मित्र सुदामा दर दर भटके कहाँ हो मुरली वाले

मित्र सुदामा दर दर भटके कहाँ हो मुरली वाले

मित्र सुदामा दर~दर भटके,
कहाँ हो मुरली वाले,
कहाँ हो बंसी वाले।।

संकट हारी है,
कष्ट निवारी है,
कौन जनम के दुख हैं मुझ पर,
क्यों नहीं इनको टाले,
क्यों नहीं इनको टाले,
रुत आए, रुत जाए देकर,
झूठा एक दिलासा,
फिर भी मेरा मन प्यासा।।

बरसों बीत गए,
हमको मिले बिछड़े,
बिजुरी बनकर गगन पे चमके,
बीते समय की रेखा,
मैंने तुमको देखा,
मन संग आंख मिचौली खेले,
आशा और निराशा,
फिर भी मेरा मन प्यासा।।

कांटे चुभें पांवों में,
रक्त भरा घावों में,
नैनों से श्याम के नीर भर आए,
बचपन की याद आई,
बचपन की याद आई,
अश्रु बहाते गले से लगाते,
कहाँ हो बंसी वाले,
कहाँ हो मुरली वाले।।

मित्र सुदामा दर~दर भटके,
कहाँ हो मुरली वाले,
कहाँ हो बंसी वाले।।


चले श्याम सुंदर से मिलने सुदामा(सुदामा चरित्र) by सावित्री नंदन बबलू महराज जी 9131443607

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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