बंदर और लकड़ी का खूंटा कहानी Bandar Aur Lakadi Panchtantra Kahani

स्वागत है, इस पोस्ट में हम एक प्रेरणादायक कहानी "बंदर और लकड़ी का खूंटा" के बारे में जानेंगे। यह कहानी हमें दूसरों की चीजों और कामों में अनावश्यक दखल देने के दुष्परिणाम बताती है। आशा है कि आप इस कहानी से कुछ महत्वपूर्ण सबक जरूर सीखेंगे। आइए, जानते हैं इस दिलचस्प कहानी को।

बंदर और लकड़ी का खूंटा कहानी Bandar Aur Lakadi Panchtantra Kahani

पंचतंत्र की कहानी बंदर और लकड़ी

बहुत समय पहले की बात है, एक गांव के पास एक मंदिर का निर्माण हो रहा था। इस निर्माण कार्य के लिए लकड़ियों की जरूरत थी, जिसे काटने के लिए शहर से कुछ मजदूर बुलाए गए थे। रोज़ दोपहर होते ही ये मजदूर अपने खाने के लिए गांव चले जाते थे, जिससे निर्माण स्थल एक घंटे तक खाली रहता था।

एक दिन, दोपहर के भोजन का समय हुआ, तो सभी मजदूर खाना खाने के लिए गांव चले गए। उस समय एक मजदूर ने लकड़ी को आधा चीर कर बीच में खूंटा फंसा दिया था ताकि बाद में काम करने में आसानी हो।

मजदूरों के जाते ही, बंदरों का एक झुंड वहां आ गया। उनमें से एक बंदर काफी शरारती था। उसने आसपास पड़ी चीजों को छेड़ना और उलट-पुलट करना शुरू कर दिया। झुंड के सरदार ने उसे मना भी किया, पर वह बंदर कुछ ज्यादा ही शरारती था और सरदार की बात मानने को तैयार नहीं था। बाकी सभी बंदर जब पेड़ों की ओर वापस लौटने लगे, तो वह शरारती बंदर अकेला पीछे रह गया और शरारत करने लगा।

अचानक उसकी नज़र उस आधी काटी हुई लकड़ी पर गई जिसमें खूंटा फंसा हुआ था। उसे देखकर बंदर ने सोचा, "यह खूंटा यहां क्यों है? इसे निकाल कर देखना चाहिए।" बिना कुछ सोचे-समझे, उसने खूंटे को खींचना शुरू कर दिया। कुछ देर खींचने के बाद खूंटा हिलने लगा, जिससे वह और उत्साहित हो गया। वह पूरी ताकत से खूंटा निकालने में जुट गया, लेकिन उसे यह अहसास नहीं हुआ कि उसकी पूंछ लकड़ी के दो भागों के बीच फंस गई है।

आखिरकार जब उसने खूंटा बाहर निकाल दिया, तो लकड़ी के दोनों भाग अचानक से चिपक गए, और उसकी पूंछ बीच में ही फंस गई। बंदर दर्द से चिल्लाने लगा। इसी दौरान मजदूर भी वहां पहुंच गए। मजदूरों को देख वह और डर गया और भागने के लिए जोर लगाने लगा। लेकिन उसकी पूंछ इतनी बुरी तरह फंसी थी कि जबरन खींचने पर टूट गई। टूटी हुई पूंछ के साथ वह दर्द में कराहता हुआ अपने झुंड के पास वापस पहुंचा। बाकी बंदरों ने उसे देखकर उसकी मूर्खता पर हंसी उड़ाई। शरारती बंदर अब अपनी नासमझी पर पछता रहा था।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बिना समझे दूसरों की चीजों के साथ छेड़छाड़ करने से हमें ही नुकसान उठाना पड़ता है। दूसरों के कामों में हस्तक्षेप करने से कई बार हमें भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। इसलिए कभी भी दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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