मेरे श्यामा की याद मुझे आने लगी भजन

मेरे श्यामा की याद मुझे आने लगी भजन

मेरे श्यामा की याद मुझे आने लगी,
घर बैठे ही मुझको सताने लगी...

बन-ठन के मैं घर से निकली,
लाल हरी मैंने चूड़ियाँ पहनी 
और मोतियाँ माँग भरी।
मेरे श्यामा की याद...

रास्ते में मिल गए कृष्ण मुरारी,
ललितादिक सखियाँ सभी प्यारी, 
सबसे मिल पाई मैंने खुशी।
मेरे श्यामा की याद...

सिर पे मोर मुकुट, कानों में कुंडल,
छवि है उनकी अद्भुत सुंदर। 
मैं तो उनका ही मुखड़ा निहारने लगी,
मेरे श्यामा की याद...

काहे को संग प्रीत लगाई,
राह देखते-देखते मैं तो हारी। 
काहे की तोसे लगी प्रीत,
मेरे श्यामा की याद...

सपने में छवि कान्हा की आई,
सोते-सोते संतोष मुस्काई। 
खुशियाँ मैंने बेशुमार पाई,
मेरे श्यामा की याद...


Shyam ki Yaad - श्याम की याद

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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