आपका स्वागत है, इस पोस्ट में हम एक प्रेरणादायक कहानी के बारे में जानेंगे, जिसका शीर्षक है "साधु और चूहे की कहानी"। यह कहानी हमें सिखाती है कि कैसे संसाधनों की अधिकता या कमी हमारे आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकती है। जीवन में हमें जो कुछ भी मिलता है, उसका सही उपयोग और संतुलन कैसे बनाए रखना चाहिए, इस कहानी में हमें यही सीख मिलती है। तो आइए, इस दिलचस्प कहानी को पढ़ते हैं और सीखते हैं कि आत्मविश्वास कैसे हमारे जीवन को प्रभावित कर सकता है।
साधु और चूहे की कहानी Sadhu Aur Chuhe Ki Kahani Lyrics
बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में एक साधु एक मंदिर में निवास करते थे। उनका दिन पूजा-पाठ और लोगों को धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देने में बीतता था। मंदिर में आने वाले लोग साधु को दान स्वरूप अनाज, फल और वस्त्र दे जाते थे, जिससे साधु की जरूरतें पूरी हो जाती थीं। रोज भोजन करने के बाद साधु थोड़ा सा भोजन बचाकर टोकरी में रख देते और उसे छत से टांग देते थे ताकि कोई जानवर उसे ना खा सके।
लेकिन कुछ समय बाद साधु ने देखा कि रोज़ का बचा हुआ भोजन धीरे-धीरे गायब होने लगा। साधु को चिंता हुई और उन्होंने इस बात का कारण जानने का निश्चय किया। एक रात साधु ने दरवाजे के पीछे छिपकर देखा कि एक छोटा सा चूहा भोजन निकालकर ले जा रहा है। अगले दिन साधु ने टोकरी को और ऊंचा कर दिया ताकि चूहा उस तक न पहुंच सके। परंतु चूहा अब भी ऊंची छलांग लगाकर भोजन तक पहुंचने में कामयाब हो जाता था। यह देखकर साधु की परेशानी और बढ़ गई।
कुछ दिन बाद, एक भिक्षुक साधु के पास आया। उसने साधु के चेहरे पर चिंता देखी और कारण पूछा। साधु ने भिक्षुक को पूरी घटना सुनाई। भिक्षुक ने साधु से कहा कि पहले यह समझना आवश्यक है कि इस चूहे के पास इतनी ऊंची छलांग लगाने की शक्ति कहां से आ रही है। यह जानने के लिए साधु और भिक्षुक ने उस रात चूहे का पीछा करने का निश्चय किया।
उन्होंने देखा कि चूहा मंदिर के पीछे अपने बिल में भोजन ले जाकर जमा कर रहा है। जब चूहा कहीं और चला गया, तो दोनों ने उसके बिल को खोदा और पाया कि वहां ढेर सारा भोजन इकट्ठा किया हुआ है। भिक्षुक ने साधु से कहा, "यही वह कारण है कि इस चूहे में इतनी शक्ति है। इसने आवश्यकता से अधिक भोजन इकट्ठा कर रखा है।" साधु ने उस भोजन को वहां से निकाल लिया और उसे गांव के गरीबों में बांट दिया।
जब चूहा वापस अपने बिल में आया तो उसे खाली पाकर उसका आत्मविश्वास खत्म हो गया। उसने फिर से छींके तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन इस बार वह छलांग नहीं लगा सका। साधु ने उसे वहां से भगा दिया और उसे फिर कभी भोजन चुराने का साहस नहीं हुआ।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में संसाधनों की अधिकता हमारे आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकती है। जो कुछ हमारे पास है, उसका सही ढंग से उपयोग करना चाहिए और संतुलन बनाए रखना चाहिए। अनावश्यक भंडारण और लालच हमें अस्थायी शक्ति तो दे सकते हैं, परंतु आत्मविश्वास और वास्तविक शक्ति आत्म-संयम और संतुलन से ही मिलती है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |