स्वागत है मेरे इस पोस्ट में, आज हम महाभारत की एक अद्भुत कहानी के बारे में जानेंगें, भीम और हिडिंबा का विवाह। यह कहानी द्वापर युग की है, जब पांडवों के जीवन में कठिन समय चल रहा था। इस कहानी में हमें साहस, प्रेम, और परिवार के प्रति कर्तव्य की अद्भुत मिसाल देखने को मिलती है। तो आइए इस प्रेरणादायक कहानी को सरल और रोचक तरीके से समझते हैं।
महाभारत की कहानी/भीम और हिडिंबा का विवाह
द्वापर युग का समय था। सभी जानते थे कि कौरव हमेशा पांडवों को अपना शत्रु मानते थे और उन्हें हर हाल में खत्म करने की योजना बनाते रहते थे। एक दिन, जब पांडव और उनकी माता कुंती वार्णावर्त नगर के एक मेले में गए हुए थे, तो दुर्योधन ने एक खतरनाक योजना बनाई। उसने पांडवों के लिए एक महल बनवाया, जो लाख से बना था। लाख एक ऐसी सामग्री है, जो आसानी से आग पकड़ लेती है, और उसका मकसद था पांडवों को उस महल में जलाकर खत्म करना।
रात के समय, जब सभी गहरी नींद में थे, महल में आग लगा दी गई। लेकिन, पांडवों को इस षड्यंत्र का पहले से ही अंदेशा था। उन्होंने महल में एक गुप्त सुरंग बना रखी थी, जिसके जरिए वे सभी आग से सुरक्षित बाहर निकल गए। उस खतरनाक स्थिति से बचकर पांडव जंगल में पहुंचे और रात गुजारने के लिए एक जगह रुक गए। भीम ने अपने परिवार को आश्वासन दिया कि वे आराम करें और पहरेदारी का जिम्मा उसने संभाल लिया।
जंगल में एक राक्षस हिडिंब अपनी बहन हिडिंबा के साथ रहता था। हिडिंब इंसानों का शिकार कर अपनी भूख मिटाता था। उस रात, जब हिडिंब को भूख लगी, तो उसने हिडिंबा से कहा कि वह जंगल में जाकर किसी इंसान को पकड़कर लाए ताकि उसकी भूख शांत हो सके।
यह सुनकर हिडिंबा जंगल में इंसान की तलाश में निकल पड़ी और जल्द ही उसको भीम नजर आया। भीम को देखकर वह उसकी बहादुरी और आकर्षण पर मोहित हो गई और तय किया कि अगर उसे किसी से विवाह करना है तो केवल इस वीर पुरुष से ही करेगी। मन में इस विचार को लेकर, हिडिंबा ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लिया और भीम के पास पहुंच गई। उसने भीम के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा।
जब हिडिंबा का राक्षस भाई हिडिंब को इस बात का पता चला, तो वह गुस्से में भरकर अपनी बहन को दंड देने के लिए वहां आ पहुंचा। लेकिन भीम ने हिडिंब को रोका। भीम हिडिंबा का उसके भाई हिडिंब से बचाव कर रहा था, दोनों के बीच एक जबरदस्त लड़ाई हुई। इस संघर्ष में हिडिंब मारा गया।
लड़ाई की आवाज सुनकर कुंती और अन्य पांडव भी जाग गए। हिडिंबा ने एक बार फिर से भीम से विवाह का अनुरोध किया। पहले तो भीम ने मना कर दिया, परन्तु माता कुंती के समझाने पर उन्होंने हिडिंबा से विवाह करने का निर्णय लिया। जंगल में ही गंधर्व रीति-रिवाज से उनका विवाह संपन्न हुआ।
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कुछ समय बाद, हिडिंबा और भीम के घर एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम घटोत्कच रखा गया। घटोत्कच भी अपने पिता की तरह ही पराक्रमी और वीर योद्धा बना। उसने अपने जीवन में कई बहादुरी के कार्य किए और महाभारत के युद्ध में पांडवों की सहायता की।
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महाबली भीम और हिडिम्बा के विवाह की अद्भुत कथा | Mahabharat Ki Kahani"
Author - Saroj Jangir
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