हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे उपयोग सेवन Hingvashtak Churna Ke Fayde Upyog Sevan Vidhi

हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे उपयोग सेवन Hingvashtak Churna Ke Fayde Upyog Sevan Vidhi

हिंग्वाष्टक चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग पाचन विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। इसके सेवन से कब्ज, कब्ज जनित गैस, पेट फूलना, अपच, खट्टी डकार जैसी समस्याओं मे राहत मिलती है। हिंगवाष्टक चूर्ण पेट की जलन को शांत करता है। पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है। आयुर्वेद के अनुसार हिंग्वाष्टक चूर्ण में भूख बढ़ाने और पाचन दुरुस्त करने के गुण होते हैं। यह चूर्ण दीपन होता है जो पाचन सुधारकर भूख में वृद्धि करता है। इस चूर्ण का प्रधान घटक हींग होता है जो पाचन तंत्र के सभी विकारों में बहुत ही लाभदायक होता हैं।
 
हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे उपयोग सेवन Hingvashtak Churna Ke Fayde Upyog Sevan Vidhi
 

आइए हिंग्वाष्टक चूर्ण के सेवन से होने वाले फायदों के बारे में जान लेते हैं
  • हिंग्वाष्टक चूर्ण शरीर में वात को संतुलित करता है। जिससे वात जनित विकारों में लाभ मिलता है।
  • वात को नियंत्रित करने के गुण के कारण यह चूर्ण जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में भी सहायक होता है।
  • हिंग्वाष्टक चूर्ण पेट फूलना को कम करने में बहुत उपयोगी है। खराब पाचन से पेट में हवा जमा होने लगती है। पेट में जमा गैस से
    आईबीएस और अन्य पाचन विकार पैदा हो सकते हैं। आयुर्वेद के मतानुसार पेट फूलना वात और पित्त दोष के असंतुलन के कारण से होता है। यह चूर्ण अग्नि (पाचन अग्नि) को उसके दीपन (भूख बढ़ाने वाला) और पचन (पाचन) गुणों के साथ ठीक से काम करने में मदद करता है। 
  • इस चूर्ण के सेवन से कफ और वात से उत्पन्न विकारों में राहत मिलती है।
  • यह चूर्ण अजीर्ण, अपच, मंदाग्नि, दस्त और अफारा जैसी समस्या में राहत प्रदान कर पाचन शक्ति को सुधारता है।
  • आँतों की निर्बलता को दूर करने के लिए भी हिंग्वाष्टक चूर्ण का सेवन किया जाता है।
  • हिंग्वाष्टक चूर्ण के सेवन से पाचक रसों का स्त्राव बढ़ता है।
  • और आँतों के कीटाणु समाप्त होते हैं।
  • उदर में भारीपन के साथ यदि मुँह का स्वाद फीका हो तो हिंग्वाष्टक चूर्ण के साथ जायफल, जावित्री मिलाकर थोड़ी थोड़ी मात्रा में देने से तुरंत लाभ मिलता है।
  • हिंग्वाष्टक चूर्ण का सेवन करने से अग्नि प्रदीप्त होती है और वात रोगों में राहत मिलती है।
  • हिंग्वाष्टक चूर्ण पेट में गैस होना, डकारें आना, भूख न लगना,और अपच जैसे विकारों की उत्तम औषधि है।
 

हिंगवाष्टक चूर्ण की सेवन विधि
  • सामान्यतया 2 से 3 ग्राम हिंग्वाष्टक चूर्ण को घी में मिलाकर
  • भोजन के समय प्रथम निवाले के साथ लिया जाता है।
  • हिंग्वाष्टक चूर्ण का सेवन करने से पहले आप चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लें तथा उनके  द्वारा बताई गई सेवन विधि और मात्रा के अनुसार चूर्ण का सेवन करें।

हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे उपयोग सेवन Hingvashtak Churna Ke Fayde Upyog Sevan Vidhi

हिंग्वाष्टक चूर्ण के घटक Hingavstak churna ingredients

  • त्रिकटु चूर्ण Trikatu – Black pepper, Long pepper and Ginger.
  • अजमोदा Ajamoda – Ajowan
  • सेंधा नमक Saindhava Lavana – Black salt
  • सफ़ेद और काला जीरा Shweta Jeeraka, Krishna Jeeraka – Black and white cumin seeds
  • हींग Hingu – Asa foetida
  • गाय का देसी घी Ghee – clarified butter

हिंग्वाष्टक चूर्ण के दुष्प्रभाव

  1. कुछ रोगियों में, हिंग्वाष्टक चूर्ण से पेट में दर्द और मरोड़ हो सकता है।
  2. उच्च रक्तचाप और किडनी से संबंधित बीमारियों वाले लोगों को हिंग्वाष्टक लेने से पूर्व चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
  3. हिंग्वाष्टक चूर्ण को बिना चिकित्सा सलाह के नहीं लेना चाहिए।
  4. हिंग्वाष्टक चूर्ण का स्तनपान स्तनपान के दौरान नहीं करना चाहिए।
  5. हिंग्वाष्टक चूर्ण को बच्चों को बहुत कम मात्रा में ही देना चाहिए। 

हिंग्वाष्टक चूर्ण के चिकित्सीय उपयोग

  1. हिंग्वाष्टक चूर्ण पॉलीहर्बल फॉर्मूलेशन होने के कारण यह पाचन विकार (अजीर्ण, कब्ज, खट्टी डकार, आफरा, गैस ) में उपयोगी है।
  2. यह वातनाशक है।
  3. पेट की मरोड़ कम करने के लिए उपयोगी है।
  4. गैस्ट्रिक एसिड में उपयोगी। 

 
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