वृन्दावन जाऊँगी सखी वृन्दावन जाऊँगी

वृन्दावन जाऊँगी सखी वृन्दावन जाऊँगी


Latest Bhajan Lyrics

वृन्दावन जाऊँगी,
सखी वृन्दावन जाऊँगी,
(वृन्दावन जाऊँगी,
सखी वृन्दावन जाऊँगी,)
मेरे उठे विरह में पीर,
सखी वृन्दावन जाउंगी,
मुरली बाजे यमुना तीर,
सखी वृन्दावन जाऊँगी,
सब द्वारन को छोड़ के,
श्यामा आई तेरे द्वार,
श्री वृषभान की लाडली,
मेरी और निहार।
(राधे राधे, राधे, राधे राधे, राधे,
राधे राधे, राधे, राधे राधे, राधे। )

वृन्दावन जाऊँगी,
नहीं फिर लौट के आउंगी,
वृन्दावन जाऊँगी,
नहीं फिर लौट के आउंगी,
बाजे मुरली यमुना तीर,
वृन्दावन जाऊँगी,
मेरे उठे विरह में पीर,
सखी वृन्दावन जाउंगी,

 
छोड़ दिया मेने भोजन पानी,
श्याम की याद में,
मेरे नैनन बरसे नीर,
सखी वृन्दावन जाऊँगी,
सब द्वारन को छोड़ के,
श्यामा आई तेरे द्वार,
श्री वृषभान की लाडली,
मेरी और निहार।

श्याम सलौनी सूरत पे,
दीवानी हो गई,
अब कैसे धरूँ धीर सखी,
सखी वृन्दावन जाऊँगी,
सब द्वारन को छोड़ के,
श्यामा आई तेरे द्वार,
श्री वृषभान की लाडली,
मेरी और निहार।

इस दुनियां के रिश्ते नाते,
सब ही छोड़ दीये,
तोय कैसे दिखाऊं दिल चीर,
सखी वृन्दावन जाऊँगी,
सब द्वारन को छोड़ के,
श्यामा आई तेरे द्वार,
श्री वृषभान की लाडली,
मेरी और निहार।

नैन लड़े मेरे गिरधारी से,
बाँवरी हो गई,
दुनियां से हो गई अंजानी,
सखी वृन्दावन जाऊँगी,
सब द्वारन को छोड़ के,
श्यामा आई तेरे द्वार,
श्री वृषभान की लाडली,
मेरी और निहार।

वृन्दावन जाऊँगी,
सखी वृन्दावन जाऊँगी,
(वृन्दावन जाऊँगी,
सखी वृन्दावन जाऊँगी,)
मेरे उठे विरह में पीर,
सखी वृन्दावन जाउंगी,
मुरली बाजे यमुना तीर,
सखी वृन्दावन जाऊँगी,
सब द्वारन को छोड़ के,
श्यामा आई तेरे द्वार,
श्री वृषभान की लाडली,
मेरी और निहार।
भजन श्रेणी : कृष्ण भजन (Krishna Bhajan)


वृन्दावन जाऊँगी सखी री वृन्दावन जाऊँगी !! चित्र विचित्र जी महाराज !! गोहाना हरियाणा !! बृज भाव

Vrindavan Jaungi,
Sakhi Vrindavan Jaungi,
(Vrindavan Jaungi,
Sakhi Vrindavan Jaungi,)
Mere Uthe Virah Mein Pir,
Sakhi Vrindavan Jaungi,
Murali Baaje Yamuna Tir,
Sakhi Vrindavan Jaungi,
Sab Dvaaran Ko Chhod Ke,
Shyaama Aai Tere Dvaar,
Shri Vrshabhaan Ki Laadali,
Meri Aur Nihaar.
(Raadhe Raadhe, Raadhe, Raadhe Raadhe, Raadhe,
Raadhe Raadhe, Raadhe, Raadhe Raadhe, Raadhe. )

भजन कृष्ण की प्रेमिका राधा की विरह की भावनाओं को व्यक्त करता है। भजन की शुरुआत में, राधा कहती है कि वह वृंदावन जाएगी, जहां कृष्ण रहते हैं। वह कहती है कि वह अपने विरह के दर्द से इतनी परेशान हो गई है कि वह वृंदावन छोड़कर कृष्ण के पास नहीं रह सकती।
 
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