कोई नहीं अपना समझ मना भजन लिरिक्स

कोई नहीं अपना समझ मना भजन लिरिक्स Koi Nahi Apna Samajh Mana Bhajan

 
कोई नहीं अपना समझ मना लिरिक्स Koi Nahi Apna Samajh Mana Lyrics

चाकी चाकी सब कहें, कीली कहें ना कोय,
जो कीली से लाग रहा, वाको बाल ना बाँका होय,

कोई नहीं अपना, समझ मना,
धन दौलत तेरा माल खजीना (खजाना),
दो दिन का सपना, समझ मना,
कोई नहीं अपना, समझ मना,

नंगा आना, नंगा जाना,
नहीं कपडा रखना, समझ मना,
कोई नहीं अपना, समझ मना,

त्रिकुटी में से जान निकल गई,
मुंह पर डाल्यो ढकना, समझ मना,
कोई नहीं अपना, समझ मना,

चार जना मिल खटिया उठाना,
जंगल बीच रखना, समझ मना,
कोई नहीं अपना, समझ मना,

जंगल की लाइ लकड़ी की मौली,
उन से तो फूंकना, समझ मना,
कोई नहीं अपना, समझ मना,

कहत कबीर सुनो भाई साधो,
कहे हो कबीर सुनो मेरे साधो,
वो ही है घर अपना, समझ मना,
कोई नहीं अपना, समझ मना,


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Spreading the message of Sant Kabir and explaining his relevance in the modern world, documentary filmmaker and folk singer Shabnam Virmani gave a great performance.Jashn-e-Rekhta is a three-day festival celebrating Urdu and our composite culture. It is held every year in Delhi under the aegis of the Rekhta Foundation, a not-for-profit organization devoted to the preservation and promotion of the languages and literature of the Indian sub-continent .


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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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