कह देना मुरली वाले से भजन
कह देना मुरली वाले से भजन
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
ना हाथी है ना घोड़ा है
वो पैदल पैदल आया है
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
ना धोती है ना कुरता है
वो मार लंगोटा आया है
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
ना पैसा है ना ढेला है
चावल की पोटली लाया है
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
ना जूते हैं ना चप्पल हैं
वो नंगे पैरों आया है
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
ना बीवी है ना बच्चे हैं
वो लठिया टेकता आया है
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
तेरा यार सुदामा आया है।
ना हाथी है ना घोड़ा है
वो पैदल पैदल आया है
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
ना धोती है ना कुरता है
वो मार लंगोटा आया है
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
ना पैसा है ना ढेला है
चावल की पोटली लाया है
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
ना जूते हैं ना चप्पल हैं
वो नंगे पैरों आया है
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
ना बीवी है ना बच्चे हैं
वो लठिया टेकता आया है
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
कह देना मुरली वाले से
तेरा यार सुदामा आया है।
तेरा यार सुदामा आया है। tera yaar Sudama aaya hai | #bhajan #murlidhar krishnabhajan Sudama
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यह भजन सुदामा और श्रीकृष्ण की अमर मित्रता का अत्यंत मार्मिक चित्रण है, जिसमें सुदामा की भक्ति, सादगी और दरिद्रता के बावजूद उसके प्रेम और निष्ठा को उच्चतम स्थान दिया गया है। यहाँ भाव भरकर बताया गया है कि सुदामा ना हाथी-घोड़े पर सवार होकर आया, ना ही उसने धन-संपत्ति या आभूषण लेकर आया, बल्कि पैदल, नंगे पाँव, केवल चावल की एक पोटली और साधारण लंगोट पहनकर द्वारका पहुँचा। उसके पास सांसारिक सुख-सुविधाएँ नहीं हैं—ना घर-बार, ना बीवी-बच्चे, ना वस्त्र-आभूषण—फिर भी उसका सबसे बड़ा पूँजी है उसका निर्मल हृदय और सच्चा सखा भाव।
सुदामा का द्वारका आना किसी वैभव या भौतिकता का प्रतीक नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि प्रभु के पास पहुँचने के लिए केवल प्रेम और भक्ति की आवश्यकता होती है। भजन का सार यही है कि जब सच्चे भाव से अपने प्रियतम भगवान को पुकारा जाए, तो उनके लिए साधन, वस्त्र, धन या आडम्बर मायने नहीं रखते। कृष्ण का अपने मित्र सुदामा की ओर दौड़कर जाना और उसे गले लगाना, यही इस भजन का मूल संदेश है—प्रेम और भक्ति ही सबसे बड़ा वैभव है।
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Author - Saroj Jangir
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