पतंजली सुखदावटी के फायदे घटक सेवन विधि उपयोग

पतंजली सुखदावटी के फायदे घटक सेवन विधि उपयोग

सुखदा वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो टेबलेट फॉर्म (गोली) अवस्था में है। यह दवा कई उपयोगी जड़ी बूटी (हर्ब) से बनायीं गयी है। यह पेट सबंधी विकारों के लिए उपयोगी है। इस वटी के सेवन से पेट सम्बन्धी विकार यथा, अपच, गैस, पाचन विकार, अजीर्ण, भूख की कमी में सुधार प्राप्त होता है।

पतंजली  सुखदा वटी के घटक Ingredients of Dvya Sukhada Vati

मुख्य रूप से दिव्य सुखदा वटी में धनिया, आवला, पेपरमिंट, कर्पूर देसी, अजवाइन, लौंग तेल, नीलगिरि तेल मिश्री, आदि। 
Patanjali Divya Sukhda Vati Ingredients:
  • Coriander (Coriandrum sativum)
  • Amla (Emblica Officinalis)
  • Clove (Syzygium aromaticum)
  • Camphor cinnamon (Cinnamomum camphora)
  • Mint (Mentha piperata)
  • Ajwan
Coriander, also known as cilantro, is a popular herb used in cooking and traditional medicine. It is a member of the parsley family and has a delicate, fresh, and citrusy flavor.
Coriander is rich in antioxidants and has anti-inflammatory properties, making it a healthy addition to any diet. It is also a good source of dietary fiber, vitamins A, C, and K, and minerals such as calcium, potassium, and iron.
In traditional medicine, coriander has been used to aid digestion, reduce inflammation, and promote healthy skin. It has also been used as a natural remedy for headaches, coughs, and colds.
Coriander is a versatile herb that can be used fresh or dried in a variety of dishes, including soups, stews, curries, salads, and marinades. It is also commonly used as a garnish or topping for dishes such as tacos, soups, and sandwiches.

Emblica Officinalis, also known as Amla or Indian gooseberry, is a fruit that has been used for centuries in Ayurvedic medicine. It is considered to be one of the most important medicinal plants in the Ayurvedic system. In Ayurveda, Amla is classified as a Rasayana, which is a group of herbs that are believed to promote longevity, slow down the aging process, and improve overall health and vitality. Amla is known for its potent antioxidant and anti-inflammatory properties, and is considered to be a natural immune booster.
Amla is used in Ayurvedic medicine to treat a wide range of health conditions, including digestive issues, respiratory problems, skin disorders, and diabetes. It is also used to improve brain function, promote healthy hair and skin, and support healthy liver function.
Amla is typically consumed in the form of juice, powder, or supplement. It can be added to various dishes to enhance flavor and nutrition. It is also commonly used as an ingredient in Ayurvedic herbal formulations and supplements.
 
पतंजली सुखदावटी के फायदे Patanjali Sukhda Vati Ke Fayde

Gun Karma of Patanjali Sukhdavati पतंजली  सुखदा वटी के गुण धर्म 

सुखदा वटी का मुख्य रूप में अपच, पाचन के विकार, अजीर्ण, आफरा आदि विकारों के लिए उपयोग किया जा सकता है।

Usages of Patanjali Sukhda Vati सुखदा वटी के उपयोग 

इस वटी का उपयोग पाचन विकारों के लिए उपयोग में ली जाती है। गैस, अपच, खट्टी डकारों, उल्टी, एसिडिटी आदि के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

पतंजली सुखदा वटी के फायदे Patanjali Sukhda Vati Ke Fayde

सुखदा वटी के मुख्य लाभ पाचन प्रक्रिया को मजबूत बनाने सबंधी है। इसके सेवन से निम्न लाभ होते हैं।
  • सुखदा वटी के सेवन से पाचन तंत्र मजबूत बनता है।
  • एसिडिटी से राहत मिलती है।
  • पेट दर्द में प्रभावी दवा है।
  • पेट में आफरा होना, फूलना और पेट में मरोड़ उठने के सबंध में प्रभावी।
  • इसके सेवन से पाचक रस का स्राव ज्यादा होता है।
  • कब्ज और गैस समस्या नहीं होती है।
  • इसके सेवन से शरीर में भोजन का गुण लगता है।
धनिया : धनिया पाचन में मदद करता है। धनिया में एंटी ऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं। खाली पेट धनिया का पानी पिने से पेट सबंधी कई विकार दूर होते हैं। सुखदा वटी में धनिया के इन्ही गुणों का प्रयोग किया जाता है। किडनी के लिए भी ताजे धनिये का ज्यूस फायदेमंद होता है। इसके डेटोक्सिक गुणों के कारण इससे पाचन तंत्र मजबूत बनता है। 
 
आंवला : सामान्य रूप से आंवले के गुणों को पहचानकर हमारे घरों में ऋतू में इसकी सब्जी बनायीं जाती है और आंवले का मुरब्बा भी सेहत के लिए काम में लिया जाता है। आंवला भोजन भी है और आयुर्वेदिक दवा भी। इसका वनस्पति नाम एम्बलोका ऑफिजिनालिस या फ़िलेंथस इम्ब्लिका है। आंवला एक शक्तिशाली एंटी ऑक्सीडेंट हैं। आंवले का उपयोग विटामिन c के लिए प्रमुखता से उपयोग में लिया जाता है। आंवले का उपयोग मुख्यतया एंटी-एजिंग को रोकने, संक्रमण की रोकथाम के लिए, आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए, बालों को सेहतमंद करने के लिए, और पाचन तंत्र को सुधारने के लिए किया जाता है। आंवले के सेवन से लिवर भी मजबूत होता है।
 
पेपर मिंट : पोदीना अपनी महक और गुणों के लिए पहचाना जाता है। पोदीना में पाया जाने वाला विटामिन A हमारे सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी और उपयोगी है।विटामिन A के अलावा पोदीना में आयरन, फोलेट, मेगनीज और फाइबर होते हैं। पोदीना मुंह की लार ग्रंथियों को सक्रीय करता है और पाचन में सहयोगी होता है। पोदीने के सेवन से लिवर मजबूत बनता है तथा साथ ही दांतों और मुंह के विकारों में भी उपयोगी होता है। पोदीने में पाए जाने वाले एंटी बैक्ट्रियल गुणों के कारन दो तीन पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर होता है। पोदीने के सेवन और इसके तेल को सबंधित क्षेत्र पर लगाने से मांसपेशियों का दर्द दूर होता है। इन गुणों के अलावा पोदीने के सेवन से अन्य लाभ हैं मस्तिष्क की क्रिया प्रणाली में लाभदायक, बालों के विकास, कील मुंहासों में लाभदायक है।
 
कर्पूर देसी : देसी कर्पूर जो पेड़ के लगता है उसके कई चकित्सकीय लाभ भी होते हैं।कर्पूर पित्त दोष का नाश करता है। बाल सफ़ेद होना, जोड़ों का दर्द होना और त्वचा सबंधी विकारों का पैदा होना पित्त दोष के ही संकेत हैं। रोग का मूल कारन वात, कफ और पित्त का बिगड़ना ही होता है। इसीलिए इन्हे त्रिदोष कहा गया है। पित्त का मुख्य कार्य भोजन को पचाने का होता है। जठराग्नि को प्रभावित करता है पित्त। जब पित्त बढ़ जाता है तो ये पित्त दोष कहलाता है। सुखदा वटी में कर्पूर का मुख्य लाभ होता है जठराग्नि को प्रेरित करना।
 
अजवायन : अजवाइन (Trachyspermum Ammi) अजवाइन मूल रूप से मिश्र देश से सबंधित है। पाचन और गैस से सबंधित समस्याओं के लिए अजवाइन का उपयोग हमारे घरों में किया जाता रहा है। अजवाइन का स्वाद तीखा और तासीर गर्म होती है। अजवाइन में मौजूद एंजाइम पाचन को सरल बनाते है और गेस्ट्रिक समस्या को दूर करते हैं। खट्टी डकारों के लिए अजवाइन चूर्ण का सेवन लाभदायक होता है। भुने हुए जीरे के साथ अजवाइन लेने (अजवाइन का चूर्ण) से एसिडिटी की समस्या दूर होती है। इसके आलावा मोटापा, पेट और आँतों के कीड़े, प्रसव के उपरान्त गर्भाशय को शुद्ध करने के लिए, अनियमित मासिक धर्म को नियमित करने, मसूड़ों के रोगों के इलाज के लिए भी अजवाइन का उपयोग किया जाता है।
 
लौंग तेल : वैसे तो लौंग के तेल के कई गुण होते हैं लेकिन पेट से सबंधित विकारों के लिए भी लौंग तेल उपयोगी होता है। यह अपच, आफरा, गैस बदहजमी कब्ज आदि विकारों के लिए उपयोगी होता है। लौंग का तेल पाचन तंत्र को सुचारु रूप से कार्य करने में उपयोगी होता है। यही वजह है की कई गरिष्ठ भोजन में लौंग को डाला जाता है। पेट दर्द में भी लौंग प्रभावी होता है। उलटी, अपच और आफरा में लौंग असरदायक माना जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य घटक नीलगिरि तेल और मिश्री होती है।

आयुर्वेद में, पाचन चयापचय की क्रिया को दर्शाता है। यदि आपका पाचन तंत्र कमजोर है, तो यह पाचन संबंधी विभिन्न समस्याओं जैसे सूजन, गैस, कब्ज और कमजोरी को को पैदा करता है। आयुर्वेद में पाचन को बेहतर बनाने के लिए आप अपने स्तर पर निम्न बिंदुओं का ध्यान रखें :-
  1. शांत मन से भोजन ग्रहण करें: आयुर्वेद में शांत मन से और रूचि से भोजन के ग्रान को विशेष महत्व दिया गया है। इसका अर्थ है भोजन को अच्छी तरह से चबाकर खाएं, भोजन के समय अन्य कार्य ना करना यथा फ़ोन पर बात करना, टीवी देखना आदि।
  2. स्वस्थ आहार का पालन करें: अच्छे पाचन के लिए स्वस्थ, संतुलित आहार खाना महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद में, ताजा, हरी सब्जी, फाइबर से युक्त खाने की सलाह दी जाती है जो पचाने में आसान होता है और पोषक तत्वों से भरपूर भी। फ्रोजेन फ़ूड, भारी, तैलीय या तले हुए खाद्य पदार्थों और ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें जिन्हें पचाना मुश्किल हो।
  3. पाचक मसालों का प्रयोग करें: जीरा, धनिया, सौंफ, अदरक और हल्दी जैसे आयुर्वेदिक मसाले पाचन में सहायता के लिए जाने जाते हैं। इन मसालों को आप अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं या हर्बल चाय के रूप में ले सकते हैं।
  4. भोजन के नियमित समय का अभ्यास करें: नियमित अंतराल पर भोजन करने से आपके पाचन तंत्र को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। आयुर्वेद में, अपने मुख्य भोजन को दोपहर के समय खाने की सलाह दी जाती है, जब आपकी पाचन अग्नि सबसे मजबूत होती है।
  5. हाइड्रेटेड रहें: अच्छे पाचन के लिए खूब पानी पीना जरूरी है। यह पाचन तंत्र को हाइड्रेट रखने और सुचारू रूप से चलने में मदद करता है। आयुर्वेद में दिन में भरपूर मात्रा में पानी पीने को श्रेष्ठ माना है आप हर्बल चाय का उपयोग भी करें।
  6. तनाव का प्रबंधन करें: तनाव पाचन प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकता है। आयुर्वेद में, तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान और प्राणायाम करें। इन चरणों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके, आप अपने पाचन में सुधार कर सकते हैं।
दिव्य सुखदा वटी का सेवन कैसे करे : दिव्य सुखदा वटी की डोजेज और लेने के तरीके के लिए आप पहले वैद्य से संपर्क करें जो आपकी उम्र, शरीर की प्रकृति, और रोग की गहनता के उपरान्त आपको इसके सेवन सबंधी राय दे सकता है।

पतंजलि की दिव्य सुखदा वटी के बारे में विस्तृत जानकारी : पतंजलि की दिव्य सुखदा वटी के लाभ, उपयोग और ऑनलाइन खरीदने, इसके मूल्य और सबंधित जानकारी के लिए पतंजलि की ऑफिसियल वेब साइट पर विजिट करें, जिसका लिंक निचे दिया गया है।


Useful in Vomiting, Indigestion & Abdominal pain. Contains-120 Tablets
 

Patanjali Divya Sukhda Vati Tablet | Product by Patanjali Ayurveda
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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1 टिप्पणी

  1. बेहद उम्दा जानकारी..🙏🙏🌺🌹