बूढ़े गिद्ध की सलाह की कहानी Old Vulture Advice Motivational Hindi Story

बूढ़े गिद्ध की सलाह की कहानी Old Vulture Advice Motivational Hindi Story

यह कहानी हमें आलस और सुख सुविधाओं के मोह के प्रति आगाह करती है। अपने कर्तव्यों को छोड़कर आसान, आलसी जीवन अपनाना भले ही एक समय पर आरामदायक लग सकता है, लेकिन यह भविष्य में हमें केवल कष्ट और पीड़ा ही देता है। यह कहानी एक ऐसे बूढ़े गिद्ध की है, जिसने अपने अनुभवों के आधार पर अपने साथियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन उसकी सलाह को नजरअंदाज कर दिया गया, और अंत में सभी को उसके नतीजे भुगतने पड़े। आइये पढ़ते हैं यह रोचक कहानी। 

बूढ़े गिद्ध की सलाह की कहानी Old Vulture Advice Motivational Hindi Story

कहानी- किसी घने जंगल में गिद्धों का एक झुण्ड रहता था। वे हमेशा एक साथ उड़ान भरते और शिकार करते थे। एक दिन, उड़ते-उड़ते वे सभी एक दूर के टापू पर पहुंचे। उस टापू पर बहुत सारी मछलियां और मेंढक थे, जो उनके खाने के लिए पर्याप्त थे।

वह टापू गिद्धों को बहुत पसंद आया, क्योंकि वहां भोजन और रहने की सभी सुविधाएं थीं। सभी गिद्धों ने उस टापू पर रहना शुरू कर दिया। अब उन्हें शिकार के लिए कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं थी। बिना किसी मेहनत के उन्हें भरपेट भोजन मिल जाता था। धीरे-धीरे, वे आरामदायक जीवन जीने लगे और शिकार करना छोड़ दिया।

उस झुंड में एक बूढ़ा गिद्ध भी था, जो इन सब चीजों से बहुत चिंतित रहता था। उसने देखा कि उसके साथी आलसी हो रहे हैं और अपनी शिकार की कला भूलते जा रहे हैं। बूढ़ा गिद्ध उन्हें कई बार चेतावनी देता था, "मित्रों, हमें वापस उड़ान भरनी चाहिए और अपनी शिकार की कला को मजबूत बनाए रखना चाहिए। अगर हम इसी तरह आलस करेंगे, तो एक दिन हम शिकार करना ही भूल जाएंगे। हमें अपने पुराने जंगल में लौट जाना चाहिए।"

बूढ़े गिद्ध की सलाह सुनकर सभी गिद्ध हंसने लगे। वे उसका मजाक उड़ाते हुए बोले, "तुम बूढ़े हो गए हो, इसलिए ऐसा कह रहे हो। यहां हमें सब कुछ बिना किसी मेहनत के मिल रहा है, तो क्यों जाएं हम वापस?" और उन्होंने टापू छोड़ने से मना कर दिया। आखिरकार बूढ़ा गिद्ध अकेले ही वापस जंगल लौट गया।


कुछ समय बाद, बूढ़े गिद्ध ने सोचा कि चलो एक बार अपने पुराने साथियों से मिलने टापू पर जाता हूं। जब वह वहां पहुंचा, तो टापू का दृश्य देखकर उसकी आंखें नम हो गईं। वहां केवल गिद्धों की लाशें पड़ी थीं। पास ही एक घायल गिद्ध पड़ा था। बूढ़ा गिद्ध उसके पास गया और पूछा, "यहां क्या हुआ?"

घायल गिद्ध ने बताया, "कुछ दिन पहले यहां चीतों का एक झुंड आया था। उन्होंने हम पर हमला कर दिया और हम सभी मारे गए। हम बहुत समय से ऊंचा उड़ान नहीं भरते थे, इसलिए हम अपनी जान भी नहीं बचा सके। हमारे पंजों में ताकत कम हो गई थी, इसलिए हम चीतों का सामना नहीं कर पाए।"

यह सुनकर बूढ़े गिद्ध को बहुत दुख हुआ। उसने समझा कि उसके साथियों ने उसकी बात नहीं मानी और आरामदायक जीवन की वजह से अपनी सुरक्षा की शक्ति खो दी। वह वहां से वापस अपने जंगल लौट गया, लेकिन अपने साथियों की याद और उनकी गलती से मिली सीख उसके साथ हमेशा रही।

आलस और आराम के कारण अपने कर्तव्यों से दूर नहीं होना चाहिए।

बूढ़े गिद्ध की कहानी की शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी भी आलस और आराम के कारण अपने कर्तव्यों से दूर नहीं होना चाहिए। अपनी शक्ति और क्षमता को बनाए रखना बहुत जरूरी है। यदि हम अपनी जिम्मेदारियों को छोड़ देते हैं, तो एक समय ऐसा भी आ सकता है जब हमें इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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