आज हम एक दिलचस्प कहानी के साथ हाज़िर हैं जिसका शीर्षक है "तेनालीराम और आड़ू का फल"। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कैसे बुद्धिमानी और हाजिरजवाबी से हम मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं। तो चलिए, बिना किसी देरी के, इस मनोरंजक कहानी को शुरू करते हैं।
तेनालीराम और आड़ू का फल
प्राचीन समय में, चीन के सम्राट टोन्डमांदलम ने दक्षिण भारत के राजा को कुछ विशेष आड़ू भेजे। इन आड़ुओं के बारे में कहा गया था कि जो इन्हें खाएगा, उसकी उम्र लंबी हो जाएगी। जब ये अनोखे फल राजा के सामने प्रस्तुत किए जा रहे थे, तभी दरबार के चतुर और हाजिरजवाब तेनालीराम की नजर उन फलों पर पड़ी। अपने स्वभाव के अनुसार तेनालीराम ने तुरंत एक आड़ू उठा लिया और उसका एक छोटा-सा टुकड़ा चख लिया।
राजा ने यह देखकर क्रोधित हो उठे। उन्होंने गुस्से में तेनालीराम को डांटते हुए कहा, "तुमने मेरे फल को क्यों खाया? इसके लिए तुम्हें सजा मिलेगी!"
शाही रक्षकों ने तेनालीराम को सजा देने के लिए पकड़ लिया और उसे ले जाने लगे। लेकिन तेनालीराम ने अपने चेहरे पर उदासी का नकाब ओढ़ लिया और गंभीरता से कहा, "चीन के सम्राट तो धोखेबाज हैं! यह दावा करते हैं कि इस फल को खाने से लंबी उम्र मिलती है, पर देखो मैं तो केवल एक टुकड़ा चखकर ही मरने वाला हूँ। जो एक पूरा फल खा लेगा, उसका क्या हाल होगा?"
तेनालीराम की यह चतुराई भरी बात सुनकर राजा हंसी में लोटपोट हो गए। राजा को तेनालीराम की बुद्धिमत्ता और हाजिरजवाबी पर गर्व महसूस हुआ। उन्होंने न केवल तेनालीराम को माफ कर दिया बल्कि इनाम में बाकी सभी आड़ू भी दे दिए।
कहानी से सीख (Moral of the Story)
बुद्धिमानी और हाजिरजवाबी से किसी भी संकट का सामना किया जा सकता है। तेनालीराम की तरह, हमें भी हर परिस्थिति में धैर्य और विवेक बनाए रखना चाहिए।
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