गौरैया और बंदर की कहानी पंचतंत्र की कहानिया

स्वागत है मेरी पोस्ट में, नमस्कार दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम जानेंगें एक अद्भुत और शिक्षाप्रद कहानी "गौरैया और बंदर की कहानी"। यह कहानी हमें सिखाती है कि ज्ञान और सलाह देने से पहले हमें समझना चाहिए कि सामने वाला व्यक्ति उसे समझने और स्वीकार करने में सक्षम है या नहीं। तो चलिए, इस रोचक और प्रेरणादायक कहानी को विस्तार से पढ़ते हैं।
 
The Story of the Sparrow and the Monkey

गौरैया और बंदर की कहानी पंचतंत्र की कहानी

किसी घने जंगल में एक बड़े पेड़ पर एक गौरैया का जोड़ा रहता था। उन्होंने उस पेड़ पर अपना सुंदर घोंसला बना रखा था और दोनों खुशी-खुशी अपना जीवन बिता रहे थे। सब कुछ सामान्य था, लेकिन फिर सर्दियों का मौसम आ गया। इस बार ठंड बहुत तेज थी और ठंडी हवाओं ने सबको कांपने पर मजबूर कर दिया।
 
एक दिन ठंड से बचने के लिए कुछ बंदर उसी पेड़ के नीचे आकर बैठ गए। ठिठुरते बंदर आपस में चर्चा करने लगे कि काश उनके पास आग होती, जिससे वो सर्दी से राहत पा सकते। तभी, एक बंदर ने पास में गिरी सूखी पत्तियों को देखा और दूसरे बंदरों से कहा, "आओ, इन पत्तियों को इकट्ठा करते हैं और आग जलाने की कोशिश करते हैं।"

पेड़ पर बैठी गौरैया यह सब देख रही थी। उसे बंदरों की परेशानियां देखकर दुख हुआ। उसने उनसे कहा, "तुम लोग हाथ-पैर वाले हो, देखने में तो इंसानों की तरह लगते हो। तुम अपना घर क्यों नहीं बनाते, जहां सर्दी के समय ठंड से बच सको?"
 
गौरैया की बात सुनकर ठंड से कांप रहे बंदर अपनी गलती मानने के बजाय गुस्सा हो गए। उनमें से एक बंदर ने जवाब दिया, "तुम अपने काम से काम रखो। हमें ज्ञान देने की जरूरत नहीं है।" इतना कहकर बंदर फिर आग जलाने की कोशिश में लग गए। बहुत कोशिश करने के बाद भी वे आग जलाने में सफल नहीं हुए।

थोड़ी देर बाद, उनकी नजर हवा में उड़ते एक जुगनू पर पड़ी। बंदर खुश होकर बोले, "देखो, वह चिंगारी है। इसे पकड़कर हम आग जला सकते हैं।" यह सुनते ही सब बंदर जुगनू को पकड़ने में जुट गए। यह देखकर गौरैया ने फिर कहा, "यह चिंगारी नहीं है, यह जुगनू है। इससे आग नहीं जलेगी। आप पत्थरों को रगड़कर आग जलाने की कोशिश करें।"
 
लेकिन बंदरों ने उसकी बात को अनसुना कर दिया। वे जुगनू को पकड़ने में लगे रहे। आखिरकार, जुगनू उड़ गया और बंदरों की सारी कोशिशें बेकार हो गईं। इससे गुस्साए बंदरों में से एक बंदर ने पेड़ पर चढ़कर गौरैया के घोंसले को तोड़ दिया। यह देखकर गौरैया डर गई और उदास होकर पेड़ छोड़कर कहीं और उड़ गई। बंदरों को नसीहत देना उसके लिए बहुत महंगा साबित हुआ। सर्दियों के इस मौसम में वह भी ठंड सहने के लिए मजबूर हो गई।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हर किसी को ज्ञान या सलाह नहीं देनी चाहिए। सलाह हमेशा उन्हीं लोगों को देनी चाहिए जो समझदार हों और उसे समझने की क्षमता रखते हों। मूर्ख को सलाह देने से केवल अपना ही नुकसान हो सकता है।

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
गौरैया और बंदर की कहानी का महत्व, शिक्षाप्रद कहानियां हिंदी में, जंगल की प्रेरणादायक कहानियां, मूर्ख को सलाह देने के नुकसान, बच्चों के लिए हिंदी में नैतिक कहानियां 

 
गौरैया और बन्दर (पंचतंत्र की कहानी) । बन्दर की कहानी Bandar ki Kahani । Hindi Moral Kahani
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

मेरे इस ब्लॉग पर आपको प्रेरणादायक कहानिया जैसे की पंचतंत्र की कहानिया, प्रेरणादायक कहानियां, महात्मा बुद्ध की कहानिया, अकबर बीरबल के किस्से, आप रोचक तरीके से प्राप्त करेंगे। इन कहानियों से आपको जीवन में कई अमूल्य शिक्षाएं मिलेंगी. इसके अतिरिक्त इस साईट पर आप भजन, शब्द वाणी, कबीर के दोहे, हेल्थ आदि विषयों पर जान्कारिओं को सहजता से प्राप्त कर पायेंगे.....अधिक पढ़ें

+

एक टिप्पणी भेजें