकी के पाचन और दीपन गुणों का वर्णन करते हैं। इसमें विभीतकी को पाचन शुद्ध करने वाली, वात, पित्त और कफ को शांत करने वाली, लघु शीतल, कृश, तिक्त, लघु वीर्य और दीपन के लिए बहुत फायदेमंद बताया गया है।
Amla आँवला Amalaki Phyllanthus emblica
पाचनं लघु शीतोष्णं वातकफविनाशनम्।
रुक्षं तीक्ष्णं विशुद्धं च दीपनं दुर्लभं फलम्॥
(भावप्रकाश निघण्टु)
आंवला को रुक्ष, तीक्ष्ण, लघु, शीत, उष्ण, वात और कफ के नाशक गुणों से सुसज्जित बताया गया है। इसके अलावा यह विशुद्ध और दीपन के लिए भी उपयोगी होता है।
रुक्षं तीक्ष्णं विशुद्धं च दीपनं दुर्लभं फलम्॥
(भावप्रकाश निघण्टु)
आंवला को रुक्ष, तीक्ष्ण, लघु, शीत, उष्ण, वात और कफ के नाशक गुणों से सुसज्जित बताया गया है। इसके अलावा यह विशुद्ध और दीपन के लिए भी उपयोगी होता है।
तच्चं द्रव्यं सुशीतं च पित्तपाकविकारहाम्।
श्रेयस्करं दीपनं च बलवर्धनमिष्यते॥
(धन्वन्तरि निघण्टु, )
आंवला को रसायन, पाचन, दीपन और बलवर्धक बताते हुए इसकी महत्ता को बताता है।
श्रेयस्करं दीपनं च बलवर्धनमिष्यते॥
(धन्वन्तरि निघण्टु, )
आंवला को रसायन, पाचन, दीपन और बलवर्धक बताते हुए इसकी महत्ता को बताता है।
Nagarmotha नागरमोथा Musta Cyperus rotundus
नागरमोथा या पिपली मूल को पाचन और दीपन के लिए उपयोगी माना जाता है। इसके अतिरिक्त, यह अम्ल रस और शीतल गुणों से भी युक्त होता है।
अम्लं शीतं स्निग्धं वातकृद्विषघ्नम्।
रुच्यं पाचनशूलहरं नागरमोथः स्मृतः॥
नागरमोथा को अम्ल, शीत, स्निग्ध और वातकृत् गुणों से सम्पन्न बताया गया है। इसके साथ ही यह पाचन शक्ति व शूलहर गुणों से भी युक्त होता है।
Vai Vidang बाय विडंग Embelia Ribes
बाय विडंग का वानस्पतिक नाम : Embelia ribes Burm.f. (एम्बीलिआ राइबीज) Syn-Antidesma ribes (Burm. f.) Raeuscb. है। वायविडंग या विडंग एक ऐसी जड़ी बूटी है, जिसका आयुर्वेद में कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसका फल या जड़ दोनों ही सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं। यह जड़ी बूटी आमतौर पर हरे रंग की पकने के बाद लाल रंग की और सुखने के बाद काले रंग की दिखाई देती है।
वायविडंग के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। यह प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट होती है जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद करती है. इसके विटामिन और मिनरल्स शक्ति से भरपूर होते हैं जो शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। वायविडंग (विडंग) एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसका आयुर्वेद में कई फायदेमंद उपयोग हैं, जैसे कि बवासीर को दूर करना। इस जड़ी बूटी का उपयोग चूर्ण या अर्क के रूप में करके मूत्र मार्ग से हानिकारक बैक्टीरिया को बाहर निकाल सकता है, जो कब्ज की समस्या को दूर करने के साथ-साथ बवासीर की समस्या को भी दूर करने में मदद कर सकता है।
वायविडंग के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। यह प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट होती है जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद करती है. इसके विटामिन और मिनरल्स शक्ति से भरपूर होते हैं जो शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। वायविडंग (विडंग) एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसका आयुर्वेद में कई फायदेमंद उपयोग हैं, जैसे कि बवासीर को दूर करना। इस जड़ी बूटी का उपयोग चूर्ण या अर्क के रूप में करके मूत्र मार्ग से हानिकारक बैक्टीरिया को बाहर निकाल सकता है, जो कब्ज की समस्या को दूर करने के साथ-साथ बवासीर की समस्या को भी दूर करने में मदद कर सकता है।
कटुरुष्णं स्निग्धरसं तुगण्डमूलकं तथा।
सारं पृथक्त्विजं वातघ्नमिष्टं वातपित्तकृत्॥
बाय विडंग खट्टा, गर्म, तरल, रसयुक्त, तुगण्ड मूलक, सार (मुख्य तत्व), अलग-अलग तत्व, वात और पित्त दोष को नष्ट करने वाली है।
सारं पृथक्त्विजं वातघ्नमिष्टं वातपित्तकृत्॥
बाय विडंग खट्टा, गर्म, तरल, रसयुक्त, तुगण्ड मूलक, सार (मुख्य तत्व), अलग-अलग तत्व, वात और पित्त दोष को नष्ट करने वाली है।
Laghu Ela छोटी एला (Sukshmaila API) Eletteria cardamomum
इलायची (elaichi) पाचन को सुधार कर पेट में गैस और एसिडिटी जैसे विकारों में लाभकारी होती है। भोजन के उपरान्त इलायची की चूर्ण को लेने से गैस और आफरा आदि में राहत मिलती है। छोटी इलायची का वानस्पतिक यानी लैटिन नाम इलेट्टेरिआ कार्डेमोमम् (Elettaria cardamomum Maton), Syn-Alpinia cardamomum (Linn.) Roxb. है। यह जिंजिबेरेसी कुल (Zingiberaceae) यानी अदरक के परिवार का पौधा है।
गुरु स्नेहः सुखवृद्धिर्वृष्याणां वयः कृषिः।
प्रमेहदो रुचिर्गुणः पित्तमासामपी वृषाम्॥
लघु एला के गुण हैं गुरु स्नेह यानी शरीर की सुख वृद्धि, वृष्याणां यानी शुक्राणुओं की वृद्धि, वयः कृषि यानी उम्र की बढ़ोतरी, प्रमेह दो रुचिर यानी मधुमेह को रोकने में सहायक और पित्त विकारों को भी नष्ट करने में सहायक है।
तालुमूत्रसघातघ्नी मूत्रकृच्छ्रघ्नी कटुरी।
रुक्षश्वासघ्नी दुर्गन्धा त्रिविधा तूत्तरी वाच्यते॥
लघु एला तीन प्रकार की होती है: तालुमूत्रसघातघ्नी यानी मूत्र संबंधी घातक परिणाम को रोकने में सहायक, मूत्रकृच्छ्रघ्नी यानी मूत्रकृच्छ्र से राहत प्रदान करने में सहायक, कटुरी यानी कफ-पित्त संबंधी विकार को नष्ट करने में सहायक होती हैं।
प्रमेहदो रुचिर्गुणः पित्तमासामपी वृषाम्॥
लघु एला के गुण हैं गुरु स्नेह यानी शरीर की सुख वृद्धि, वृष्याणां यानी शुक्राणुओं की वृद्धि, वयः कृषि यानी उम्र की बढ़ोतरी, प्रमेह दो रुचिर यानी मधुमेह को रोकने में सहायक और पित्त विकारों को भी नष्ट करने में सहायक है।
तालुमूत्रसघातघ्नी मूत्रकृच्छ्रघ्नी कटुरी।
रुक्षश्वासघ्नी दुर्गन्धा त्रिविधा तूत्तरी वाच्यते॥
लघु एला तीन प्रकार की होती है: तालुमूत्रसघातघ्नी यानी मूत्र संबंधी घातक परिणाम को रोकने में सहायक, मूत्रकृच्छ्रघ्नी यानी मूत्रकृच्छ्र से राहत प्रदान करने में सहायक, कटुरी यानी कफ-पित्त संबंधी विकार को नष्ट करने में सहायक होती हैं।
Tej Patra तेजपत्र Cinnamomum tamala, Indian bay leaf
तेजपत्र भारतीय मसाला है, जो बागवानी और पाक-स्वादिष्ट व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। यह लम्बे और चमकदार पत्तों वाले तेज पत्र पौधे से प्राप्त किया जाता है। इसका गहरा हरा रंग, तीखी सुगंध के कारण इसे मसाले के रूप में उपयोग में लाया जाता है। खुशबु के अतिरिक्त इसके कई ओषधिय लाभ भी होते हैं।
तेज पत्र का वैज्ञानिक नाम लॉरस नोबिलिस (laurus nobilis) है। तेज पत्ते में पाचन को सुधारने वाले गुण होते हैं जो पाचन क्रिया को बेहतर बना सकते हैं। इसका उपयोग भोजन में करने से पाचन में सुधार आता है।
तेज पत्र का वैज्ञानिक नाम लॉरस नोबिलिस (laurus nobilis) है। तेज पत्ते में पाचन को सुधारने वाले गुण होते हैं जो पाचन क्रिया को बेहतर बना सकते हैं। इसका उपयोग भोजन में करने से पाचन में सुधार आता है।
तेजपत्रं शीतलं रुक्षं गुरुश्च तिक्तरसं व्रिम्हणं।
संग्राहि श्वासहृद्रोगज्वरार्च्छाश्मदाहप्रणुत्॥
तेजपत्र शीतल, रुक्ष और गुरु होता है, तिक्त रस से युक्त होता है, वात और कफ दोष को दूर करता है। यह हृदय रोग, ज्वर, आर्श (पाईल्स) और अम्लपित्त (हार्टबर्न) को शांत करने में सहायक होता है।
संग्राहि श्वासहृद्रोगज्वरार्च्छाश्मदाहप्रणुत्॥
तेजपत्र शीतल, रुक्ष और गुरु होता है, तिक्त रस से युक्त होता है, वात और कफ दोष को दूर करता है। यह हृदय रोग, ज्वर, आर्श (पाईल्स) और अम्लपित्त (हार्टबर्न) को शांत करने में सहायक होता है।
तेजो गुणं समासेन रक्षेत्सर्वान् रसां गुणान्।
स्निग्धं शीतं तिक्तं तिक्तोष्णं रुक्षं च सदा तेजपत्रं ते च॥
तेजपत्र सभी रसों के गुणों को समाहित करता है। यह स्नेहजनक, शीतल, तिक्त, तिक्तोष्ण, रुक्ष है और सदा ताजगी बनाए रखता है।
स्निग्धं शीतं तिक्तं तिक्तोष्णं रुक्षं च सदा तेजपत्रं ते च॥
तेजपत्र सभी रसों के गुणों को समाहित करता है। यह स्नेहजनक, शीतल, तिक्त, तिक्तोष्ण, रुक्ष है और सदा ताजगी बनाए रखता है।
- ग्रहणी रोग लक्षण कारण घरेलु समाधान Irritable Bowel Syndrome (IBS) Hindi
- हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे Benefits of Hingwashtak Churna
- पतंजलि अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे घटक सेवन विधि Patanjali Divya Avipattikar Churna Benefits
- पतंजलि उदरकल्प चूर्ण फायदे घटक सेवन विधि Patanjali Udarkalp Churna ke Fayade Benefits
- कब्ज का घरेलु इलाज home remedies to relieve constipation naturally
- पतंजलि दिव्य शुद्धि चूर्ण और झंडू नित्यम चूर्ण में कौन सा चूर्ण अच्छा है ?
- एलोवेरा (घृतकुमारी) तेल के फायदे लंबे और घने बाल Aloe Vera Oil for Healthy Hair Hindi
- ब्रोकली के फायदे, उपयोग के तरीके Broccoli Benefits, Uses in Hindi
- एलोवेरा (घृतकुमारी) के फायदे, उपयोग और नुकसान Benefits, Uses of Aloe Vera in Hindi
- Patanjali Divya Chitrakadi Vati Benefits ingredients Uses
Lavang लौंग Lavang (Syzgium aromaticum)
लौंग, जिसे अंग्रेजी में "Clove" भी कहा जाता है, एक मसाला है जो खाने को स्वादिष्ट बनाता है और विभिन्न पाचन सम्बन्धी गुणों से भरपूर है। लौंग एंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर होता है जो पाचन को सुधारता है और पेट में गैस, एसिडिटी और एलर्जी की समस्याओं को कम करता है। लौंग में मौजूद उष्ण तत्व पाचन तंत्र को ऊर्जा देते हैं।
वातकफहरं चैव लघु तिक्तोष्णं च युक्तितः॥
लौंग महकदार, वीर्यवान, तीक्ष्ण, दीपन, बलप्रद, वात और कफ को हरने वाला है, लघु, तिक्त और उष्ण है।
लघु तिक्तोष्णं लवण्गमाकर्षयति सर्वकीलृतम्।
चर्वणं कृमिग्रहणं बुद्धिवृद्धिकरं परम्॥
लौंग लघु, तिक्त, उष्ण होता है और दंत से सम्बंधित समस्याओं को दूर करता है।
Ayurvedic Treatment for Acidity | Acharya Balkrishna
पेट फूलना, आफरा, खट्टी डकारों के लिए घरेलु उपाय
शुंठी चूर्ण: एक चम्मच शुंठी का चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करें। शुंठी पाचन को सुधारता है और पेट की गैस को कम करने में मदद करती है।हींग चूर्ण: आधा चम्मच हींग का चूर्ण थोड़े से पानी में मिलाकर सेवन करें। हींग में मौजूद एंटी-फ्लैटुलेंट गुण पेट की गैस को कम करते हैं और पेट को हल्का बनाते हैं।
अजवाइन चूर्ण: एक चम्मच अजवाइन का चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करें। अजवाइन पाचन को सुधारता है, पेट की गैस को कम करती है और पेट को आराम पहुंचाती है।
सौंफ चूर्ण: एक चम्मच सौंफ का चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करें। सौंफ पेट की गैस को कम करने में मदद करता है और पाचन को सुधारता है।
जीरा चूर्ण: एक चम्मच जीरा का चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करें। जीरा पेट की गैस को कम करता है, पाचन को सुधारता है और पेट को शांति पहुंचाता है।
पाचन को बेहतर करने के उपाय Ways to improve digestion
नींबू पानी: सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में एक नींबू का रस मिलाकर पिएं। नींबू पानी पाचन को सुधारता है और पेट की समस्याओं को कम करता है।अजवाइन और काली मिर्च: एक चम्मच अजवाइन और आधा चम्मच काली मिर्च पानी के साथ मिलाकर सेवन करें। यह मिश्रण पाचन को सुधारता है और पेट की गैस को कम करता है।
त्रिफला चूर्ण: रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ ले लें। त्रिफला चूर्ण पाचन को सुधारता है, कब्ज को दूर करता है और पेट से जुड़ी समस्याओं को कम करता है।
जीरा पानी: एक गिलास पानी में एक चम्मच जीरा डालकर उबालें। उबाल आने पर गैस बंद करके ठंडा होने दें और फिर इस पानी को सुबह और शाम को सेवन करें। जीरा पानी पाचन को सुधारता है और पेट की गैस को कम करता है।
हरड़ चूर्ण: एक चम्मच हरड़ चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करें। हरड़ पाचन को सुधारता है, गैस को कम करता है।
पुदीना पानी: एक गिलास पानी में एक चम्मच पुदीना पत्ती का रस निकालकर मिलाएं। यह पाचन को सुधारता है, पेट की गैस को कम करता है और ताजगी देता है।
अदरक और शहद: सुबह खाली पेट एक छोटी सी टुकड़ी अदरक को गुड़ या शहद के साथ ले लें। अदरक पाचन को सुधारता है, पेट की समस्याओं को कम करता है और शहद ताजगी देता है।
खाने के बाद थोड़ी सी धनिया पत्तियां चबाएं। धनिया पाचन को सुधारता है और अपच को कम करता है।
उचित आहार और पानी: स्वस्थ आहार खाएं जिसमें पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियां, अनाज, दालें और प्राकृतिक पानी शामिल हो। समय पर पानी पिएं और भोजन के बाद भी पानी पिएं, जो पाचन को सुधारेगा।
More Recommendations to explore
- शुद्धि चूर्ण फायदे और उपयोग Patanjali Shuddhi Churna Benefits Hindi
- पतंजलि दिव्य शुद्धि चूर्ण और झंडू नित्यम चूर्ण में कौन सा चूर्ण अच्छा है ?
- एलोवेरा (घृतकुमारी) तेल के फायदे लंबे और घने बाल Aloe Vera Oil for Healthy Hair Hindi
- ब्रोकली के फायदे, उपयोग के तरीके Broccoli Benefits, Uses in Hindi
- एलोवेरा (घृतकुमारी) के फायदे, उपयोग और नुकसान Benefits, Uses of Aloe Vera in Hindi
- Constipation Sign Causes Ayurvedic Medicines & Home Remedies
FAQs on Avipattikar Churna in Hindi
अविपत्तिकर चूर्ण क्या है?
उत्तर: अविपत्तिकर चूर्ण एक आयुर्वेदिक चिकित्सा उपचार है जो अपच, एसिडिटी और गैस समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। इस चूर्ण में विभिन्न जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है, जैसे सौंठ, जीरा, धनिया, हरड़, बहेड़ा, आंवला आदि। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है और गैस और एसिडिटी समस्याओं से राहत मिलती है।
उत्तर: अविपत्तिकर चूर्ण एक आयुर्वेदिक चिकित्सा उपचार है जो अपच, एसिडिटी और गैस समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। इस चूर्ण में विभिन्न जड़ी बूटियों का मिश्रण होता है, जैसे सौंठ, जीरा, धनिया, हरड़, बहेड़ा, आंवला आदि। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है और गैस और एसिडिटी समस्याओं से राहत मिलती है।
अविपत्तिकर चूर्ण का सेवन कैसे करें?
उत्तर: अविपत्तिकर चूर्ण को एक गिलास गर्म पानी के साथ मिलाकर सेवन करना चाहिये। आप इसे भोजन से 30 मिनट पहले ले सकते हैं। आप इसे रात को सोने से 1 घंटे पहले भी ले सकते हैं। हालांकि, अविपत्तिकर चूर्ण के सेवन से पहले एक विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करना उचित होता है।
उत्तर: अविपत्तिकर चूर्ण को एक गिलास गर्म पानी के साथ मिलाकर सेवन करना चाहिये। आप इसे भोजन से 30 मिनट पहले ले सकते हैं। आप इसे रात को सोने से 1 घंटे पहले भी ले सकते हैं। हालांकि, अविपत्तिकर चूर्ण के सेवन से पहले एक विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करना उचित होता है।
अविपत्तिकर चूर्ण के फायदे क्या हैं?
उत्तर: अविपत्तिकर चूर्ण के कुछ मुख्य फायदे निम्नलिखित हैं:
उत्तर: अविपत्तिकर चूर्ण के कुछ मुख्य फायदे निम्नलिखित हैं:
- अपच, एसिडिटी और गैस समस्याओं से राहत मिलती है।
- पाचन तंत्र को मजबूत करता है और भोजन को अच्छी तरह से पचाने में मदद करता है।
- त्वचा संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है।
- श्वसन तंत्र संबंधी समस्याओं को भी ठीक करता है।
- यह शरीर को ताकत देता है और तनाव को कम करता है।
क्या अविपत्तिकर चूर्ण के कोई दुष्प्रभाव हो सकते हैं?
उत्तर: अविपत्तिकर चूर्ण के अधिक सेवन से कुछ लोगों को उल्टी, दस्त, जी मिचलाना, त्वचा विकार और दर्द जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं। अविपत्तिकर चूर्ण को सामान्यतः सेवन करने से कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। हालांकि, कुछ लोगों को इसके सेवन से पेट में दर्द जैसे समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, इसे समझदारीपूर्वक लेना चाहिए और इसके सेवन से पहले एक विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करना उचित होता है।
उत्तर: अविपत्तिकर चूर्ण के अधिक सेवन से कुछ लोगों को उल्टी, दस्त, जी मिचलाना, त्वचा विकार और दर्द जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं। अविपत्तिकर चूर्ण को सामान्यतः सेवन करने से कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। हालांकि, कुछ लोगों को इसके सेवन से पेट में दर्द जैसे समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, इसे समझदारीपूर्वक लेना चाहिए और इसके सेवन से पहले एक विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करना उचित होता है।
प्रश्न: क्या अविपत्तिकर चूर्ण गर्भवती महिलाओं द्वारा सेवन किया जा सकता है?
अविपत्तिकर चूर्ण के सेवन से पहले एक विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करना जरूरी होता है।
अविपत्तिकर चूर्ण के सेवन से पहले एक विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करना जरूरी होता है।
अविपत्तिकर चूर्ण कैसे लें ?
अविपत्तिकर चूर्ण को गर्म पानी के साथ लेना अच्छा होता है। आमतौर पर, इसे खाने से 30 मिनट पहले लेना चाहिए। दिन में दो बार सेवन कर सकते हैं। इसे बाजार से उपलब्ध आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
अविपत्तिकर चूर्ण को गर्म पानी के साथ लेना अच्छा होता है। आमतौर पर, इसे खाने से 30 मिनट पहले लेना चाहिए। दिन में दो बार सेवन कर सकते हैं। इसे बाजार से उपलब्ध आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
पाचन को दुरुस्त करने के कुछ योग आसन :-
- पवनमुक्तासन
- आपानासन
- बालासन
- धनुरासन
- वज्रासन
Heath/Medical Disclaimer : The
information contained in this post is for
educational and informational purposes only and is not intended as
medical advice. Always consult with a qualified healthcare professional
before making any changes to your health or wellness routine or making
opinion for Avipattikar Churna.The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has
presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple
and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life
and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
Please Read Our Website (Blog) Medical Disclaimer by visiting here
Please Read Our Website (Blog) Medical Disclaimer by visiting here