पतंजलि अश्वगंधा के फ़ायदे उपयोग सेवन विधि Patanjali Ashwagandha Ke Fayade Benefits

पतंजलि अश्वगंधा के फ़ायदे उपयोग सेवन विधि Patanjali Ashwagandha Ke Fayade Benefits

पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण अश्वगंधा की जड़ों को सूखा कर इनमे बनाया हुआ चूर्ण है। अश्वगंधा एक बहुत ही लाभकारी जड़ी बूटी है जो कमर दर्द और जोड़ों के दर्द में भी उपयोगी होती है। अश्वगंधा शारीरिक कमजोरी को दूर करता है और वीर्यवर्धक होता है। मानसिक तनाव को कम करता है और शरीर में आयरन की मात्रा को बढ़ाता है। अश्वगंधा को रसायन (टॉनिक) कहा गया है क्योंकि यह पुष्टिवर्धक होता है। 
 
पतंजलि अश्वगंधा के फ़ायदे Patanjali Ashwagandha Ke Fayade Benefits of Patanjali Ashwagandha

पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण के फायदे पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण / अश्वगंधा चूर्ण के कई लाभ होते हैं जो निम्न प्रकार से हैं।

शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए Ashvgandha To Boost Energy

अश्वगंधा शारीरिक कमजोरी को दूर करके सम्पूर्ण शरीर में शक्ति का संचार करता है। वर्तमान समय में खान पीन और दैनिक दिनचर्या के कारण अक्सर शरीर कमजोर हो जाता है और उसे उचित पोषण नहीं मिल पाता है। अश्वगंधा चूर्ण के सेवन से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है और नव शक्ति का संचार होता है। आलस, मानसिक तनाव, अवसाद आदि विकारों में अश्वगंधा का उपयोग लाभकारी है। अश्वगंधा के सेवन से मर्दाना शक्ति का भी विकास होता है। च्यवनप्राश में भी अश्वगंधा का उपयोग किया जाता है।

एंटी ट्यूमर है अश्वगंधा Ashvgandha for Anti Tumor Benefits

अध्ययन से यह पता चला है की अश्वगंधा में शरीर से विषाक्त प्रदार्थों को बाहर निकालने की अद्भुद शक्ति है और यह एंटी ट्यूमर भी है। यह कैंसर जैसी भयानक बीमारी में भी अश्वगंधा का सेवन लाभकारी हो सकता है। एक शोध के मुताबिक अश्वगंधा के सेवन से हानिकारक सेल्स की वृद्धि/निर्माण पर रोक लगती है। यह नहीं यही की अश्वगंधा से कैंसर का पूर्ण उपचार किया जा सकता है लेकिन यह अवश्य है की हमारे शरीर में बनने वाली हानिकारक सेल्स की बढ़ोत्तरी में यह रोकथाम अवश्य ही करता है। अश्वगंधा स्वेत रक्त कणिकाओं की कार्य प्रणाली में सुधार लाता है।

टीबी रोग में अश्वगंधा का उपयोग (Ashwagandha Benefits tuberculosis)

एंटी बेक्टेरियल होने के साथ साथ अश्वगंधा का उपयोग टीबी के उपचार के लिए भी किया जाता है।

अश्वगंधा खांसी के लिए Ashwagandha for Cough

अश्वगंधा वात जनित खांसी को दूर करने में काफी उपयोगी होता है। अश्वगंधा की जड़ों को कूटकर इसका क्वाथ बनाकर पीने से कफ और खांसी में आराम मिलता है और कुकर खांसी में भी राहत मिलती है। अधिक बेहतर परिणाम के लिए इसके क्वाथ में काली मिर्च और बहेड़ा का चूर्ण भी मिला सकते हैं। कफ-खांसी और दमा (Ashwagandha for Cough and Asthma) कफ-खांसी और दमा में अश्वगंधा बहुत उपयोगी होता है। यदि जड़ें नहीं मिल पाए तो अश्वगंधा चूर्ण को गर्म दूध के साथ सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है। 

शरीर के दर्द, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द और घुटनों के दर्द में उपयोगी Ashvagandha for Pain Relief

स्लिप डिस्क, कमर दर्द, घुटनों के दर्द और सर्वाइकिल के दर्द में जो दवाएं दी जाती हैं (आयुर्वेदा में ) उनमे अधिकतर दवाओं में अश्वगंधा का ही योग होता है। इसका कारण है की अश्वगंधा शरीर की सूजन को कम करता है और वात जनित दर्दों को दूर करने में सहायक होता है। अश्वगंधा के चूर्ण के सेवन से गठिया रोग और कमर दर्द, घुटनों के दर्द में शीघ्र लाभ मिलता है। शारीरिक कमजोरी और वात जनित कमर दर्द में अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग लाभकारी होता है। कमर दर्द / स्लिप डिस्क में आप वैद्य से सलाह लेकर इसका नियमित सेवन करें आपको थोड़ा समय लग सकता है लेकिन लाभ जरूर होगा। गावों में अभी भी जानकार लोग अश्वगंधा (पाडलसिंह ) का उपयोग शरीर के सभी दर्द दूर करने के लिए करते हैं। वैद्य की सलाह के उपरान्त आप अश्वगंधा चूर्ण के साथ सौंठ, शतावरी (नारकांटा) चूर्ण का उपयोग कर सकते हैं।

अश्वगंधा बालों के लिए : बालों का सफदे होना Ashvgandha for Hair Problems

असमय बालों का सफ़ेद होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन प्रमुख कारण है शरीर में कमजोरी। शरीर में कमजोरी उचित पोषण के अभाव से भी हो सकता है या फिर किसी अन्य बीमारी के कारण उत्पन्न कमजोरी भी। यदि किसी को स्लिप डिस्क होता है तो उससे भी शरीर में अचानक इतनी कमजोरी आ जाती है की बालों का झड़ना और बालों का सफ़ेद होना शुरू हो जाता है। ऐसे में अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग लाभकारी होता है। यह शरीर में शक्ति का संचार करता है और रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाता है जिससे बालों का असमय सफ़ेद होना रुक जाता है। यह मेलानिन को भी उत्तेजित करता है जिससे बाल स्वस्थ बने रहते हैं। 

बेक्टेरियल इफेक्शन को रोकने में उपयोगी Ashvagandha for Bacterial infections

अश्वगंधा शरीर में किसी प्रकार के संक्रमण को रोकने में सहायक होता है क्योंकि इसमें एंटी बेटेरिअल प्रॉपर्टीज होती है। 

अश्वगंधा अनिंद्रा के लिए है उपयोगी Ashvagandha for Better Sleep

अश्वगंधा आपके मानसिक तनाव/अवसाद को कम करके अनिंद्रा को भी दूर करने में सहायक है। अश्वगंधा मुख्यरूप से शरीर में वात को कम करता है जिससे नींद आने में कोई बाधा नहीं रहती है। अश्वगंधा के सेवन से बेहतर नींद आती है जो कई शोध में प्रामाणिक हो चुकी है। अनिंद्रा के लिए अश्वगंधा चूर्ण को वैद्य की सलाह के उपरान्त शहद और गुनगुने दूध के साथ लेना लाभदाई होता है। अश्वगंधा में ट्राइथिलीन ग्लाइकोल नाम का यौगिक होता है जो बेहतर नींद और तनाव कम करने के लिए उत्तरदाई होता है।

अश्वगंधा मानसिक विकारों के लिए Effect on Central Nervous System and Mental Health

अश्वगंधा को आयुर्वेद में "रसायन" और "मेध्यरसायन" कहा गया है जिससे अभिप्राय है की इसके सेवन से मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है। आयुर्वेद की प्रसिद्द ओषधियों में अश्वगंधा का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य के सुधार के लिए किया जाता है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में सुधार करता है और स्मरण शक्ति में विकास करता है। किसी रोग से उत्पन्न अचानक कमजोरी के कारन आई याददास्त शक्ति में कमी को अश्वगंधा के सेवन से दूर किया जा सकता है। मानसिक तनाव को दूर करने के लिए भी अश्वगंधा का उपयोग बहुत ही उपयोगी होता है। लम्बे समय से चले आ रहे मानसिक अवसाद में भी अश्वगंधा का सेवन लाभ पंहुचाता है, इसका मूल कारण है की अश्वगंधा के सेवन से (cortisol) का स्तर बढ़ जाता है। यहाँ यह विशेष है की शोध में यह पाया गया है की मानसिक तनाव कई अन्य शारीरिक विकारों को पैदा करता है, जैसे ब्लड प्रेशर, शारीरिक कमजोरी आदि।

अश्‍वगंधा आँखों के लिए (Ashwagandha Benefits for better Eyesight)

अश्वगंधा का स्वतंत्र उपयोग के अतिरिक्त अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग आँवला चूर्ण के साथ करने पर आँखों की ज्योति में सुधार होता है। मोतियाबिंद जैसे विकारों को दूर करने के लिए भी अश्वगंधा बहुत कारगर होती है। आप अश्वगंधा चूर्ण के अतिरिक्त इसकी जड़ों को ताजा या सूखी जड़ों की चाय (क्वाथ) बनाकर ले सकते हैं। अश्वगंधा की चाय से निश्चित रूप से आँखों की ज्योति में सुधार होता है और नेत्र विकार दूर होते हैं।

अश्‍वगंधा हृदय रोगों के लिए (Ashwagandha Benefits for Heart)

अश्वगंधा के उपयोग से तंत्रिका तंत्र मजबूत बनता है और हृदय रोगों की संभावना कम होती है। अश्वगंधा के सेवन से शरीर फ्लेक्सिबल होता है और बदलावों के प्रति सहज बनता है। एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटी बेक्टेरियल गुणों से भरपूर अश्वगंधा आपको तमाम तरह के हृदय रोगों की रोकथाम में सहयोगी है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए अश्वगंधा Ashvagandha for Immune Power

अश्वगंधा शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति का विकास करती है। यह हमारे शरीर को अंदर से मजबूत बनाती है जिससे रोगों से लड़ने में शक्ति मिलती है। कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्ति को वैद्य की सलाह से अश्वगंधा के अतिरिक्त गिलोय, चिरायता क्वाथ और इसके साथ ही पोषक भोजन का सेवन करना चाहिए।

अश्वगंधा क्या है What is Ashvagandha

अवश्गंधा (Withania somnifera) एक आयुर्वेदि गुणों से भरपूर पादप (पौधा) है जो अक्सर ही जंगली इलाकों में स्वतः ही उग जाता है। अश्वगंधा की गुणों के कारण राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरीयाणा और मध्यप्रदेश में इसकी व्यावसायिक खेती की जाने लगी है। अश्वगंधा का उपयोग आयुर्वेद में प्रधान रूप से वात और कफ्फ जनित रोगों के उपचार के लिए किया जाता है और सभी आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसके गुणों पर विवेचना प्राप्त होती है। इसे संस्कृत में वराहकर्णी, वरदा, बलदा, कुष्ठगन्धिनी, अश्वगंधा कहते हैं। यह पादप शक्तिवर्धक भी होता है जो शारीरिक दुर्बलता को दूर कर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है। आयुर्वेद में अश्वगंधा को कफ और वात शामक, बल्यकारक (शक्तिवर्धक), रसायन, बाजीकरण ,नाड़ी-बलकारक, दीपन, पुष्टिकारक और धातुवर्धक माना गया है। अश्वगंधा के रासायनिक संघटन में इसमें आयरन, टैनिन, नाइट्रेट, पोटैशियम, ग्लूकोज, फैट एसिड, सोमनीफेरिन, एफेरिन और विथेनाहाइड जैसे जरूरी स्टेरॉइडल अल्कलॉइड भी पाएं जाते हैं जो शरीर को विभिन्न पोषण देते हैं।

अश्वगंधा के विभिन्न नाम Various Names of Ashwagandha

अश्वगंधा को क्षेत्र की मुताबिक़ कई नामों से जाना जाता है। सोलेनेसी कुल (Solanaceae) का पादप है। राजस्थान में इसे पाडलसी, पाडलसिंह, असगण्य आदि नामों से पहचाना जाता है। अश्वगंघा को अंग्रेजी में Winter cherry (विंटर चेरी), पॉयजनस गूज्बेर्री (Poisonous gooseberry) कहते हैं जो इसका बोटेनिकल नाम है।

असली अश्वगंधा की पहचान How to recognize original Ashvagandha

अश्वगंधा की ताजा जड़ों में घोड़े के पेशाब (अश्व गंध ) के सामान स्मेल आती है। हो सकता है की कुछ इलाकों में पाए जाने वाले अश्वगंधा में यह खुशबु कुछ कम/तीव्र हो, यह क्षेत्र विशेष के ऊपर निर्भर करता है, लेकिन मुख्य रूप से इसे मसलने पर घोड़े के पेशाब की स्मैल आती है। अश्वगंधा के पत्ते कुछ गोलाकार होते हैं और गहरे हरे रंग के होते हैं। अश्वगंधा मुख्यतया दो प्रजाति होती हैं, अश्वगंधा का छोटा पौधा और अश्वगंधा का बड़ा पौधा। राजस्थान के नागौर जिले में छोटी अश्वगंधा का पादप आसानी से जंगली इलाकों में मिल जाता है वहीँ देश के अधिकतर इलाकों में इस पादप की झाडी कुछ बड़ी होती है। अश्वगंधा की बड़ी झाडी अक्सर पहाड़ी इलाकों में ही अधिकता से पाई जाती है।

अश्वगंधा का प्रधान रूप से उपयोग Major Uses of Ashwagandha Herb

अश्वगंधा का प्रधान रूप से उपयोग वात जनित रोगों के निदान में किया जाता है। वात जनित विकार कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे वात के कारण जोड़ों के कमजोर होने की समस्या, वात विकार के कारण जोड़ों में कट कट की आवाजों का आना, वात के कारण आई शारीरिक कमजोरी, वायु जनित विकार गठिया, सन्धिवात और वायु के कारण उत्पन्न शारीरिक दर्द। खुश्क/शुष्क होने के कारण अश्वगंधा का उपयोग कफ रोगों के इलाज में भी किया जाता है। नजला, झुकाम, साइनस, म्यूकस की बढ़ोत्तरी, कफ का अधिक बनना जैसे विकारों में भी अश्वगंधा का उपयोग अधिक लाभदाई होता है।

अश्वगंधा की तासीर Ashvgandha Taseer

अश्वगंधा की तासीर शुष्क और गर्म है। अश्वगंघा की गर्म तासीर के कारण से ही इसे पित्त रोगियों को प्रायः नहीं दिया जाता है, यदि देना आवश्यक ही तो तो उसके साथ ठंडी तासीर की जड़ी बूटियों का मेल आवश्यक होता है।

अश्वगंधा पित्त रोगों के लिए Ashwa Gandha for Pitt Dosh

अश्वगंधा पित्त रोगों में प्रायः नहीं लिया जाता है क्यों की यह गर्म होने के साथ साथ शुष्क भी है। पित्त वाले व्यक्तियों को वैद्य की सलाह के उपरान्त अश्वगंधा चूर्ण में बारबर मात्रा में मिश्री मिला कर लेनी चाहिए क्योंकि मिश्री इसकी तासीर को कुछ ठंडा कर देती है या फिर चौथाई मात्रा में गिलोय सत्त मिला कर दिया जाता है क्योंकि गिलोय की तासीर ठंडी होती है।

अश्वगंधा तीव्र शारीरिक दर्द के लिए अश्वगंधा है उपयोगी

यदि किसी को अचानक ही शारीरिक दर्द होने लगे तो अश्वगंधा के चूर्ण को गर्म पानी के साथ देने पर तुरंत राहत मिलती है।कमर दर्द और जोड़ों के दर्द में भी अश्वगंधा का उपयोग बहुत ही लाभकारी सिद्ध हुआ है इसलिए आयुर्वेदा में स्लिप डिस्क और सर्वाइकिल आदि रोगों के लिए जो दवाएं दी जाती हैं उनके घटक में अश्वगंधा अवश्य होती है।

अश्वगंधा वजन बढ़ाने के लिए और वजन घटाने के लिए Ashvagandha For Weight Gain and Ashvagandha for Weight Loose

अश्वगंधा वजन बढ़ाने और घटाने दोनों के लिए ही उपयोगी है। यदि शारीरिक दुर्बलता है, कमजोरी है तो अश्वगंधा की जड़ों का उपयोग किया जाता है। अश्वगंधा का चूर्ण और अश्वगंधा कैप्सूल अश्वगंधा से वजन घटाने के लिए इसके पत्तों का उपयोग किया जाता है। वैद्य की सलाह के उपरान्त आप एक पत्ता रोज खा सकते हैं। ऐसा आप एक सप्ताह तक करें और आप पाएंगे की वजन कम होना शरू हो जाएगा।

अश्वगंधा के अन्य फायदे Other Benefits of Ashvgandha

  • आयुर्वेद में अश्वगंधा को मेध्य रसायन कहा जाता है जिसका तात्पर्य है की यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में सहायक है। अवसाद और याददास्त की कमी जैसे विकारों में अश्वगंधा का उपयोग श्रेष्ठ है।
  • शरीर में आयरन की कमी को दूर करता है।
  • अश्वगंधा वीर्य वर्धक है, पुरुषों की शारीरिक कमजोरी को दूर करता है।
  • चेहरे पर झुर्रिया दूर करता है।
  • ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है।
  • स्वांस सबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।
  • अश्वगंधा की जड़ों का क्वाथ बनाकर सेवन करने से खाँसी और कफ के साथ साथ छाती का दर्द भी दूर होता है।
  • पेट के कीड़ों के लिए अश्वगंधा का काढ़ा बनाकर पिया जाता है, जिससे पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
  • अश्वगंधा के क्वाथ के सेवन से कब्ज दूर होता है और पाचन क्रिया में सुधार होता है।
  • यदि आपके आस पास अश्वगंधा का पौधा है तो इसके पत्तों का पेस्ट बनाकर चोट पर लगाने से घाव जल्दी भरता है और सूजन कम होती है।
  • थाइराइड की बिमारी में भी अश्वगंधा का उपयोग लाभकारी होता है।
  • अश्वगंधा आपको गठिया जैसे रोगों में भी आराम पहुंचाता है।
  • मांसपेशियों की मजबूती के लिए अश्वगंधा बहुत ही उपयोगी होती है और यह तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाती है।
  • अश्वगंधा के पत्तों में संक्रमण रोकने की शक्ति होती है।
  • अश्वगंधा में एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करते हैं और शरीर को स्वस्थ रखते हैं।
  • अश्वगंधा के सेवन से त्वचा विकार दूर होते हैं और यह त्वचा में नमी बनाये रखने में सहायक है।
  • डायबिटीज (Ashwagandha for Diabetes) अश्वगंधा के सेवन से ब्लड शुगर का स्तर कम किया जा सकता है और यह मधुमेह की बीमारी को नियंत्रण में रखती है। इसके चूर्ण खाने से कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है।

घर पर ही बनाएं अश्वगंधा का चूर्ण How To Make Ashvgandha Churna At Home

यदि आपको अश्वगंधा आपके पास के इलाकों में (जंगली इलाकों) में मिल जाती है या फिर आप विश्वसनीय पंसारी से अश्वगंधा की जड़ों को प्राप्त कर लेते हैं तो आप इसे मिक्सी में पीस कर हवा बंद डिब्बे में स्टोर कर सकते हैं। यह चूर्ण आपको बाजार से मिलने वाले अश्वगंधा पाउडर से सस्ता पड़ेगा। यदि आप शारीरिक दुर्बलता को दूर करने के लिए अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग करना चाहते हैं तो आप इसमें सतावरी भी मिला सकते हैं। आप १०० ग्राम अश्वगंधा में १०० ग्राम सतावरी मिलाएं। यह चूर्ण आप खाली पेट गुनगुने दूध के साथ लें। यदि आप इस चूर्ण का सेवन करना चाहते हैं तो आपके शरीर की तासीर और इसकी मात्रा के सबंध में वैद्य से अवश्य ही राय लेवें।

अश्वगंधा के सेवन में सावधानियाँ Caution of Ashvgandha Churna/Ashvgandha

यद्यपि अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है फिर भी इसके सेवन से पूर्व वैद्य की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
अश्वगंधा गर्म तासीर का होता है इसलिए जिन लोगो के शरीर की तासीर गर्म होती है उन्हें इससे परहेज करना चाहिए।
पित्त प्रधान व्यक्तियों को इसके सेवन से पूर्व वैद्य की सलाह लेनी चाहीये।
गर्भवती स्त्रियों को अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए।
यदि किसी अन्य रोग की दवा पहले से चल रही हो तो वैद्य की सलाह के उपरान्त ही अश्वगंधा का सेवन करना चाहिए।
वैद्य की बताई निर्धारित मात्रा से अधिक अश्वगंधा का सेवन हानिकारक होता है। इसे अधिक मात्रा में नहीं लिया जाना चाहिए।

पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण का सेवन कैसे करें Doses of Ashvgandha

अश्वगंधा के विषय में आपने जानकारी प्राप्त कर ली है, यद्यपि यह एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है फिर भी इसके सेवन से पूर्ण आप वैद्य की सलाह अवश्य लेंवे। आपके शरीर की तासीर, प्रकृति, रोग का प्रकार और आपकी आयु के मुताबिक आप की डोज और घटकों में बदलाव होता है जिसके लिए वैद्य निरीक्षण के उपरान्त आपको उचित मात्रा, सेवन विधि और परहेज बताएगा। इस हेतु आप पतंजलि चिकित्सालय में विजिट करें जहाँ पर वैद्य आपको निशुल्क इस सबंध में जानकारी उपलब्ध करवाएंगे।

पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण कहाँ से खरीदें

पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण आपको पतंजलि आयुर्वेदिक स्टोर्स पर उपलब्ध होता है। इसे आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं जिसके लिए पतंजलि आयुर्वेद की अधिकृत वेबसाइट पर विजिट करें जिसका लिंक निचे दिया गया है।

https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/churna/ashwagandha-churna/21
 
पतंजलि आयुर्वेदा का अश्वगंधा चूर्ण के विषय में कथन
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पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण की कीमत Patanjali Ashvagandha Churna Price

यह लेख लिखे जाने तक पतंजलि अश्वगंधा चूर्ण की कीमत १०० ग्राम ५६ रूपए हैं। यह मूल्य परिवर्तनशील है इसलिए आप ऊपर दिए गए पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेबसाइट पर विजिट करें।
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.


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1 टिप्पणी

  1. वाह जी वाह