नमस्कार दोस्तों, आज हम जानेंगे महान महात्मा बुद्ध की अद्भुत कहानी, जिसमें धैर्य, समझ और कार्य के प्रति समर्पण का सन्देश है। महात्मा बुद्ध का जीवन हमें सिखाता है कि केवल भीड़ का हिस्सा बनने से कुछ नहीं होता, बल्कि हमारे अंदर धैर्य और समझदारी होनी चाहिए। आज की इस जीवनी में हम जानेंगे उनके एक अनूठे प्रसंग के बारे में जो हर किसी के जीवन में प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। तो आइए जानते हैं महात्मा बुद्ध की यह कहानी और समझते हैं उनका यह अनमोल संदेश।
महात्मा बुद्ध का धैर्य का अद्भुत प्रसंग
एक बार महात्मा बुद्ध को एक सभा में भाषण देना था। सभा में तकरीबन 150 लोग मौजूद थे। जैसे ही बुद्ध आए, उन्होंने कुछ नहीं कहा और बिना बोले ही सभा से वापस चले गए। सभा के लोग अचंभित थे लेकिन उन्होंने अगले दिन का इंतजार किया।
अगले दिन बुद्ध फिर आए, इस बार सभा में लगभग 100 लोग बचे थे। लेकिन बुद्ध ने इस दिन भी कुछ नहीं बोला और फिर से वापस चले गए। सभा के कुछ लोग इस पर नाराज थे और कुछ हैरान, लेकिन बुद्ध का रहस्य और भी गहरा हो गया।
तीसरे दिन बुद्ध आए और देखा कि इस बार केवल 60 लोग ही बचे हैं। इस दिन भी उन्होंने कुछ नहीं कहा और बिना बोले ही लौट गए। सभा के लोग समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर महात्मा बुद्ध ऐसा क्यों कर रहे हैं। धीरे-धीरे लोग निराश होकर जाने लगे।
चौथे दिन बुद्ध फिर से सभा में आए, लेकिन अब तक कुछ और लोग चले गए थे। उन्होंने इस बार भी कोई बात नहीं की और खामोशी से वापिस लौट गए। अब सभा में केवल वो लोग ही बचे थे जो पूरे धैर्य के साथ बुद्ध के सन्देश को सुनने का इंतजार कर रहे थे।
पाँचवे दिन बुद्ध सभा में आए और देखा कि केवल 14 लोग बचे हैं। इस दिन महात्मा बुद्ध ने बोलना शुरू किया और अपने विचार उन लोगों के साथ साझा किए। बुद्ध ने कहा, "मुझे भीड़ नहीं चाहिए थी, मुझे केवल वही लोग चाहिए थे जो धैर्यवान और समझदार हों। जो लोग बस तमाशा देखने आए थे, वे चले गए। लेकिन जो समझने के इच्छुक थे, वही रह गए।"
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
अगले दिन बुद्ध फिर आए, इस बार सभा में लगभग 100 लोग बचे थे। लेकिन बुद्ध ने इस दिन भी कुछ नहीं बोला और फिर से वापस चले गए। सभा के कुछ लोग इस पर नाराज थे और कुछ हैरान, लेकिन बुद्ध का रहस्य और भी गहरा हो गया।
तीसरे दिन बुद्ध आए और देखा कि इस बार केवल 60 लोग ही बचे हैं। इस दिन भी उन्होंने कुछ नहीं कहा और बिना बोले ही लौट गए। सभा के लोग समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर महात्मा बुद्ध ऐसा क्यों कर रहे हैं। धीरे-धीरे लोग निराश होकर जाने लगे।
चौथे दिन बुद्ध फिर से सभा में आए, लेकिन अब तक कुछ और लोग चले गए थे। उन्होंने इस बार भी कोई बात नहीं की और खामोशी से वापिस लौट गए। अब सभा में केवल वो लोग ही बचे थे जो पूरे धैर्य के साथ बुद्ध के सन्देश को सुनने का इंतजार कर रहे थे।
पाँचवे दिन बुद्ध सभा में आए और देखा कि केवल 14 लोग बचे हैं। इस दिन महात्मा बुद्ध ने बोलना शुरू किया और अपने विचार उन लोगों के साथ साझा किए। बुद्ध ने कहा, "मुझे भीड़ नहीं चाहिए थी, मुझे केवल वही लोग चाहिए थे जो धैर्यवान और समझदार हों। जो लोग बस तमाशा देखने आए थे, वे चले गए। लेकिन जो समझने के इच्छुक थे, वही रह गए।"
कहानी का संदेश
केवल भीड़ होने से कोई धर्म या उद्देश्य सफल नहीं होता। किसी भी कार्य के लिए ऐसे लोग चाहिए होते हैं जिनके पास धैर्य और समझ हो, समर्पण हो। कई लोग दुनिया की चकाचौंध में खो जाते हैं और उन्हें ज्ञान की बातों से कोई सरोकार नहीं होता, लेकिन सच्चे समझने वाले हमेशा धीरज रखते हैं और सही समय पर सही बात को समझते हैं। महात्मा बुद्ध का यह प्रसंग हमें सिखाता है कि सफलता भी उसी को मिलती है जो सच्ची लगन और धैर्य के साथ कार्य करता है।आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
- पंचतंत्र की कहानी चालाक खटमल Chalaak Khatmal The clever bedbug Story Panchtantra
- प्यासे कौवे की कहानी सरल हिंदी Pyase Kouve Ki Kahani Thirsty Crow Story
- हाथी और बकरी की प्रेरणादायक कहानी Hathi Aur Bakari Ki Kahani Motivational Story
- ब्राह्मण चोर और दानव पंचतंत्र की कहानी Thief Brahmin and Demon Panchtantra Kahani
- घमंड छोड़कर विनम्र बने बुद्धा कहानी Mahatma Buddha Story Ghamand Chhodo
- ऊँट और गीदड़ की कहानी Camel And Jackal Motivational Story
महात्मा बुद्ध की धैर्य की कहानी, महात्मा बुद्ध की जीवनी हिंदी में, महात्मा बुद्ध का प्रेरणादायक प्रसंग, बुद्ध के जीवन की शिक्षाएं, धैर्य और समझ पर महात्मा बुद्ध का संदेश,
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |