सुनहरे गोबर की कहानी पढ़ें रोचक कहानी

स्वागत है दोस्तों, इस पोस्ट में हम एक बेहद रोचक और प्रेरणादायक कहानी "सुनहरे गोबर की कथा" के बारे में जानेंगे। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमेशा अपने विवेक और समझ से निर्णय लेना चाहिए, और दूसरों की बातों पर आंख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए।

सुनहरे गोबर की कहानी

सुनहरे गोबर की कहानी


बहुत समय पहले, एक बड़े शहर के किनारे एक विशाल पेड़ पर सिन्धुक नाम का एक पक्षी रहता था। यह कोई साधारण पक्षी नहीं था, क्योंकि इसका मल सोने में बदल जाता था। यह रहस्य केवल सिन्धुक को पता था और उसने इसे हमेशा छुपाकर रखा था।

एक दिन, उस पेड़ के नीचे एक शिकारी आराम करने के लिए रुका। थोड़ी देर बाद, सिन्धुक ने उसके सामने मल त्याग दिया। जैसे ही मल जमीन पर गिरा, वह चमकते हुए सोने में बदल गया। शिकारी की आंखें यह देखकर चमक उठीं। उसने सोचा कि अगर वह इस पक्षी को पकड़ ले, तो वह अमीर बन सकता है।

शिकारी ने तुरंत वहां जाल बिछा दिया और कुछ ही देर में सिन्धुक उस जाल में फंस गया। शिकारी उसे घर ले आया और उसे पिंजरे में बंद कर दिया। अब शिकारी हमेशा सिंधुक के मल त्याग की प्रतीक्षा करता रहता और उसके मल को सोने में बदलने के पश्चात इकट्ठा करने लग गया।


एक दिन पिंजरे में बंद सिन्धुक को देखकर शिकारी को एक ख्याल आया। उसने सोचा, "अगर इस पक्षी के बारे में राजा को पता चला, तो वे मुझसे इसे मांग लेंगे और शायद मुझे सजा भी दें।" डर के मारे, शिकारी ने खुद ही राजा के पास जाने का फैसला किया।

राजा के सामने उसने पूरी कहानी बताई और सिन्धुक को पेश कर दिया। राजा ने पक्षी की खासियत सुनकर उसे सुरक्षित रखने और अच्छी तरह से देखभाल करने का आदेश दिया। लेकिन राजा के दरबार में मौजूद एक मंत्री ने इस बात को नहीं माना। उसने राजा से कहा, “महाराज, यह शिकारी झूठ बोल रहा है। ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई पक्षी सोने का मल त्याग करे? मेरा सुझाव है कि आप इस पक्षी को आजाद कर दें।”

मंत्री की सलाह सुनकर राजा ने पक्षी को आजाद करने का आदेश दे दिया। सिन्धुक जैसे ही पिंजरे से बाहर निकला, उसने राजा के दरवाजे पर सोने का मल त्याग किया और उड़ गया। यह देख राजा को बहुत पछतावा हुआ। उसने तुरंत पक्षी को पकड़ने का आदेश दिया, लेकिन तब तक सिन्धुक दूर आसमान में उड़ चुका था।

जाते-जाते सिन्धुक ने कहा, “मैंने गलती की, जो शिकारी के सामने सोने का मल त्याग दिया। शिकारी ने गलती की, जो मुझे राजा के पास ले आया। और राजा ने गलती की, जो मंत्री की बात में आ गया। यह तीनों ही मूर्ख थे।” इस प्रकार इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने बुद्धि का उपयोग करना चाहिए और किसी की बातों में नहीं आना चाहिए

कहानी से शिक्षा

यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए और दूसरों की बातों पर बिना सोचे-समझे भरोसा नहीं करना चाहिए। जल्दबाजी में किए गए निर्णय अक्सर हमें पछतावा ही देते हैं।


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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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