राजस्थानी मुहावरे हिंदी अर्थ सहित Rajasthani Muhavare Hindi Meaning राजस्थानी मुहावरे हिंदी अर्थ सहित/हिंदी मीनिंग - 3
अक्ल बिना ऊँट उभाणा फिरै ( Akal Bina Unt Ubhana Phiere)
हिंदी अर्थ : मुर्ख व्यक्ति उपलब्ध संसाधनों के उपयोग नहीं कर सकता है। शाब्दिक अर्थ है की ऊंट गर्म जमीन पर नंगे पाँव फिरता है यदि उसे अक्ल हो, विवेक हो, बुद्धि हो तो वह भी अवश्य ही जूते पहन सकता है और अपने पावों की हिफाजत कर सकता है।
अभाग्यों टाबर त्यूंहार नै रूसै (Abhagyo Tabar Tyonhar Ne Ruse)
हिंदी में अर्थ : अभागा, जिसकी किस्मत अच्छी ना हो, वह बच्चा (टाबर-बच्चा, शिशु) त्योंहार के अवसर पर नाराज होता है। अर्थ है की दुर्भाग्यशाली व्यक्ति अवसर का लाभ नहीं उठा पाता है।
अम्बर को तारों हाथ सै कोनी टूटे (Ambar Ko Taro Hath Se Koni Tute)
हिंदी अर्थ : यदि कोई कार्य असम्भव ही तो वह वास्तव में किसी व्यक्ति के सामर्थ्य का विषय नहीं है।
इसे ऐसे समझने की एक व्यक्ति पुरे समाज को सुधार नहीं सकता है, उसके बस की बात नहीं है तो हम कहेंगे की " अंबर को तारो हाथ से कोणी टूटे"
अंबर को तारों : आकाश का तारा (सितारा)
हाथ से : व्यक्ति के हाथों से।
कोणी टूटे : तोडा नहीं जा सकता है।
अत किसी असम्भव कार्य के लिए, करने वाले का सामर्थ्य यदि कमतर हो और लक्ष्य बड़ा हो तो इस मुहावरे का उपयोग किया जाता है।
अरड़ावता ऊँट लदै (Ardavata Unt Lade)
हिंदी में अर्थ : इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है की ऊंट जो कराह रहा है (अधिक भार के कारण ) उस पर और अधिक भार को लाद देना। अतः जब किसी कमजोर व्यक्ति, रुग्ण व्यक्ति पर जो पहले से दुखी है, उस पर और अधिक कार्य या जिम्मेदारियों का भार लाद देने पर इस मुहावरे का उपयोग किया जाता है। एक शब्द में इसका अर्थ हुआ कमजोर की पुकार पर ध्यान ना देकर उसे अधिक परेशान करना।
हिंदी अर्थ : मुर्ख व्यक्ति उपलब्ध संसाधनों के उपयोग नहीं कर सकता है। शाब्दिक अर्थ है की ऊंट गर्म जमीन पर नंगे पाँव फिरता है यदि उसे अक्ल हो, विवेक हो, बुद्धि हो तो वह भी अवश्य ही जूते पहन सकता है और अपने पावों की हिफाजत कर सकता है।
अभाग्यों टाबर त्यूंहार नै रूसै (Abhagyo Tabar Tyonhar Ne Ruse)
हिंदी में अर्थ : अभागा, जिसकी किस्मत अच्छी ना हो, वह बच्चा (टाबर-बच्चा, शिशु) त्योंहार के अवसर पर नाराज होता है। अर्थ है की दुर्भाग्यशाली व्यक्ति अवसर का लाभ नहीं उठा पाता है।
अम्बर को तारों हाथ सै कोनी टूटे (Ambar Ko Taro Hath Se Koni Tute)
हिंदी अर्थ : यदि कोई कार्य असम्भव ही तो वह वास्तव में किसी व्यक्ति के सामर्थ्य का विषय नहीं है।
इसे ऐसे समझने की एक व्यक्ति पुरे समाज को सुधार नहीं सकता है, उसके बस की बात नहीं है तो हम कहेंगे की " अंबर को तारो हाथ से कोणी टूटे"
अंबर को तारों : आकाश का तारा (सितारा)
हाथ से : व्यक्ति के हाथों से।
कोणी टूटे : तोडा नहीं जा सकता है।
अत किसी असम्भव कार्य के लिए, करने वाले का सामर्थ्य यदि कमतर हो और लक्ष्य बड़ा हो तो इस मुहावरे का उपयोग किया जाता है।
अरड़ावता ऊँट लदै (Ardavata Unt Lade)
हिंदी में अर्थ : इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है की ऊंट जो कराह रहा है (अधिक भार के कारण ) उस पर और अधिक भार को लाद देना। अतः जब किसी कमजोर व्यक्ति, रुग्ण व्यक्ति पर जो पहले से दुखी है, उस पर और अधिक कार्य या जिम्मेदारियों का भार लाद देने पर इस मुहावरे का उपयोग किया जाता है। एक शब्द में इसका अर्थ हुआ कमजोर की पुकार पर ध्यान ना देकर उसे अधिक परेशान करना।
असो भगवान्यू भोलो कोनी जको भूखो भैँसा मेँ जाय (Aiso Bhagvanyu Bholo Koni Jhako Bhuko Bhainsa Me Jaay)
असो : ऐसा।
भगवान्यू : एक व्यक्ति का नाम।
भोलो कोनी : भोला, नादाँ नहीं है।
जको : जो।
भूखो : बिना आहार किए (बिना स्वंय का फायदा देखे)
भैँसा मेँ जाय : भैसा गाडी से / भैंसा के कार्य लेना।
हिंदी अर्थ : इस मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है की भगवाना / भगवान्यूं इतना भोला नहीं है की भूखा ही भैसों के मध्य में चला जाए। अतः इसका अर्थ है की कोई व्यक्ति इतना भोला नहीं होता की वह स्वंय का फायदा नहीं देखे।
अनाड़ी को गरू अनाड़ी होवे। (Anadi Ko Guru Anadi Hove)
हिंदी अर्थ : अनाड़ी या गंवार व्यक्ति (आड़ू व्यक्ति) सज्जनता की भाषा को नहीं समझता है, उसका गुरु तो उसके जैसा ही कोई दूसरा अनाड़ी हो सकता है। आशय है की गंवार, गंवार की ही भाषा को समझता है। दूसरे अर्थों में इसका अर्थ यह भी निकलता है की अनाड़ी व्यक्ति अपने समान व्यक्ति/विचारों के व्यक्ति से ही खुश होता है।
हिंदी अर्थ : अनाड़ी या गंवार व्यक्ति (आड़ू व्यक्ति) सज्जनता की भाषा को नहीं समझता है, उसका गुरु तो उसके जैसा ही कोई दूसरा अनाड़ी हो सकता है। आशय है की गंवार, गंवार की ही भाषा को समझता है। दूसरे अर्थों में इसका अर्थ यह भी निकलता है की अनाड़ी व्यक्ति अपने समान व्यक्ति/विचारों के व्यक्ति से ही खुश होता है।
अणियों नाचे अणियों कूदे, अणियों तोड़े तान (Aniyo Nache Aniyo Kude Aniyo Tode Taan)
हिंदी अर्थ : जब पेट भरा हो, व्यक्ति खाया पिया हो तभी हास्य, प्रमोद उत्पन्न होता है।
अणियों नाचे : अन्न ही नाचता है।
अणियों कूदे : अन्न ही कूदता है।
अणियों तोड़े ताण : अन्न ही तान में झूमता है।
अतः इसका हिंदी में अर्थ है की "पेट भरा होने पर ही नाच कूद, गाना बजाना सूझता है" इसे आप हिंदी की कहावत "भूखे पेट भजन ना होये गोपाला" के रूप में समझ सकते हैं।
अनोखो नाई, बांस को नहैरणो (Anokho Naai, Bans Ko Naharano)
हिंदी अर्थ : "बेतुके काम का प्रतीक/अटपटे काम का जो प्रचलित नहीं है सूचक" एक अनोखा नाइ जिसका उस्तरा बांस (लकड़ी) का है। अतः कोई कार्य जब प्रचलित मान्यताओं के विरुद्ध नए तरीके से किया जाता है तो इस मुहावरे का उपयोग किया जाता है।
नहरनी (स्त्रीलिंग) : नाखून काटने का छोटा उपकरण, उस्तरा आदि।
हिंदी अर्थ : जब पेट भरा हो, व्यक्ति खाया पिया हो तभी हास्य, प्रमोद उत्पन्न होता है।
अणियों नाचे : अन्न ही नाचता है।
अणियों कूदे : अन्न ही कूदता है।
अणियों तोड़े ताण : अन्न ही तान में झूमता है।
अतः इसका हिंदी में अर्थ है की "पेट भरा होने पर ही नाच कूद, गाना बजाना सूझता है" इसे आप हिंदी की कहावत "भूखे पेट भजन ना होये गोपाला" के रूप में समझ सकते हैं।
अनोखो नाई, बांस को नहैरणो (Anokho Naai, Bans Ko Naharano)
हिंदी अर्थ : "बेतुके काम का प्रतीक/अटपटे काम का जो प्रचलित नहीं है सूचक" एक अनोखा नाइ जिसका उस्तरा बांस (लकड़ी) का है। अतः कोई कार्य जब प्रचलित मान्यताओं के विरुद्ध नए तरीके से किया जाता है तो इस मुहावरे का उपयोग किया जाता है।
नहरनी (स्त्रीलिंग) : नाखून काटने का छोटा उपकरण, उस्तरा आदि।
अन्य राजस्थानी कहावतें और मुहावरे निचे दिए गए हैं। इनका संक्षिप्त अर्थ भी आगे दिया गया है।
अन्न खाबे जिसी डकार आवे : जो अन्न खाया है उसकी डकार तो आयेगी। व्यक्ति जैसा काम करेगा, वैसे ही उसे परिणाम भी प्राप्त होंगे।
अन्न खाबे जिसी नीत होवे : जितनी शक्ति हम किसी काम में डालते हैं, उतना ही परिणाम हमें प्राप्त होता है।
अन्न छूटया जाकां घर छूटा : यदि किसी व्यक्ति का खाना पीना छूट जाए तो वह अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता है।
अन्नजी को पुन्न : अन्न, धान आदि का दान करने से ही पुन्य बढ़ता है।
अन्नदेव मोटो है, माथे चढ़ा कर खानों : अन्न व्यक्ति को जीवित रखता है, इसलिए अन्न के महत्त्व को समझना चाहिए।
अन्न मुगतां, घी जुगतां : पेट भर कर अन्न / भोजन करना चाहिए लेकिन घी को सामर्थ्य और शरीर के पाचन शक्ति के अनुसार ही ग्रहण करना चाहिए।
आपणी करणी पार उत्तरणी : जो जैसा करेगा वह वैसा ही भरेगा। सभी को अपने कर्मों का हिसाब देना होगा और उसी के अनुसार उनका न्याय भी होगा।
अन्न खाबे जिसी डकार आवे : जो अन्न खाया है उसकी डकार तो आयेगी। व्यक्ति जैसा काम करेगा, वैसे ही उसे परिणाम भी प्राप्त होंगे।
अन्न खाबे जिसी नीत होवे : जितनी शक्ति हम किसी काम में डालते हैं, उतना ही परिणाम हमें प्राप्त होता है।
अन्न छूटया जाकां घर छूटा : यदि किसी व्यक्ति का खाना पीना छूट जाए तो वह अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता है।
अन्नजी को पुन्न : अन्न, धान आदि का दान करने से ही पुन्य बढ़ता है।
अन्नदेव मोटो है, माथे चढ़ा कर खानों : अन्न व्यक्ति को जीवित रखता है, इसलिए अन्न के महत्त्व को समझना चाहिए।
अन्न मुगतां, घी जुगतां : पेट भर कर अन्न / भोजन करना चाहिए लेकिन घी को सामर्थ्य और शरीर के पाचन शक्ति के अनुसार ही ग्रहण करना चाहिए।
आपणी करणी पार उत्तरणी : जो जैसा करेगा वह वैसा ही भरेगा। सभी को अपने कर्मों का हिसाब देना होगा और उसी के अनुसार उनका न्याय भी होगा।
आपणी ढपड़ी, आपणों राग : अपनी डफली अपना अपना राग। एकता का अभाव होना और अराजकता उत्पन्न होना।
अब तो बीरा झखो तन्न कह्ग्यो, झको ही मन्न कहग्यो : जिसने तुम्हे कहा है उसी ने मुझे भी कह दिया है। व्यग्य स्वरुप।
अब पछाताया के बने, जद चिड़ियां चुग गई खेत : अवसर चूक जाने के बाद कुछ भी नहीं किया जा सकता है। सही समय पर व्यवहार में लाइ गई सजगता ही उपयोगी होती है।
अभले नाइ की तो पुन ही पून : अयोग्य व्यक्ति सदा हवा हवाई बातें करता है।
अब तो बीरा झखो तन्न कह्ग्यो, झको ही मन्न कहग्यो : जिसने तुम्हे कहा है उसी ने मुझे भी कह दिया है। व्यग्य स्वरुप।
अब पछाताया के बने, जद चिड़ियां चुग गई खेत : अवसर चूक जाने के बाद कुछ भी नहीं किया जा सकता है। सही समय पर व्यवहार में लाइ गई सजगता ही उपयोगी होती है।
अभले नाइ की तो पुन ही पून : अयोग्य व्यक्ति सदा हवा हवाई बातें करता है।
आँख/आँखयां तरसणी : किसी व्यक्ति को देखने के लिए लालायित होना। बहुत दिनों के बाद मिलना।
आँख रौ काजळ : अधिक प्रिय होना।
आंधा रा तंदूरा रामदेवजी बजावै : कमजोर व्यक्तियों की सहायता स्वंय भगवान् करते हैं।
आग में घी पूळौ नांखणौ : विवाद को बढाने के लिए उत्तेजित करने वाली बातें करना, भड़काना आदि।
आटै दाळ रौ भाव ठा पड़णौ : वास्तविकता से रूबरू होना, धरातल की सच्चाई का पता चलना।
आधी नै छोड़ आखी भावै तो आधी ई जावै : अधिक लाभ के चक्कर में जो है वह भी जाता है।
आपरी मां ने कुण डाकण केवै : स्वंय से जुड़े विषय को कौन छोटा बताता है, सभी बढा चढ़ा कर ही बताते हैं, उसकी प्रसंसा करता हैं। जैसे अपनी माँ को कौन चुड़ैल बताता है।
एक नै एक इग्यारै होवणौ :- एक और एक ग्यारह होते हैं, भाव है की संगठन में शक्ति होती है।
ओसर चूक्या मैं मौसर नहीं मिलै : मोसर से आशय मृत्युभोज से है। अतः इसका भाव है की अवसर चूकने के उपरान्त मोसर में खाने को नहीं मिलता है। अवसर पर सजगता आवश्यक है।
इसी भैण का इसा ही बीरा : जैसी बहन है उसके भाई भी वैसे ही होंगे। गुणों में समानता दर्शाने के लिए इसका उपयोग होता है।
उघाड़ा मांस माथै तो माखी बैठैला ई : जो शक्तिविहीन हैं, उनका फायदा तो उठाया ही जाएगा जैसे खुले घाव पर मक्खी बैठती है।
उत्तर पातर, मैं मियां तू चाकर : बराबर होना, हिसाब चुकता होना।
एक घर तो डाकण ही टालें : कोई भी व्यक्ति अपने जान पहचान वाले व्यक्ति और स्वंय के घर में कपट, दगा नहीं करता है।
कागा हंस न गधा जती :- बुरे व्यक्ति सदा ही बुरे ही रहते हैं, उनपर संगती का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
कीड़ी संचै तीतर खाय, पापी को धन परलै जाय :- पाप की कमाई का कोई लाभ नहीं मिलता है भले ही कितना ही दान पुन्य किया जाए।
कंद काटणौ :- कंद से आशय जड से है, समूल नष्ट करना।
कांन माथै जूं नीं रेंगणी : ध्यान नहीं देना, बेपरवाह बने रहना।
कांनां रौ काचौ होणौ :- लोगों की बातों को सुनकर उन्हें सत्य मान लेना।
आँख रौ काजळ : अधिक प्रिय होना।
आंधा रा तंदूरा रामदेवजी बजावै : कमजोर व्यक्तियों की सहायता स्वंय भगवान् करते हैं।
आग में घी पूळौ नांखणौ : विवाद को बढाने के लिए उत्तेजित करने वाली बातें करना, भड़काना आदि।
आटै दाळ रौ भाव ठा पड़णौ : वास्तविकता से रूबरू होना, धरातल की सच्चाई का पता चलना।
आधी नै छोड़ आखी भावै तो आधी ई जावै : अधिक लाभ के चक्कर में जो है वह भी जाता है।
आपरी मां ने कुण डाकण केवै : स्वंय से जुड़े विषय को कौन छोटा बताता है, सभी बढा चढ़ा कर ही बताते हैं, उसकी प्रसंसा करता हैं। जैसे अपनी माँ को कौन चुड़ैल बताता है।
एक नै एक इग्यारै होवणौ :- एक और एक ग्यारह होते हैं, भाव है की संगठन में शक्ति होती है।
ओसर चूक्या मैं मौसर नहीं मिलै : मोसर से आशय मृत्युभोज से है। अतः इसका भाव है की अवसर चूकने के उपरान्त मोसर में खाने को नहीं मिलता है। अवसर पर सजगता आवश्यक है।
इसी भैण का इसा ही बीरा : जैसी बहन है उसके भाई भी वैसे ही होंगे। गुणों में समानता दर्शाने के लिए इसका उपयोग होता है।
उघाड़ा मांस माथै तो माखी बैठैला ई : जो शक्तिविहीन हैं, उनका फायदा तो उठाया ही जाएगा जैसे खुले घाव पर मक्खी बैठती है।
उत्तर पातर, मैं मियां तू चाकर : बराबर होना, हिसाब चुकता होना।
एक घर तो डाकण ही टालें : कोई भी व्यक्ति अपने जान पहचान वाले व्यक्ति और स्वंय के घर में कपट, दगा नहीं करता है।
कागा हंस न गधा जती :- बुरे व्यक्ति सदा ही बुरे ही रहते हैं, उनपर संगती का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
कीड़ी संचै तीतर खाय, पापी को धन परलै जाय :- पाप की कमाई का कोई लाभ नहीं मिलता है भले ही कितना ही दान पुन्य किया जाए।
कंद काटणौ :- कंद से आशय जड से है, समूल नष्ट करना।
कांन माथै जूं नीं रेंगणी : ध्यान नहीं देना, बेपरवाह बने रहना।
कांनां रौ काचौ होणौ :- लोगों की बातों को सुनकर उन्हें सत्य मान लेना।
राजस्थानी मुहावरे भाग -1 : राजस्थानी मुहावरों का सरल हिंदी अर्थ देखें (Rajasthani Muhavare Meaning Hindi)
राजस्थानी मुहावरे भाग -2 : राजस्थानी मुहावरों का हिंदी में मीनिंग देखें Rajasthani Muhavare Hindi Arth Sahit
राजस्थानी मुहावरे भाग -3 राजस्थानी मुहावरों का हिंदी मीनिंग अर्थ देखें Rajasthani Muhavre Lokoktiyan/Kahavaten Hindi Meaning
राजस्थानी भाषा के मुहावरे / लोकोक्तियाँ की सभी पोस्ट (लेख) देखने के लिए निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
सभी राजस्थानी मुहावरों का अर्थ देखें : Explore All Rajasthani Muhavare in Hindi