तेरे दर की भीख से है मेरा आज तक गुज़ारा

तेरे दर की भीख से है मेरा आज तक गुज़ारा


तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा,
जीवन का है आधार,
जीने का है सहारा,
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा।।

हे करुणा करने वाले,
मेरी लाज रखने वाले,
तेरे ही दर से मिलता,
हर दीन को सहारा,
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा।।

तेरी आस्था के सदके,
तेरी हर गली पे क़ुर्बान,
तेरा दर है दर-ए-हक़ीक़त,
मेरी ज़ीस्त का सहारा,
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा।।

तेरे प्यार की हदों को,
बस तू ही जानता है,
तू आ गया वहीं पर,
मैंने जहाँ पुकारा,
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा।।

क्यों ढूँढ़ते फिरें हम,
तूफ़ानों में सहारा,
तेरे हाथ में ही लहरें,
तेरे हाथ में किनारा,
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा।।

मुझे बेक़रार रख कर,
मेरे दिल में बसने वाले,
जो यही है तेरी मर्ज़ी,
तेरा विरह भी है प्यारा,
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा।।


Tere Dar Ki Bhikh - तेरे दर की भीख - विनोद अग्रवाल जी - कृष्ण भजन

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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