गुरूदेव की महिमा गाये चरणों में शिश नवाये

गुरूदेव की महिमा गाये चरणों में शिश नवाये

 
गुरूदेव की महिमा गाये चरणों में शिश नवाये

गुरुदेव दया के सागर हैं,
जो ज्ञान का दीप जलाएं,
गुरुदेव की महिमा गाएं,
चरणों में शिष्य नवाएं।।

जिनकी महिमा इतनी पावन है,
चार वेद जस गाएं,
जो बड़े~बड़े ज्ञानी, ध्यानी,
गुरुदेव का ध्यान लगाएं,
गुरुदेव का ध्यान लगाएं,
जो अंधकार जीवन का हर कर,
ज्ञान की ज्योति जगाएं,
गुरुदेव की महिमा गाएं,
चरणों में शिष्य नवाएं।।

है अहोभाग्य गुरुदेव मेरे,
जो चरणों में दी छाया,
मैं था अभिमानी धूर्त बड़ा,
मुझे अपने गले लगाया,
मुझे अपने गले लगाया,
मन से अभिमान मिटा करके,
मेरे सोए भाग्य जगाएं,
गुरुदेव की महिमा गाएं,
चरणों में शिष्य नवाएं।।

जो सच्चे मन से याद करे,
गुरु पल में काज बनाएं,
जो भाव भक्ति से करे सेवा,
भवसागर तीर जाए,
वो भवसागर तीर जाए,
गुरुदेव आपके चरणों में,
यह दास ‘देव’ जस गाएं,
गुरुदेव की महिमा गाएं,
चरणों में शिष्य नवाएं।।

गुरुदेव दया के सागर हैं,
जो ज्ञान का दीप जलाएं,
गुरुदेव की महिमा गाएं,
चरणों में शिष्य नवाएं।।


इस गुरु पुर्णिमा स्पेशल भजन//गुरूदेव की महीमा गाये//गायक-देव शर्मा.आमा//

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गुरुदेव दया के सागर हैं, जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान का दीपक जलाते हैं, चार वेद भी उनकी पावन महिमा गाते हैं। बड़े ज्ञानी-ध्यानी उनके चरणों में ध्यान लगाते हैं, अभिमानी को गले लगाकर सोए भाग्य जगा देते हैं। सच्चे मन से सेवा करने वाले को भवसागर पार करा देते हैं, शिष्य उनके चरण नवाते हुए महिमा गाते हैं।​
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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