पिय बिन सूनो छे जी म्हारो देश एसो है कोई पिय से मिलावै, तन मन करुं सब पेश, तेरे कारण बनबन डोलुं करके जोगण वेश, पिय बिन सूनो छे जी म्हारो देश,
पिय बिन सूनो छे जी म्हारो भजन
मीरा बाई ईश्वर प्राप्ति/कृष्ण प्राप्त के विरह की अग्नि में जल रही हैं और कहती हैं की जो भी मुझे मेरे स्वामी (श्री कृष्ण) जी से मिलवा सके उसके समक्ष मैं अपना तन और मन, सर्वश्व समर्पित करने को तैयार हूँ। हरी को उलाहना देते हुए बाई मीरा कहती हैं की तुम्हारे से मिलने की खातिर मैं तो बन बन भटकती फिर रही हूँ और मैंने जोगण (साधू) का वेश धारण कर लिया है। पिया के बगैर मेरा देस/आत्मा सुना है। कितना समय बीत गया है लेकिन हरी तो अभी तक नहीं आए हैं। आपके इन्तजार में मेरे केश भी काले से सफ़ेद हो चुके हैं, अर्थात यह देह वृद्ध हो चुकी है। मीरा बाई के ईश्वर आप कब मिलोगे मैंने आपके मिलन की आस में यह नगर और देश सब छोड़ दिया है।
पिय बिन सूनो छे जी म्हारो देश
एसो है कोई पिय से मिलावै, तन मन करुं सब पेश, तेरे कारण बनबन डोलुं करके जोगण वेश, पिय बिन सूनो छे जी म्हारो देश,
अवधि बीती अजहुं न आये, पंडर को गया केस, मीरां के प्रभु कब रे मिलोगे, तज दियो नगर न रेस, पिय बिन सूनो छे जी म्हारो देश,
Piy Bin Soono Chhe Jee Mhaaro Desh Eso Hai Koee Piy Se Milaavai, Tan Man Karun Sab Pesh, Tere Kaaran Banaban Dolun
Karake Jogan Vesh, Piy Bin Soono Chhe Jee Mhaaro Desh,
Avadhi Beetee Ajahun Na Aaye, Pandar Ko Gaya Kes, Meeraan Ke Prabhu Kab Re Miloge, Taj Diyo Nagar Na Res, Piy Bin Soono Chhe Jee Mhaaro Desh,
Piya Bina Suno Cheji Mharo Des | Meera Bhajan | Gansaraswati Kishori Amonkar
Other Version
राग दरबारी कान्हरा पिय बिन सूनो छै जी म्हारो देस॥ ऐसो है कोई पिवकूं मिलावै, तन मन करूं सब पेस। तेरे कारण बन बन डोलूं, कर जोगण को भेस॥ अवधि बदीती अजहूं न आए, पंडर हो गया केस। मीरा के प्रभु कब र मिलोगे, तज दियो नगर नरेस॥
शब्दार्थ :- सूनो = सूना। छै =है। म्हारो देस = मेरा देश, मेरे पास। पेस
-समर्पण। बदीती =बीत गई। पंडर = सफेद हो जाना । नगर नरेस = अपने राजा का राज्य
मीरा बाई के अन्य पद Other Meera Bai Pad / Bhajan
meera Bai Bhajan Lyrics Hindi
रमईयां मेरे तोही सूँ लागी नेह।।
लागी प्रीत जिन तोड़ै रे वाला, अधिकौ कीजै नेह। जै हूँ ऐसी जानती रे बाला, प्रती कीयाँ दुष होय। नगर ढँढोरो फेरती रे, प्रीत करो मत कोय। वीर न षाजे आरी रे, मूरष न कीजै मिन्त। षिण तात षिण सीतला रे, षिण वैरी षिण मिन्त। प्रीत करै ते बाबरा रे, करि तोड़ै ते कूर। प्रीत निभावण दल के षभण, ते कोई बिरला सूर। तम गजगीरी कों चूँतरौरे, हम बालू की भीत। अब तो म्याँ कैसे ब्रणै रै, पूरब जनम की प्रीत। एकै थाणे रोपिया रे, इक आँबो इक बूल। बाकौ रस नीकौ लगै रै, बाकी भागे सूल। ज्यूं डूगर का बाहला रे, यूँ ओछा तणा स्नेह। बहता बहेजी उतावरा रे, वे तो सटक बतावे छेह। आयो साँवण भाववा रे, बोलण लागा मोर। मीराँ कूँ हरिजन मिल्या रे, ले गया पवन झकोर।।
Meera Baai Ke Bhajan / Pad मीरा बाई के पद के शब्दार्थ - नेह = प्रेम, प्यार । बाला = वाल्हा, प्रियतम, जीवात्मा । जिन = मत। दुष = दुख, संताप । ढंढोरों फेरती = सभी के समक्ष घोषणा करना, बताना मूरष = मूर्ख। मित = मित्र। षिण क्षण। ताता = गर्म। कूर = क्रूर, निठूर। षभण = बंधन, बाधाएं। गजगोरी की चूंततौरे = सुद्दढ़ चबूतरा। थाणे = स्थान पर। आँबों = आम। बूल = बूबल। नीको = अच्छा। सूल = शूल, काँटे। डूंगर = ऊंचाई। बाहला = बहने वाले स्त्रोत। लटक बतावे छेह = शीघ्र ही नष्ट कर देता है, या तोड़ देता है।
गिरधर रीसाणा कौन गुणाँ।।टेक।। कछुक औगुण हम मैं काढ़ो, मैं भी कान सुणाँ। मैं तो दासी थाराँ जनम जनम की, थें साहब सुगणा। मीराँ कहे प्रभु गिरधरनागर, थारोई नाम भणा।।
Meera Baai Ke Bhajan / Pad मीरा बाई के पद के शब्दार्थ - रीसाणा = क्रोधित होना, अप्रसन्न होना। कौन गुणाँ = किस कारण। काढ़ो = निकालो, बाहर निकालो । कान सुणां = कानो से सुन लूं। सुगणां = गुणी, श्रेष्ठ। थारोई = तुम्हारा। भणां जापा = करती हूँ।
हरि थें हर्या जण री भीर।।टेक।। द्रोपता री लाल राख्याँ थे बढायाँ चीर। भगत कारण रूप नरहरि, धर्यां आप सरीर। बूड़ताँ गजराज, राख्याँ, कट्याँ कुंजर भीर। दासि मीरां लाल गिरधर, हराँ म्हारी भीर।।
Meera Baai Ke Bhajan / Pad मीरा बाई के पद के शब्दार्थ - जन = भक्त। भीर = संकट। नरहरि = नृसिंह। बूढ़तां = डूबता हुआ। राख्यां = रक्षा की। कुञ्जर = हाथी।
Meera Baai Ke Bhajan / Pad मीरा बाई के पद के शब्दार्थ - निभायाँ =पूर्ण कर दीजिये, निभा दीजिये। वाँह गह्याँरि = बाँह पकड़ने की, अपना लेने की। पाज = प्राण। थें विण = तुम्हारे बिना। अकाज = हानि। जुग-जुग = युग-युगों से। भीर = संकट। दीश्याँ = दीखा। मोच्छ = मोक्ष। नेवाज = दयालु।
हरि बिन कूण गती मेरी।।टेक।। तुम मेरे प्रतिपाल कहिए, मैं रावरी चेरी। आदि अंत निज नाँव तेरो, हीया में फेरी। बेरि बेरि पुकारि कहूँ, प्रभु आरति है तेरी। थौ संसार विकार सागर, बीच में घेरी। नाव फाटी प्रभु पाल बाँधो, बूड़त है बेरी। बिरहणि पिवकी बाट जोवे, राखिल्यौ नेरी। दासि मीरां राम रटत है, मैं सरण हूं तेरी।।
Meera Baai Ke Bhajan / Pad मीरा बाई के पद के शब्दार्थ - कूण = कौन। गती = गति, दया। प्रतिपाल = पालन करने वाले ईश्वर । रावरी चेरी = तुम्हारी दासी। नाँव = नाम। हीय = हृदय। बेरि-बेरि = बार बार। आरति = आरती, प्रबल इच्छा। बिकार = विकार, दुःख। बेरी = बेड़ा, छोटी नांव। पिव की = प्रियतम की। नेरी = नेड़ी, पास।
प्रभुजी थे कहाँ गया नेहड़ा लगाय।।टेक।। छोड़या म्हाँ विस्वास सँगती, प्रेम री बाती जलाय। बिरह समेद में छोड़ गया छो, नेह री नांव चलाय। मीराँ रे प्रभु कबेर मिलोगे थे बिण रह्याँ ण जाय।।
Meera Baai Ke Bhajan / Pad मीरा बाई के पद के शब्दार्थ - नेहड़ा = नेह, स्नेह, प्रेम । विश्वास सँगानी = विश्वासघात करने वाला, धोखेबाज़ । समंद = समुद्र। नेह री = प्रेम की।