हो थाकी मूरत प्यारी घणी लागे म्हानै विश्वकर्मा जी भगवान

हो थाकी मूरत प्यारी घणी लागे म्हानै विश्वकर्मा जी भगवान


सर्व कला में निपुण जो, रचयिता जगत के महान,
वंदन उनको बारंबार, श्री विश्वकर्मा भगवान।

थारी मूरत प्यारी घणी लागे,
म्हाने विश्वकर्मा जी दातार,
विश्वकर्मा महाराज, म्हारा चारभुजा रा सरकार।

सोने-चांदी सूं शिल्प रचायो, गढ़या स्वर्ग रा द्वार,
थारा जतन सूं जग चमक्यो, थारा हुकम अपार।

शंभु के आग्रह पे, आपने लंका दी थी बनाए,
लंका दी थी बनाए, अपने हीरा-मोती जड़ाए।
थारी मूरत प्यारी लागे, म्हाने विश्वकर्मा जी महाराज।

कृष्ण कन्हैया के आग्रह पर, द्वारका दिन्ही बनाए,
द्वारका दिन्ही बनाए, जिमें सोना-चांदी जड़ाए।
थारी मूरत प्यारी लागे, म्हारा विश्वकर्मा दातार।

विजयनगर में थानको मंदिर बनायो,
थे हो पुष्करराज, दाता ओ थे हो पुष्करराज।
थारी मूरत प्यारी लागे, म्हाने विश्वकर्मा जी महाराज।

कीजा आपको भजन बनायो, गावें हैं हर बार,
सब भक्ता की लाज राखजो, करजो भाव सूं पार।
थारी मूरत प्यारी लागे, म्हारा विश्वकर्मा दातार।


विश्वकर्मा जी नया भजन 2025।। थाकी सूरत प्यारी लागे म्हारा विश्वकर्मा लेखक,गायक: नवीन जांगिड़ किंजा

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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