करदा हां अरदास साईं जी एह्नु करलो हूँ स्वीकार
करदा हां अरदास साईं जी एह्नु करलो हूँ स्वीकार
करदा हां अरदास साईं जी, एह्नु करलो हूँ स्वीकार,
तेरे दर दा हां मैं भिखारी, झोली भर एक बार,
करदा हां अरदास साईं जी।।
तेरे बिन एह साईं देवा राता, नींद नों औंदी,
याद तेरी इस दिल विच रहन्दी, मेरा चैन उड़ान दी,
मैं तेरे दरबार ते आके भूल गया संसार,
करदा हां अरदास साईं जी।।
पहन के झंझर तेरे नाम दी, झूम-झूम मैं नचदी,
तेरे आगे साईंयां हूँ मैं, पागल वांगू नचदी,
जग सारा नां भावे, मेनूं भावे तेरा द्वार,
करदा हां अरदास साईं जी।।
तू ही मेरा सोना साईं, तू ही मेरा चांदी,
तेरा मुखड़ा वेख वेख के, अपने होश गवांदी,
अमीन कहन्दा, भजन रसियां करो मेरा उधार,
करदा हां अरदास साईं जी।।
तेरे दर दा हां मैं भिखारी, झोली भर एक बार,
करदा हां अरदास साईं जी।।
तेरे बिन एह साईं देवा राता, नींद नों औंदी,
याद तेरी इस दिल विच रहन्दी, मेरा चैन उड़ान दी,
मैं तेरे दरबार ते आके भूल गया संसार,
करदा हां अरदास साईं जी।।
पहन के झंझर तेरे नाम दी, झूम-झूम मैं नचदी,
तेरे आगे साईंयां हूँ मैं, पागल वांगू नचदी,
जग सारा नां भावे, मेनूं भावे तेरा द्वार,
करदा हां अरदास साईं जी।।
तू ही मेरा सोना साईं, तू ही मेरा चांदी,
तेरा मुखड़ा वेख वेख के, अपने होश गवांदी,
अमीन कहन्दा, भजन रसियां करो मेरा उधार,
करदा हां अरदास साईं जी।।
Most Popular Sai Baba Bhajan - Karda Ha Ardas - Praveen Malik - Devotional #JMD Bhakti
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➤Song Name: Karda Hai Ardas
➤Singer Name: Praveen Malik
➤Album : Sai Shradha Saburi
➤Singer Name: Praveen Malik
➤Album : Sai Shradha Saburi
इस अरदास में भक्त की गहरी तड़प और समर्पण झलकता है, जहाँ वह साईं से अपने दिल की पुकार को स्वीकार करने की विनती करता है। भक्त खुद को साईं के दर का भिखारी मानता है, जिसे बस एक बार साईं की झोली से कृपा चाहिए। साईं के बिना उसे चैन और नींद नहीं आती, उसकी याद ही उसके जीवन का एकमात्र सहारा है। भक्त साईं के दरबार में आकर संसार की सारी चिंता और मोह भूल जाता है।
साईं के नाम की मस्ती में भक्त झूम-झूमकर नाचता है, उसे अब दुनिया की कोई परवाह नहीं, बस साईं का द्वार ही उसे प्रिय है। साईं का मुखड़ा ही उसके लिए सबसे बड़ा खजाना है, और उसकी भक्ति में वह खुद को पूरी तरह भुला देता है। यह समर्पण और प्रेम ही उसकी सबसे बड़ी दौलत और सच्चा सुख है।
साईं के नाम की मस्ती में भक्त झूम-झूमकर नाचता है, उसे अब दुनिया की कोई परवाह नहीं, बस साईं का द्वार ही उसे प्रिय है। साईं का मुखड़ा ही उसके लिए सबसे बड़ा खजाना है, और उसकी भक्ति में वह खुद को पूरी तरह भुला देता है। यह समर्पण और प्रेम ही उसकी सबसे बड़ी दौलत और सच्चा सुख है।
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Author - Saroj Jangir
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