मुंह के छाले और आयुर्वेदिक ओषधियाँ Ayurvedic Medicines for Mouth Ulcers

मुंह के छाले और आयुर्वेदिक ओषधियाँ Ayurvedic Medicines for Mouth Ulcers

मुंह के अंदर छाले एक विकट समस्या होती है। अक्सर मुंह के छाले हो जाने के कारण भोजन करना, चबाना, यहाँ तक की बोलने में भी समस्या आने लगती है। अक्सर लोग इसे नजर अंदाज कर देते हैं। हमारा उद्देश्य भी आपको डराना नहीं है और ना ही चिंतित करने का है, लेकिन इस विषय को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। चिंतित ना हों, लेकिन इसके कारण जाने और जो आप कर सकते हैं, वह जरूर कीजिये। 
 
मुंह के छाले और आयुर्वेदिक ओषधियाँ Ayurvedic Medicines for Mouth Ulcers

 
क्योंकि यदि इन छालों का समय पर उचित उपचार ना किया जाय तो भविष्य में ये अन्य गंभीर बिमारियों के जनक बन जाते हैं। आयुर्वेद में इसे मुखपाक कहा गया है और इसका कारण पित्त का गड़बड़ाना बताया गया है। विशेष बात है की आप वैद्य की सलाह के उपरांत गरेलु नुस्खे आजमा सकते हैं।

मुंह के अंदर छाले क्यों होते हैं

आयुर्वेद के मतानुसार मुंह के छाले का प्रमुख कारण शरीर में पित्त का बिगड़ना होता है जिसे हम सामान्य भाषा में पेट की गर्मी बढ़ने को मान सकते हैं। यदि आपको गुस्सा ज्यादा आता है, मुंह

का स्वाद बिगडा हुआ रहता है, आखों में जलन रहती है, शरीर का गर्म रहना और पाचन तंत्र कमजोर है तो आपको पित्त तो यह पित्त दोष का ही सूचक है। पित्त को शांत करने के लिए वैद्य से संपर्क करे। मुंह के छालों का कारण : मुंह के छाले कई कारणों से हो सकते हैं इसलिए आप निम्न बातों का ध्यान रखें।

मुंह के छालों के कारण

मुंह में छाले पित्त के बिगड़ने से होते हैं इसके साथ ही मुंह का संक्रमण, मुंह की अस्वछता, शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना आदि कई कारण होते हैं। आइये जानते हैं की मुंह के छालों के कारण क्या हैं।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि मुंह के छाले के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • पेट साफ न होना: पेट में कब्ज या अन्य पाचन समस्याओं के कारण मुंह में छाले हो सकते हैं।
  • हॉर्मोनल असंतुलन: महिलाओं में पीरियड्स के दौरान या गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल असंतुलन के कारण मुंह में छाले हो सकते हैं।
  • चोट लगना: मुंह में चोट लगने के कारण भी छाले हो सकते हैं।
  • विटामिन की कमी: विटामिन बी12, विटामिन सी, और आयरन की कमी के कारण भी मुंह में छाले हो सकते हैं।
  • एलर्जी: कुछ खाद्य पदार्थों, दवाओं, या अन्य पदार्थों से एलर्जी के कारण भी मुंह में छाले हो सकते हैं।
  • इम्यून सिस्टम की कमजोरी: इम्यून सिस्टम की कमजोरी के कारण भी मुंह में छाले हो सकते हैं।

सर्दियों में मुंह के छाले होने का एक प्रमुख कारण है ठंडी हवा। ठंडी हवा से मुंह के म्यूकोसा को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे छाले हो सकते हैं।
  1. शरीर में पित्त का बिगड़ना छालों का प्रमुख कारण माना गया है। इसलिए पित्त को शांत करने की कोशिश की जानी चाहिए।
  2. ज्यादा तली हुयी, मसालेदार, नमक मिर्च और तीखे का सेवन करना।
  3. सिगरेट और शराब का सेवन करना।
  4. उचित मात्रा में पानी नहीं पीना। शरीर में पानी के अभाव से भी मुंह का स्वाद बिगड़ना और छालों की समस्या हो सकती है।
  5. शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का अभाव होना।
  6. मुख की साफ़ सफाई का ध्यान नहीं देना जिससे मुंह का संक्रमण होना।
  7. अत्यधिक तनाव और चिंता करना।
  8. ज्यादा मात्रा में सूखे मेवों का प्रयोग करना भी इसका एक कारण होता है इसलिए मेवों को भिगोकर खाएं।
  9. अधिक दवाओं का सेवन करना।
  10. पाचन तंत्र का सही से काम ना करना। अपच, कब्ज आदि से भी मुख के विकार होते हैं।
  11. यदि आपके दांत किसी क्षति के कारण या अन्य किसी कारण से अधिक नुकीले है तो ये आपके गाल और होठों पर घाव कर सकते हैं इसके लिए दन्त चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
  12. फंगल इन्फेक्शन के कारण से भी मुंह के छाले हो सकते हैं।
  13. दाँतों की शल्य चिकित्सा के बाद उत्पन्न संक्रमण।

मुंह के छालों का घरेलु उपचार

आप अपनी आदतों में थोड़ा सा बदलाव करके इस विकार से दूर रह सकते हैं। आइये जानते हैं मुंह के छालों का घरेलु उपचार।

पाचन तंत्र को सुधारें

हम त्रुटिवश फ्रेश होने को ही आधार मान कर राय बना लेते हैं की मुझे पाचन और पेट से सबंधित कोई विकार नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं है, भोजन का सही से नहीं पचना, खाया पिया शरीर को नहीं लगना,

शरीर में पोषण का अभाव भी कमजोर पाचन तंत्र का संकेत हैं। इस विषय में आप क्या कर सकते हैं, आप नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। त्रिफला चूर्ण से पाचन तंत्र के विकार तो दूर होंगे ही और आपके शरीर को पोषण भी प्राप्त होगा। (त्रिफला चूर्ण के लाभ के बारे में जानने के लिए पढ़े : त्रिफला चूर्ण )

पान खाएं

पान खाना मुंह के छालों को ठीक करने में मददगार हो सकता है। पान में एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो मुंह के छालों के कारण होने वाले संक्रमण और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, पान में मौजूद ठंडक भी मुंह की जलन को कम करने में मदद कर सकती है।

पान को चबा-चबा कर खाने से पान में मौजूद ये गुण मुंह के छालों के संपर्क में आते हैं और उन्हें ठीक करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, पान खाने के बाद ठंडा पानी पीने से भी मुंह की जलन और दर्द कम होता है।

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पान में निकोटिन और अन्य हानिकारक पदार्थ भी होते हैं। इसलिए, पान को केवल मुंह के छालों को ठीक करने के लिए ही खाना चाहिए।

आक के दूध और शहद का उपयोग

आक के दूध और शहद का उपयोग मुंह के छालों के इलाज के लिए किया जा सकता है। आक के दूध में एंटीसेप्टिक और जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो मुंह के छालों के कारण होने वाले संक्रमण को दूर करने में मदद कर सकते हैं। शहद में भी एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो मुंह में सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं।

त्रिफला चूर्ण के गरारे करना

त्रिफला चूर्ण को कुछ देर तक पानी में भिगो कर रखें और इसे छान कर दिन में दो से तीन बार त्रिफला चूर्ण के पानी से गरारे करें।

गाय के देसी घी का उपयोग

गाय का घी मुंह के अल्सर का एक अच्छा उपाय होता है। कोई सा भी घी काम नहीं करता है, आपको चाहिए देसी गाय का शुद्ध घी। देसी गाय के सभी उत्पाद हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं होते हैं। आप गाय के घी को सोते वक़्त मुंह में लगाकर सोये इससे मुंह का संक्रमण दूर होता है क्योंकि यह एंटी बेक्टेरियल और एंटी सेप्टिक होता है (विस्तार से पढ़ें : गाय के घी की महिमा ) . आप चाहे तो रात को नस्य भी ले सकते हैं, इससे भी मुंह के विकारों में लाभ प्राप्त होगा।

हल्दी का उपयोग

हल्दी एंटी बेक्टेरियल, एंटी फंगल और एंटी इंफ्लेमेंटरी होती है। आप हल्दी पेस्ट बनाकर इसे मुंह में लगा सकते हैं। एक गिलास पानी में हल्दी पाउडर की एक चम्मच को मिला लें और इसे कुछ देर धीमी आंच पर उबाल लें। ठंडा होने पर उसके कुछ देर मुंह में रखकर गरारे करें, छालों में लाभ मिलेगा।

हरड़ का उपयोग

हरड़ के चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में दो से तीन बार छालों पर लगाएं इससे भी छालों की समस्या में लाभ प्राप्त होगा।

नीले थोथे का उपयोग

अक्सर इस उपाय के बारे में हम सुनते आये हैं। किसी पंसारी की दुकान से नीला थोथा लें और इसे तवे पर माध्यम आंच पर गर्म करें। पहले तो नीला थोथा पानी बनेगा और फिर सूख्नने लग जाएगा। अब आप इसको ठंडा करके पानी की दो चार बूंदों से गीला करके रुई के फोहे में लगा लें। अब इस फोहे को आप छालों पर लगाएं लाभ मिलेगा। एक बात का विशेष ध्यान रखें की जब आप नील थोथे को मुंह में लगाएं तो लगाने के बाद मुंह से जो पानी निकलता है उसे बाहर निकलने दें। उसे निगलना नहीं चाहिए।

नारियल का उपयोग

नारियल की तासीर ठंडी होती है और यह पेट के विकार दूर करता है। आप सुभह खाली पेट नारियल का पानी पिए और नारियल के दूध में शहद मिलाकर इसे छालों पर लगाएं।

तुलसी का रस

चार से पांच तुलसी के पत्तों का रस निकाल कर छालों पर दिन में दो से चार बार लगाने से भी छालों में आराम मिलता है।

इलायची और शहद

इलायची को पीस कर इसके चूर्ण में शहद मिलाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से आराम मिलता है।

पान का कत्था

पान में डाला जाने वाला कत्था भी छालों के लिए उपयोगी होता है। कत्थे को पानी में मिलाकर दिन में दो से तीन बार छालों पर लगाना लाभदायी होता है।

अमरुद की पत्तियां

अमरुद के पौधे की कुछ पत्तियों को मुंह में रखकर धीरे धीरे चबाने से सूजन में आराम मिलता है और दर्द भी कम होता है।

सुहागा और शहद

दो सौ ग्राम सुहागे में शहद मिलाकर दिन में दो से चार बार लगाए और इसके बाद मुंह में उत्पन्न पानी को शरीर से बाहर निकालते रहे।

धनिया पाउडर

रात दो चम्मच धनिया पाउडर को एक गिलास पानी में मिला दें। सुबह इसे छान कर पीने से लाभ प्राप्त होता है।


मुंह के छालों की समस्या से बचाव के तरीके :
  • ज्यादा चटपटे, नमकीन, मसालेदार, तली हुयी वस्तुओं, चाय काफी और शरीर में गर्मी लाने वाले आहार से बचे।
  • सदा और पोषक तत्वों से युक्त हरी सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करें। बाजार के फ़ास्ट फ़ूड का सेवन न करे। तैलीय प्रदार्थों का सेवन भी नहीं करें।
  • चाय और कॉफी का प्रयोग सिमित करें।
  • सिगरेट का इस्तेमाल न करें।
  • शरीर की सीमा से अधिक शारीरिक और मानसिक मेहनत ना करें।
  • शराब का सेवन नहीं करें।
  • सही समय पर भोजन लें और खाली पेट न रहें। उपवास न करें।
  • मानसिक तनाव को समझे और चिंता से दूर रहें।
  • खाने में कुछ मीठे का सेवन करें, लाभ मिलेगा।
  • यदि आपकी मुंह के अंदर तीखे दांत हैं तो दन्त चिकित्सक से इनका इलाज करवाएं।
  • अपने शरीर की जांच करवाएं और यदि विटामिन्स की कमी हो तो इसका उपचार लें।
  • खट्टे पदार्थों का सेवन अधिक ना करें।
  • पित्त प्रकोपक आहार से बचना चाहिए।
  • तम्बाकू और धूम्रपान से दूर रहें।
  • छाछ और दही का खूब उपयोग करें। शरीर में ठंडी तासीर वाला आहार लें।
  • गिलोय स्वरस, एलोवेरा और ज्वारे का ज्यूस का सेवन भी लाभदायी होता है।
  • नियमित रूप से आहार लें, सादा भोजन लें और हरी सब्जियों का प्रयोग खूब करें।
  • भरपूर नींद लें। कम नींद लेने से पाचन बिगड़ता है और मुंह से सबंधित विकार होते हैं।
  • शरीर में विटामिन लेवल चेक करवाएं। शरीर में विटामिन बी बारह, फोलिक एसिड, आयरन की कम से भी मुंह के विकार उत्पन्न हो जाते हैं।

खदिरादिवटी का उपयोग

खदिरादिवटी खैर की लकड़ी से बनायी जाती है जो छालों में विशेष लाभदायी होती है। (अधिक पढ़े : खदिररादी वटी के लाभ )

गिलोय घनवटी का उपयोग

गिलोय के गुणों के बारे में आप परिचित होंगे ही, गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है (अधिक पढ़े : गिलोय घनवटी
 

आंवला

आंवला मुंह के छालों के लिए एक प्रभावी घरेलू उपाय है। आंवले में विटामिन सी, एंटीऑक्सिडेंट, और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो मुंह के छालों को ठीक करने में मदद करते हैं। आंवला मुंह के छालों को ठीक करने के लिए निम्नलिखित तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है:
आंवला का रस: आंवले के रस को छालों पर लगाने से दर्द और सूजन से राहत मिलती है।
आंवला का पाउडर: आंवला के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें और छालों पर लगाएं।
आंवला की चटनी: आंवला की चटनी को छालों पर लगाने से सूजन और दर्द से राहत मिलती है।

 
आयुर्वेदिक दवा के लिए आप अपनी स्थिति को किसी वैद्य को दिखाएं और उचित दवा का सेवन करें। इस हेतु अविपत्तिकर चूर्ण, मुक्तासुकि भस्म, प्रवाल पिस्टी आदि दवा भी लाभदायक होती है। इन दवाओं का एक पैक आपको पतंजलि वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। इस हेतु वैद्य की राय के उपरांत ही दवाओं का सेवन करें।

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