अर्शकल्प वटी के फायदे Patanjali Arshkalp Vati Ke Fayde Benefits of Patanjali Arshkalp Vati
पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी क्या है What is Patanjali Divya Arshkalp Vati in Hindi
पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी, एक प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक ओषधि है जिसका उपयोग बवासीर और फिस्टुला के इलाज के लिए किया जाता है। यह ओषधि टेबलेट फॉर्म में है और पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित है।पतंजलि अर्शकल्प वटी बवासीर और पायल्स से कैसे बचे Patanjali Arshkalp Vati Bavaseer Me Fayda
पतंजली अर्शकल्प वटी के फायदे Patanjali Arshkalp Vati Ke Fayde
बवासीर (Piles) में पतंजलि अर्शकल्प वटी के फायदे Benefits of Patanjali Arshakalp Vati to get rid of the problem of Piles.
पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो बवासीर के इलाज में मदद करती है। यह ओषधि कब्ज को दूर करने, पेट की सूजन और जलन को कम करने, और बवासीर के घावों को भरने में मदद करती हैं। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी का सेवन नियमित रूप से करने से बवासीर की समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है।
कब्ज को दूर करने में फायदे Patanjali Arshkalp Vati help in relieve Constipation
बवासीर (पाइल्स) रोग में लाभकारी पतंजलि अर्शकल्प वटी Patanjali Divya Arshkalp Vati for Piles
मस्सों की जलन और खुजली के इलाज के लिए पतंजलि अर्शकल्प वटी Patanjali Divya Arshkalp Vati gives relief from Itching and Irritation in Piles
पतंजलि अर्शकल्प वटी मस्सों में होने वाली जलन और खुजली को दूर करने में मदद करती है। इसके घटक मस्सों को सुखाने और दर्द और जलन को कम करने में मदद करती हैं। बवासीर के कारण गुदा के आसपास वाले हिस्से में कई मस्से बन जाते हैं। इन मस्सों में अक्सर तेज जलन और खुजली होने लगती है। पतंजलि अर्शकल्प वटी का सेवन करने से इन मस्सों में होने वाली जलन और खुजली से आराम मिलता है। इसके नियमित उपयोग के बाद ये मस्से सूखकर झड़ जाते हैं।फिस्टुला (भगंदर) के इलाज में लाभकारी है पतंजलि अर्शकल्प वटी Patanjali Divya Arshkalp Vati helps in Treatment of Fistula
पतंजलि अर्शकल्प वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो बवासीर और फिस्टुला जैसी गुदा संबंधी समस्याओं के लिए बहुत लाभकारी होती है। बवासीर और फिस्टुला के कारण होने वाली सूजन, दर्द और संक्रमण को कम करने में मदद करती हैं।पतंजलि अर्शकल्प वटी के फिस्टुला के इलाज में कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:-
- फिस्टुला के कारण होने वाली सूजन और दर्द को कम करती है।
- फिस्टुला से निकलने वाले मवाद को सूखने में मदद करती है।
- फिस्टुला के कारण होने वाले संक्रमण को रोकने में मदद करती है।
- फिस्टुला के इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता को कम करती है।
गैस और अपच को दूर करने में लाभकारी पतंजलि अर्शकल्प वटी Patanjali Divya Arshkalp Vati Benefits for Indigestion
अगर आपको अक्सर पेट में गैस बनने या पेट फूलने की समस्या होती है, तो पतंजलि अर्शकल्प वटी का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। यह दवा पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है और पेट की सूजन और जलन को कम करने में मदद करती है। अर्शकल्प वटी के नियमित सेवन से पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे कि गैस बनना, पेट फूलना, अपच आदि से राहत मिलती है। गैस और अपच की समस्या आजकल बहुत आम है। यह समस्या खान-पान में गड़बड़ी, तनाव या अन्य कारणों से हो सकती है। गैस और अपच होने पर पेट में सूजन, दर्द और अन्य परेशानियां हो सकती हैं। पतंजलि अर्शकल्प वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो गैस और अपच की समस्या के लिए बहुत लाभकारी होती है। पाचन तंत्र को मजबूत बनाती हैं और गैस और अपच को दूर करने में मदद करती हैं।पतंजलि अर्शकल्प वटी की खुराक/सेवन विधि How to Take Patanjali Divya Arshkalp Vati in Hindi
मतौर पर पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी का सेवन रात में खाना खाने के बाद करने की सलाह दी जाती है। यह इसलिए है क्योंकि यह वटी पाचन तंत्र को मजबूत बनाने और मल को नरम करने में मदद करती है। इससे शौच के दौरान दर्द और जलन कम होती है।हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर किसी के लिए पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी की खुराक अलग-अलग हो सकती है। इसलिए, बेहतर होगा कि आप पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के पास जाकर पाइल्स की जांच करवाएं और फिर चिकित्सक द्वारा बताई गई खुराक के अनुसार नियमित रूप से पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी का सेवन करें। यहाँ कुछ अतिरिक्त सुझाव दिए गए हैं जो आपको बवासीर से राहत पाने में मदद कर सकते हैं:
- फाइबर से भरपूर आहार लें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- तनाव से बचें।
पतंजलि अर्शकल्प वटी के साइड इफेक्ट Patanjali Arshkalp Vati Side Effects in Hindi
- पेट में दर्द
- दस्त
- कब्ज
- पेट फूलना
- उल्टी
- सिरदर्द
- चिकित्सक द्वारा बताई गई खुराक का पालन करें।
- पतंजलि अर्शकल्प वटी का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें यदि आप किसी अन्य दवा का सेवन कर रहे हैं।
- यदि आपको कोई साइड इफेक्ट दिखाई देता है, तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
पतंजलि अर्शकल्प वटी की कीमत और पैक साइज़ Patanjali Divya Arshkalp Vati Price and Pack Size in Hindi
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पतंजलि अर्शकल्प वटी से जुड़े प्रश्न और उत्तर FAQ Related to Patanjali Divya Arshkalp Vati in Hindi
क्या हम पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी को रोज ले सकते हैं?
हाँ, पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी को रोज लिया जा सकता है। इसका उपयोग चिकित्सक के द्वारा बताये गये निर्देश के अनुसार करना बेहतर होता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर किसी के लिए पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी की खुराक अलग-अलग हो सकती है। इसलिए, बेहतर होगा कि आप पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के पास जाकर बवासीर की जांच करवाएं और फिर चिकित्सक द्वारा बताई गई खुराक के अनुसार नियमित रूप से पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी का सेवन करें।दिव्य अर्शकल्प वटी की तासीर क्या है?
पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जिसे कई तरह की जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है और इन जड़ी-बूटियों की तासीर भिन्न होती है इसलिए सामूहिक रूप से इसकी तासीर भी एक जैसी नहीं होती है.पतंजलि अर्शकल्प वटी कैसे काम करती है?
पाचन शक्ति को बढ़ाती है: पतंजलि अर्शकल्प वटी में मौजूद जड़ी-बूटियां पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करती हैं। इससे भोजन का पाचन ठीक से होता है और मल नरम हो जाता है। इससे गुदा में सूजन और दर्द कम होता है।
सूजन को कम करती है: पतंजलि अर्शकल्प वटी में मौजूद जड़ी-बूटियां सूजन को कम करने में मदद करती हैं। इससे बवासीर के मस्से सिकुड़ जाते हैं और दर्द कम होता है।
दर्द को कम करती है: पतंजलि अर्शकल्प वटी में मौजूद जड़ी-बूटियां दर्द को कम करने में मदद करती हैं। इससे बवासीर के कारण होने वाला दर्द कम होता है।
भगंदर में दिव्य अर्शकल्प वटी के फायदे Benefits of arshkalp vati in fistula in Hindi
भगंदर के दौरान अर्शकल्प वटी का इस्तेमाल करने के कई फायदे होते हैं। अर्शकल्प वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो बवासीर और फिस्टुला के इलाज के लिए उपयोग की जाती है। यह औषधि कब्ज को दूर करने में मदद करती है, जो बवासीर और फिस्टुला के प्रमुख कारणों में से एक है। इसके अलावा, अर्शकल्प वटी में मौजूद जड़ी-बूटियाँ सूजन और जलन को कम करने में मदद करती हैं।भगंदर के दौरान अर्शकल्प वटी के कुछ विशिष्ट फायदे निम्नलिखित हैं:
- यह दर्द, जलन और चुभन को कम करने में मदद करता है।
- यह मल को नरम करने में मदद करता है, जिससे शौच के दौरान दर्द और जलन कम होती है।
- यह फिस्टुला को ठीक करने में मदद करता है।
- यह फिस्टुला को दोबारा होने से रोकता है।
- यह कोई साइड-इफेक्ट्स नहीं करता है।
- यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
- यह भूख बढ़ाने में मदद करता है।
पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी के घटक Ingredients Used in Patanjali Divya Arshkalp Vati
पतंजलि अर्शकल्प वटी में दिए गए उपयोग किए गए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और अर्क की सूची का उपयोग बवासीर (पाइल्स) और गुदा स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के इलाज में किया जाता है। यहां पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी की सामग्रियों की सूची है:पाउडर के रूप में पतंजलि दिव्य अर्शकल्प वटी के घटक
- रसौत शुद्ध (Berberis aristata): रसौत शुद्ध का उपयोग पेट की सफाई के लिए किया जाता है और बवासीर में राहत प्रदान करने में मदद कर सकता है.
- छोटी हरड़ (Terminalia chebula): छोटी हरड़ का उपयोग पेट स्वास्थ्य और पाचन के लिए किया जाता है.
- बकायन (Melia azedarach): बकायन को पेट की सफाई के लिए और बवासीर के दर्द को कम करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है.
- निमोली (Azadirachta indica): नीम का उपयोग और स्वास्थ्य और ब्लीडिंग को रोकने में किया जाता है.
- रीठा (Sapindus mukorossi): रीठा को त्वचा संबंधित समस्याओं के इलाज में और पेट की सफाई के लिए प्रयोग में लाया जाता है.
- देसी कपूर (Cinnamomum camphora): कपूर का उपयोग त्वचा और पेट संबंधित समस्याओं के इलाज में किया जाता है.
- खूनखराबा (Daemonorops draco): खूनखराबा का उपयोग ब्लीडिंग को रोकने के लिए किया जाता है.
- मकोय (Solanum nigrum): मकोय का उपयोग गुदा स्वास्थ्य में सुधार करने में किया जाता है.
- घृतकुमारी (Aloe barbadensis): घृतकुमारी का उपयोग त्वचा संबंधित समस्याओं के इलाज में किया जाता है.
- नागदोन (Artemisia vulgaris): नागदोन का उपयोग पेट की सफाई और पाचन के लिए किया जाता है.
बवासीर से बचाव कैसे करें ? How to prevent piles?
फाइबर से भरपूर आहार लें।
फाइबर मल को नरम करने में मदद करता है, जिससे शौच आसान हो जाता है। शौच के दौरान कम दबाव पड़ता है, जिससे बवासीर के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:- फल: सेब, केला, संतरा, अंगूर, पपीता, अमरूद, नाशपाती, अनार, जामुन, बेरीज़, अंजीर, खजूर, आदि।
- सब्जियां: ब्रोकली, पालक, गाजर, मूली, खीरा, टमाटर, करेला, लौकी, बैंगन, भिंडी, चौलाई, मटर, आदि।
- साबुत अनाज: गेहूं, जौ, बाजरा, रागी, मूंग, चना, आदि।
- हर भोजन में कम से कम एक फल या सब्जी शामिल करें।
- नाश्ते में ओट्स या दलिया खाएं।
- शाम के खाने में साबुत अनाज से बनी रोटी या पराठे खाएं।
- स्नैक के रूप में फल, सब्जियां, या नट्स खाएं।
पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
पानी शरीर में पानी की कमी को रोकने में मदद करता है, जिससे मल नरम रहता है। दिन भर में कम से कम 8 गिलास पानी पिएं।नियमित रूप से व्यायाम करें।
व्यायाम पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है और कब्ज को रोकता है। सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाला व्यायाम या 75 मिनट अधिक तीव्रता वाला व्यायाम करें।तनाव से बचें।
भारी वजन उठाने से बचें।
भारी वजन उठाने से पेट पर दबाव पड़ सकता है और बवासीर का कारण बन सकता है। यदि आपको भारी वजन उठाने की आवश्यकता हो, तो इसे ठीक से उठाने के लिए सही तकनीक का उपयोग करें।नियमित रूप से शौच जाएं।
अपने गुदा क्षेत्र को साफ और सूखा रखें।
गुदा क्षेत्र पर तंग कपड़े न पहनें।
तंग कपड़े गुदा क्षेत्र पर दबाव डाल सकते हैं और बवासीर के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। आरामदायक और ढीले कपड़े पहनें।यदि आपको बवासीर के कोई लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। बवासीर के लक्षणों में दर्द, जलन, खुजली और रक्तस्राव शामिल हैं। यदि आपको ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। डॉक्टर बवासीर के इलाज के लिए दवा या सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। इन घरेलू उपायों का पालन करने से आप बवासीर के जोखिम को कम कर सकते हैं और यदि आपको बवासीर हो जाए तो उसके लक्षणों को कम कर सकते हैं।
पतंजली अर्शकल्प वटी के घटक Patanjali Arshkalp Vati Ingredients
About Patanjali Ayurveda Arshkalp Vati पतंजलि आयुर्वेदा की दिव्य अर्शकल्प वटी
https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/vati/arshkalp-vati/15
Arshkalp Vati is a time-tested medicine for piles, haemorrhoids and fistula. It is made from a combination of herbal extracts that have the capacity to heal inflammations and soothe pain and discomfort. Arshkalp Vati also has laxative properties that induce peristaltic movements thus making evacuating of bowels pain-free. It improves digestion, reduces gas formation and discomfort. Don't let constipation and piles hold you back from enjoying life. Take ArshkalpVati for soothing and enduring recovery with Ayurvedic therapy.
रसोत : रसोंत, रसोत या फिर रसोता तीखे और पीले रंग का होता है। यह घाव को भरने में मदद करता है, मवाद को पकाता है और सूजन कम करने में मदद करता है। इससे मस्से ठीक होते हैं।
हरीतिका : हरड को हरीतकी भी के नाम से भी जाना जाता है। हरीतिकी के पेड़ से प्राप्त सूखे फल है जिन्हें हरड़ कहा जाता है। हरीतकी (Haritaki) का वानस्पतिक या वैज्ञानिक नाम टर्मिनालिया केबुला (Terminalia chebula) है। इसके अन्य नाम हैं हरड, कदुक्कई, कराकाकाया, कदुक्का पोडी, हर्रा और आयुर्वेद में इसे कायस्था, प्राणदा, अमृता, मेध्या, विजया आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में इसे अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है। पेट से सबंधित व्याधियों जैसे की अपच, पाचन शक्ति का दुर्बल होना, बवासीर होना दस्त आदि में इसका उपयोग असरदायक होता है। हरड विटामिन C का एक अच्छा स्रोत होता है। चरक सहिता में हरड के गुणों के बारे में उल्लेख मिलता है। पतंजली अर्शकल्प वटी के फायदे बवासीर, जिसे पाइल्स भी कहते हैं, इस विकार में मलाशय और गुदा में सूजन, घाव, और दर्द रहता है। यह दर्द बहुत तेज होता है और रक्तस्त्राव के साथ भी हो सकता है। यहाँ कुछ घरेलू उपचार दिए गए हैं जो बवासीर विकार को दूर करने में सहायक होते हैं :-
- गुदा मार्ग को क्षेत्र को साफ रखें: गुदा क्षेत्र को गर्म पानी और बिना सुगंध वाले माइल्ड साबुन से धीरे से साफ करें। गीले पोंछे या सुगंधित उत्पादों का उपयोग न करें क्योंकि विकार के लक्षणों को और अधिक बढ़ा सकते हैं।
- गुनगुने पानी से स्नान करें: 15 से 20 मिनट के लिए गुनगुने पानी में स्नान करे और गुदा मार्ग को भी साफ़ करें इससे राहत मिल सकती है और सूजन कम हो सकती है।
- आइस पैक लगाएं: प्रभावित क्षेत्र पर दिन में कई बार 10 से 15 मिनट के लिए आइस पैक लगाने से सूजन कम करने और राहत प्रदान करने में मदद मिल सकती है।
- विच हेज़ल का प्रयोग करें: विच हेज़ल प्राकृतिक है जो खुजली, दर्द और सूजन से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। इसे कॉटन बॉल से प्रभावित जगह पर लगाएं।
- ओवर-द-काउंटर उपचार आज़माएं: क्रीम, मलहम और सपोसिटरी जैसे कई ओवर-द-काउंटर उपचार उपलब्ध हैं, जो सूजन को कम करने और राहत प्रदान करने में मदद कर सकते हैं।
- फाइबर का सेवन बढ़ाएँ: फाइबर से भरपूर आहार खाने से कब्ज को रोकने और मल त्याग को आसान बनाने में मदद मिल सकती है, जिससे बवासीर का खतरा कम हो सकता है।
- हाइड्रेटेड रहें: खूब पानी और अन्य तरल पदार्थ पीने से मल को नरम रखने और कब्ज को रोकने में मदद मिल सकती है।
- नियमित रूप से व्यायाम करें: नियमित रूप से व्यायाम करने से आंत की कार्यक्षमता में सुधार होता है और बवासीर के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
- त्रिफला चूर्ण का सेवन करें: त्रिफला तीन फलों का एक मिश्रण है जिसमें प्राकृतिक रेचक गुण होते हैं। यह मल त्याग को आसान बना देते हैं और कब्ज को रोकने में मदद कर सकता है, जो बवासीर को बढ़ा सकता है। अतः कब्ज को रोकने के लिए आप त्रिफला चूर्ण का उपयोग कर सकते हैं।
- एलोवेरा (ग्वार पाठा): एलोवेरा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गुदा मार्ग में सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। बावासीर के लक्षणों से राहत पाने के लिए प्रभावित जगह पर ताजा एलोवेरा जेल लगाएं।
- मूली: मूली का रस पाचन में सुधार और कब्ज दूर करने में मदद कर सकता है, जो बावासीर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। इसके फायदे पाने के लिए आप मूली का जूस पी सकते हैं या फिर कच्ची मूली खा सकते हैं।
- नारियल का तेल: नारियल के तेल में सूजन-रोधी गुण होते हैं और यह प्रभावित क्षेत्र में दर्द और खुजली को कम करने में मदद कर सकता है। बवासीर के लक्षणों से राहत पाने के लिए प्रभावित जगह पर नारियल का तेल लगाएं।
- त्रिकटु चूर्ण: त्रिकटु तीन जड़ी बूटियों - अदरक, काली मिर्च, और काली मिर्च का एक मिश्रण होता है जो पाचन में सुधार करने और कब्ज के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है, जो बवासीर को बढ़ा सकता है।
- छाछ: छाछ पीने से पाचन में सुधार और कब्ज के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे बावासीर को रोकने में मदद मिल सकती है। अतिरिक्त लाभ के लिए आप छाछ में थोड़ा भुना जीरा पाउडर और काला नमक मिला सकते हैं।
भगंदर में दिव्य अर्शकल्प वटी का इस्तेमाल कब नहीं करना चाहिए ?
भगंदर के दौरान अर्शकल्प वटी का इस्तेमाल करने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। यदि आप नीचे दी गई परिस्थितियों में से किसी एक से गुजर रहे हैं, तो अर्शकल्प वटी का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए:
- सर्जरी से 2 सप्ताह पहले
- 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे
- क्रोहन रोग (chronic disease)
- अतिसंवेदनशीलता (hypersensitivity)
- शिशुओं को न दें
- गर्भावस्था के दौरान
- बड़ी आंत में सूजन होने पर
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |