चुहिया के स्वयंवर की कहानी Chuhiya Ki Shadi Panchtantra Kahani

स्वागत है मेरे ब्लॉग पोस्ट में। इस पोस्ट में हम एक प्रेरणादायक कहानी "चुहिया के स्वयंवर" के बारे में जानेंगे। यह कहानी न केवल मनोरंजक है, बल्कि हमें जीवन में एक महत्वपूर्ण सीख भी देती है कि हर किसी का स्वभाव जन्म से ही उसकी पहचान होती है, जिसे बदलना मुश्किल होता है। चलिए, जानते हैं गुरु जी, उनकी बेटी और उसके स्वयंवर की इस अनोखी कहानी को।
 
चुहिया के स्वयंवर की कहानी Chuhiya Ki Shadi Panchtantra Kahani

चुहिया के स्वयंवर की कहानी

गंगा नदी के किनारे एक शांत धर्मशाला में गुरु जी रहते थे, जो हर दिन तपस्या और ध्यान में लीन रहते थे। एक दिन, जब वे नदी में स्नान कर रहे थे, तभी एक बाज अपने पंजों में एक चुहिया को पकड़ कर ले जा रहा था। अचानक, चुहिया बाज के पंजे से फिसल कर गुरु जी की हथेली में आ गिरी। गुरु जी ने सोचा कि अगर चुहिया को छोड़ दिया गया तो बाज उसे फिर से पकड़ लेगा। इसलिए उन्होंने उसे सुरक्षित जगह पर रख दिया और नहाने के बाद अपने साथ आश्रम में लेकर आ गए।

गुरु जी ने अपनी शक्तियों का उपयोग कर चुहिया को एक प्यारी छोटी लड़की में बदल दिया और उसे अपने घर ले आए। गुरु जी ने अपनी पत्नी से कहा कि भगवान की कृपा से उनके पास यह बच्ची आई है और अब वे इसे अपनी संतान मानकर उसका पालन-पोषण करेंगे। गुरु जी की पत्नी ने इसे सहर्ष स्वीकार किया। समय बीतता गया और उनकी बेटी पढ़ाई में निपुण होती गई, जिससे गुरु जी और उनकी पत्नी को उस पर गर्व महसूस होने लगा।

कुछ वर्षों बाद, गुरु जी की पत्नी ने कहा कि अब उनकी बेटी विवाह योग्य हो गई है और उसके लिए योग्य वर ढूंढने का समय आ गया है। गुरु जी ने सोचा कि उनकी विशेष बेटी के लिए एक विशेष पति ही उपयुक्त होगा। इसलिए उन्होंने अपनी दिव्य शक्तियों का उपयोग करके सूर्य देव को बुलाया और उनसे पूछा, "हे सूर्य देव, क्या आप मेरी बेटी से विवाह करेंगे?"

बेटी ने मुस्कुराते हुए कहा, "पिताजी, सूर्य देव बहुत तेजस्वी और उग्र स्वभाव के हैं, मैं उनसे विवाह नहीं कर सकती। कृपया मेरे लिए कोई और वर ढूंढें।" यह सुनकर गुरु जी ने सूर्य देव से सलाह मांगी। सूर्य देव ने कहा, "आप बादलों के राजा के पास जाएं, वे मुझसे भी श्रेष्ठ हैं, क्योंकि वे मुझे और मेरी गर्मी को ढक सकते हैं।"

गुरु जी ने बादलों के राजा को बुलाया और उनसे बेटी के विवाह की बात की। लेकिन बेटी ने कहा, "पिताजी, बादलों का राजा गीला और ठंडा है, मैं उनसे शादी नहीं करना चाहती।" इसके बाद, बादलों के राजा ने सुझाव दिया कि गुरु जी वायु देव से बात करें, जो बादलों को कहीं भी उड़ा सकते हैं।

गुरु जी ने वायु देव को बुलाया, लेकिन बेटी ने कहा, "पिताजी, वायु देव अपनी दिशा हमेशा बदलते रहते हैं। मैं उनसे भी विवाह नहीं कर सकती।" इस पर वायु देव ने सलाह दी कि गुरु जी पहाड़ों के राजा से बात करें, जो उन्हें रोक सकते हैं।

गुरु जी ने पहाड़ों के राजा को बुलाया और उनसे कहा कि वे उनकी बेटी का हाथ स्वीकार करें। लेकिन बेटी ने कहा, "पिताजी, पहाड़ों के राजा बहुत कठोर और स्थिर हैं। मैं उनसे विवाह नहीं करना चाहती।" तब पहाड़ों के राजा ने सुझाव दिया कि गुरु जी चूहों के राजा से बात करें, जो उन्हें छेद कर सकते हैं।

अंत में, गुरु जी ने चूहों के राजा को बुलाया और बेटी से पूछा कि क्या वह उनसे विवाह करना चाहेगी। बेटी ने चूहों के राजा को देख कर प्रसन्नता से हामी भर दी। तब गुरु जी ने अपनी बेटी को चुहिया के रूप में वापस बदल दिया और उसकी शादी चूहों के राजा से करा दी। इस प्रकार चुहिया का स्वयंवर सम्पन्न हुआ।

कहानी से शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जो जन्म से जिस स्वभाव का होता है, उसे बदलना आसान नहीं होता। हर किसी की अपनी पहचान होती है, और सच्ची खुशी इसी में होती है कि हम अपनी पहचान के अनुरूप ही जीवनसाथी और जीवन का रास्ता चुनें।

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
चुहिया के स्वयंवर की कहानी का महत्व, प्रेरक कहानियां हिंदी में, जीवन की सच्ची खुशी का रहस्य, बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियां, सरल हिंदी में शिक्षाप्रद कहानियां
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

+

एक टिप्पणी भेजें