स्वागत है दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम एक प्रेरणादायक और रोचक जातक कथा के बारे में जानेंगे, जिसका नाम है "चांद पर खरगोश"। यह कहानी हमें न केवल दानवीरता का अर्थ सिखाती है, बल्कि सच्चे समर्पण और त्याग की महत्ता को भी समझाती है। इस कथा में चार मित्रों की कहानी है, जिनका उद्देश्य बड़ा बनने के लिए परम दान करना था। आइए, इस दिलचस्प कहानी को विस्तार से पढ़ें और इसके माध्यम से महत्वपूर्ण शिक्षा प्राप्त करें।
चांद पर खरगोश जातक कहानी
बहुत समय पहले, गंगा नदी के किनारे एक घना जंगल था जहां चार खास दोस्त रहते थे, खरगोश, सियार, बंदर और ऊदबिलाव। इन सभी दोस्तों का एक ही सपना था, सबसे बड़ा दानवीर बनने का। एक दिन सभी ने निर्णय लिया कि वे कुछ ऐसा लेकर आएंगे जिसे वे किसी ज़रूरतमंद को दान कर सकें, ताकि उनका दान सबसे अनोखा और मूल्यवान बन सके।
सभी मित्र अपने अपने तरीके से कुछ न कुछ खोजने के लिए निकल पड़े। ऊदबिलाव नदी किनारे से सात लाल रंग की ताज़ा मछलियां पकड़ लाया। सियार ने पास के गांव से दही की हांडी और मांस का एक टुकड़ा जुटा लिया। बंदर उछलता कूदता बगीचे से ताजे आम के गुच्छे ले आया। लेकिन खरगोश को कुछ भी मूल्यवान नहीं लगा जो वह दान कर सके। उसे लगा कि यदि वह केवल घास दान करेगा, तो उसका दान अधिक महत्वपूर्ण नहीं होगा। खाली हाथ लौटते हुए वह सोचने लगा कि अगर सच में उसे सबसे बड़ा दानवीर बनना है, तो उसे खुद को ही दान करना होगा।
खरगोश के खाली हाथ लौटने पर उसके तीनों दोस्त हैरान हो गए और उससे पूछा, “तुम्हें पता है न कि आज दान करने से महादान का लाभ मिलेगा? तुम क्या दान करोगे?” इस पर खरगोश ने उत्तर दिया, “मैंने फैसला किया है कि मैं खुद को दान करूंगा।” उसके इस उत्तर से सभी दोस्त हैरान रह गए।
इस खबर ने स्वर्ग के इन्द्र देवता तक को अचंभित कर दिया, और उन्होंने तुरंत साधु का वेश धारण कर धरती पर आने का निर्णय लिया। वे पहले सियार, बंदर और ऊदबिलाव के पास गए, जिन्होंने अपनी-अपनी वस्तुएं दान में दे दीं। फिर वे खरगोश के पास पहुंचे और उससे पूछा कि वह क्या दान करेगा। खरगोश ने सरलता से जवाब दिया कि वह स्वयं को दान करने जा रहा है।
इंद्र देव ने खरगोश की निष्ठा को परखने के लिए अपनी दिव्य शक्ति से एक अग्नि उत्पन्न की और उसे उसमें समाने के लिए कहा। खरगोश ने निडर होकर उस आग में छलांग लगा दी। इन्द्र देव ने यह देखकर चकित होते हुए उसे आशीर्वाद दिया। अग्नि मायावी थी, और इससे खरगोश को कोई नुकसान नहीं हुआ। इस प्रकार खरगोश ने अपने स्वयं का दान करने के फैसले से अपने आप को सबसे बड़ा दानवीर बना लिया।
इंद्र देव ने इस दानवीरता के प्रतीक को अमर बनाने के लिए खरगोश के इस महान कार्य को चांद पर अंकित करने का निर्णय लिया। उन्होंने चांद पर एक विशेष निशान बना दिया ताकि पूरी दुनिया हमेशा खरगोश की इस महानता को याद रखे।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी काम को अंजाम देने के लिए दृढ़ शक्ति, संकल्प और निस्वार्थता की आवश्यकता होती है। सच्चा त्याग और दान वही होता है जो बिना किसी स्वार्थ के किया जाए। हमारी सबसे महत्वपूर्ण चीज का दान ही सबसे बड़ा दान होता है।
Chand par Khargosh | चाँद पर खरगोश | Bedtime Hindi Kahaniya | Kids Stories In Hindi
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Author - Saroj Jangir
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