क्रोध स्वंय का सबसे बड़ा शत्रु है Mahatma Buddha Story
कहते हैं कि क्रोध आग की तरह है, जो न केवल खुद को जलाता है, बल्कि आस-पास के लोगों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। क्रोध आने पर विवेक शून्य हो जाता है, व्यर्थ हो जाता है। इसी बात को समझाने के लिए गौतम बुद्ध का एक प्रसंग बहुत प्रसिद्ध है, जिससे सन्देश मिलता है कि क्रोध करने का परिणाम किस प्रकार हमें और हमारे संबंधों को प्रभावित करता है। आइए इस प्रेरक कहानी को विस्तार से जान लेते हैं।
गौतम बुद्ध अपने शिष्यों को उपदेश देने के लिए विभिन्न गांवों में जाया करते थे। एक दिन, वे एक गांव में उपदेश दे रहे थे, जिसमें उन्होंने बताया कि क्रोध एक ऐसी आग है, जिसमें क्रोध करने वाला खुद भी जलता है और दूसरों को भी जलाता है। उनके प्रवचन को सुनने के लिए वहां बहुत से लोग एकत्रित हुए थे। उनमें से एक व्यक्ति, जो बहुत क्रोधी स्वभाव का था, को बुद्ध की बातें पसंद नहीं आईं। वह अचानक खड़ा हुआ और कहने लगा, "बुद्ध, तुम तो सिर्फ दिखावा करते हो। तुम्हारी ये बातें किसी काम की नहीं हैं। तुम लोगों को भ्रमित कर रहे हो।"
व्यक्ति ने बुद्ध को अपमानजनक बातें कहनी शुरू कर दीं, जिससे वहां बैठे सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए। बुद्ध बिना किसी क्रोध के शांति से उसकी बातें सुनते रहे। उनकी इस शांति को देखकर वह व्यक्ति और अधिक क्रोधित हो गया। उसने क्रोध में आकर बुद्ध के मुंह पर थूक दिया और वहां से चला गया।
घर पहुंचकर जब उस व्यक्ति का गुस्सा शांत हुआ, तो उसे अपने किए पर पछतावा हुआ। उसने सोचा कि बुद्ध के साथ दुर्व्यवहार करना गलत था, और अब उसे उनसे माफी मांगनी चाहिए। अगले दिन वह बुद्ध से माफी मांगने वापस उसी स्थान पर पहुंचा, लेकिन बुद्ध वहां से अगले गांव के लिए प्रस्थान कर चुके थे। उसने बुद्ध का पीछा किया और दूसरे गांव में जाकर उन्हें ढूंढ़ निकाला।
जैसे ही उसने बुद्ध को देखा, वह उनके चरणों में गिर गया और कहा, "मुझे माफ कर दीजिए। मैंने कल आपके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया था।" बुद्ध ने मुस्कुराते हुए पूछा, "तुम कौन हो और माफी क्यों मांग रहे हो?"
व्यक्ति ने हैरान होकर कहा, "क्या आपको याद नहीं है कि कल मैंने आपके साथ कैसा व्यवहार किया था?" बुद्ध ने शांति से उत्तर दिया, "मैं तो बीता हुआ कल वहीं छोड़ आया हूं, पर तुम अभी भी उसी में अटके हुए हो। यदि तुम्हें गलती का पछतावा है, तो समझ लो तुम अब निर्दोष हो। बुरी बातों को याद रखना हमारे आज को खराब करता है और इससे भविष्य भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए बीती बातों को भुलाकर आगे बढ़ना ही बेहतर है।"
व्यक्ति ने बुद्ध को अपमानजनक बातें कहनी शुरू कर दीं, जिससे वहां बैठे सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए। बुद्ध बिना किसी क्रोध के शांति से उसकी बातें सुनते रहे। उनकी इस शांति को देखकर वह व्यक्ति और अधिक क्रोधित हो गया। उसने क्रोध में आकर बुद्ध के मुंह पर थूक दिया और वहां से चला गया।
घर पहुंचकर जब उस व्यक्ति का गुस्सा शांत हुआ, तो उसे अपने किए पर पछतावा हुआ। उसने सोचा कि बुद्ध के साथ दुर्व्यवहार करना गलत था, और अब उसे उनसे माफी मांगनी चाहिए। अगले दिन वह बुद्ध से माफी मांगने वापस उसी स्थान पर पहुंचा, लेकिन बुद्ध वहां से अगले गांव के लिए प्रस्थान कर चुके थे। उसने बुद्ध का पीछा किया और दूसरे गांव में जाकर उन्हें ढूंढ़ निकाला।
जैसे ही उसने बुद्ध को देखा, वह उनके चरणों में गिर गया और कहा, "मुझे माफ कर दीजिए। मैंने कल आपके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया था।" बुद्ध ने मुस्कुराते हुए पूछा, "तुम कौन हो और माफी क्यों मांग रहे हो?"
व्यक्ति ने हैरान होकर कहा, "क्या आपको याद नहीं है कि कल मैंने आपके साथ कैसा व्यवहार किया था?" बुद्ध ने शांति से उत्तर दिया, "मैं तो बीता हुआ कल वहीं छोड़ आया हूं, पर तुम अभी भी उसी में अटके हुए हो। यदि तुम्हें गलती का पछतावा है, तो समझ लो तुम अब निर्दोष हो। बुरी बातों को याद रखना हमारे आज को खराब करता है और इससे भविष्य भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए बीती बातों को भुलाकर आगे बढ़ना ही बेहतर है।"
गौतम बुद्ध की इस कहानी से हमें यह स्पष्ट संदेश मिलता है कि क्रोध में किसी भी प्रकार का लाभ नहीं है। यह केवल नुकसान ही पहुंचाता है। अतीत की बुरी बातों को भुलाकर, एक शांत और खुशहाल जीवन की ओर कदम बढ़ाना ही हमारे जीवन को बेहतर बना सकता है। इसीलिए, जब भी गुस्सा आए, बुद्ध की इस सीख को याद करें और क्रोध को खुद से दूर रखें।
गुस्से पर काबू पाने के आसान तरीके
अधिकांश लोग भावनाओं को नियंत्रण में नहीं रख पाते हैं, जिससे कई बार समस्या उत्पन्न हो जाती है, ऐसे में स्वंय पर नियंत्रण पाना सीखना होगा। गुस्सा, जो इंसान का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है, इसमें हम होश में नहीं रहते हैं, विवेक शून्य हो जाते हैं। गुस्से की वजह से अक्सर लोग ऐसे काम या बातें कर बैठते हैं, जिनका उन्हें बाद में पछतावा होता है। आइये कुछ आसान तरीकों के बारे में जानें जिनसे हम गुस्से पर नियंत्रण करना सीख सके। चुप रहना सीखें
जब भी गुस्सा आए और स्थिति हाथ से बाहर जाने लगे, तो खुद को चुप रहने का मन में संकल्प लें, गहरी साँस ले। गुस्से में गलत शब्दों का प्रयोग अक्सर मामले को बिगाड़ देता है, इसलिए चुप रहना सबसे बेहतर होता है। गुस्से में यदि आप कुछ नहीं बोलेंगे तो विवाद की स्थिति ही नहीं बनेगी, और आप बाद में पछताने से भी बच जाएंगे। अगर बोलना जरूरी हो, तो शांत मन से और सोच-समझकर ही बोलें। चुप रहकर गुस्से को दूर से देखने, आप पायेंगे की आपने क्रोध को स्वंय से दूर कर लिया है।
जगह बदलें
यदि बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा हो, तो उस जगह को तुरंत छोड़ दें। जहां पर गुस्सा बढ़ रहा है, वहां से हटकर किसी शांत स्थान पर चले जाएं। कोशिश करें कि ऐसी जगह जाएं, जहां अकेले हों। खुली हवा में गहरी सांस लें और धीरे-धीरे मन को शांत करने की कोशिश करें। खुली जगह, जैसे कि गार्डन या छत पर जाएं और कुछ देर शांत मन से बैठें।उल्टी गिनती गिनें
गुस्से को कम करने का एक सरल उपाय यह है कि 100 से उल्टी गिनती गिनना शुरू करें। 100 से लेकर 1 तक की गिनती धीरे-धीरे और आराम से गिनें। यह प्रक्रिया आपके दिमाग का ध्यान गुस्से से हटाकर गिनती पर केंद्रित करती है, जिससे आपका गुस्सा धीरे-धीरे कम होने लगता है। इस बीच ध्यान रखें कि गिनती के दौरान रुकना नहीं है।संगीत सुनें
संगीत एक प्रभावी तरीका है मन को शांत करने का। यदि आप बहुत गुस्से में हैं और सोचने-समझने की स्थिति नहीं है, तो अपने इयरबड्स लगाएं और रिलैक्सिंग संगीत सुनें। संगीत आपके मन और मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है और गुस्से को कम करने में मदद करता है। गाने सुनते समय ध्यान रखें कि गाने का प्रकार शांत हो और मन को सुकून दे।गहरी सांस लें
गहरी सांस लेना भी गुस्से को नियंत्रित करने में मददगार है। जब गुस्सा बहुत बढ़ने लगे, तो आंखें बंद करके गहरी सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इसे कुछ बार दोहराएं, इससे आपका शरीर और मन दोनों शांत होंगे।खुद को व्यस्त रखें
गुस्से के दौरान कुछ सकारात्मक कार्य में खुद को व्यस्त रखें। जैसे कि किताब पढ़ना, पेंटिंग करना या अपने किसी हॉबी में खो जाना। इससे आपका ध्यान गुस्से से हटकर अन्य कामों पर जाएगा, और धीरे-धीरे गुस्सा कम हो जाएगा।योग और मेडिटेशन का सहारा लें
गुस्से पर नियंत्रण पाने का सबसे अच्छा तरीका योग और मेडिटेशन है। नियमित रूप से ध्यान करने से मानसिक शांति मिलती है और मन को नियंत्रित करने की क्षमता बढ़ती है। योग के अभ्यास से भी गुस्से को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।आशा है की हमारा यह लेख आपको अवश्य ही पसंद आएगा और आप अपने क्रोध को पहचानेंगे और उस पर नियंत्रण करने के लिए मानसिक रूप से प्रयत्न करेंगे।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |