साई बाबा हमें आसरा दो चरण कमलों भजन

साई बाबा हमें आसरा दो चरण कमलों में थोड़ी जगह दो

 
साई बाबा हमें आसरा दो चरण कमलों में थोड़ी जगह दो

साई बाबा हमें आसरा दो,
चरण कमलों में थोड़ी जगह दो।

दीनबंधु, सखा तुम हमारे,
नैया तू बिन लगे न किनारे,
हम भटकते हैं, मंज़िल दिखा दो,
चरण कमलों में थोड़ी जगह दो।

रह दादा पर जैसे था आया,
जैसे तात्या का कष्ट मिटाया,
माथे वही भभूति लगा दो,
चरण कमलों में थोड़ी जगह दो।

तेरे हाथों में दाता है जादू,
करते सबकी भलाई वो काबू,
अब हमारी भी बिगड़ी बना दो,
चरण कमलों में थोड़ी जगह दो।


Sai Baba Hamein Aasra Do Sonu Nigam I Sabka Malik Ek

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About Bhajan -
Nigam (Sai Bhajan)
Album: Sabka Malik Ek
Singers: Sonu Nigam
Music On: T-Series
 
साईं बाबा की शरण में जाने की यह प्रार्थना एक भक्त के गहरे समर्पण और विश्वास को दर्शाती है। जब जीवन में रास्ता भटक जाता है और कोई सहारा नजर नहीं आता, तब साईं के चरणों में थोड़ी सी जगह भी मन को शांति और सुरक्षा का एहसास देती है। भक्त जानता है कि साईं ही सच्चे मित्र, सहारा और मार्गदर्शक हैं, जिनकी कृपा से हर कठिनाई पार हो जाती है।

साईं बाबा की करुणा और चमत्कारों पर अटूट विश्वास रखते हुए भक्त उनसे अपनी बिगड़ी किस्मत संवारने की विनती करता है। जैसे बाबा ने अपने अन्य भक्तों के कष्ट दूर किए, वैसे ही अपनी झोली में भी कृपा की भभूति भर देने की प्रार्थना करता है। यही श्रद्धा और समर्पण जीवन को सच्चा सहारा और आंतरिक शांति प्रदान करता है।
 
शिर्डी के साईं बाबा की शिक्षाएँ बेहद सरल और जीवन से जुड़ी हुई थीं। वे किसी बड़ी-बड़ी बातों में विश्वास नहीं करते थे, बल्कि छोटी-छोटी बातों में जीवन का सार समझाते थे। उनके हर शब्द में प्रेम, करुणा और सच्चाई झलकती थी। बाबा कहते थे कि इंसान का धर्म वही है, जो उसे दूसरों के दुख को समझने और मदद करने की प्रेरणा दे।

उनकी सबसे प्रसिद्ध बात थी — “सबका मालिक एक।” यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि जीवन की गहराई से जुड़ा सत्य है। साईं बाबा ने हमेशा यही सिखाया कि ईश्वर एक है, चाहे कोई उसे राम कहे, रहीम, अल्लाह या ईसा। उन्होंने कभी धर्म, जात या भाषा का भेदभाव नहीं किया। उनके लिए हर व्यक्ति समान था, क्योंकि उनके अनुसार प्रेम ही वह सूत्र है जो सबको जोड़ता है।

बाबा हमेशा दो बातों पर जोर देते थे — “श्रद्धा और सबूरी।” श्रद्धा यानी विश्वास, और सबूरी यानी धैर्य। वे कहते थे कि जीवन में अगर ये दो बातें हैं तो कोई कठिनाई बड़ी नहीं लगती। जब हम ईश्वर पर भरोसा रखते हैं और सही समय का इंतज़ार करते हैं, तब रास्ते अपने आप खुल जाते हैं। उनका मानना था कि अधीरता इंसान को अंधकार में ले जाती है, जबकि सबूरी उसे प्रकाश की ओर बढ़ाती है।

साईं बाबा का जीवन स्वयं सेवा और दया का उदाहरण था। वे कभी किसी से कुछ माँगते नहीं थे, पर जिसने भी मदद माँगी, उसे निराश नहीं लौटाया। वे कहते थे — “जरूरतमंद की सेवा ही सच्ची पूजा है।” उन्होंने सिखाया कि मंदिर में दीप जलाना आसान है, पर किसी के जीवन में उम्मीद की रोशनी जलाना ही सच्चा धर्म है।

बाबा ने अहंकार, लालच और दिखावे से दूर रहने की सीख दी। वे कहते थे कि धन का उपयोग दूसरों की भलाई में हो, तभी उसका मूल्य है। उन्होंने बताया कि सादगी में ही शांति है और सच्चाई में ही सुख। उनका जीवन इस बात का उदाहरण था कि जो व्यक्ति निःस्वार्थ भाव से कर्म करता है, वही वास्तविक भक्ति का अनुभव कर पाता है।

साईं बाबा की शिक्षाओं का सार यही है कि प्रेम, विश्वास और सेवा से भरा जीवन ही मोक्ष की ओर ले जाता है। उन्होंने हमें यह समझाया कि ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता किसी धर्मग्रंथ से नहीं, बल्कि अच्छे कर्मों और सच्चे मन से होकर जाता है। जब हम अपने भीतर की करुणा को जगाते हैं और दूसरों की भलाई के लिए जीते हैं, तब साईं बाबा की कृपा अपने आप हमारे जीवन में उतर आती है।

उनकी शिक्षाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी पहले थीं। वे हमें याद दिलाती हैं कि सच्ची भक्ति केवल प्रार्थना में नहीं, बल्कि मानवता की सेवा में है। साईं बाबा हमें सिखाते हैं कि प्रेम बाँटते रहो, विश्वास बनाए रखो और धैर्य से चलते रहो — यही जीवन का सबसे सुंदर मार्ग है। 

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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