आज हम एक प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं जिसका शीर्षक है "तेनालीराम की बुद्धिमानी।" यह कहानी हमें दिखाती है कि कैसे एक छोटे से बच्चे में भी अद्भुत बुद्धिमता हो सकती है और वह बड़े-बड़ों को अपने तर्क और जवाबों से चकित कर सकता है। इस कहानी में हम देखेंगे कि कैसे तेनालीराम, जो बाद में एक मशहूर विदूषक और बुद्धिमान व्यक्ति बने, ने अपने बाल्यकाल में ही अपनी तीव्र बुद्धि का प्रदर्शन किया। तो आइए जानते हैं इस कहानी को विस्तार से।
तेनालीराम की बुद्धिमानी
एक दिन, जब तेनालीराम एक छोटा लड़का था, उसका पड़ोसी उसे एक अमीर और घमंडी मकान मालिक के पास ले गया। पड़ोसी ने मकान मालिक से कहा, "यह लड़का बहुत ही काबिल है। मैंने कभी भी इतनी छोटी उम्र में इतनी बुद्धिमता नहीं देखी है। वह हर सवाल का जवाब देता है।"
यह सुनकर मकान मालिक थोड़ा असहज हो गया। उसकी घमंड वाली प्रवृत्ति को यह बात पसंद नहीं आई कि एक बच्चा उसकी बुद्धिमता को चुनौती दे। उसने तेनालीराम को देख कर कहा, "वह मुझे इतना बुद्धिमान नहीं लगता। वैसे भी, उम्र के साथ ही आदमी समझदार बनता है।"
यह सुनकर तेनालीराम ने मासूमियत भरे अंदाज में पूछा, "साहब, अगर ऐसा है तो क्या जब आप छोटे थे तब आप भी इतने ही बुद्धिमान थे जितना मैं हूँ?" इस सवाल ने मकान मालिक को सोच में डाल दिया और उसे यह एहसास हुआ कि तेनालीराम सचमुच बुद्धिमान है।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि असली बुद्धिमता का उम्र से कोई लेना-देना नहीं होता। छोटे बच्चे भी अपनी तेज सोच और सवालों से दूसरों को प्रभावित कर सकते हैं। यह कहानी हमें यह भी बताती है कि घमंड को पीछे छोड़कर हर किसी की क्षमताओं का आदर करना चाहिए।
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