कंकड़ पत्थर मांग मांग के सारा जग बोराया
कंकड़ पत्थर मांग मांग के सारा जग बोराया
कंकड़ पत्थर मांग मांग के, सारा जग बोराया,
जिसने तुझसे तुझको मांगा, उसने सब कुछ पाया,
साईं नाथ दया कीजिए, सिर पे हाथ प्रभु कीजिए।।
तुम रहमत के सागर साईं, तेरा आदि न अंत कोई,
हम मूर्ख हैं लिपट अनाड़ी, तुझसा ना ज्ञानी अंत कोई,
बुरा भला भी न अपना जानूं, नित तड़पाती है माया,
इतना कर्म करो मुझ पर, दो चरण कर्म की छाया,
साईं नाथ दया कीजिए, सिर पे हाथ प्रभु कीजिए।।
मेरी क्या औकात थी कोई, इस जग में मुझको जाने,
नज़रें कर्म है जिसपे तुम्हारी, उसको सारा जग जाने,
खोल के बैठे तुम भंडारे, लेने न कोई आया,
रतन जवाहर बांट रहे तुम, जग मांगे मोह माया,
मेरे नाथ दया कीजिए, सिर पे हाथ प्रभु कीजिए।।
बाल अबोध हैं बाबा हमको, सांची राह दिखाओ तुम,
आंख के अंधे मुझ पापी को, अपनी शरण लगाओ तुम,
मन के पीछे भाग के देखा, व्यर्थ में जन्म गवाया,
हाथ पकड़ लो हर्ष का बाबा, छूटे जाए काया,
साईं नाथ दया कीजिए, सिर पे हाथ प्रभु कीजिए।।
जिसने तुझसे तुझको मांगा, उसने सब कुछ पाया,
साईं नाथ दया कीजिए, सिर पे हाथ प्रभु कीजिए।।
तुम रहमत के सागर साईं, तेरा आदि न अंत कोई,
हम मूर्ख हैं लिपट अनाड़ी, तुझसा ना ज्ञानी अंत कोई,
बुरा भला भी न अपना जानूं, नित तड़पाती है माया,
इतना कर्म करो मुझ पर, दो चरण कर्म की छाया,
साईं नाथ दया कीजिए, सिर पे हाथ प्रभु कीजिए।।
मेरी क्या औकात थी कोई, इस जग में मुझको जाने,
नज़रें कर्म है जिसपे तुम्हारी, उसको सारा जग जाने,
खोल के बैठे तुम भंडारे, लेने न कोई आया,
रतन जवाहर बांट रहे तुम, जग मांगे मोह माया,
मेरे नाथ दया कीजिए, सिर पे हाथ प्रभु कीजिए।।
बाल अबोध हैं बाबा हमको, सांची राह दिखाओ तुम,
आंख के अंधे मुझ पापी को, अपनी शरण लगाओ तुम,
मन के पीछे भाग के देखा, व्यर्थ में जन्म गवाया,
हाथ पकड़ लो हर्ष का बाबा, छूटे जाए काया,
साईं नाथ दया कीजिए, सिर पे हाथ प्रभु कीजिए।।
"Ravindra Kabir" (2018) साई बाबा का सबसे भावपूर्ण भजन | Sai Nath Daya Kijiye #JMD Music & Films
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"Ravindra Kabir" (2018) साई बाबा का सबसे भावपूर्ण भजन | Sai Nath Daya Kijiye JMD Music & Films
➤Song Name: Sai Nath Daya Kijiye
➤Singer - Ravindra Kabir
➤Album - Aao Sai
➤Writer - Shiv (Harsh)
➤Song Name: Sai Nath Daya Kijiye
➤Singer - Ravindra Kabir
➤Album - Aao Sai
➤Writer - Shiv (Harsh)
यह प्रार्थना एक भक्त की विनम्रता, आत्म-स्वीकृति और साईं बाबा की दया पर अटूट विश्वास को दर्शाती है। संसार में लोग भौतिक वस्तुओं के पीछे भागकर थक जाते हैं, लेकिन जिसने साईं को साईं से ही माँगा, उसे सच्चा सुख और संतोष मिला। भक्त जानता है कि साईं की कृपा से ही जीवन में सच्चा परिवर्तन आता है, और उनकी छाया में ही सच्चा सुख, ज्ञान और शांति मिलती है।
भक्त अपनी सीमाएँ, अज्ञानता और कमजोरियाँ स्वीकार कर बाबा से मार्गदर्शन और शरण की प्रार्थना करता है। वह जानता है कि साईं की नज़र जिस पर पड़ती है, वही संसार में सम्मानित और सुखी होता है। साईं के भंडार में सब कुछ है, लेकिन लोग केवल माया के पीछे भागते हैं। भक्त अपनी बालसुलभ अवस्था और अज्ञानता को स्वीकार कर बाबा से सच्ची राह दिखाने और अपने चरणों की छाया में रखने की विनती करता है। यही समर्पण और प्रार्थना जीवन को सच्चा अर्थ और शांति देती है।
भक्त अपनी सीमाएँ, अज्ञानता और कमजोरियाँ स्वीकार कर बाबा से मार्गदर्शन और शरण की प्रार्थना करता है। वह जानता है कि साईं की नज़र जिस पर पड़ती है, वही संसार में सम्मानित और सुखी होता है। साईं के भंडार में सब कुछ है, लेकिन लोग केवल माया के पीछे भागते हैं। भक्त अपनी बालसुलभ अवस्था और अज्ञानता को स्वीकार कर बाबा से सच्ची राह दिखाने और अपने चरणों की छाया में रखने की विनती करता है। यही समर्पण और प्रार्थना जीवन को सच्चा अर्थ और शांति देती है।
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Author - Saroj Jangir
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