पतंजली खदिरादि वटी फायदे घटक सेवन विधि Patanjali Khadiraadi Vati Composition Doses Benefits Hindi

पतंजली खदिरादि वटी के फायदे Patanjali Khadiraadi Vati Ke Fayde


खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक ओषधि है जिसका प्रयोग मुँह के छाले, सांसों की बदबू, मसूड़ों के दर्द, दांतों के दर्द, मुँह के घाव, पायरिया आदि समस्याओं के लिए किया जाता है।  पतंजली खदिरादि वटी के फायदे Patanjali Khadiraadi Vati Ke Fayde पतंजलि दिव्य खदिरादि वटी के घटक खदिरादि वटी के घटक हैं खैरसार कत्था, जावित्री, कंकोल मिर्च, भीमसेरी कर्पूर, सुपारी, जल, पुष्करमूल, आदि। खदिरादि वटी के कई निर्माता हैं यथा दिव्य पतंजलि, डाबर आदि। निर्माताओं के अनुसार घटक में कुछ बदलाव हो सकता है।
 
"जब आप किसी से बात करते हैं, तो एक सुंदर मुस्कान और ताज़ा सांस आपकी खूबसूरती को बढ़ा देती है। लेकिन अगर आपकी सांस से बदबू आती है, तो लोग आपसे दूर भागेंगे। खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो आपकी सांस को ताज़ा करने में मदद करती है। यह मुंह के छालों, गले में खराश और अन्य मौखिक समस्याओं के लिए भी फायदेमंद है।"

 
 
पतंजली खदिरादि वटी फायदे घटक सेवन विधि Patanjali Khadiraadi Vati Composition Doses Benefits Hindi

पतंजली खदिरादि वटी क्या है ?

खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसका उपयोग मुंह के छालों, दांतों के रोगों, गले के संक्रमण, और अन्य कई बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है। यह दवा खदिर, गुग्गुल, सोंठ, और अन्य औषधीय जड़ी-बूटियों से बनाई जाती है। खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग मुंह के छालों, स्वर भंग, दुर्गंधयुक्त सांस, दांतों के रोग, गले के संक्रमण, और अन्य कई बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता है। यह दवा खदिर, गुग्गुल, सोंठ, और अन्य औषधीय जड़ी-बूटियों से बनाई जाती है।

पतंजलि दिव्य खदिरादि वटी का उपयोग और लाभ

खदिरादि वटी का उपयोग कई प्रकार के बिमारियों के लिए किया जाता है। खदिरादिवटी में जो घटक उपयोग में लिए जाते हैं उनके प्रभाव के अनुसार यह मुंह से सबंधित रोगों के लिए एक अचूक दवा सिद्ध होती है। मुँह के छालों, सांसों की बदबू, दातों और मसूड़ों का दर्द, पायरिया, बैक्ट्रियल इन्फेक्शन, पायरिया, गले में खरांस, मुंह का स्वाद बिगड़ना, मुँह का सूखा रहना, होठों और जीभ का छीलना, आदि। 
 

मुंह के छालों को दूर करने में फायदेमंद Beneficial in removing mouth ulcers

खदिरादि वटी में मौजूद खदिर,  मुंह के छालों को ठीक करने में मदद करती हैं। खदिर एक कसैली और एंटीसेप्टिक जड़ी-बूटी है, जो मुंह के छालों के दर्द और जलन को कम करने में मदद करती है। यह मुंह के छालों को ठीक करने में मदद करता है। कई लोगों को मुंह में छाले होने की समस्या होती है। यह समस्या पेट में गड़बड़ी, गलत खानपान, तनाव, या अन्य कारणों से हो सकती है। मुंह के छाले होने से खाने-पीने में परेशानी होती है और व्यक्ति को काफी तकलीफ होती है। खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुंह के छालों में बहुत लाभकारी होती है। इसमें मौजूद कपूर, जावित्री, खैरसार आदि औषधियां मुंह के छालों को भरने में मदद करती हैं और व्यक्ति को आराम प्रदान करती हैं। यदि आपको मुंह में अधिक छाले हो रहे हैं, तो आपको खदिरादि वटी का सेवन जरूर करना चाहिए। यह आपको जल्दी आराम दिलाने में मदद करेगी।
 

गला बैठने और आवाज खराब होने को दूर करे खदिरादि वटी Khadiradi Vati removes hoarseness and loss of voice

खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो आवाज बैठने के रोग में बहुत लाभकारी होती है।  यह औषधि गले की खराश, सूजन और दर्द को दूर करने में मदद करती है। साथ ही, यह आवाज के तार को मजबूत करने में भी मदद करती है। पतंजलि दिव्य खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो गला बैठने और आवाज बैठने की समस्या में बहुत लाभकारी होती है। गला बैठने की समस्या में खदिरादि वटी को चूसना या पानी के साथ लेना फायदेमंद होता है।

अधिक बोलने, ज्यादा जोर से बोलने या तेज बोलने के कारण गले में सूजन और दर्द होता है, जिससे आवाज बैठ जाती है। खदिरादि वटी इस सूजन और दर्द को दूर करके आवाज को ठीक करने में मदद करती है। सर्दी या खांसी की परेशानी में भी गले में सूजन और दर्द हो सकता है, जिससे आवाज बैठ जाती है। खदिरादि वटी इस सूजन और दर्द को दूर करके आवाज को ठीक करने में मदद करती है।
 

मुंह का स्वाद बिगड़ने को दुरुस्त करे खदिरादि वटी Khadiradi Vati cures bad taste in mouth

खदिरादि वटी मुंह के स्वाद को ठीक करने में मदद करती है। इस टेबलेट में युक्त सभी जड़ी-बूटियाँ मुंह के स्वाद को ठीक करने में मदद करती हैं। मुंह का स्वाद बिगड़ने की समस्या से राहत पाने के लिए पतंजलि दिव्य खदिरादि वटी एक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है। खदिरादि वटी में मौजूद औषधियां मुंह के स्वाद को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। मुंह के स्वाद बिगड़ने की स्थिति में खदिरादि वटी को चूसने से यह अधिक प्रभावी होती है।खदिरादि वटी का सेवन करने के लिए, चिकित्सक के निर्देशानुसार 2-3 गोलियां दिन में दो बार या तीन बार पानी के साथ लेनी चाहिए। या फिर, आप खदिरादि वटी को मुंह में रखकर चूस सकते हैं। इससे खदिरदि वटी के गुणकारी तत्व मुंह की लार में घुलकर मुंह के स्वाद को ठीक करने में मदद करेंगे। होठों से संबंधित समस्याओं से बचना संभव है। स्वस्थ आहार, नियमित सफाई और खदिरादि वटी जैसे आयुर्वेदिक उपचार से आप इन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। यदि आपको होंठों से संबंधित कोई समस्या है, तो आपको खदिरादि वटी का सेवन करना चाहिए। यह आपको जल्दी आराम दिलाने में मदद करेगी।
 

दांतों के रोगों में फायदेमंद है खदिरादि वटी Khadiradi Vati is beneficial in dental diseases

खदिरादि वटी दांतों के कई रोगों में फायदेमंद है। यह दांत दर्द, दांतों की सड़न, दांतों के संक्रमण और सांस की दुर्गंध को दूर करने में मदद करती है। खदिरादि वटी का सेवन करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना उचित है। दांत हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। वे हमें खाने-पीने में मदद करते हैं, और हमारे चेहरे की सुंदरता को बढ़ाते हैं। दांतों में दर्द एक बहुत ही आम समस्या है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। दांत दर्द होने पर व्यक्ति को खाने-पीने में परेशानी होती है, और उसे सिरदर्द, बुखार, और अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। दांत दर्द से बचना संभव है। स्वस्थ आहार, नियमित सफाई और खदिरादि वटी जैसे आयुर्वेदिक उपचार से आप इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
 

मुंह के सूखने को दूर करे खदिरादिवटी Khadiradiwati removes dry mouth

मुंह के सूखने की समस्या के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
  • दवाओं का सेवन
  • तनाव
  • डिहाइड्रेशन
  • मधुमेह
  • बुखार
  • रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी
खदिरादि वटी इन सभी कारणों से होने वाले मुंह के सूखने की समस्या में लाभ पहुंचाती है। खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसका उपयोग मुंह के सूखने की समस्या के उपचार में किया जाता है। मुंह का सूखना एक आम समस्या है, जो कई कारणों से हो सकती है। पतंजलि दिव्य खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुंह के सूखने में बहुत लाभकारी होती है। खदिरादि वटी के सेवन से मुंह में लार का उत्पादन बढ़ता है, जिससे मुंह में नमी बनी रहती है।खदिरादि वटी एक सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है, जो मुंह के सूखने की समस्या को ठीक करने में मदद कर सकती है। हालांकि, इसका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना उचित है।

खदिरादि वटी का उपयोग Uses of Khadiradi Vati

खदिरादि वटी का इस्तेमाल करने के लिए, आपको सबसे पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। चिकित्सक आपकी स्थिति को देखकर आपको सही खुराक और सेवन विधि बताएंगे। सामान्य तौर पर, खदिरादि वटी का सेवन निम्नलिखित तरीके से किया जाता है:

250-500 मिलीग्राम
भोजन के बाद दिन में दो बार या तीन बार
पानी के साथ या चिकित्सक के निर्देशानुसार

खदिरादि वटी को मुंह में रखकर चूसने से भी लाभ होता है। इससे खदिरदि वटी के गुणकारी तत्व मुंह की लार में घुलकर जल्दी से शरीर में अवशोषित हो जाते हैं।
दिन में एक से दो वटी को मुंह में लेकर धीरे धीरे चूंसना चाहिए और पुरे मुंह में घुमाते रहना चाहिए। इसकी मात्रा के सबंध में आयुर्वेदाचार्य से संपर्क करें। अधिक मात्रा में इसके सेवन से पेट में जलन जैसी समस्या हो सकती है। 
  • टॉन्सिल, जीभ के विकार, तालु की समस्या, मसूड़ों की समस्या, दांतों में कैविटी, स्वर भंग और मुंह से आने वाली बदबू की समस्या में राहत दिलाती है।
  • मुंह में लार का उत्पादन बढ़ाती है, जिससे मुंह में नमी बनी रहती है।
  • मुंह और गले में सूजन को कम करती है।
  • संक्रमण को रोकने में मदद करती है।
  • मुंह के छालों को ठीक करती है।

खदिरादि वटी का सेवन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:

खदिरादि वटी को बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को बिना चिकित्सक की सलाह के नहीं लेना चाहिए।
खदिरादि वटी का सेवन करने से पहले किसी भी अन्य दवा या आहार पूरक के बारे में अपने चिकित्सक को बताएं।
खदिरादि वटी एक सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है, जो कई प्रकार की समस्याओं में लाभकारी होती है।

खादिरादीवटी के घटक Ingredients of Khadiradiwati

खैरसार कत्था
खैरसार कत्था खैर की लकड़ी से बनाया जाता है। खैर बबूल वृक्ष की एक प्रजाति होती है। इसकी लकड़ी भूरे रंग की होती है जो भुरती नहीं हैं। कत्थे की लकड़ी के तने वाले भाग को स्लाइस में काटा जाता है और फिर इन्हे उबाला जाता है। कत्थे की लकड़ी से प्राप्त एक्सट्रेक्ट को ही संगृहीत करके पान में लगाया जाता है। पान में लाल कत्थे को लगाया जाता है और दूसरे तरह कत्थे यानि सफ़ेद कत्थे का उपयोग ओषधि निर्माण में होता है। कत्था एंटीफंगल और एन्टीबैक्रीकल होता है जिसके कारण मुंह के इन्फेक्शन दूर होते हैं। मुँह के घाव और त्वचा के संक्रमण के लिए भी कत्थे का उपयोग होता है। दांत के कीड़े दूर करने के लिए भी कत्थे का उपयोग होता है।

जावित्री
जावित्री पेट से जुडी कई समस्याओं के लिए एक कारगर दवा है। पेट का असर सीधे मुँह पर होता है। इसलिए इसे मुँह से सबंधित विकारों के इलाज के लिए उपयोग में लिया जाता है। जावित्री में अन्य गुणों के साथ ही एंटी-इंफ्लेमेट्री, फाइबर, फोलेट, राइबोफ्लेविन और एस्ट्रिंजेंट भी होते हैं ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, फोलेट और राइबोफ्लेविन पोषक तत्व भी होते हैं। जावित्री में विटामिन ए, विटामिन बी 1 , विटामिन सी, विटामिन बी 2 और कैल्शियम (Calcium), मैग्‍नीशियम, फॉस्‍फोरस, मैंगनीज और जस्‍ता जैसे खनिजों जैसे कई विटामिन अच्‍छी मात्रा में उपलब्‍ध होते हैं। आयुर्वेद में जावित्री के एन्टीबैक्टेरियल गुणों को पहचान कर इसका उपयोग मसूड़ों और दांतों से सबंधित विकारों को दूर करने में किया जाता है। जावित्री केविटी और दातों की सड़न को दूर करती है।

पुष्करमूल : पुष्करमूल (Asteraceae)
हिमालय और पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है। पुष्करमूल कटु, तिक्त, उष्ण, कफ-वातशामक, पार्श्वशूल, ज्वर, शोथ, श्वास, हिक्का, कास, पाण्डु, वमन, क्षय, अरोचक, आध्मान, प्यास, मूत्रकृच्छ्र तथा ऊर्ध्ववात-नाशक होता है। इसके मूल और बीज का औषधीय उपयोग किया जाता है। इसके सेवन से मुंह, दातों की समस्या दूर होती हैं।

सुपारी
सुपारी को वैसे तो पान में खाया जाता है लेकिन सुपारी के अन्य औषधीय लाभ भी होते हैं। सुपारी के मुँह से सबंधित रोगों के उपचार की दवा में इस्तेमाल करने का कारण होता है इसमें पाए जाने वाले जीवाणुरोधी गुण। सुपारी दांतों की केविटी को दूर करने में सहायक होता है। सुपारी में कई पोषक तत्व होते हैं जिनमे से विशेष रूप से एल्‍कोलोइड (alkaloids) इकोलीन, अरेकाइन, कोलाइन, गुवासाइन, गुवाकोलाइन, गैलिक फैटी एसिड और टैनिन आदि । जीवाणु रोधी (Antibacterial) गुणों के कारन वर्तमान में कई टूथपेस्ट में इसका उपयोग किया जाता है। सुपारी से सेवन से होठों का दर्द दूर होता है और सूखे मुँह में लाभ मिलता है।

पतंजलि दिव्य खदिरादि वटी के गुण धर्म

  • पतंजलि दिव्य खदिरादि वटी एंटी इंफ्लेमेंटरी, एंटी बेक्टेरियल, एंटी ऑक्सीडेंट्स, एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होता है।
  • खदिरादि वटी के एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण गले की खराश, खांसी, मुंह के छालों और अन्य सूजन संबंधी समस्याओं में लाभकारी होते हैं।
  • खदिरादि वटी के एंटी बेक्टेरियल गुण दांतों के संक्रमण, गले के संक्रमण और अन्य बैक्टीरियल संक्रमणों में लाभकारी होते हैं।
  • खदिरादि वटी के एंटी ऑक्सीडेंट्स गुण मुँह के छालों, दांतों के रोगों और अन्य बीमारियों से बचाव में मदद करते हैं।
  • खदिरादि वटी के एंटीसेप्टिक गुण गले की खराश, खांसी और अन्य संक्रमणों में लाभकारी होते हैं।
  • खदिरादि वटी एक सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है, जो इन गुणों से भरपूर होने के कारण कई प्रकार की समस्याओं में लाभकारी होती है।


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खदिरादि वटी कहाँ से खरीदें

खदिरादि वटी कई निर्माताओं के द्वारा उत्पादित की जाती है यथा झंडू, बैधनाथ और डाबर आदि। यदि आप पतंजलि आयुर्वेदा के प्रोडक्ट "दिव्य खदिरादि वटी" को खरीदना चाहते हैं या फिर ज्यादा जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो पतंजलि आयुर्वेदा की ऑफिसियल वेब साइट पर विजिट करे, जिसका लिंक निचे दिया गया है। लिंक :-


https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/vati/khadiradi-vati/79

 
पतंजलि का खादिरादिवटी के विषय में कथन :
Khadiradi Vati is a very effective Ayurvedic medicine that prevents bad breath, toothache, gum problems and oral ulcers. Bacterial build-up in the mouth leads to bad breath, dental decay and mild discomfort to acute pain in teeth and gums. Khadiradi Vati has antibacterial properties that eliminates the bacteria and gives you relief.

 

AYURVEDIC TABLETS FOR COUGH & CONGESTION | KHADIRADI VATI & LAVANGADI VATI BY NITYANANDAM SHREE

खादिरादी वटी से जुड़े कुछ सामान्य प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: क्या खदिरादि वटी मुंह के छालों में लाभकारी है?


उत्तर: जी हां, खदिरादि वटी मुंह के छालों में फायदेमंद होती है। खदिरादि वटी में हल्दी, अजवायन, पिप्पली, दालचीनी, लौंग, इलायची और अन्य जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है। ये सभी जड़ी-बूटियां मुंह के छालों को ठीक करने में मदद करती हैं। खदिरादि वटी मुंह के छालों को सुखाने और दर्द को कम करने में मदद करती है।

प्रश्न 2: क्या दांत रोगों में खदिरादि वटी का सेवन कर सकते हैं?


उत्तर: जी हां, दांत रोगों में खदिरादि वटी का सेवन कर सकते हैं। खदिरादि वटी मुंह और गले के लिए बहुत फायदेमंद होती है। यह दांत दर्द, दांतों में कैविटी, मसूड़ों की सूजन और अन्य दांत रोगों में राहत दिलाती है। खदिरादि वटी मुंह में लार का उत्पादन बढ़ाती है, जिससे दांतों की सफाई में मदद मिलती है। यह दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखती है।

प्रश्न 3: खदिरादि वटी का सेवन कैसे करना चाहिए?


उत्तर: दिव्य खदिरादि वटी का सेवन मुंह में रखकर चूसने की सलाह दी जाती है। इससे खदिरादि वटी के सभी गुण मुंह और गले में अच्छी तरह से मिल जाते हैं। खदिरादि वटी का सेवन दिन में दो या तीन बार किया जा सकता है।

अतिरिक्त जानकारी:
  • खदिरादि वटी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना उचित है।
  • खदिरादि वटी का सेवन करते समय किसी भी अन्य दवा का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
  • खदिरादि वटी का सेवन करने से किसी भी तरह की एलर्जी या अन्य समस्या होती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

खदिरादि वटी का उपयोग कहाँ/कब करना चाहिए ?

खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो कई जड़ी-बूटियों से बनी होती है। इसमें खदिर (अकासिया कैटेचु) मुख्य घटक है, इसके अलावा इसमें भीमसेनी कपूर (सिनामोमम कैम्फर), कणक (पिपर क्यूबेबा), सुपारी (अरेक नट), और जावित्री (मिरिस्टिका फ्रैग्रन्स) शामिल हैं।1 खदिर मुख्य घटक है, जो इसकी अधिकांश चिकित्सीय लाभों के लिए जिम्मेदार है। अकासिया कैटेचु एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण वनस्पति है। खदिरादि वटी का उपयोग कई बीमारियों के उपचार में किया जाता है, जैसे कि मुंह के छाले, गले में खराश, टॉन्सिलिटिस, अस्थमा, खांसी, और सर्दी-जुकाम। यह पाचन में सुधार करने और कब्ज को दूर करने में भी मदद करता है।

खादिरादी वटी का उपयोग बताइये Therapeutic Uses of Khadiradi Vati

खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसका उपयोग कई बीमारियों के उपचार में किया जाता है, जैसे कि:

  • गले में खराश (फैरिन्जाइटिस)
  • मुंह के छाले
  • दांतों, मसूड़ों, जीभ, और गले के अन्य रोग
  • कफ
  • खांसी
  • सर्दी-जुकाम
  • अस्थमा
  • पाचन संबंधी समस्याएं
  • कब्ज
खदिरादि वटी में मौजूद खदिर एक कसैली और एंटीसेप्टिक जड़ी-बूटी है, जो गले में खराश और मुंह के छालों को ठीक करने में मदद करती है। गुग्गुल एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है, जो गले के संक्रमण को रोकने में मदद करता है। सोंठ एक हीटिंग एजेंट है, जो गले को आराम देने में मदद करता है। खदिरादि वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो मुंह के छालों, मसूड़ों के रोगों, बदबूदार सांस, गले में खराश और टॉन्सिलिटिस के इलाज के लिए उपयोग की जाती है। यह खदिर, जावित्री आदि जैसे प्रभावी जड़ी-बूटियों से बनी है, जो मिलकर विभिन्न मौखिक समस्याओं जैसे दांतों, मसूड़ों, जीभ, गले, खांसी, सर्दी, टॉन्सिल संक्रमण आदि के इलाज में मदद करती हैं। यह एक शक्तिशाली मौखिक एंटीसेप्टिक, कसैले और विरोधी भड़काऊ एजेंट के रूप में काम करता है जो समग्र मौखिक और श्वसन स्वास्थ्य को बढ़ाता है।

यह एक expectorant के रूप में भी काम करता है जो खांसी और गले में खराश से राहत प्रदान करने में मदद करता है। खदिरादि वटी तब प्रभावी होता है जब इसे मुंह में कुछ देर के लिए रखकर धीरे-धीरे निगला जाता है। इसमें जबरदस्त उपचार गुण होते हैं जो गले में खराश से राहत देते हैं और स्वर बैठने से रोकते हैं। यह तीनों दोषों को शांत करने में मदद करता है, मुख्य रूप से वात, पित्त और कफ।
खदिरादि वटी का व्यापक रूप से सभी प्रकार के मौखिक समस्याओं जैसे होंठ, मसूड़ों, दांतों, जीभ, तालु, गले आदि के रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद इस हर्बल फॉर्मूलेशन के उपयोग की वकालत करता है, जो खराब सांस, दांतों के रोगों, दंत सड़न, स्टोमेटाइटिस, एनोरेक्सिया, जकड़े हुए जबड़े, गले के रोगों, टॉन्सिलिटिस और कई अन्य विकारों के उपचार और प्रबंधन के लिए है।

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