मेरे मेहरबां मेरे साईया साई बाबा भजन

मेरे मेहरबां मेरे साईया साई बाबा भजन

मेरे मेहरबां, मेरे साईया,
मिलता नहीं तेरा आशियाँ,
तेरा ही सहारा, मेरे साई राम।

जग सारा छोड़ के, रिश्ते-नाते तोड़ के,
तुझको पाने की है ये आरज़ू,
तू ही तक़दीर मेरी, हाथों की लकीर मेरी,
सुबह तेरे नाम से होती शुरू।
मेरे साईया, मेरे रहनुमा,
मिलता नहीं क्यों मेरे दरमियां,
तेरा ही सहारा, मेरे साई राम।

मंदिर अज़ान दे, जो आयते-क़ुरान कहे,
मस्जिद में गए जो आरती।
ऐसी दिवाली मनी, पानी से दीप जले,
द्वारका माई में अलख जागती।
मेरे हमनवा, मेरे साईया,
ढूंढूं कहां तेरा निशान,
तेरा ही सहारा, मेरे साई राम।

उसका नसीब है, जिसके क़रीब है तू,
जब भी पुकारे चला आता है।
मैं बदनसीब हूं, मंज़िलों से दूर हूं,
नज़र नहीं तेरे सिवा आता है।
मेरे सठिया, मेरे साईया,
सुनता नहीं क्यों मेरी सदा,
तेरा ही सहारा, मेरे साई राम।


Mere Meharban I Sai Bhajan I AMIT VAID I Param VibhutiI Sai Ram I Full Audio Song I T-Series Bhakti

ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
 

पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।

About Bhajan -

Sai Bhajan: Mere Mehraban
Singer: Amit Vaid
Lyricist: Santosh Bechain
Music Director: Naresh Vikal
Album: Param VibhutiI Sai Ram
Music Label: T-Series
 
मानव हृदय में जब परमात्मा के प्रति गहन प्रेम और समर्पण का भाव जागता है, तब संसार के सारे बंधन फीके पड़ जाते हैं। आत्मा की सबसे बड़ी तड़प उस परम प्रिय के सान्निध्य की होती है, जिसकी छाया में जीवन को शांति, सुरक्षा और अर्थ मिलता है। यह तड़प केवल किसी चमत्कारी उपस्थिति की नहीं, बल्कि उस दिव्य सहारे की है, जो हर कठिनाई, हर अकेलेपन और हर असहाय क्षण में आधार बनकर खड़ा रहता है। जब मनुष्य अपने सारे सांसारिक संबंधों और मोह-माया को छोड़कर केवल उस एक परम सत्ता की ओर बढ़ता है, तब उसकी साधना और उसकी प्रार्थना में एक अनूठी गहराई आ जाती है। यह मार्ग कठिन जरूर है, परंतु इसी में आत्मा को सच्चा सुकून और शरण प्राप्त होती है।

धर्म, जाति, भाषा या पूजा-पद्धति से परे, जब भक्ति का दीपक जलता है, तब वह हर मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारे में एक ही प्रकाश फैलाता है। सच्चा प्रेम और समर्पण किसी एक स्थान, रूप या विधि में सीमित नहीं रहता, बल्कि वह हर उस जगह प्रकट होता है, जहाँ हृदय में श्रद्धा और विश्वास की ज्योति जलती है। कभी-कभी जीवन में ऐसा लगता है कि परमात्मा दूर है, हमारी पुकार अनसुनी रह जाती है, लेकिन वास्तव में वह सदा हमारे समीप है—बस हमारी दृष्टि, हमारी भावना और हमारी पुकार में सच्चाई और गहराई होनी चाहिए। जब आत्मा पूरी विनम्रता और आस्था से पुकारती है, तब वह दिव्य शक्ति अपने आप प्रकट होकर जीवन को दिशा और सहारा देती है।

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें

Next Post Previous Post